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यह सब AR3664 नाम के एक सनस्पॉट का नतीजा है। बीते कई दिनों से इससे सोलर फ्लेयर निकल रहे हैं।
ऐसा लगता है कि सूर्य में जारी गतिविधियां अपने चरम पर पहुंच गई हैं। मंगलवार को एनर्जेटिक पार्टिकल्स से भरा एक और पावरफुल तूफान सूर्य से निकला। इसकी वजह से मौजूदा सोलर साइकल का सबसे ताकतवर सोलर फ्लेयर, पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, यह सोलर फ्लेयर X8.7 कैटिगरी का है, जो पिछले सप्ताह हमारे ग्रह से टकराए फ्लेयर से भी ज्यादा पावरफुल है। आशंका है कि इस फ्लेयर की वजह से पृथ्वी पर रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है। पृथ्वी के कुछ हिस्सों खासकर अमेरिका में इसका असर दिख सकता है।
अमेरिकी एजेंसी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) का कहना है कि लेटेस्ट फ्लेयर की वजह से पृथ्वी पर कोई जियोमैग्नेटिक तूफान या ऑरोरा दिखाई नहीं देगा।
यह सब AR3664 नाम के एक सनस्पॉट का नतीजा है। बीते कई दिनों से इससे सोलर फ्लेयर निकल रहे हैं। 10 मई को इस सनस्पॉट से X5.8 कैटिगरी का सोलर फ्लेयर निकला था। मंगलवार को इस सनस्पॉट से एक के बाद एक 3 एक्स कैटिगरी के सोलर फ्लेयर निकले। इनमें X8.7 सबसे पावरफुल है। कहा जाता है कि सूर्य की 11 साल की सोलर साइकिल में इससे ताकतवर फ्लेयर नहीं निकला है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) पहले ही बता चुकी है कि सूर्य में बार-बार सौर विस्फोटों के होने की संभावना है। ये विस्फोट साल 2025 तक जारी रहेंगे। इसकी वजह से सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है। यह सोलर साइकल 25 है, जिसकी शुरुआत दिसंबर 2019 से लगाई गई है।
सोलर फ्लेयर क्या हैं
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है और अपना असर दिखाती है।
दुनियाभर में लोगों में मोटापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए डब्लूएचओ ने पूरी रिसर्च के बाद हाल ही में अपडेटेड डाइट्री गाइडेंस जारी की है। दरअसल इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1975 के बाद से दुनिया भर में मोटापा लगभग तीन गुना हो गया है, और अधिक वजन या मोटापा 5 से 19 वर्ष के 340 मिलियन से अधिक बच्चों और टीएनएज को प्रभावित करता है - 2020 में 5 वर्ष से कम उम्र के 39 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं। कुल मिलाकर WHO की ये रिपोर्ट आजीवन खासकर बच्चों के हेल्दी न्यूट्रीशन पर जोर देती है। आइए इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानते है।
सामान्य तौर पर, WHO पहले की तुलना में फैट और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर कम ध्यान केंद्रित कर रहा है और क्वालिटी पर अधिक फोकस कर रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार एडल्ट को फैट की खपत को उनकी दैनिक कैलोरी का 30% या उससे कम तक सीमित करना चाहिए। किसी व्यक्ति की ऊर्जा खपत को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और एल्कोहल से मिलने वाली कैलोरी के रूप में मापा जाता है। उदाहरण के लिए, WHO की गाइडलाइन बताती हैं कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा अनसेचुरेटेड फैट का सेवन करना चाहिए। उन्हें अपनी कुल कैलोरी का 10% से अधिक सेचुरेटेड फैट से उपभोग नहीं करना चाहिए, जिसमें 1% या उससे कम ट्रांस-फैटी एसिड होता है।
• 2 से 5 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 250 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 6 से 9 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 350 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को रोजाना कम से कम 400 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 2 से 5 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 15 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
• 6 से 9 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 21 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
• 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
ब्रोकली से लेकर केले और सेब से लेकर एवोकाडो जैसे फूड आइटम्स में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में ये जरूरी है कि जंक फूड की मात्रा कम कर इन सभी चीजों को बच्चों की डाइट में शामिल किया जाए।
अच्छी सेहत की नींव बचपन से मजबूत करें
रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जितनी कम उम्र में आप हेल्दी न्यूट्रीशन और हेल्दी फूड शुरू करते हैं, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि बच्चे अपने पूरे जीवन में हेल्दी रहेंगे। ऐसा करने से बच्चों में कम उम्र में नजर आने वाली समस्याएं जैसे हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रोल, कैंसर और डायबिटीज होने की संभावना कम रहेगी।
एक्सपर्ट की मानें तो इस बार हर जगह बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारी बारिश के साथ बाढ़ भी आई है। इस कारण हाइजीन कम हो जाता है। बहुत से लोगों की इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में यह इन्फेक्शन फैलने लगता है। यहीं वजह है कि हर दूसरा व्यक्ति आई फ्लू की चपेट में आ रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक आई फ्लू देखने से नहीं, छूने से फैलता है। हाथ में वायरस चिपक जाता है और जब आप आंखों को छुएंगे या कीचड़ साफ करेंगे तो आई फ्लू फैल जाता है। डॉक्टर का कहना है कि इस बार देखा जा रहा है कि बच्चों में आई फ्लू ज्यादा फैल रहा है क्योंकि स्कूल में बच्चे साथ में रहते हैं, साथ में खेलते हैं।
जयपुर स्थित पेंगुइन पीडियाट्रिक केयर क्लिनिक के सीनियर डॉक्टर विवेक शर्मा बताते है कि संक्रमित व्यक्ति के खांसी के दौरान छींकने से भी संक्रमण फैल सकता है। ऐसे में अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से साफ करते रहें। आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें। ठंडे पानी से हाथ बार-बार धोएं। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। अगर संक्रमित आंख को छुए तो हाथ अच्छे से साफ करें। गंदगी और भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ ना मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं।
अगर आई फ्लू हो जाए तो क्या करें
आधे भारत में भारी बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए हैं। उत्तर भारत में बारिश के वजह से भारी नुकसान की स्थिति बनी हुई है। वहीं दिल्ली में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया है कि यमुना में बढ़ते जल स्तर की वजह से 3 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ रहे हैं। इस वजह से दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी की परेशानी होगी।
बारिश में पानी कि किल्लत को देखते हुए जल शुद्धिकरण और संग्रहीत करने के तरीके ढूंढने चाहिए। इसलिए आपकी मदद के लिए हम यहां आपको पानी को शुद्ध करने के कुछ देसी और मॉर्डन तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
पानी को उबालकर कीटाणुरहित करने का तरीका सबसे आम है। पहले के जमाने के लोग पानी को उबालकर पीने के काम में लेते थे। पीने के पानी को किसी बड़े बर्तन में उबलने तक गर्म करें, लगभग 5 से 10 मिनट तक इसे ऐसे ही उबलने दें। उसके बाद पानी को ठंडा करके छानकर पी लें।
फिटकरी से पीने के पानी को साफ करके पीना सबसे सरल और सस्ते उपायों में से एक है। सबसे पहले फिटकरी को हाथ से धो लें उसके बाद फिटकरी को पानी में घुमाएं. जैसे हो पानी हल्का सफेद दिखना शुरू हो, फिटकरी घुमाना तुरंत बंद कर दें। इससे पानी में के गंदगी तली में बैठ जाएगी और पानी साफ हो जाएगा।
क्लोरीन से
पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी साफ करने में लिए बाजार में क्लोरीन की गोलियां आती हैं। उन्हें पानी में डालकर साफ किया जा सकता है। ध्यान रखें कि गोलियां डालने के बाद उस पानी को आधा घंटे तक इस्तेमाल करने से बचना है।
धूप से करें साफ -
पानी को कांच की बोतल में भरकर 8 घंटे के लिए धूप में रखने से भी यह साफ होता है।
टमाटर और सेब के छिलकों को करीब दो घंटे तक एल्कोहल में डुबाकर रखने के बाद धूप में सुखा दें। सूखने के बाद इन छिलकों को पानी में डाल दें। कुछ घंटे बाद पानी की सारी गंदगी और अशुद्धियां दूर हो जाएंगी।
हैलोजन टैबलेट
इमरजेंसी सिचुएशन में पानी साफ करने के लिए हैलोजन टेबलेट उपयोगी होती है। पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता है। यह गोलियां पानी में पूरी तरह घुलनशील होती है।
आरओ सिस्टम :
पिछले कुछ सालों से पानी को साफ करने के लिए घरों में आरओ सिस्टम लगाने का ट्रेंड बढ़ गया है। इस तकनीक का पूरा नाम है- रिवर्स आसमोसिस प्रोसेस यानी आरओ। इस तकनीक में पानी को बेहद तेज दबाव के साथ साफ किया जाता है। आरओ सिस्टम द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम रहती है।
पानी साफ करने के लिए यूवी रेडिएशन, आरओ के बाद सबसे ज्यादा यूज में लिया जाने वाला मॉर्डन तरीका है। यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए को खत्म कर, पानी को पीने योग्य बनाता है। इस प्रक्रिया में पानी में न कुछ मिलाया जाता है और न ही इसमें मौजूद मिनरल्स को खत्म किया जाता है।