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रायपुरः छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने शनिवार को केंद्रीय जेल रायपुर का निरीक्षण किया। साथ ही उन्होंने किशोर गृह में रह रहे बच्चों और महिलाओं सेल में निवासरत बंदी महिलाओं और उनके बच्चों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। इस दौरान उन्होंने जेल परिसर में स्थित शाला और झुला घर का भी निरीक्षण और अवलोकन किया।
निरीक्षण के बाद उन्होंने बच्चों के लिए रहन सहन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बेहतर से बेहतर व्यवस्था के लिए जेल प्रशासन को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को अगर यहाँ बेहतर माहौल मिलेगा तो उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा और वे भविष्य में ज़िम्मेदार नागरिक बनेंगे। बाल आयोग की अध्यक्ष ने यहाँ निवासरत बच्चों के आयु परीक्षण कर 18 वर्ष से कम आयु होने पर उन्हें बाल संप्रेक्षण गृह भेजने के निर्देश भी जेल प्रशासन को दिए हैं। इस दौरान प्रभा दुबे के साथ आयोग की सदस्य इन्दिरा जैन भी मौजूद थीं।
::/fulltext::बिलासपुर 4 मई 2018। …इधर गरमी छुट्टी पर गये उन शिक्षकों की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है, जिनकी ड्यूटी मूल्यांकन कार्य में लगायी गयी थी। कल जारी आदेश में जिला शिक्षा अधिकारी ने मूल्यांकन कार्य में लगे सभी शिक्षको की छुट्टी को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। उन तमाम शिक्षकों को पहले तो 24 घंटे से भी कम का वक्त वापस ड्यूटी पर लौटने का दिया गया..और अब उन शिक्षकों को फाइनल अल्टीमेटम देते हुए कल तक आखिरी तौर पर उपस्थित होने का निर्देश जारी कर दिया गया। शिक्षा अधिकारी ने तीखा आदेश जारी करते हुए कहा कि 5 मई तक अगर शिक्षक मूल्यांकन सेंटर पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। यही नहीं उन प्राचार्यों को भी हिदायत दी गयी है, जिनके स्कूल के शिक्षक की मूल्यांकन ड्यूटी लगी है। शिक्षा अधिकारी ने अपने आदेश में कहा है कि अगर मूल्यांकन कार्य में लगे शिक्षक 5 मई तक उपस्थित नहीं होते हैं तो उस स्कूल के प्राचार्य भी दोषी होंगे और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी।
दरअसल कल अचानक से बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने मूल्यांकन कार्य में लगे सभी शिक्षकों की छुट्टी को रद्द कर दिया था और आज सुबह तक मूल्यांकन केंद्र में आमद का निर्देश दिया था.. लेकिन परेशानी की बात ये है कि गरमी की छुट्टी में अधिकांश शिक्षक छुट्टी मनाने बाहर चले गये हैं। जाहिर है उन्हें लौटने में थोड़ा वक्त लग रहा है। ऐसे में शिक्षा विभाग सख्ती को लेकर हर दिन नये आदेश जारी कर रहा है, इससे शिक्षाकर्मियों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है।
::/fulltext::रायपुर: छत्तीसगढ़ वासियों के लिए अच्छी खबर है, रायपुर से जगदलपुर का सफर और भी आसान होने जा रहा है। रायपुर-जगदलपुर के बीच 12 मई से विमान सेवा शुरू होने वाली है। शुरुआत में 18 सीटों वाली विमान चलाई जाएगी। विमान सेवा की शुरुआत विकास यात्रा के पहले दिन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। विमान सेवा शुरु होने से बस्तर में स्थित ऐतिहासिक और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
बतादें कि रायपुर से जगदलपुर के लिए शुरू होने वाले हवाई सफर के लिए टिकटों की बुकिंग शुरू हो गई है। दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार ने इस हवाई सफर का लुत्फ उठाने के लिए पहली टिकट बुक कराई है।
सुत्रों अनुसार सुबह 8.55 पर रायपुर से उड़ान भरेगी, 9.10 पर जगदलपुर से उड़ान भरकर 9.50 पर विशाखापटनम पहुँचेगा और करीब बीस मिनट बाद फिर उड़ान भरकर 10.50 पर जगदलपुर पहुँचेगा, और यहाँ से उड़ान भरकर 11.55 पर वापस रायपुर पहुँचेगा।
इस संबंध में राज्य सरकार ने विमान संचालन करने वाली विमानन कंपनी एयर ओडि़शा को निर्देश दिए हैं, वहीं कंपनी की कोशिश है कि राज्य सरकार द्वारा तय किए गए निर्धारित तिथि में विमान सेवा शुरू हो जाए। इससे पहले रायपुर से जगदलपुर के बीच इसी हफ्ते ट्रॉयल होगी।
::/fulltext::रायपुर.अंबेडकर अस्पताल में पीलिया व मौसमी बीमारी के मरीजाें की संख्या बढ़ने से मेडिसिन वार्ड में मरीजाें का इलाज जमीन पर बेड लगाकर किया जा रहा है। दूसरी ओर कई वार्डों के बेड खाली पड़े हैं। मेडिसिन विभाग के चार वार्डों में 120 बेड हैं, लेकिन यहां 200 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा रहा है। दूसरे वार्डों में मरीजों को आसानी से बेड मिल रहा है।
अंबेडकर अस्पताल में मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने के बाद अव्यवस्था का माहौल है। मेडिसिन के मेल व फिमेल वार्ड में मरीजों को हर मौसम में जमीन पर इलाज कराना पड़ रहा है। चार वार्ड भी मरीजों के लिए कम पड़ रहे हैं। वर्तमान में राजधानी में पीलिया फैला है। इसके कारण मरीजों की संख्या बढ़ गई है। पीलिया के मरीजों को भी फ्लोर बेड पर रखा गया है। इसके कारण मरीज व स्टाफ के बीच विवाद भी हो रहा है। पीलिया के अलावा वायरल फीवर, सर्दी व खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
ऐसे में चार वार्डों में 120 बेड भी कम पड़ रहे हैं। वार्ड में ही फ्लोर बेड लगाया गया है। यह भी कम पड़ रहा है तो गैलरी में बेड लगाया गया है। भाठागांव के लक्ष्मी प्रसाद को पीलिया है। उसे ओपीडी में इलाज के बाद भर्ती करने के लिए वार्ड आठ भेजा गया। वहां एक भी बेड खाली नहीं था। उसे गैलरी का बेड दिया गया, जहां पंखा भी नहीं था। लक्ष्मी ने कहा कि वह इस बेड पर कैसे इलाज कराएगा? डाॅक्टर ने कहा कि ऐसे ही इलाज कराना पड़ेगा। यह समस्या दूसरे मरीजों के साथ भी है।
ज्यादातर इन वार्डों में बेड खाली
ईएनटी, जनरल सर्जरी, पीडियाट्रिक्स, ऑर्थोपीडिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी।
200 के लिए पर्याप्त
चिकित्सा शिक्षा विभाग इस साल मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 150 सीटों को 200 करने का प्रस्ताव एमसीआई को भेज सकता है। 200 सीटों के हिसाब से बेड की संख्या कम नहीं पड़ेगी।
नई बिल्डिंग में कैंसर विभाग, दो वार्ड खाली
लिनियर एक्सीलरेटर मशीन से लगे 6 अतिरिक्त वार्ड का निर्माण किया गया है। वर्तमान में तीन मंजिला इस बिल्डिंग में कैंसर विभाग शिफ्ट हो गया है। वार्ड के साथ एचओडी कक्ष भी इसी बिल्डिंग में आ गया है। कैंसर के दो वार्ड खाली हो गए हैं। फिलहाल यह खाली है। इसे नेत्र विभाग के मरीजों को रखा जा रहा है। 60 बेड का डीपी (डिसएबल पेशेंट) वार्ड बनाया गया है। इसके बेड अक्सर खाली पड़े रहते हैं। हड्डी रोग विभाग के मरीज यहां जरूरत के हिसाब से भर्ती किया जाता है। इस वार्ड का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि बाहर भटकने व घूमने वाले मरीजों को भर्ती किया जा सके। देखने में आ रहा है कि भटकने व घूमने वाले मरीजों की हालत जस का तस है। वे अभी भी बाहर ही पड़े रहते हैं। डिसएबल मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
लामा बना हथियार
अंबेडकर में मरीजों की ज्यादा भीड़ होने के बाद जूडो लामा यानी लेफ्ट अगेनेस्ट मेडिकल एडवाइज के तहत मरीजों को भगा देते हैं। कोई मरीज जब बेड नहीं मिलने की शिकायत करता है तो यह तरीका अपनाया जाता है। लामा में ये कह दिया जाता है कि मरीज अपनी मर्जी से अस्पताल से छुट्टी करवाकर चला गया। लिखित में मरीज व उनके परिजन का हस्ताक्षर लिया जाता है। कई बार गंभीर केस में भी यही तरीका अपनाया जाता है। इसे लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है।
प्रमुख सचिव ने भी लगाया था बैन
चार साल पहले स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने अस्पताल के किसी भी विभाग में फ्लोर बेड लगाने पर बैन लगा दिया था। उनके इस आदेश का पालन कुछ दिनों तक ही हुआ। जब मरीजों की संख्या बढ़ गई तो फिर से फ्लोर बेड लगाए जाने लगे। फिलहाल ऐसा कोई समय नहीं होता है जब मेडिसिन विभाग में फ्लोर बेड न लगाए जा रहे हो। अस्पताल का सबसे बड़ा विभाग व ज्यादा बीमारी कवर होने के कारण मेडिसिन विभाग में हमेशा मरीजों की भीड़ रहती है। जिला अस्पताल में वार्ड खाली रहते हैं। वहां मरीजों को खास सुविधा नहीं दी जाती, इसलिए वे अंबेडकर अस्पताल में आ जाते हैं।