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जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में लंबी चली सियासी उठा-पटक के बाद चीजें ऊपर से शांत तो लग रही हैं, लेकिन गहलोत कैंप की ओर से अभी भी मामला पूरी तरह सुलझा हुआ नहीं दिख रहा है. पूर्व डिप्टी सीएम और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और उनके समर्थन में उतरे 18 बागी विधायकों ने सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलकर अपनी बात रखी थी और सुलह कर लिया था, इसके बाद ये सभी लोग राजस्थान लौट आए हैं. हालांकि, उन्हें लौटे हुए 48 घंटों से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन अभी तक न ही उनसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुलाकात की है, न ही नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने. सुलह के बाद जानकारी मिली थी कि गहलोत कैंप के विधायक इससे नाराज़ हैं, तो क्या सुलह हो जाने के बाद भी पार्टी में तनाव बना हुआ है और गहलोत इन विधायकों का खुले दिल से स्वागत नहीं कर रहे हैं?
जानकारी है कि शुक्रवार को विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले गुरुवार को कांग्रेस के विधायक दल की बैठक भी होनी है. मुख्यमंत्री शुक्रवार को विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत पेश कर सकते हैं. लेकिन अभी तक बैठक का वक्त भी तय नहीं है. अगर मीटिंग होती है तो गहलोत अपने पूर्व डिप्टी पायलट से महीने भर के ड्रामे के बाद मिलेंगे. दोनों कैंपों के बीच जो तनाव बना है, उसके बीच सुलह सुनिश्चित करने के लिए खुद केसी वेणुगोपाल जयपुर पहुंचे हैं.
साफ है कि गहलोत कैंप इस ड्रामे को इतनी आसानी से नहीं भुला पा रहा है. सुलह के बाद खबर आई थी कि पायलट के पार्टी आलाकमान के साथ हुई सुलह से गहलोत कैंप के विधायक नाराज थे. सूत्रों के हवाले से जानकारी आई थी कि जैसलमेर के होटल में रुके हुए विधायकों की एक बैठक हुई थी, जिसमें इन बागी विधायकों पर कार्रवाई की मांग की गई थी. खुद गहलोत भी बहुत उत्साहित नहीं दिखे थे और सचिन पायलट के लौटने के पहले ही जयपुर से जैसलमेर के लिए निकल गए थे, जहां उन्हेें अपने विधायकों को मनाना था.
गहलोत ने बुधवार को जयपुर वापस आने के पहले अपने विधायकों को ये सबकुछ भूलकर आगे बढ़ने को कहा. उन्होंने कहा कि 'अब विधायकों को 'Forget and Forgive' के रास्ते पर चलना चाहिए. अब भूलो और माफ करो और आगे बढ़ो. देश के हित में, प्रदेश के हित में, प्रदेशवासियों के हित में, डेमोक्रेसी के हित में यह डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है. ऐसे में सभी भूलो और माफ करो की स्थिति में रहें.'
लेकिन देखना है कि गहलोत कैंप इन बागी विधायकों के प्रति कितना लचीला रुख अपनाता है, वहीं इन बागी विधायकों के लिए चीजें कितनी आसान रहती हैं.