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जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ के "धंसते शहर" में 700 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं. यहां से निवासियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है. प्रतिबंधित ड्रिलिंग गतिविधि रात के अंधेरे में भी चल रही है. इस बीच की जोशीमठ के टीम जेपी पावर प्लांट के आवासीय परिसर के अंदर पहुंची है. टीम ने वहां से कई एक्सक्लूसिव तस्वीरें और वीडियो लिए हैं, जिसमें दीवारों में पड़ी मोटी दरारों और जमीन के धंसने को देखा जा सकता है.
एनडीटीवी के सहयोगी सौरभ 'शुक्ला' ने जेपी के बैडमिंटन कोर्ट से एक्सक्लूसिव तस्वीरें भेजी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में जेपी पावर प्लांट के आवासीय परिसर में दीवारें गिरने लगी हैं. यहां के बैडमिंटन कोर्ट की दो दीवारें गिर चुकी हैं. बैडमिंटन कोर्ट की जमीन कई फुट धंस गई है. यहां का दरवाज़ा भी गिर चुका है.
पूरा परिसर रेडजोन घोषित
रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी प्लांट के आवासीय परिसर का मेस ढहने लगा है. छत धंसने लगी है. दीवरों से पत्थर गिर रहे हैं. यहां के मेस का पूरा बाथरूम कई फुट नीचे धंस चुका है. जेपी के पूरे आवासीय परिसर को खाली कराकर इसे रेडज़ोन घोषित कर दिया गया है.
कई इमारतों के ढहने का खतरा
जानकारों के मुताबिक, जलविद्युत परियोजनाओं सहित अनियोजित बुनियादी ढांचे के निर्माण के कारण इमारतों और सड़कों में भारी दरारें दिखाई दे रही हैं. इससे कई इमारतों के कभी भी ढहने की आशंका जताई जा रही है.
जोशीमठ में रहने वाले लोगों की कैसे होगी मदद?
जोशीमठ में जिन 723 घरों में दरारें आई हैं, उनके रहवासियों को अभी डेढ़ लाख की मदद की जाएगी. 50 हजार शिफ्टिंग के लिए और मुआवजे के एडवांस के तौर पर एक लाख रुपये दिए जाएंगे. फाइनल मुआवजा क्या होगा, ये बाद तय किया जाएगा. एक हफ्ते में सर्वे पूरा होगा और उसके बाद ये मदद दी जाएगी.
केवल 2 होटल तोड़े जाएंगे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव एम सुंदरम ने बुधवार को इसकी जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने कहा कि अभी कोई घर नहीं तोड़ा जाएगा, केवल 2 होटल तोड़े जाएंगे. घरों पर लाल निशान उन्हें खाली करने के लिए लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि होटल मालिकों से भी बातचीत हो गई है, वे प्रशासनिक कार्रवाई में सहयोग के लिए राजी हैं.
हर साल धंस रहा 2.5 इंच की दर से धंस रही है जमीन
इससे पहले जोशीमठ को लेकर चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के दो साल की एक स्टडी में बताया कि जोशीमठ और इसके आसपास के क्षेत्र में हर साल 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही थी. देहरादून स्थित संस्थान द्वारा सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल करते हुए यह स्टडी की थी. जुलाई 2020 से मार्च 2022 तक जुटाई गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है. धंसने वाला क्षेत्र पूरी घाटी में फैला हुआ है और जोशीमठ तक ही सीमित नहीं हैं.