Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
ग्वालियर. भारत रत्न और तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम 5.05 बजे निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। दो महीने से एम्स में भर्ती थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए पूरा भारत ही घर है मगर उनका ग्वालियर से विशेष नाता है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ। एक शिक्षक के घर में जन्मे अटलजी के बचपन से लेकर जवानी के खूबसूरत लम्हे आज भी ग्वालियर की गलियों में महसूस किए जा सकते हैं।
::/introtext::- उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में शिक्षक की नौकरी करने आए थे। मां कृष्णा की अटल सातवीं संतान थे। तीन बहनें, तीन भाई। अटल बिहारी वाजपेयी की संजीदगी को देखकर ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि उनका बचपन बेहद नटखट और शरारतों से भरा हुआ था।
- कमल सिंह के बाग की गलियों में अटल ने खेल खेले हैं। खेलों में जो सबसे ज्यादा पसंद था, वो था कंचे खेलना। बचपन से ही कवि सम्मेलन में जाकर कविताएं सुनना और नेताओं के भाषण सुनना और जब मौका मिले मेले में जाकर मौज मस्ती करना।
- लोग याद करते हैं अटल बिहारी का आईने के सामने खड़े होकर अपनी स्पीच की रिहर्सल करना। ग्वालियर का विक्टोरिया कॉलेज अब महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में तब्दील हो चुका है। अटल बिहारी वाजपेयी ने इस कॉलेज से बीए किया। हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत में डिस्टिंक्शन के साथ। इस कॉलेज की वाद विवाद प्रतियोगिताओं के अटल बिहारी वाजपेयी हीरो हुआ करते थे। विक्टोरिया कॉलेज का हीरो आगे चलकर हिंदुस्तान का हीरो बना।
पीएम ने बोला तो भी नहीं मिली गुमटी
अफसरशाही के कामकाज के तौर तरीकों का आलम देखिये प्रधानमंत्री के कहने के बाद भी मंगौड़े बेचकर परिवार पाल रही बूढ़ी विधवा को सड़क किनारे एक गुमटी नहीं मिल पाई। बात 2004 की है, जब प्रधानमंत्री थे, भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी और विधवा थी दौलतगंज के फुटपाथ पर बैठकर मंगौड़े बेचने वाली रामदेवी चौहान। अपना जन्मदिन मनाने आए अटल जी से वीआईपी सर्किट हाउस में मुलाकात कर श्रीमती चौहान ने उन्हें पुराने दिन याद दिलाए जब अटल जी शहर में रहकर आए दिन मंगौड़े खाने उनकी दुकान पर जाते थे। श्री वाजपेयी ने पूछा - अम्मा तू अभी जिंदा है। अम्मा ने मंगौड़े की थैली आगे बढ़ाते हुए सहज अंदाज में कहा कि अब तो आप देश के मुखिया हो, मुझे एक गुमटी तो दिलवा दो। अम्मा की बात सुनकर अटल जी हंसे और पास ही खड़े प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से एक गुमटी दिलवाने को कहा। श्री गौर ने स्थानीय कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर से गुमटी आवंटित करने को कहा। इसके बाद मामला आया गया हो गया। सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने के बाद दो फरवरी 2007 को श्रीमती चौहान का निधन हो गया। इसके सात साल बाद भी अब उनका लड़का दौलतगंज के फुटपाथ पर ही बैठा मंगौड़े बना रहा है।
खानपान का शौक
फालका बाजार में एक नमकीन की दुकान है। सुन्नूलाल जब इस पर बैठा करते थे। अटलजी को उनका नमकीन खासकर स्पेशल चिवड़ा बेहद पसंद था। अटलजी विदेश मंत्री थे। एक चुनावी सभा संबोधित करने ग्वालियर आए तो चिवड़े की याद आई। रात हो चुकी थी सो दुकान भी बंद थी। रात दो बजे सायरन बजाती गाडिय़ां दुकान के सामने आकर ठहरीं। उनमें सवार पुलिस अधिकारियों ने दुकान के मालिक को जगाया तो बेचारा घबरा गया। बाद में अटलजी खुद गाड़ी से उतरे और जोर से आवाज देकर कहा- मैं हूं अटल बिहारी, दुकान खोलो। तब दुकानदार की जान में जान आई।