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नई दिल्ली: हिन्दू वर्ष की तीसरी एकादशी यानी वैशाख कृष्ण एकादशी को 'वरूथिनी एकादशी' (Varuthini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. वरूथिनी एकादशी का उत्तर भारत और दक्षिणा भारत में बड़ा महात्म्य है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पुण्य और सौभाग्य मिलता है. साथ ही सृष्टि के रचयिता श्री हरि विष्णु स्वयं भक्त की रक्षा करते हैं. जो लोग वरूथिनी एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें दशमी के दिन से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. फिर एकादशी (Ekadashi) के एक दिन बाद यानी कि द्वादश को पूर्ण विधि-विधान से व्रत का पारण करना चाहिए. कहते हैं कि वरूथिनी एकादशी के व्रत के प्रताप से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की तिथि को आने वाली एकादशी को वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) कहते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक वरूथिनी एकादशी हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आती है. इस बार वरूथिनी एकादशी 18 अप्रैल को है.
वरूथिनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी व्रत की तिथि: 18 अप्रैल 2020
एकादशी तिथि आरंभ: 17 अप्रैल 2020 को रात 8 बजकर 03 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 18 अप्रैल 2020 को रात 10 बजकर 17 मिनट तक
पारण का समय: 19 अप्रैल 2020 को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक
वरूथिनी एकादशी का महत्व
वरूथिनी शब्द संस्कृत भाषा के 'वरूथिन्' से बना है, जिसका मतलब है- प्रतिरक्षक, कवच या रक्षा करने वाला. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से विष्णु भगवान हर संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं, इसलिए इसे वरूथिनी ग्यारस कहा जाता है. पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण इस व्रत से मिलने वाले पुण्य के बारे में युधिष्ठिर को बताते हैं, 'पृथ्वी के सभी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त भी इस व्रत के पुण्य का हिसाब-किताब रख पाने में सक्षम नहीं हैं.'
वरूथिनी एकादशी की पूजा विधि
वरूथिनी एकादशी के दिन भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा की पूजा की जाती है. एकादशी का व्रत रखने के लिए एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन से ही नियमों का पालन करना चाहिए. दशमी के दिन केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करें. भोजन सात्विक होना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विष्णु के वराह अवतार की पूजा करें. व्रत कथा पढ़ें या सुनें. रात में भगवान के नाम का जागरण करना चाहिए. एकादशी के अगले दिन यानी कि द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराएं. साथ ही दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए.
व्रत कर रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान:
1. कांसे के बर्तन में भोजन न करें
2. नॉन वेज, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्जी और शहद का सेवन न करें.
3. कामवासना का त्याग करें.
4. व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए.
5. पान खाने और दातुन करने की मनाही है.
कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार देश में बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना के संक्रमण के साये में मुसलमानों का पवित्र रमजान का मुबारक महीना फंसता नजर आ रहा है. रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है. ऐसे में ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने मुसलमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान भी लॉकडाउन का पालन करें और इस महामारी से बचाने के लिए अल्लाह से खास दुआ करें.
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और लखनऊ के शहर काजी मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, इबादतों से भरपूर रमजान का महीना ऐसे वक्त पड़ रहा है जब देश और पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है. जिंदगी में ऐसा पहली बार हो रहा है कि लॉकडाउन के बीच मुस्लिम समुदाय रमजान मनाएगा. मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में आजादी से नहीं जा सकेंगे. उन्हें अपने घरों में इबादत करनी होगी.
मौलाना ने कहा कि मुसलमान पूरे महीने रोजे रखें और रमजान में खासकर इफ्तार के वक्त कोरोना से मुक्ति के लिए खास दुआ करें. जो लोग हर साल मस्जिद में गरीबों के लिए इफ्तारी का आयोजन करते थे, वे इसे इस साल भी करें, लेकिन उस खाने को मस्जिद भेजने के बजाय जरूरतमंदों कुछ रकम या फिर उसके राशन को गरीबों में बांट दें. साथ ही कहा कि रोजेदार इस बात को सुनिश्चित करें कि रमजान के मुबारक महीने में कोई भी इंसान भूखा ना रहे.
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली के द्वारा जारी की गई अपील
लॉकडाउन में ऐसे पढ़ें तरावीह की नमाज
खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि जिन लोगों पर जकात फर्ज है वे गरीबों में जकात जरूर बांटें. रमजान में लोग तरावीह भी जरूर पढ़ें, लेकिन मस्जिद में एक वक्त में पांच से ज्यादा लोग जमा ना हों. मुहल्ले के बाकी लोग मस्जिदों में आने के बजाय अपने अपने घरों में ही रहकर तरावीह की नमाज बकायदा अदा करें. साथ ही कहा कि जिन घरों में हाफिज हों तो वह पूरी कुरान मजीद पढ़ें, वरना जिसको जितना भी याद हो, वह 20 रकाज में उसे पढ़ें. उन्होंने लोगों को एक जगह पर इकट्ठा होने से भी मना किया है और सोशल डिस्टेंस का पूरी तरह से पालन करने की अपील की है.
मस्जिद में पांच लोगों से ज्यादा न रहें
उन्होंने कहा कि मस्जिद में एक वक्त में 5 से ज्यादा लोग न जुटें. फिलहाल जो लोग मस्जिद में ही रह रहे हैं, इफ्तारी मस्जिद सिर्फ उन्हीं को भेजी जाए. साथ ही कहा कि रमजान के महीन में जो लोग हर साल मस्जिद में इफ्तारी भेजते थे, वह इस साल भी करें, लेकिन मस्जिद के बजाय जरूरतमंदों के घर भी पहुंचाएं. रमजान में इफ्तार पार्टियां करने वाले इसकी रकम से गरीबों को राशन बांटें.
उन्होंने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन की समय सीमा 14 अप्रैल तय की थी लेकिन ऐसा अनुमान है कि इस महामारी पर काबू पाने के लिए इसकी मियाद और बढ़ाई जाएगी. ऐसे उम्मीद है कि आगामी 24 अप्रैल को रमजान उल मुबारक का चांद दिखाई पड़ेगा और 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा. सभी मुसलमानों से गुजारिश है कि वे रमजान में भी लॉकडाउन का पालन करें और सामाजिक दूरी बनाए रखें.