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रायपुर। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से प्रतीक्षित कलेक्टरों के ट्रांसफर आजकल में हो सकते हैं। पता चला है, कलेक्टरों की लिस्ट तैयार कर ली गई है। 28 में से 25 से अधिक जिलों के कलेक्टर बदल सकते हैं।
वैसे, कोरोना अगर फिर से रफ्तार न पकड़ा होता तो कलेक्टरों की लिस्ट सप्ताह भर पहले निकल गई होती। कटघोरा में कोरोना कंट्रोल में आने के बाद के बाद जब प्रदेश में कोरोना के तीन मरीज बच गए थे, तब सरकार आदेश जारी ही करने वाली थी। लेकिन, तब तक एक-एक के बाद एक फिर कोरोना पाजिटिव मरीज आने लगे और मामला गड़बड़ा गया।
लेकिन, सरकार में बैठे लोग अब मान रहे हैं कि कोरोना एक-दो दिन की बात नहीं है। ये लंबा समय तक चलने वाला है। वैसे भी कलेक्टरों का ट्रांसफर काफी लेट हो चुका है। याद होगा, नगरीय निकाय चुनाव के बाद से लिस्ट निकलने की अटकलें चल रही हैं। अफसरों के बीच चर्चा थी कि सीएम के अमेरिका जाने के पहले लिस्ट निकल जाएगी। सीएम के अमेरिका से लौटने के तुरंत बाद विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हो गया। और, उसके बाद कोरोना आ गया।
चार, पांच कलेक्टरों को छोड़ दें लगभग सभी के डेढ़ से दो साल कार्यकाल पूरे भी हो चुके हैं। अंबिकापुर, कवर्धा, गरियाबंद और कोंडागांव के कलेक्टरों के दो साल हो गए हैं। 18 जिलों के कलेक्टर को सरकार ने शपथ लेने के तुरंत बदल दिए थे। फिर, 4 फरवरी 2019 को एक लिस्ट निकली। इसके बाद अप्रैल, अगस्त 2019 में भी दो-एक कलेक्टर बदले गए।
जिन जिलों के कलेक्टरों के ट्रांसफर हो सकते हैं, उनमें अंबिकापुर, सुरजपुर, कोरबा, बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, रायगढ़, पेंड्रा-गौरेला, जशपुर, धमतरी, जगदलपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, कवर्धा, गरियाबंद जिले के नाम प्रमुख हैं। इनमें से कुछ कलेक्टर्स वापिस राजधानी रायपुर बुलाए जाएंगे और कुछ अच्छे पारफारमेंस देने वाले कलेक्टरों को बड़े जिलों में भेजा जाएगा। इनमें से यह भी हो सकता है, कि एक-दो कलेक्टर वर्तमान जिलों में कंटीन्यू भी कर जाए।
जिन कलेक्टरों को बड़ा जिला मिल सकता है, उनमें अंबिकापुर कलेक्टर सारांश मित्तर, कवर्धा कलेक्टर अवनीश शरण, कोरबा कलेक्टर किरण कौशल, जगदलपुर कलेक्टर अय्याज तंबोली, सूरजपुर कलेक्टर दीपक सोनी, मुंगेली कलेक्टर डॉ सर्वेश भूरे, जशपुर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर, धमतरी कलेक्टर रजत बंसल शामिल हैं। वैसे तो बिलासपुर के लिए अनेक दावेदारी है, मगर सारांश की संभावना बिलासपुर के लिए भारी दिख रही। तंबोली भी रायगढ, जांजगीर, कोरबा जैसे जिले में जा सकते हैं। रजत बंसल को भी इम्पॉर्टेंट जिला मिलने की संभावना है।
इस लिस्ट में सरकार सीनियर कलेक्टरों को फील्ड से वापिस बुला सकती है। रायपुर कलेक्टर एस भारतीदासन और दुर्ग कलेक्टर अंकित आनंद, दोनों 2006 बैच के हैं। रायपुर राजधानी है और दुर्ग इम्पॉर्टेंट डिस्ट्रिक्ट है, इसलिए अत्यधिक संभावना है भारतीदासन और अंकित कंटीन्यू करें।
सरकार इस लिस्ट में 2012 बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड के बचे चार आईएएस को कलेक्टर बनाएगी। इस बैच के दो अफसर कलेक्टर बन गए हैं। रजत बंसल और शिवअनंत तायल। बचे चार में रीतेश अग्रवाल, अभिजीत सिंह, रणवीर सिंह और पुष्पेंद सिंह मीणा शामिल हैं। 2012 को कलेक्टर बनाने में काफी लेट हो गया है।
हालांकि, स्टेट कैडर से आईएएस अवार्ड होने वाले दावेदारों की भी लंबी सूची है। 2008 बैच के सत्यनारायण राठौर को अभी कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला है। 2010 बैच के रमेश शर्मा और धमेंद्र साहू बचे हैं। 2011 बैच में जितेंद्र शुक्ला सबसे उपर हैं, उनके नीचे इसी बैच में जन्मजय मोहबे, रिमिजुएस एक्का और जेके ध्रव हैं। 2012 बैच में तारणप्रकाश सिनहा, इफ्फत आरा, दिव्या मिश्रा, पुष्पा साहू और संजय अग्रवाल हैं। इनमें से कुछ तो काफी अच्छे अफसर हैं।
2009 बैच की डॉ0 प्रियंका शुक्ला और समीर विश्नोई ने एक-एक जिले की कलेक्टरी की है। प्रियंका जशपुर में रहीं और समीर कोंडागांव में। समीर को पिछली सरकार ने एक साल के भीतर ही रायपुर बुला लिया था। हालांकि, इसी बैच के सौरभ कुमार भी दंतेवाड़ा के कलेक्टर रहे हैं। उनका भी एक ही जिला हुआ है। लेकिन, उन्हें हाल ही में रायपुर नगर निगम का कमिश्नर बनाया गया है। इसलिए, लगता नहीं कि इतना जल्दी उन्हें बदला जाएगा। वैसे भी, रायपुर ननि की कमिश्नरी सूबे के कई जिलों से ज्यादा अच्छी और ग्लेमरस है। बहरहाल, अगर कोई बड़ी व्यवधान नहीं आई तो सरकार आज कल में कलेक्टरों की लिस्ट जारी कर सकती है।