Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
भोपाल। मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में इस बार आदिवासी सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में आरपार की लड़ाई है। विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जहां कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं तो वहीं बीजेपी भी अपना गढ़ बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इन सीटों पर टिकट बंटवारा करना बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है। दोनों ही दलों में आदिवासी सीटों को लेकर इतनी खींचतान है कि जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार इन सीटों पर टिकट बंटवारा आसान नहीं होगा।
विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासी विधायकों के साथ बैठक कर सभी को लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने की नसीहत दी है तो बीजेपी की तरफ से इन आदिवासी इलाकों में गहरी पैठ रखना वाला संघ भी सक्रिय दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस का आदिवासी गणित : मध्यप्रदेश में कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाने वाली आदिवासी आरक्षित छह लोकसभा सीटों पर पिछली बार लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले थे। मोदी लहर के चलते बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में तगड़ी सेंध लगाते हुए पूरी छह लोकसभा सीटें हासिल कर ली थीं, हालांकि बाद में उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक सीट झाबुआ-रतलाम पर कब्जा कर लिया था।
अगर इस बार इन सीटों पर कांग्रेस का सियासी गणित देखें तो रतलाम झाबुआ सीट से वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया का चुनाव लड़ना तय है। इसके साथ ही धार से गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का टिकट भी तय माना जा रहा है। राजूखेडी 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। मंडला, धार, बैतूल और खरगोन पर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तय करना काफी मुश्किल हो रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने वाली जयस ने लोकसभा चुनाव में तीन सीटों की मांग कर दी है।
जयस ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किल : सूबे में सत्ता पर काबिज कांग्रेस के लिए जयस ने एक बार फिर बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है, जयस ने कांग्रेस के सामने तीन आदिवासी लोकसभा सीट खरगोन, धार और बैतूल सीट की मांग रख दी है। जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस के टिकट पर मनावर से विधायक चुने गए हीरालाल अलावा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलकर संगठन के इरादों को साफ कर दिया है। हीरालाल अलावा ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि अब फैसला कांग्रेस को करना है नहीं तो जयस के विकल्प खुले हैं। अलावा दावा करते हैं कि बीजेपी से भी उनके पास मिलने का ऑफर आया है, लेकिन वो कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रहे हैं।
आसान नहीं बीजेपी की राह : 2014 के लोकसभा चुनाव में 6 आदिवासी लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी के लिए इस बार राह आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह कमबैक किया है़ उससे कई सीटों पर बीजेपी का गणित बिगड़ गया है। इसके साथ ही बीजेपी के सामने टिकट बंटवारा भी बड़ी समस्या बना हुआ है। बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे जाति प्रमाण पत्र मामले में संकट में हैं तो मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ उनकी ही पार्टी में विरोध है।
टिकट की दूसरी दावेदार राज्यसभा सांसद संपत्तिया उइके के बेटे का पिछले दिनों स्मैक के साथ पकड़े जाने से उनके समीकरण बनते-बनते बिखरते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रतलाम सीट पर कांग्रेस को टक्कर देने के लिए बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है, शहडोल और खरगोन में भी पार्टी मौजूदा सांसदों को टिकट देने से परहेज करती हुई दिखाई दे रही है।
भोपाल। लोकतंत्र का महापर्व शुरू हो गया है, चुनाव आयोग ने पूरे देश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराने की घोषणा कर दी है, ऐसे में देश की कुछ ऐसी सीटें हैं जिस पर चुनाव के दौरान पूरे देश की निगाहें लगी रहेंगी।इस बार एक ओर तो छिंदवाड़ा जिले की विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो दूसरी ओर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से उनके बेटे नकुलनाथ लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा सीट भी देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचाने जाने वाला छिंदवाड़ा जिला इस बार नया इतिहास बनाने की तैयारी में है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में आने वाली सात विधानसभा सीटों में से एक सीट छिंदवाड़ा विधानसभा सीट भी है और इसी सीट से सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा का उपचुनाव लड़ने जा रहे हैं। खुद कमलनाथ ने इस बात की जानकारी मीडिया को दी। पीसीसी में बात करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि चूंकि छिंदवाड़ा विधायक ने अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया है, इसलिए वे इस सीट से विधानसभा के उचुनाव में मैदान में उतरेंगे। वर्तमान में मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद हैं।
कांग्रेस विधायक ने दिया था इस्तीफा : मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से चुनकर आए कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी नेता के रूप में पहचाने जाने वाले दीपक सक्सेना ने कहा था कि छिंदवाड़ा की जनता चाहती है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जी यहां से चुनाव लड़ें, यही इच्छा मेरी भी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ वर्तमान में विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और संसदीय नियमों के मुताबिक उन्हें छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है।
नकुलनाथ छिंदवाड़ा से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव : एक ओर तो छिंदवाड़ा जिले की विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो दूसरी ओर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से उनके बेटे नकुलनाथ लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पार्टी मध्यप्रदेश के लिए लोकसभा उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी करेगी, उसमें उनके नाम का ऐलान होना तय है। नकुलनाथ छिंदवाड़ा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो संभवत: ये देश के इतिहास में पहला मौका होगा कि जब एक ही नाम की सीट से पिता-पुत्र दो अलग-अलग सदनों में बैठेंगे।
भाजपा घेरने की तैयारी में : छिंदवाड़ा में मुख्यमंत्री कमलनाथ को भाजपा उनके घर में ही घेरने की तैयारी में है। भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से किसी दिग्गज नेता को चुनाव मैदान में उतार सकती है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के भी छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले दिनों भाजपा के धिक्कार आंदोलन में छिंदवाड़ा पहुंचे पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने भी कहा कि वे चाहते हैं कि शिवराज छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ें।
संसदीय सीट का इतिहास : छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की पहचान कांग्रेस के गढ़ के रूप में होती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही था तब भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। वर्तमान सांसद कमलनाथ इस सीट से पहली बार 1980 में सांसद चुने गए। तब से 1997 का उपचुनाव छोड़ बाकी सभी चुनाव में कमलनाथ का ही कब्जा रहा है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें इस बार सातों पर कांग्रेस का कब्जा है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ नौ बार से सांसद हैं। इस सीट पर एक बार बीजेपी का कब्जा रहा है। 1997 के उपचुनाव में कमलनाथ को बीजेपी के दिग्गज सुंदरलाल पटवा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।