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हम मार्केट से जब भी कोई डिब्बा बंद फूड आइटम्स लेते हैं तो उस पर मेनुफेक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जरूर लिखी होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तम्बाकू और सिगरेट पर एक्सपायरी डेट नहीं लिखी होती है? ऐसा में ये सवाल उठता है कि क्या डिब्बाबंद सिगरेट और तंबाकू कभी खराब नहीं होते हैं।
डब्लूएचओ की गाइडलाइन
किसी प्रोडक्ट पर लिखी एक्सपायरी डेट से मालूम चलता है कि उसे प्रोडक्ट को कब तक इस्तेमाल में लिया जा सकता है अब तंबाकू प्रोडक्ट्स को देखें तो इनका सेवन किसी भी सूरत में सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तम्बाकू पर एक्सपायरी डेट लिखने की मनाही कर रखी है। तम्बाकू हमेशा ही नुकसानदायक है और उस पर एक्सपायरी डेट देने से यह संदेश जाएगा की यह दी गई समयावधि में इसे इस्तेमाल करना सुरक्षित है। यही वजह है कि तम्बाकू, सिगरेट और नशीले पदार्थों पर एक्सपायरी डेट नहीं दी जाती है।
आपको बता दें कि सिगरेट और तम्बाकू भी एक्सपायर होते हैं। एक साल पुराने सिगरेट और तंबाकू ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। इनके एक साल बाद सिगरेट के फिल्टर से कैमिकल रिएक्शन से ब्लड कैंसर का खतरा होने का खतरा रहता है। नए पैकेट के मुकाबले पुराने और एक्सपायर तम्बाकू ज्यादा खतरनाक होते हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली ट्रैफिक पुलिस कम से कम चालान काटने के लिए देश की नंबर वन पुलिस है. आप सड़क पर चल रहे हों और अनजाने में खाली सड़क के बीचोंबीच सीधी खिंची सफेद रेखा को क्रास कर आप ओवर टेक कर लें और आपको ट्रेफिक पुलिस रोक ले तो चालान कटना तय है. आप समझ ही नहीं पाएंगे कि दिल्ली पुलिस ने चालान (Traffic police Challan) क्यों काट लिया. सड़क खाली थी, ओवरटेक करने के लिए आप सफेद सीधी लाइन के उस पार जाकर वापस लेन में आ गए फिर भी ट्रैफिक पुलिस वाले ने रोक कर चालान काट दिया. आपने पूछा भाईसाहब क्या गलती की, पुलिस वाले बोलेंगे भाई आपने सफेद लाइन क्रास की और ये आप नहीं कर सकते थे.
बात साफ है कि आपको सड़क पर खींची गई लाइन का मतलब नहीं मालूम. पुलिस की नजर में आप सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं तो आपको नियमों से अवगत होना चाहिए. आप सड़क पर गाड़ी चलाने नियमों से अनजान हैं तो इसमें पुलिस वाले की क्या गलती. इसलिए यह जरूरी है कि आप सड़क पर गाड़ी चलाने के लिए इन नियमों को जान लें. इनमें सबसे अहम होता है सड़क पर खिंची लाइन, उसका रंग और लाइन के तरीकों को देखकर समझ जाओ कि कब कौन सा नियम लागू है. आज कुछ ऐसी ही लाइनों के बारे में बात करेंगे ताकि आप किसी चालान या फिर दुर्घटना का शिकार न हो जाएं.
सड़क पर सफेद सीधी रेखा White straight Lines On Roads
आपने देखा होगा की सड़क के बीचोंबीच एक सफेद सीधी लाइन बनी होती है. सड़क पर बनी ऐसी सफेद लाइनों का अर्थ है कि आप जिस लेन में चल रहे हैं, उसी में चलें. इसे क्रास कर आप दूसरी तरफ कतई न जाएं. इस प्रकार करने से आप नियम का उल्लंघन कर रहे हैं. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस आपका चालान काट सकती है.
सड़क किनारे बनी सफेद या पीले रंग की लाइन (Yellow Line or White On The Side Of The Road)
आप गाड़ी चलाते हैं और आप कई बार खाली पड़ी सड़क के किनारे आप अपनी गाड़ी खड़ी करके चले जाते हैं तो ट्रैफिक पुलिस आपका चालान काट देती है. कई बार तो आपकी गैरमौजूदगी में वाहन पर ही रसीद लगाकर चली जाती है. आप हैरान परेशान कि भई खाली पड़ी सड़क के किनारे बिना किसी को अवरुद्ध किए आप वाहन खड़ा करके चले गए फिर भी ट्रैफिक पुलिस ने चालान काट दिया. तो कारण समझ लेते हैं. अगर आपने सड़क के किनारे पर लगातार पीले रंग की लाइन या सफेद रंग की लाइन को देखा तो समझ लीजिए कि यहां पर वाहन खड़ा नहीं किया जा सकता है. यहां पर वाहन पार्क नहीं किया जा सकता है.
एक टूटी हुई लाइन और साथ ही सीधी लाइन (adjancent One broken and one straight line)
आपने सड़क के बीचोंबीच एक सीधी पीली लाइन और एक टूटी पीली लाइन दोनों साथ-साथ देखी होंगी. इसका मतलब ये होता है कि अगर आप टूटी पीली लाइन की तरफ गाड़ी चला रहे हैं तो आप ओवरटेक कर सकते हैं, लेकिन अगर आप सीधी पीली लाइन की तरफ हैं तो आप ओवरटेक नहीं कर सकते हैं.
टूटी हुई पीली व सफेद रेखा (Broken Yellow And White Line)
आपने सड़क पर गाड़ी चलाते समय देखा होगा कि कई जगहों पर एक सफेद व पीली रेखा होती है. यह रेखा टुकड़ों में होती है. ये दूर डॉटेड लाइन की तरह दिखती है. इस प्रकार की लाइन सड़क पर दिखे तो यह समझ लीजिए कि आप यहां पर ओवरटेक कर सकते हैं. आप दूसरी लेन में सावधानी से जा सकते हैं.
टूटी लाइन यदि सीधी में बदलती है Broken line converts to straight or vice versa
ऐसे ही सड़क पर चलते हुए यदि टूटी हुई सफेद लाइन अगर सीधी सफेद लाइन में बदल जाती है तब आप लेन नहीं बदल सकते हैं. ऐसे ही सीधी लाइन जब टूटी हुई लाइन में बदल जाए तभी आप लेन बदल सकते हैं. ऐसा आप दो सड़कों के मर्जर पर देख सकते हैं या फिर सड़क के अलग होने वाले स्थानों पर देख सकते हैं.
स्टॉप लाइन (Stop Line)
स्टॉप लाइन को प्रयोग वाहनों को रोकने के लिए किया जाता है. इस प्रकार की लाइनें चौराहे पर सड़क के किनारे पर होती हैं और स्पष्ट रूप से चित्रित की जाती हैं. चौराहे पर रेड लाईट होने पर स्टॉप लाइन से पहले ही अपना वाहन रोकना जरूरी होता है. स्टॉप लाइन को पार करना एक चालान कटवाने को आमंत्रित करना है.
ज़ेबरा क्रॉसिंग (Zebra Crossing)
हमें बचपन से बताया जाता है कि सड़क पर चित्रित एल्टरनेटिव काले और सफेद लाइनों को ज़ेबरा-क्रॉसिंग कहा जाता है.यहां से पैदल चलने वाले सड़क पार करते हैं.
गिव वे लाइन (Give Way Line)
सड़क पर यदि समानांतर टूटी हुई सफेद रेखाएं हैं तो इसका मतलब यह है कि आपको विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी है. उसके बाद ही आप ओवरटेक कर सकते हैं. यानि सावधानी पूर्वक आप ओवरटेक करें.
नई दिल्ली: EPFO Higher Pension Option: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees' Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ (EFFO) ने अपने एलिजिबल सब्सक्राइबर्स को ज्यादा पेंशन ऑप्शन (Higher Pension Option) चुनने का मौका दिया है. इसके तहत ईपीएफओ ने ज्यादा पेंशन पाने के लिए आवेदन की डेडलाइन (EPFO Higher Pension Deadline) बढ़ाकर 3 मई, 2023 तक कर दी है. हालांकि, इसको लेकर कर्मचारियों के मन में कई तरह के सवाल हैं. हर कर्मचारी यह जानना चाहता है कि आखिर ज्यादा पेंशन का विकल्प सही है या नहीं और इसमें निवेश करना चाहिए या नहीं. इसको लेकर यह भी सवाल है कि ये स्कीम कर्मचारियों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है और इस विकल्प को चुनने से उनकी सैलरी कितनी बढ़ने वाली है. तो चलिए एक-एक करके इन सभी सवालों का जवाब भी जान लेते हैं.
जानें कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) क्या है?
कर्मचारी पेंशन योजना (Employees' Pension Scheme) यानी ईपीएस (EPS) नवंबर 1995 में अस्तित्व में आया. इस पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को पेंशन देती है. जब ये स्कीम लागू किया गया तो उस समय कर्मचारी अपने बेसिक सैलरी (महंगाई और कुछ अन्य भत्तों के साथ) का 12 फीसदी हिस्सा EPFO में योगदान देता था. जिसके बदले रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को कुल जमा की गई राशि पर तगड़ा ब्याज के साथ एक मोटा रिटायरमेंट फंड मिलता था. लेकिन फिर कर्मचारी पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव किए गए. इस बदलाव के तहत कर्मचारी के संस्थान की तरफ से EPFO में किए जाने वाले 12 फीसदी के योगदान को 2 भाग 8.33% और 3.67% में बांट दिया गया.
अब कर्मचारी के संस्थान की तरफ से बड़ा हिस्सा यानी 8.33% EPS में जाने लगा और 3.67% EPF में जमा होने लगा. इस डिडक्शन के लिए पेंशन योग्य आय की सीमा जो पहले 5000 थी, उसे भी बढ़ाकर 6500 कर दिया गया. ये सीमा 1 सितंबर 2014 तक लागू रही.
EPFO ने Pension Scheme के नियमों में किया अहम बदलाव
इसे आसान शब्दों में समझें तो आपकी आय कितनी भी हो, पेंशन फंड में आपका योगदान 15,000 रुपये के 8.33% के हिसाब से ही किया जाएगा. अगर महीने के हिसाब से देखें तो आपको हर महीने अधिकतम 1,250 रुपये का योगदान करना होगा और बाकी राशि EPF में जमा हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन स्कीम को लेकर दिया ये आदेश
इस स्कीम के चुनाव के लिए साल 2014 में सभी कर्मचारियों को 6 महीने की समयसीमा दी गई थी. जिसे बाद में कुछ शर्तों के साथ 6 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया. लेकिन फिर कई कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया कि 2014 में पेंशन स्कीम के किए बदलावों को समझने और स्कीम को चुनने के लिए जो समय दिया गया था वो पर्याप्त नहीं था. जानकारी के अभाव में कई कर्मचारी इसका फायदा नहीं उठा सके.सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चार नवंबर, 2022 को अपने आदेश में कहा था कि ईपीएफओ को सभी एलिजिबल मेंबर को हायर पेंशन का ऑप्शन (Higher Pension Option) चुनने के लिए चार महीने का समय देना होगा.
EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन की डेडलाइन बढ़ाई
कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन की तारीख चार महीने के लिए बढ़ा दी थी. यह चार महीने की अवधि तीन मार्च, 2023 को समाप्त हो रही है. इस वजह से ऐसी खबर आ रही थी कि इसकी अंतिम समयसीमा तीन मार्च, 2023 है. लेकिन हाल में एक बार फिर EPFO ने ज्यादा पेंशन पाने की स्कीम में आवेदन की तारीख बढ़ा दी है. जिसके बाद कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (EPS 95) के अंतर्गत ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स 3 मई, 2023 तक ज्यादा पेंशन पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
जानें Higher Pension Scheme से कैसी बढ़ेगी पेंशन
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है. ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम के तहत आपकी पेंशन योग्य सैलरी 15,000 रुपये होगी. जिसका 8.33% यानी 1,250 रुपये पेंशन फंड में जमा होगा. वहीं, जब आप ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनते हैं तो पेंशन फंड में उसका योगदान आपकी वास्तविक बेसिक सैलरी 50,000 के हिसाब से यानी करीब 4,165 रुपये होगा.
कर्मचारियों के लिए ज्यादा पेंशन का विकल्प कितना फायदेमंद?
ये स्कीम आपके लिए कितनी फायदेमंद है, आपको इसका चुनाव करना चाहिए या नहीं? ये समझने के लिए BQ PRIME ने ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और सीईओ पंकज मठपाल से बातचीत की. उनका कहना है कि फिलहाल EPFO की तरफ से पेंशन के कैलकुलेशन पर कोई साफ जानकारी नहीं दी गई है. ऐसे में कर्मचारियों को इस स्कीम का विकल्प चुनते समय दो फैक्टर्स का खास ध्यान रखते हुए फैसला करना चाहिए. जिसमें पहला फैक्टर ये है कि अगर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि ज्यादा चाहिए तो उनके लिए पेंशन की पुरानी स्कीम बेहतर हो सकती है. वहीं, दूसरा फैक्टर ये है कि अगर किसी कर्मचारी को हर महीने ज्यादा पेंशन की जरूरत है तो उनके लिए ज्यादा पेंशन स्कीम के लिए आवेदन करना फायदेमंद होगा.
नई दिल्ली: भारतीय समाज में सदियों से बेटों के मुकाबले बेटियों की चिंता करते रहने का रिवाज़ है... पिछले कुछ दशकों में इस सोच में कुछ हद तक बदलाव ज़रूर आया है, और अब बेटियां भी हर फील्ड में मां-बाप और खानदान का नाम रोशन कर रही हैं, लेकिन फिर भी ज़्यादातर परिवारों में बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, पालन-पोषण से लेकर उनकी शादी तक की चिंता में माता-पिता घुलते नज़र आते हैं... ऐसे ही अभिभावकों के लिए केंद्र सरकार की एक योजना कई साल से चल रही है, जिसकी सहायता से कुछ साल तक लगातार बचत करने पर 21 साल की होते ही आप अपनी बेटी को लगभग 70 लाख रुपये की टैक्स फ्री व्हाइट मनी दे सकते हैं, जो उसके बेहद काम आ सकती है..
इस केंद्रीय योजना का नाम सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Account - SSA) है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय अपनी बिटिया के जन्म लेते ही पोस्ट ऑफिस या बैंक में SSA खाता खुलवा सकता है, जिसमें लगातार 15 साल तक निवेश करने के बाद, 21 साल पूरे होने पर 69 लाख 80 हज़ार रुपये से ज़्यादा की रकम बिटिया के खाते में जमा दिखाई देगी.
Sukanya Samriddhi Account, यानी सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता वही शख्स खुलवा सकता है, जो 10 साल से कम उम्र की बेटी का पिता या अभिभावक हो... इस अकाउंट में भी हर साल लोक भविष्य निधि, यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या PPF खाते की ही तरह अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा किए जा सकते हैं, लेकिन इस खाते में हर साल जमा कराई जा सकने वाली न्यूनतम राशि 250 रुपये ही है... सुकन्या समृद्धि योजना की सबसे खास बात यह है कि यह आज की तारीख में सबसे ज़्यादा ब्याज कमाने वाली सरकारी योजनाओं में से एक है, जिसके हर खाताधारक को हर वर्ष 8 फीसदी की दर से ब्याज अदा किया जाता है, जबकि PPF में मिलने वाला ब्याज 7.1 फीसदी की दर पर अदा किया जाता है.
सो, इस योजना में यदि बिटिया के पैदा होते ही खाता खुलवा लिया जाए, तो उसमें बिटिया के 15 वर्ष की होने तक आपको हर साल निवेश करना होगा, जो अधिकतम 1,50,000 रुपये हो सकता है... इस खाते में भी अधिकतम ब्याज कमाने का सबसे अच्छा अवसर तभी है, जब आप यह निवेश हर वित्तवर्ष में अप्रैल की 5 तारीख से पहले ही कर दें... इस तरह से आप 15 साल में कुल मिलाकर 22,50,000 रुपये का निवेश करेंगे, और 21 वर्ष की होने पर जब आपकी बिटिया को मैच्योरिटी की रकम हासिल होगी, वह 69,80,093 रुपये होगी, बशर्ते मौजूदा ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हो...
इस कुल राशि में ब्याज का हिस्सा 47,30,093 रुपये होगा, और सबसे अहम पहलू यह है कि बेटी को इस समूची रकम (69,80,093 रुपये) पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा... वैसे, ध्यान रहे, ब्याज दर को सरकार हर तिमाही में संशोधित करती है, सो, ब्याज की दर में बदलाव होने पर खाता परिपक्व होने, यानी मैच्योरिटी पर बेटी को मिलने वाली रकम में कुछ घट-बढ़ हो सकती है...