Sunday, 27 October 2024

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जून 2018 में आने वाली पूजा और व्रत की तिथियां....

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भारत में विभिन्न जाति के लोग रहते हैं। सभी के अपने अपने त्योहार होते हैं और हमारे देश की यह खासियत है कि यहां लोग छोटे से छोटा व्रत या त्योहार भी पूरी श्रद्धा और धूमधाम से मनाते हैं। हर एक त्योहार भाईचारे और एकता का सन्देश देता है। जून का महीना शुरू हो चुका है और हम आपके लिए इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रतों और त्योहारों की सूची लेकर आये हैं तो आइए जानते हैं जून में कब कौन से व्रत और त्योहार हैं।

संकष्टी चतुर्थी- 2 जून, 2018

हर महीने में दो चतुर्थी होती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा की जाती है। भारत के कुछ हिस्सों में इसे संकटहरा चतुर्थी भी कहते हैं। अगर यह चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो इसे और भी शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़े तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार संकष्टी चतुर्थी 2 जून, 2018, शनिवार को है।

अपरा एकादशी- 10 जून, 2018

हर महीने में दो एकादशियाँ होती हैं इसलिए पूरे वर्ष में कुल चौबीस एकादशी आती है। यह व्रत विष्णु जी को समर्पित है। कहते हैं एकादशी पर सच्चे मन और विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही उपासक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इस दिन दान का बड़ा ही महत्व होता है इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है। इस बार अपरा एकादशी 10 जून, 2018 को है।

प्रदोष व्रत- 12 और 27 जून 2018

प्रदोष व्रत शिवजी और माता पार्वती को समर्पित है। सुहागन औरतें यह व्रत अपने पति की लम्बी आयु और परिवार में सुख और शान्ति के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है। इस बार प्रदोष व्रत 12 और 27 जून, 2018 को है।

दर्श भावुका अमावस्या- 13 जून, 2018

हिंदू शास्‍त्रों के अनुसार दर्शा या फ‍िर दर्श अमावस्या पर चांद पूरी रात गायब रहता है। कहते हैं इस दिन लोग परिवार में सुख और शान्ति के लिए चंद्रदेव से प्रार्थना करते हैं। इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है और चन्द्र दर्शन करना ज़रूरी होता है। चंद्रमा को देखने के बाद व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से मांगता है उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है। इस बार दर्श भावुका अमावस्या 13 जून, 2018 को है।

मिथुन सक्रांति- 15 जून, 2018

मिथुन सक्रांति हिंदू धर्म में मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों में से एक है। सूर्य देव जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं उसे उसी राशि की सक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करता है जिस कारण इसे मिथुन सक्रांति कहा जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस दिन कपड़े उपहार के रूप में या फिर दान देने का बड़ा ही महत्त्व होता है। आपको बता दें इस बार मिथुन सक्रांति 15 जून, 2018 को है।

चंद्र दर्शन- 15 जून, 2018

अमावस्या के ठीक अगले दिन चन्द्र दर्शन पड़ता है। अमावस्या के बाद का पहला चांद बहुत ही शुभ होता है। इस दिन चन्द्र देव की पूजा की जाती है और भक्त व्रत भी रखते हैं। इस दिन भक्त चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं। इस बार चंद्र दर्शन 15 जून, 2018 को है।

गायत्री जयंती 23 जून, 2018

गायत्री जयंती, देवी गायत्री के जन्म दिन के रूप में मनाई जाती है। गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। गायत्री माता को समस्त वेदों की देवी के रूप में पूजा जाता है और इसी कारण इन्हें वेद माता भी कहते हैं। इस बार गायत्री जयंती 23 जून, 2018 को है।

निर्जला एकादशी- 23 जून, 2018

बाकी सभी एकादशियों की तरह निर्जला एकादशी को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन उपासक व्रत रखते हैं और पानी की एक बूंद तक नहीं पीते हैं। इस बार निर्जला एकादशी 23 जून, 2018 को है।

 

वट पूर्णिमा- 29 जून, 2018

शुक्ल पक्ष की पंद्रहवी तिथि को पड़ने वाली पूर्णिमा को वट पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को बड़ा ही शुभ माना जाता है। यह दिन राम भक्त हनुमान से भी जुड़ा हुआ है। वट पूर्णिमा में लोग व्रत रखते हैं और देवी सावित्री के साथ वट वृक्ष की भी पूजा अर्चना करते हैं। इस बार वट पूर्णिमा 29 जून, 2018 को है।

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सुख-समृद्धि और वैभव पाना है तो नया कार्य शुरू करने से पहले जान लें शुभ मुहूर्त....

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किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में देखा जाता है, माना जाता है कि इससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। शुभ तिथि, वार, व नक्षत्रों में कोई बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिको आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है।

अत: हम कोई भी बंगला या निर्मित करें या कोई करने हेतु कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें 'मुहूर्त' को प्राथमिकता देनी होगी। यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ भवन निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य संपादित हो सके।
 
शुभ वार :
 
* सोमवार,
* बुधवार,
* बृहस्पतिवार (गुरुवार),
* शुक्रवार
* शनिवार सर्वाधिक शुभ दिन माने गए हैं।
 
अशुभ दिन :
 
* मंगलवार
* रविवार को कभी भी भूमिपूजन, गृह निर्माण की शुरुआत, शिलान्यास या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
 
शुभ माह :
 
* भारतीय पद्धति के अनुसार फाल्गुन, वैशाख एवं श्रावण महीना गृह निर्माण हेतु भूमिपूजन तथा शिलान्यास के लिए सर्वश्रेष्ठ महीने हैं, जबकि माघ, ज्येष्ठ, भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष महीने मध्यम श्रेणी के हैं।
 
* यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा कार्तिक मास में उपरोक्त शुभ कार्य की शुरुआत कदापि न करें। इन महीनों में गृह निर्माण प्रारंभ करने से धन, पशु एवं परिवार के सदस्यों की आयु पर असर गिरता है।
 
शुभ तिथि :
 
गृह निर्माण हेतु सर्वाधिक शुभ तिथियां ये हैं-
 
* द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथियां, ये तिथियां सबसे ज्यादा प्रशस्त तथा प्रचलित बताई गई हैं, जबकि अष्टमी तिथि मध्यम मानी गई है।
 
रिक्ता तिथियां : 
प्रत्येक महीने में तीनों रिक्ता अशुभ होती हैं। ये रिक्ता तिथियां निम्न हैं- चतुर्थी, नवमी एवं चौदस या चतुर्दशी।
 
रिक्ता तिथि क्या है :- रिक्ता से आशय रिक्त से है, जिसे बोलचाल की भाषा में खालीपन या सूनापन लिए हुए रिक्त (खाली) तिथियां कहते हैं। अतः इन उक्त तीनों तिथियों में गृह निर्माण निषेध है।
 
निम्न है :
 
* 'स' अथवा 'श' वर्ण से शुरू होने वाले 7 शुभ लक्षणों में गृहारंभ निर्मित करने से धन-धान्य व अपूर्व सुख-वैभव की निरंतर वृद्धि होती है व पारिवारिक सदस्यों का बौद्धिक, मानसिक व सामाजिक विकास होता है। सप्त साकार का यह है, स्वाति नक्षत्र, शनिवार का दिन, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि, शुभ योग, सिंह लग्न एवं श्रावण माह। अतः कोई भी कार्य के शुभारंभ में मुहूर्त पर विचार कर उसे क्रियान्वित करना अत्यावश्यक है, तभी गृह निर्माण या नवीन व्यवसाय का हम लाभ ले पाएंगे।
 
* किसी भी शुभ महीने के रोहिणी, पुष्य, अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, स्वाति, हस्तचित्रा, रेवती, शतभिषा, धनिष्ठा सर्वाधिक उत्तम एवं पवित्र नक्षत्र हैं।
 
* गृह निर्माण या कोई भी शुभ कार्य इन नक्षत्रों में करना हितकर है। बाकी सभी नक्षत्र सामान्य नक्षत्रों की श्रेणी में आ जाते हैं।
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