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रायपुर-
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर वनौषधि प्रसंस्करण के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। वन औषधियों के प्रसंस्करण से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग हो रहा है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस क्षेत्र में महिलाओं की सक्रीय भूमिका को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया है।
छत्तीसगढ़ के कटघोरा वनमंडल में स्थित हरिबोल स्व सहायता समूह, डोंगानाला की 12 महिलाओं द्वारा संचालित वनौषधि प्रसंस्करण केंद्र ने अपनी मेहनत, लगन और सामूहिक प्रयासों से एक प्रेरक सफलता हासिल की है। वर्ष 2006-07 में शुरू हुई यह केंद्र यूरोपियन कमीशन परियोजना के अंतर्गत संचालित होता है। आज यह समूह अपने अनूठे प्रयासों के कारण प्रदेशभर में एक मिसाल बन चुका है।
इस समूह की महिलाओं का शुरुआती जीवन बेहद संघर्षपूर्ण था। पहले वे गांव में मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाती थी। उनकी मासिक आय मुश्किल से 500-600 रुपये होती थी। आर्थिक तंगी से जूझते हुए उनके सामने कई चुनौतियाँ थी, लेकिन एक सामूहिक संकल्प ने उनकी जिंदगी बदल दी।
समूह ने वनौषधियों के प्रसंस्करण के क्षेत्र में कदम रखा और आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण शुरू किया। समूह द्वारा हिंगवाष्टक चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण, सीतोपलादी चूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण, बिलवादी चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पंचसम चूर्ण, शतावरी चूर्ण, आमलकी चूर्ण, पयोकिल दंतमंजन, हर्बल काफ़ी चूर्ण, महिला मित्र चूर्ण, हर्बल फेसपैक चूर्ण, हर्बल केशपाल चूर्ण आदि जैसी कई आयुर्वेदिक वनौषधियों का निर्माण किया जाता है। कच्ची वनौषधियों का संग्रहण, घटकों का निर्धारण और प्रसंस्करण कार्य आयुर्वेद चिकित्सक (टेक्निकल स्टाफ) के मार्गदर्शन में किया जाता है। समूह ने हाल ही में आयुष विभाग से 2 करोड़ रुपये का ऑर्डर प्राप्त किया है, जिससे समूह की गुणवत्ता का प्रमाण स्वयं सिद्ध होता है। यह न केवल उनकी उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि उनके प्रयासों की निरंतर बढ़ती विश्वसनीयता और मांग को भी साबित करता है।
हरिबोल स्व सहायता समूह की महिलाओं की उद्यमिता से उत्पादित इन वनौषधियों की मांग स्थानीय और प्रदेश स्तर पर अत्यधिक है। समूह द्वारा प्रतिवर्ष औसतन लगभग 44 लाख की वनौषधियों का विक्रय किया जाता है। इसके अलावा केंद्र में नियुक्त अनुभवी वैद्य की देखरेख में स्थानीय एवं आसपास के सैकड़ों मरीजों का विभिन्न बीमारियों का इलाज भी किया जा रहा है।
हरिबोल स्व सहायता समूह की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2007-08 में 97,204 रुपये का लाभ अर्जित किया गया। यह शुरुआत की सफलता ने महिलाओं का आत्मविश्वास और बढ़ा दिया। वर्ष 2023-24 में समूह ने 6,57,254 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जिससे प्रत्येक सदस्य की वार्षिक आय लगभग पौने दो लाख रुपये तक पहुँच गई। यह आर्थिक परिवर्तन उनकी पुरानी स्थिति के मुकाबले एक विशाल उन्नति थी।
इसके अतिरिक्त समूह की प्रत्येक सदस्य को प्राप्त लाभांश में से 3000 रुपये घरेलू कामों के लिए दिया जाता है, जबकि शेष राशि का उपयोग केंद्र के उन्नयन और विकास के लिए किया जाता है। इस प्रकार समूह न केवल व्यक्तिगत आय में वृद्धि कर रहा है, बल्कि स्थिर और दीर्घकालिक विकास की दिशा में भी अग्रसर है।
हरिबोल स्व सहायता समूह ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि समाज में अपनी पहचान भी मजबूत की है। महिलाएँ अब आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवारों को बेहतर जीवन प्रदान कर रही हैं। उनके आत्मविश्वास में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और वे अपनी उद्यमशीलता से दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
समूह की अध्यक्ष श्रीमती सरोज पटेल ने इस सफलता के बारे में कहा, राज्य वन विभाग के सहयोग से हमारा जीवन स्तर बहुत सुधर गया है। आज हम आत्मनिर्भर हैं और समाज में सम्मानित स्थान पा चुके हैं।
इस परियोजना की सफलता में छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अहम भूमिका निभाई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं वन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में वन औषधियों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन में स्व सहायता समूहों को शामिल करके आय सृजन के प्रति राज्य वन विभाग प्रतिबद्ध है। इस पहल से न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है, बल्कि राज्य की वन संपदा का भी सही उपयोग हो रहा है।
हरिबोल स्व सहायता समूह को न केवल स्थानीय स्तर पर सराहा गया है, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिला है। सिंगापुर में इसे प्रतिष्ठित ग्रिट पुरस्कार से सम्मानित किया गया और भारत सरकार के ट्राइफेड और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बेस्ट फॉरेस्ट प्रोड्यूस पुरस्कार से नवाजा गया है।
डोंगानाला का यह वनौषधि प्रसंस्करण केंद्र न केवल हरिबोल स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है। इस पहल ने यह साबित किया है कि सही दिशा और संकल्प के साथ किए गए प्रयास बड़े से बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। आज यह समूह अन्य स्व सहायता समूहों और ग्रामीण समुदायों के लिए एक आदर्श उदाहरण है कि सामूहिकता, मेहनत और दृढ़ निश्चय से सपने पूरे किए जा सकते है।
रायपुर- मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के एक दिवसीय दंतेवाड़ा जिले के प्रवास के दौरान दंतेवाड़ा आगमन पर स्थानीय कारली पुलिस लाईन हेलीपैड में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने आत्मीय स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री साय के साथ में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और वन मंत्री श्री केदार कश्यप भी पहुंचे। इस दौरान सांसद बस्तर श्री महेश कश्यप, विधायक दंतेवाड़ा श्री चैतराम अटामी, राज्य महिला आयोग के सदस्य श्रीमती ओजस्वी मण्डावी सहित क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधि, डीआईजी श्री कमल लोचन कश्यप, कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी, एसपी श्री गौरव राय एवं गणमान्य नागरिकों ने स्वागत किया।
रायपुर,
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित साइंस कॉलेज ग्राउंड परिसर में आज *प्रथम छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश की पारंपरिक वन संपदा, औषधीय उत्पादों और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल और प्रदर्शनी लगाई गई थी। मुख्यमंत्री ने इन स्टॉलों का भ्रमण कर उत्पादों की जानकारी ली और कलाकारों व कारीगरों के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप भी उपस्थित थे।
पारंपरिक औषधियों की जानकारी प्राप्त की
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ वैद्य संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री दशरथ नेताम द्वारा प्रदर्शित पारंपरिक औषधियों का अवलोकन किया। श्री नेताम ने बताया कि ये औषधियाँ जंगलों से विशेष रूप से चुनकर लाई गई जड़ी-बूटियों से तैयार की जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत प्रभावी हैं। उन्होंने इन औषधियों की निर्माण प्रक्रिया और उनके उपयोग के लाभों पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इन पारंपरिक विधियों के संरक्षण और प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की सराहना
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी मर्यादित संघ के स्टॉल पर जाकर विभिन्न वन-आधारित उत्पादों जैसे जशपुर के हैंडमेड ग्रीन टी, हर्बल च्यवनप्राश, और बस्तर क्षेत्र के आदिवासी समुदाय द्वारा तैयार किए गए शुद्ध हर्बल उत्पादों का अवलोकन किया। उन्होंने ‘हर्बल छत्तीसगढ़’ ब्रांड के तहत तैयार शहद, रागी-कोदो कुकीज, आँवला कैंडी, और जामुन रस जैसे उत्पादों को देखकर हर्ष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “इन हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने से न केवल स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगा।”
लोक कलाकारों के अनोखे प्रदर्शन की प्रशंसा
मुख्यमंत्री ने देवरी (आरंग) के मोहरी वादक श्री विशाल राम यादव और कोलिहापुरी, दुर्ग के चिकारा वादक श्री मनहरण दास बंजारे के लोक वाद्य प्रदर्शन का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पारंपरिक लोक कलाएँ हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं, जिन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने दोनों कलाकारों को उनके संगीत के प्रति समर्पण के लिए बधाई दी।
रजवार कला के भित्ति चित्रों की सराहना
भित्ति चित्र कलाकार डॉ. शशिप्रिया उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को उनकी टीम द्वारा बनाए गए भित्ति चित्रों के बारे में बताया, जिनमें रजवार कला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की आदिम संस्कृति, लोक जीवन, और पारंपरिक वेशभूषा को दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि रजवार कला का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवित रखना और इसे नए आयाम देना है। मुख्यमंत्री ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि, "ऐसी लोककलाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार से हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भविष्य सुरक्षित रहेगा।"
दिव्यांग बच्चों की कला का सम्मान
मुख्यमंत्री ने शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय, माना कैम्प के मूक-बधिर विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई चित्रकला प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस दौरान छात्र धनदास बरमते ने स्वनिर्मित लोककला आधारित चित्र मुख्यमंत्री को भेंट किया। मुख्यमंत्री ने इस उपहार को स्वीकारते हुए धनदास की कला की प्रशंसा की और कहा, "आपकी यह कला हमारी संस्कृति को नई पहचान देने का कार्य करेगी।" उन्होंने धनदास के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
45 वर्षों से पारंपरिक वाद्य यंत्रों का संरक्षण कर रहे श्री रिखि क्षत्रिय का अभिनंदन
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संरक्षण में योगदान देने वाले श्री रिखि क्षत्रिय ने मुख्यमंत्री को अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। श्री क्षत्रिय ने कहा कि वे पिछले 45 वर्षों से छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों—जैसे रुंजू बाजा, घूमरा बाजा और चिरई बाजा—का संरक्षण और प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी में पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। श्री क्षत्रिय ने मुख्यमंत्री को रुंजू बाजा भेंट किया और अपने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन करते हुए घूमरा बाजा से शेर की आवाज और चिरई बाजा से चिड़िया की आवाज निकालकर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया। मुख्यमंत्री ने उनके इस अनूठे योगदान की सराहना की और कहा कि ऐसे कलाकार हमारी लोक परंपराओं के सच्चे रक्षक हैं।
छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को मिला मंच
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन जैसे आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक उत्पादों और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करते हैं। ये आयोजन हमारे पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति को सहेजने के साथ-साथ, इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी सहायक हैं।”
कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कला प्रेमियों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रयासों की सराहना की। साथ ही, मुख्यमंत्री ने सभी कलाकारों, कारीगरों, और प्रतिभागियों को प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
छत्तीसगढ़ में स्वच्छता पर हो रहे बेहतर कार्य
छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ बनाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य
रायपुर-
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि पूरे देश में स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। भगवान विश्वकर्मा जयंती और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता को प्रोत्साहित करने हेतु 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से सभी को स्वच्छता का संकल्प दिलाया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आव्हान और स्वच्छता अभियान से हम सभी को गली-चौराहे, मोहल्ले, स्कूल, कार्यालय, सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरणा मिली। स्वच्छता अभियान ने पूरे प्रदेश मेें जनआंदोलन का स्वरूप ले लिया है। छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ बनाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि स्वच्छता को हम सभी को अपनी आदत में शामिल करने की जरूरत है। उन्होंने लोगों से छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ छत्तीसगढ़ बनाने का संकल्प लेने का आव्हान करते हुए ऑडिटोरियम में उपस्थित सभी को स्वच्छता की शपथ दिलायी । उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वतंत्रता के साथ ही स्वच्छता भी जरूरी है। बापू के सपने को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाथ में झाडू पकड़कर शुरूआत की। देश के लोग स्वच्छता अभियान में सहभागी बनें। स्वच्छता को सभी अपने आदत में शामिल करें। कार्यक्रम में उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में एवं स्वच्छता ही सेवा 2024 अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को आवास की चाबी सौंपी। इसी तरह मच्छर उन्मूलन के लिए चलित वाहन तथा भव्य सशक्त सैन्य समारोह की गाड़ियों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में स्वच्छता के लिए व्यापक तौर पर कार्य किए गए हैं। स्वच्छता की जिम्मेदारी हम सभी की है। हम सभी संकल्प ले कि स्वयं स्वच्छता पर ध्यान देंगे और लोगों को प्रेरित करेंगे। विगत 10 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत किए जा रहे कार्यों से देश की तस्वीर बदली है।
रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि गंदगी से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म होता है। इन बीमारियों से बचने के लिए सफाई बहुत जरूरी है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन चलाकर सफाई का संदेश दिया है। गांधी के सपनोँ को पूरा करने हमारी सरकार आत्म निर्भर गांव के साथ साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दे रहा है। स्वच्छता पखवाड़ा के इस समापन समारोह में सफाईकर्मियों, सफाई दीदियों और सफाई मित्रों का सम्मान किया जा रहा है।
इस अवसर पर विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, श्री मोती लाल साहू, नगर निगम प्रतिपक्ष नेता श्रीमती मीनल चौबे, सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग डॉ. बसव राजू एस., सचिव ग्रामोद्योग विभाग श्री यशवंत कुमार, संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग श्री कुंदन कुमार, संभागायुक्त श्री महादेव कांवरे, कलेक्टर रायपुर डॉ. गौरव कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह, आयुक्त नगर निगम रायपुर श्री अबिनाश मिश्रा, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विश्वदीप सहित बड़ी संख्या में सफाईकर्मी, सफाई दीदी और सफाई मित्र उपस्थित थे।