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कवर्धा. कुछ कर गुजरने का जुनून जब होता है,तब गरीबी और परेशानियां कभी आड़े नहीं आया करतीं. इसी बात को सच कर दिखाया है जिले के भारत लाल बैगा ने,जिन्होंने पहले राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित संयुक्त परीक्षा इंजीनियरिंग मुख्य प्रवेश परीक्षा जेईई मेन्स में पहले शानदार कामयाबी का पचरम लहराया और अब देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के सॉफ्टवेयर इंजीयनिरिंग ब्रांच में प्रवेश ले रहा है.
बता दें कि भारत लाल बैगा छत्तीसगढ़ के विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के बैगा समुदाय का पहला छात्र है, जिसने देश के इस प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश लेकर छत्तीसगढ और कबीरधाम जिले का नाम रोशन किया है. भारत लाल बैगा जिले के बैगा बाहूल्य बोडला विकाखण्ड के छोटे के मन्नाबेदी गांव का रहने वाला है. इस गांव में लगभग 40 बैगा परिवार रहते है.
अपने समाज के लोगों को निशुल्क कोचिंग देना उद्देश्य…
कबीरधाम जिले के भारत बैगा ने कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते हुए यह मुकाम हासिल किया है, जो बैगा समुदाय के साथ-साथ हर सभी वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. उन्होंने जेईई मेन्स परीक्षा में एस.टी कोटे में कबीरधाम जिले में पहला और ऑल ओवर इंडिया में 2572 कैटेगिरी रैंक प्राप्त किया है. भारत बैगा ने बताया कि उनका सपना आदिवासी समाज खासकर बैगा समुदाय को आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी देना है. भारत का मुख्य उद्देश्य उनके समाज के युवाओं को निःशुल्क आईआईटी, एनआईटी, एनईईटी का कोचिंग देना है.
भाई बहन करते हैं मजदूरी…
बता दें कि भारत छह भाई और दो बहनों में सबसे छोटा है. छात्र ने बताया कि उसके पिता और माता पढ़े लिखे नहीं है और पिता रामचंद बैगा खेती किसानी एवं मजदूरी का काम करते हैं. भारत ने बताया कि उसके अलावा सभी भाई एवं बहन खेती मजदूरी का काम करते हैं.आपको बता दें भारत ने जिला मुख्यालय कवर्धा में शासकीय छात्रावास में रहकर पढ़ाई की है. जहां उसने दसवीं कक्षा में 51 प्रतिशत और बारहवीं 64.5 प्रतिशत से उत्तीर्ण हुए हैं.
भारत ने बताया कि उसने आधिवासी बालक छात्रावास में रहकर छठवीं से बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई स्वामी करपात्री हायर सेकण्डरी स्कूल कवर्धा से की है.वहीं इस बारे में जब हमने उसके मां बांप से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी. लेकिन जैसी ही हमने उनके बेटे की कामयाबी की जानकारी दी तो वे काफी खुश हुए.
कलेक्टर समेत इन अधिकारियों ने दी बधाई….
इधर जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुंदन कुमार औऱ अपर कलेक्टर पीएस ध्रुव ने भारत को उसकी कामयाबी ले लिए बधाई दी है.गौरतलब है कि राष्ट्रपति के दत्तक पु़त्र के रूप में शामिल बैगा परिवार से भारत बैगा का दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में चयन होना निःसंदेह जिले एवं प्रदेश के लिए गौरव की बात है. ऐसे में भारत का दिल्ली के प्रतिष्ठित संस्थान में चयन होना न केवल बैगा समाज में शिक्षा की अलख जगायेगा बल्कि समाज में अन्य युवाओं में नई उर्जा का संचार करेगा.
::/fulltext::छतरपुर। धसान काटन नदी के किनारे पेड़ों पर जामुन खाने गए 10 बच्चों का समूह तेज बारिश के कारण आए अचानक बहाव से बीच नदी में टापू पर फंस गया। बच्चों को बड़ी मशक्कत के बाद निकाला जा सका।
मामला जिले के बड़ा मलहरा विधानसभा के गुलगंज थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत पीरा के पास हटा घाट पर धसान काटन नदी का है। यहां नदी किनारे लगे पेड़ों पर जामुन खाने गए बच्चों का समूह तेज बारिश के कारण आए अचानक बहाव से बीच नदी में टापू पर फंस गया। जानकारी लगने पर बच्चों के परिजन और ग्रामीण इकट्ठा हो गए। भारी मशक्कत के बाद बच्चों को बचाया जा सका।
Video Link -https://youtu.be/2gNIT8x0Rx4
::/fulltext::दंतेवाडा का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में नक्सलवाद की छवि उभरकर सामने आती है. बंदूकों और बारूदों-सुरंगों के नाम से बदनाम दंतेवाडा अब बदल रहा है और इसे बदलने की जिम्मेदारी ली है वहाँ के आदिवासियों ने. रोजगार के अभाव में नक्सलवाद का रास्ता चुनने वाले आदिवासियों ने अब स्वरोजगार का मार्ग पकड़ तरक्की की दिशा में कदम बढ़ाया है.
इतनी आमदनी तो राखी को अपनी सायकल दुकान से 2 साल में भी नहीं हो पाती, इसलिए राखी ने अब अपनी दुकान बंद कर पूरा समय पोल्ट्री फार्म में देने लगा. डेढ़ साल में ही राखी ने 4 से 5 लाख रूपये इस योजना से कमा लिए क्योंकि कड़कनाथ मुर्गा बाज़ार में 600 से 800 रूपये में बिकता है.
कड़कनाथ मुर्गे की अगर बात करें तो मुख्यतौर पर मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार इलाके में पाये जाते हैं. दन्तेवाड़ा में अब इस प्रजाति के मुर्गे को संरक्षण और बढ़ावा तेजी से दिया जा रहा है और दन्तेवाड़ा जिले की जलवायु इस मुर्गे के लिए उपयुक्त है. कड़कनाथ मुर्गे को दन्तेवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में कालीमासी भी कहा जाता है. इसका रंग पूरा काला होता है, इसके अण्डे भी काले होते है. इस प्रजाति के मुर्गे में आयरन, प्रोटीन अधिक और वसा की मात्रा बहुत कम होती है, जो कि मानव शरीर के लिए बेहद ही लाभदायक माना जाता है. इसी वजह से आम मुर्गों से इसकी कीमत दोगुना होती है।