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भारत में विभिन्न जाति के लोग रहते हैं। सभी के अपने अपने त्योहार होते हैं और हमारे देश की यह खासियत है कि यहां लोग छोटे से छोटा व्रत या त्योहार भी पूरी श्रद्धा और धूमधाम से मनाते हैं। हर एक त्योहार भाईचारे और एकता का सन्देश देता है। जून का महीना शुरू हो चुका है और हम आपके लिए इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रतों और त्योहारों की सूची लेकर आये हैं तो आइए जानते हैं जून में कब कौन से व्रत और त्योहार हैं।
हर महीने में दो चतुर्थी होती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा की जाती है। भारत के कुछ हिस्सों में इसे संकटहरा चतुर्थी भी कहते हैं। अगर यह चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो इसे और भी शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार संकष्टी चतुर्थी 2 जून, 2018, शनिवार को है।
हर महीने में दो एकादशियाँ होती हैं इसलिए पूरे वर्ष में कुल चौबीस एकादशी आती है। यह व्रत विष्णु जी को समर्पित है। कहते हैं एकादशी पर सच्चे मन और विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही उपासक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इस दिन दान का बड़ा ही महत्व होता है इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है। इस बार अपरा एकादशी 10 जून, 2018 को है।
प्रदोष व्रत शिवजी और माता पार्वती को समर्पित है। सुहागन औरतें यह व्रत अपने पति की लम्बी आयु और परिवार में सुख और शान्ति के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है। इस बार प्रदोष व्रत 12 और 27 जून, 2018 को है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार दर्शा या फिर दर्श अमावस्या पर चांद पूरी रात गायब रहता है। कहते हैं इस दिन लोग परिवार में सुख और शान्ति के लिए चंद्रदेव से प्रार्थना करते हैं। इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है और चन्द्र दर्शन करना ज़रूरी होता है। चंद्रमा को देखने के बाद व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से मांगता है उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है। इस बार दर्श भावुका अमावस्या 13 जून, 2018 को है।
मिथुन सक्रांति हिंदू धर्म में मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों में से एक है। सूर्य देव जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं उसे उसी राशि की सक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करता है जिस कारण इसे मिथुन सक्रांति कहा जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस दिन कपड़े उपहार के रूप में या फिर दान देने का बड़ा ही महत्त्व होता है। आपको बता दें इस बार मिथुन सक्रांति 15 जून, 2018 को है।
अमावस्या के ठीक अगले दिन चन्द्र दर्शन पड़ता है। अमावस्या के बाद का पहला चांद बहुत ही शुभ होता है। इस दिन चन्द्र देव की पूजा की जाती है और भक्त व्रत भी रखते हैं। इस दिन भक्त चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं। इस बार चंद्र दर्शन 15 जून, 2018 को है।
गायत्री जयंती, देवी गायत्री के जन्म दिन के रूप में मनाई जाती है। गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। गायत्री माता को समस्त वेदों की देवी के रूप में पूजा जाता है और इसी कारण इन्हें वेद माता भी कहते हैं। इस बार गायत्री जयंती 23 जून, 2018 को है।
बाकी सभी एकादशियों की तरह निर्जला एकादशी को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन उपासक व्रत रखते हैं और पानी की एक बूंद तक नहीं पीते हैं। इस बार निर्जला एकादशी 23 जून, 2018 को है।
शुक्ल पक्ष की पंद्रहवी तिथि को पड़ने वाली पूर्णिमा को वट पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को बड़ा ही शुभ माना जाता है। यह दिन राम भक्त हनुमान से भी जुड़ा हुआ है। वट पूर्णिमा में लोग व्रत रखते हैं और देवी सावित्री के साथ वट वृक्ष की भी पूजा अर्चना करते हैं। इस बार वट पूर्णिमा 29 जून, 2018 को है।
::/fulltext::किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, माना जाता है कि इससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।