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महिला पत्रकारों ने प्रिया रमानी का समर्थन किया है.
नई दिल्ली: मीटू आंदोलन के जोर पकड़ने के साथ ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकीं 20 महिला पत्रकार अपनी सहकर्मी प्रिया रमानी के समर्थन में आईं जिन्होंने केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए. उन्होंने दावा किया कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया तथा अन्य इसकी गवाह हैं.पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा, ‘‘रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है. हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर तथा अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं.’’
बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, एटी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं. डेक्कन क्रॉनिकल की एक पत्रकार क्रिस्टीना फ्रांसिस ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं.अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए सोमवार को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी.
::/fulltext::Sabarimla Temple Portal: सबरीमाला मंदिर में आज महिलाएं करेंगी प्रवेश.
नई दिल्ली. चीन लगातार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, चीन ने एक बार फिर भारत को उकसाने वाली कार्रवाई की है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक अरुणाचल प्रदेश के अपर दिबांग वैली में घूमते पाए गए हैं. हालांकि बाद में भारतीय सैनिकों की आपत्ति के बाद वापस भी चले गए. यह घटना पांच से छह दिन पहले की बताई जा रही है.
अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों के दाखिल होने की यह कोई पहली घटना नहीं है. पिछले साल डोकलाम में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी. घुसपैठ की इस घटना को लेकर भारत और चीन के बीच दो महीनों से ज्यादा समय तक गतिरोध चला और नई दिल्ली के कूटनीतिकि प्रयासों के चलते चीनी सेना को डोकलाम से पीछे हटना पड़ा था. अरुणाचल में चीनी सैनिकों के देखे जाने की यह पहली घटना नहीं है, चीनी सैनिकों की 2018 में 170 से ज्यादा बार भारतीय इलाकों में दाखिल होने की घटना सामने आई है जबकि 2017 में इस तरह की 426 घटनाएं सामने आई हैं.
बता दें कि डोकलाम एक विवादित पहाड़ी क्षेत्र है, जिस पर चीन और भूटान दोनों दावा करते हैं. भारत इस मामले में भूटान के दावों का समर्थन करता है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है, कई जगहों पर सीमा निर्धारण पर स्थिति स्पष्ट नहीं है.
::/fulltext::स्वयंभू बाबा रामपाल को हिसार की अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा.
खास बातें
नई दिल्ली: स्वयंभू बाबा रामपाल (Sant Rampal) को बच्चे समेत पांच लोगों की हत्या के मामलों में हिसार की अदालत ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. रामपाल को अब मौत तक जेल में ही रहना होगा. रामपाल खुद को आध्यात्मिक गुरु बताता था. रामपाल पर वर्ष 2014 में मुकदमा नंबर 429 दर्ज हुआ था. जिसमे रामपाल समेत 15 लोग आरोपी रहे. यह केस 4 महिलाओं और एक बच्चे की मौत से जुड़ा है. वहीं दूसरा मुकदमा नंबर 430 है जिसमे रामपाल समेत 13 आरोपी हैं. इस केस में एक महिला की मौत हुई थी. इन दोनों मुकदमों में रामपाल समेत 6 लोग ऐसे हैं, जो दोनों मुकदमों में आरोपी हैं. हालांकि यह फैसला हत्या के पांच मामलों में आया है.
दरअसल, हिसार में नवम्बर 2014 में रामपाल (Sant Rampal) से जुड़े बरवाला के सतलोक आश्रम (Satlok Ashram Case) में हत्या के दो अलग-अलग मामले सामने आए थे. बीते दिनों कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामपाल को दोषी करार दिया था. उस दिन रामपाल के ऊपर फैसले के मद्देजनर हरियाणा के हिसार शहर को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था. गौरतलब है कि पुलिस प्रशासन ने राम रहीम प्रकरण से सबक लेते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये. हिसार के पंचकुला में राम रहीम पर कोर्ट के फैसले के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और काफी नुकसान हुआ था.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के उत्तरी राज्यों में बेरोजगारी (Unemployment) सबसे ज्यादा है.
खास बातें
नई दिल्ली : केंद्र सरकार तमाम सेक्टरों में रोजगार सृजन के दावे कर रही है, लेकिन इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate in India) 20 वर्षों में सबसे अधिक हो गई है. चौंकाने वाली बात यह है कि युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 फीसद तक पहुंच गई है. बेरोजगारी दर बढ़ने के पीछे दो वजहें सामने आई हैं. पहली, नौकरियों (Jobs) के सृजन की रफ्तार धीमी है और दूसरी, इंडस्ट्री में कार्यबल (मैन पावर) में कटौती. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सतत रोजगार केंद्र ने नौकरियों को लेकर एक अध्ययन किया. इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल स्टडीज ने देश में बढ़ती बेरोजगारी से पर्दा उठाने वाली ''स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018'' रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के आंकड़े श्रम ब्यूरो के पांचवीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) पर आधारित हैं. श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, कई सालों तक बेरोजगारी दर दो से तीन प्रतिशत के आसपास रहने के बाद साल 2015 में पांच प्रतिशत पर पहुंच गई, इसके साथ ही युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है. स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत थी, जो पिछले 20 वर्षो में सबसे ज्यादा देखी गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के परिणामस्वरूप रोजगार में वृद्धि नहीं हुई है. अध्ययन के मुताबिक जीडीपी में 10 फीसदी की वृद्धि के परिणामस्वरूप रोजगार में एक प्रतिशत से भी कम की वृद्धि हुई है.
नौटबंदी से नौकरियों में कटौती :
स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 की रिपोर्ट में बढ़ती बेरोजगारी को भारत के लिए नई समस्या बताया गया है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से 2015 के बाद से समग्र रोजगार की स्थिति पर कोई डेटा भी जारी नहीं किया गया है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) जैसे निजी स्रोतों के उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि नौकरियों का सृजन कमजोर ही बना रहेगा. सीएमआईई डेटा यह भी इंगित करता है कि नोटबंदी के परिणामस्वरूप नौकरियों में कमी आई है, सरकार ने इस पर भी कोई डेटा जारी नहीं किया है.
देश के उत्तरी राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित :
स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अंडर एंप्लॉयमेंट और कम मजदूरी भी समस्या है. तो दूसरी तरफ, उच्च शिक्षा प्राप्त और युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है. वैसे तो बेरोजगारी की चपेट में पूरा देश है, लेकिन देश के उत्तरी राज्य जैसे- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश आदि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.