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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सम्पर्क स्मार्ट स्कूल और स्मार्ट ब्लॉक कार्यक्रम का किया शुभारंभ
मुख्यमंत्री ने बच्चों के बीच बैठकर याद किया अपना बचपन
जशपुर के 50 स्कूलों को स्मार्ट किट, मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्रांति को बताया मील का पत्थर
रायपुर-मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखंड के बगिया हाई स्कूल में सम्पर्क स्मार्ट स्कूल और स्मार्ट ब्लॉक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जशपुर के 50 प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए सम्पर्क स्मार्ट किट और टीवी का भी वितरण किया गया। मुख्यमंत्री ने बच्चों के बीच बैठकर अपना बचपन याद किया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि 50 साल पहले उनका यह स्कूल खपरैल का था, आज कायाकल्प हो गया है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, कांसाबेल जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुशीला साय उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राम बगिया में नवाचार के तहत सम्पर्क स्मार्ट स्कूल की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने उद्बोधन में बचपन के दिनों को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि उनके गृह ग्राम बगिया में नवाचार के तहत सम्पर्क स्मार्ट स्कूल प्रारंभ किया गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पहली से पांचवीं कक्षा तक बगिया प्राथमिक स्कूल में प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व बगिया स्कूल खपरैल का होता था, जिसमें बरसात के दिनों में पानी टपकता था और पानी टपकने के कारण जगह बदलनी पड़ती थी। लेकिन आज 50 वर्षों बाद बगिया स्कूल का संपूर्ण कायाकल्प हो गया है और वर्तमान में यहाँ हाई स्कूल संचालित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले जमाने में प्राथमिक स्कूल के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी लेकिन वर्तमान में छत्तीसगढ़ में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा की सुविधाएं सुलभ हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र मूलमंत्र है जिससे व्यक्ति का समग्र विकास संभव है। शिक्षक हमारे राष्ट्र के निर्माता होते हैं, जो हमें अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, वैज्ञानिक और प्रोफेसर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सम्पर्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री विनीत नायर एचसीएल टेक्नोलॉजिस के सीईओ रहे हैं। उन्होंने अपनी माता, जो सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं, से प्रेरणा लेकर सम्पर्क कार्यक्रम की शुरुआत की। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बच्चों के सीखने-सिखाने में बहुमूल्य योगदान दे रहा है। सम्पर्क फाउंडेशन खेल-खेल में शिक्षा को सरल बनाने के लिए सम्पर्क टीवी डिवाइस एवं गणित व अंग्रेज़ी किट प्रदान कर रहा है, जिनका वितरण आज हमारे जिले के 50 विद्यालयों में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने मुझे पूरी उम्मीद है कि विद्यालयों में इन किटों का भरपूर उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल बच्चों की झिझक दूर होगी बल्कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी। अतः सभी प्रधान पाठक इन संसाधनों के उपयोग की पद्धति को भली-भांति समझें और बच्चों को आगे बढ़ने के अवसर दें।
उल्लेखनीय है कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी जशपुर जिले के 15 विद्यार्थियों ने 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में टॉप 10 मेरिट सूची में स्थान प्राप्त कर संपूर्ण राज्य में जिले का गौरव बढ़ाया है। कक्षा 10वीं के 94 प्रतिशत एवं कक्षा 12वीं के 94 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं, जिससे जशपुर राज्य का सर्वाधिक उत्तीर्णता प्रतिशत वाला जिला बना है। उच्च शिक्षा के साथ-साथ प्राथमिक स्तर पर भी जिले ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। कक्षा 5वीं में 99.5 प्रतिशत एवं कक्षा 8वीं में 97.3 प्रतिशत परिणाम दर्ज कर जिले ने राज्य स्तर पर विशेष छाप छोड़ी है।जिले में शैक्षणिक गतिविधियों के सुचारू संचालन हेतु मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देशन में विभाग द्वारा जिला स्तर पर सभी प्रधान पाठकों एवं प्राचार्यों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए इसरो, आईआईटी एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से टाईअप कर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति ऐप के माध्यम से दर्ज की जा रही है। दैनंदिनी की सतत मॉनिटरिंग की जा रही है एवं जिले के समस्त विद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था सुधार हेतु युक्तियुक्तकरण की कार्यवाही पूर्ण की गई है। इसी क्रम में जिले के 50 प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (एफ.एल.एन.) हेतु सम्पर्क फाउंडेशन के माध्यम से एफ.एल.एन. किट का वितरण किया जा रहा है, जो जिले की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार में मील का पत्थर सिद्ध होगा।