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महासमुंद। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर स्थानीय डॉ श्यामप्रसाद मुखर्जी सभागार टाउन हॉल में आयोजित समारोह में जिले को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नामित कर सम्मनित किया गया। नगर की दो बेटियों का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया।
इन्होंने डीआइजी नेहा चंपावत एवं एसपी संतोष सिंह के मार्गदर्शन में हमर पुलिस हमर संग के तहत प्रदेश के 10 जिलों की 41170 बेटियों को आत्मरक्षा का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया है। चूंकि महासमुंद चाइल्ड फ्रेंडली जिला है और दिसंबर 2018 के अंतिम सप्ताह में एसपी को चैम्पियन ऑफ चेंज अवार्ड से नईदिल्ली में उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू ने पुरस्कृत किया है।
लिहाजा देश में जिले के उत्कृष्ट सम्मान में पुलिस अधिकारियों की मदद से बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने में दोनों बेटियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिससे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की कमेटी प्रभावित हुई।
इनके दस्तावेज देखे गए और अंतत: इन दो बेटियों का नाम यूएसए बेस्ड अंतराष्ट्रीय स्तर के सम्मान के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया। इस उपलब्धि से महासमुंद जिला गौरवान्वित हुआ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एशिया हेड डॉ मनीष विश्नोई ने कहा कि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ऐसे लोगों का सम्मान करते हैं जो समाज हित में कुछ हटके काम करते हैं। महासमुंद पुलिस को जब देश में राष्ट्रीय स्तर का चैम्पियन ऑफ चेंज अवार्ड मिला तभी यह तय हो गया था कि इस क्षेत्र में जिन लोगों ने मेहनत की है उनकी जानकारी ली जाए, समाज के प्रति उन्होंने क्या बदलाव लाया है, समाज की बेहतरी के लिए कैसा कार्य किया हैयह जाना जाता है।
::/fulltext::“ये पूरे रायगढ़ का सम्मान है, बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को रायगढ़ में हर तबके ने अपनाया है, ये अभियान अब एक जन जागरण का हिस्सा बन गया है”
रायपुर। कुरुद की रहने वाली चंचल सोनी के हौसले को देखकर अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। जन्म से दिव्यांग की छाप के साथ जीवन में आगे बढ़ने वाली चंचल इन दिनों नेशनल और इंटरनेशल मंचों पर अपने हुनर का जलवा बिखेर रही हैं। कहा जाता है कि जिनके अंदर आत्मविश्वास होता है, दुनिया में इतिहास वही रचता है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं चंचल। चंचल शासकीय माध्यमिक शाला डांडेसरा में छठवीं की छात्रा हैं। उनका दाहिना पैर मात्र घुटने तक है। घुटने के नीचे का हिस्सा जन्म से ही नहीं है। इसके बावजूद डांस के प्रति उनकी लगन देखकर लोग आश्चर्य में रह जाते हैं। ढाई वर्ष की उम्र से कर रही डांस चंचल ढाई वर्ष की उम्र से डांस कर रही हैं।
उनके घरवालों का कहना है कि जब वह छोटी थी तभी से मोबाइल, टीवी आदि में को देखकर डांस के लिए जिद करती थी। अब दस साल की हो गई हैं। इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि नेशनल लेबल डांस एवं म्यूजिक चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल है। हाल ही में इसका सलेक्शन इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में हुआ है।
घर वाले नहीं जाने देते थे बाहर तो यूट्यूब को बना लिया जरिया
चंचल ने यूट्यूब को ही डांस टीचर बना लिया। उनकी मां बताती हैं कि बाहर वालों के डर से इसे घर से बाहर नहीं जाने देते थे। लोग अक्सर इसकी दिव्यांगता का मजाक उड़ाया करते थे। लोगों के ताने और बातों को सुनकर कई बार यह रोना-धोना कर चुकी है। डांस सीखने के लिए इसने मोबाइल पर यूट्यूब का सहारा लिया। डांस वीडियोज देखकर डांस करती रही। ढाई साल की उम्र में पहली बार स्कूल के स्टेज पर डांस किया था। इसके टीचर काफी खुश हुए थे और प्रोत्साहित किया। वर्तमान में ट्रेनर दिपाली राजपूत के पास डांस सीखने जाती है।
मां को है भरोसा, इतिहास रचेगी बेट
चंचल की मां मंजू सोनी का कहना है कि हौसला बुलंद हो तो निगाहें एहतराम करती हैं, राही राह न बदले तो मंजिलें झुककर सलाम करती हैं। मेरी बेटी की मेहनत और लगन देखकर मुझे पूरा भरोसा है कि यह एक दिन इतिहास जरूर रचेगी। भगवान ने जब इसे एक ही पैर देकर धरती पर भेजा था, उस वक्त मेरी रातों की नींद गायब हो गई थी। भगवान ने एक पैर नहीं दिया तो क्या हुआ, हौसला जरूर दिया है।
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