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नयी दिल्ली. 2018 बैच के IAS और IPS के कैडर निरस्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 IAS-IPS अफसरों को बड़ी राहत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन IAS-IPS अफसरों को राज्य संवर्गों यानि उनके पसंदीदा कैडर में एक पद बढ़ाकर समायोजित किया जायेगा। इससे पहले 20 IAS-IPS अफसरों ने केंद्र की कैडर आवंटन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कैंडर आवंटन को निरस्त कर नये सिरे से आवंटन का निर्देश दिया था। इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए होम कैडर में एक-एक पद सृजित कर 20 अफसरों को उनका होम कैडर आवंटित करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की पीठ ने आज ये फैसला दिया। केंद्र सरकार की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। 2018 बैच के लिए केंद्र की कैडर आवंटन नीति के अनुसार, उम्मीदवारों को ऑनलाइन फॉर्म में जोनों और संवर्गों में कोई वरीयता नहीं के लिए “99” दर्ज करना था। पीठ ने अपने आदेश में कहा, “यह इस साल संबंधित राज्य संवर्गों में एक पद बढ़ाकर इन्हें समायोजित किया जायेगा।
पीठ ने केंद्र को 20 प्रशिक्षु अधिकारियों को सॉलिसिटर जनरल द्वारा सुझाए गए तरीके से समायोजित करने का निर्देश दिया। साथ ही ये भी कहा है कि इस आवंटन से पूर्व में आवंटित अन्य उम्मीदवारों के मूल कैडर के आवंटन में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। दलीलों के दौरान, पीठ ने कहा कि यह एक “बहुत गंभीर मामला” था और कैडर आवंटन नीति से संबंधित 5 सितंबर, 2017 को जारी आदेश की भाषा “अत्यंत अस्पष्ट” थी। पीठ ने मेहता से कहा, “आपका परिपत्र अधिक स्पष्ट होना चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो आपको उदाहरण भी देना चाहिए।”
हालांकि, मेहता ने कहा कि लगभग 400 उम्मीदवारों में से केवल 19 ने कैडर आवंटन प्रक्रिया पर शिकायतें उठाई हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने संबंधित राज्य के स्थानीय भाषा और स्थानीय राजस्व कानूनों के अनुसार प्रशिक्षण लिया है, जहां उन्हें पोस्ट किया जाएगा।
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