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पैरलल बार व्यायाम से सोच में आता है सकारात्मक परिवर्तन
शशांक खरे
उम्र ७७ साल. निवासी गीतांजली नगर. सिंचाई विभाग से रिटायर हुए १७ वर्ष हो गए. राजधानी रायपुर के बीटीआई ग्राउंड (शंकरनगर) में हर रो•ा अलसुबह एक शख्स के आगमन की प्रतीक्षा होती है. जय श्रीराम के उद्घोष के साथ एक दुबला-पतला व्यक्ति का आगमन होता है, तो लोग जय श्रीराम के उद्घोष के साथ उनका स्वागत करते हैं. जब ये शख्स मैदान में आते हैं तो दर्जनों लोग रोमांचित हो जाते हैं. सुबह-सुबह लोगों के चेहरे में हर्ष का भाव पैदा करने वाले ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि शंकरलाल तंबोली हैं. सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त तंबोली भी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं. और कसरत कराने जुट जाते हैं. तंबोली दादा कोई अपरिचित नाम नहीं है. प्रतिदिन दर्जनों लोगों को कसरत कराना, $खुद कसरत करना और दौडऩा इनका रोज के अभ्यास का हिस्सा है. तंबोली $खुद ७७ साल के हो गए हैं, लेकिन उनका उत्साह किसी १८ साल के युवक से कम नहीं. उन्हें देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वे लगभग अस्सी के पड़ाव पर पहुंच चुके हैं. आठों काल, बारहों महीने वे सुबह ग्राउंड में लोगों का उत्साह बढ़ाते दिख जाएंगे. लड़कियों, महिलाओं तक को वे दौड़ लगाने विवश कर देते हैं. उनका उत्साह और अच्छी सेहत के प्रति उनकी प्रेरणा लोगों में ऊर्जा भर देती है. कोई तंबोली सर कहता है, कोई तंबोली जी, कोई तंबोली अंकल...! जिस दिन भी मिस्टर तंबोली किन्ही कारणों से विलंब से पहुंचते हैं या नहीं पहुंच पाते हैं तो कई लोगों को बेहद निराशा होती है. लेकिन, लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए तंबोली बीटीआई ग्राउंड में आना नहीं छोड़ते. १५ साल से वे बीटीआई ग्राउंड आ रहे हैं.
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::fulltext:: बकौल तंबोली- सुबह की दवा लाख रुपए की दवा है. हर व्यक्ति को सुबह-सुबह उठकर मार्निंग वाक, कसरत-व्यायाम करना चाहिए. उत्तम सुख निरोगी काया. हर व्यक्ति का सबसे बड़ा सुख उत्तम स्वास्थ्य है. स्वास्थ्य अच्छा है तो काम भी अच्छा होता. दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है. अगर डॉक्टर और दवा से दूर रहना है तो प्रतिदिन सुबह पांच बजे बिस्तर त्याग दीजिए. जीवन के लगभग साढ़े सात दशक से ज्यादा गु•ाारने के बाद भी मुझे कोई बीमारी नहीं. यही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है. बिना कोई भेदभाव के कसरत के इच्छुक हर व्यक्ति को अभ्यास कराना मेरा परम धरम है.
अपराध कम हो जाए
तंबोली कहते हैं कि मानसिक विकृति की वजह से अपराध बढ़ते हैं. लोगों को सकारात्मक सोच की ओर मोडऩे के लिए पैरलल बार व्यायाम आवश्यक है. वे शीर्षासन कराते हैं. वे कहते हैं कि शीर्षासन से रक्त का प्रवाह नीचे की ओर होता है. व्यक्ति के मस्तिष्क में जब रक्त पहुंचता है तो सोच में सकारात्मक परिवर्तन होता है. जब व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है, तो वह अपराध नहीं करता. जेल में $कैद लोगों को रो•ा कसरती व्यायाम व पैरलल बार व्यायाम कराना चाहिए. मेरा दावा है कि यदि जेल में अनिवार्य रूप से $कैदियों को को रो•ा कसरती व्यायाम व पैरलल बार व्यायाम कराया जाए तो जेल योगशाला में तब्दील हो जाएगी. इस व्यायाम से व्यक्ति के अंदर की सारी नकारात्मकता $खत्म हो जाती है. और वह देश, समाज की भलाई, तरक्की की दिशा में न केवल सोचता है, बल्कि देश के राष्ट्रीय विकास का एक अहम हिस्सा भी बन जाता है.
पुरस्कार की कोई दरकार नहीं
तंबोली अपनी कला को लेकर भारी उत्साहित हैं. वे अपनी कला का प्रदर्शन करने देश के कई प्रदेशों का दौरा कर चुके हैं. वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में भले ही उन्हें अब तक कोई पुरस्कार नहीं मिला है, लेकिन उसका उन्हें कोई अ$फसोस नहीं. अधिक से अधिक लोगों तक उनकी इस कसरत कला का लाभ मिले, यही सबसे बड़ा पुरस्कार है. वे प्रदेश और देश के हर व्यक्ति को स्वस्थ और हंसते-मुस्कराते देखना चाहते हैं. लोगों की मुस्कराहट उनके लिए बड़ा पुरस्कार है. इन्हें पुरस्कार की कोई दरकार नहीं. उनके दो और साथी हैं. जो तंबोली के साथ विभिन्न स्थानों पर अपनी इस $खास कसरत कला का प्रदर्शन करते हैं. तंबोली कहते हैं, जब तक सांसें हैं, स्वस्थ तन, स्वस्थ मन...का शुभ संदेश जन-जन पहुंचाते रहेंगे.
(बॉक्स)(दो हाफ फोटो)
नई पौध तैयार
शंकरलाल तंबोली ने आने वाली पीढ़ी के लिए नई पौध तैयार कर दी है. देवकुमार साहू और सुरेंद्र पाल, दोनों तंबोली के शिष्य हैं. देवकुमार और सुरेंद्र पाल दोनों रो•ा सुबह बीटीआई ग्राउंड नियत समय पर पहुंच जाते हैं. दोनों ने तंबोली से शिक्षा प्राप्त की. अब ये दोनों उनके मार्गदर्शन में परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. पैरलल बार के •ारिए दोनों लोगों को निशुल्क प्रैक्टिस करवाते हैं. देवकुमार ने दिव्य छत्तीसगढ़ को बताया कि आज से पांच-छह साल पहले उनके सिर में दर्द हुआ. डॉक्टरों ने बताया मधुमेह की बीमारी है. इला•ा में बड़ी रकम लगेगी. फिर किसी ने सलाह दी कि वे दौड़-धूप, कसरत थोड़ी ज्यादा करे, तो मधुमेह $खत्म हो जाएगी. बीटीआई ग्राउंड में तंबोली दादा से मिले. पैरलल बार के •ारिए उन्होंने प्रैक्टिस की. हफ्ते भर में मधुमेह छू मंतर. देवकुमार दावा करते हुए कहते हैं कि मधुमेह की अचूक दवा है पैरलल बार पर कसरत. पैरलल बार के •ारिए कसरत करने से ताउम्र कोई बीमारी फटकेगी ही नहीं. हर व्यक्ति को सुबह पैदल भ्रमण, दौड़, पैरलल बार पर कसरत करनी चाहिए. सुरेंद्र और देवकुमार गुरु तंबोली के साथ हरियाणा के जिंद में अपना प्रदर्शन कर चुके हैं. देवकुमार अपने गुरु तंबोली को ईश्वर तुल्य मानते हैं.
(फोटो)
सेहत पहले, बा$की बाद में
अशोक दुबे, रो•ा सुबह बीटीआई ग्राउंड आते हैं. उनका कहना है कि सेहत पहले है, बा$की ची•ों बाद में. सुबह-सुबह टहलना, कसरत- व्यायाम करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. लोगों से मैं आग्रह करता हूं कि हर सुबह पैदल भ्रमण और कसरत-व्यायाम •ारूर करें. क्योंकि, उत्तम सुख-निरोगी काया.
(फोटो)
सुबह की हवा तो दवा है
मनीष श्रीवास्तव कहते हैं कि नियमित रूप से बीटीआई ग्राउंड आना वे नहीं भूलते. रो•ा पैदल भ्रमण के अलावा, हल्का-फुल्का कसरत, व्यायाम कर लेते हैं. इससे दिनभर शरीर अच्छा रहता है. तन- मन प्रसन्न रहता है. दिनभर काम-धंधा में मन लगा रहता है. स्फूर्ति बनी रहती है.
हर दर्द की दवा
गीतांजली नगर रायपुर निवासी शंकरलाल तंबोली ने दिव्य छत्तीसगढ़ को बताया कि वर्ष १९६० में सरकारी नौकरी ज्वाइन की. सिंचाई विभाग में एकाउंटेंट थे. साल २००१ में वे बलौदाबा•ाार से सेवानिवृत हुए. साठ के बाद जो शारीरिक दिक्कत होती है, वह उन्हें भी शुरू हुई. हड्डी और जोड़ों में दर्द की शिकायत शुरू हुई. वे उस समय छुईखदान (राजनांदगांव) में रहते थे. स्वास्थ्य को ठीक रखने परिजनों ने पुन: कोई दूसरी नौकरी करने की सलाह दी. किंतु, तंबोली ने सा$फ इनकार कर दिया. छुईखदान में ही व्याख्याता मो. सिद्द$की से उन्होंने पैरलल बार व्यायाम सीखा. इससे उन्हें बड़ी राहत मिली. पैरलल बार व्यायाम इनके जीवन का हिस्सा है. इस उम्र में भी इन्हें कोई बीमारी नहीं है. निरोगी रहने के लिए तंबोली कहते हैं कि हर व्यक्ति को सुबह कसरत, दौड़, योग-प्राणायाम करना चाहिए. उम्र का बंधन नहीं होना चाहिए. क्योंकि, सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ्य है. घुटनों का दर्द ठीक करना सबसे अहम है. क्योंकि, घुटनों में सारा सुख, दुख और जीवन का सार है. घटना ठीक न हो तो आदमी चलेगा कैसे? इसलिए घुटना को ठीक रखें. वे बच्चे, जवान, बूढ़े सभी को निशुल्क पैरलल बार व्यायाम के लिए प्रेरित करते हैं. पैरलल बार व्यायाम से अनिद्रा, पोलियो, पैरालिसिस, कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, घुटनों का दर्द, मानसिक विकृति सभी शिकायतें $खत्म हो जाती हैं. वे बताते हैं कि बस्तर, सरगुजा में डटी फोर्स और कुछ पुलिस के जवान तक बीटीआई ग्राउंड में मुझसे पैरलल बार व्यायाम सीखने आते हैं. तंबोली बताते हैं कि राज्य के बाहर भी वे अपने शिष्यों देवकुमार और सुरेंद्र पाल के बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं. हरियाणा के जिंद में साल २०१५,१६,१७ में प्रशंसनीय प्रदर्शन किया. अब अगस्त २०१८ में पुन: जिंद जाएंगे.
पारिवारिक पृष्ठभूमि
मूलत: •िाला राजनांदगांव के छुईखदान निवासी शंकर तंबोली बताते हैं कि इनका मुख्य पुश्तैनी व्यवसाय पान की खेती है. छुईख्रदान से आकर रायपुर में बस गए. पत्नी सरोज देवी तंबोली से प्रेरणा मिलती है. एक पुत्र निखिल डॉक्टर हैं. दूसरा पुत्र अखिल दुर्गापुर (प. बंगाल) में एक प्लांट में इंजीनियर हैं.
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