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भोपाल। मध्यप्रदेश में पीएम किसान सम्मान निधि योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं अब इस मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले किसान वोट बैंक को रिझाने के लिए बजट में देशभर के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को छह हजार रुपए प्रतिवर्ष उनके खाते में नकद जमा कर रही है।
एक दिसंबर 2018 से शुरू हुई इस योजना में केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले हर किसान के खाते में पहली किश्त के रूप में दो हजार रुपए जमा कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से इस योजना का औपचारिक शुभारंभ भी कर दिया था। जिसके बाद देशभर के किसानों के खाते में पैसा जमा होना शुरू हो गया था।
लेकिन मध्यप्रदेश में अब तक किसानों को इस योजना का फायदा नहीं मिल सका है। भाजपा का आरोप है कि राज्य की कमलनाथ सरकार ने अब तक किसानों का डाटा ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा है जिससे केंद्र सरकार किसानों के खाते में पैसा नहीं जमा कर पा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें प्रदेश सरकार से मांग की गई है कि वो जल्द से जल्द किसानों का डेटा केंद्र सरकार को भेजे जिससे किसानों को उनके हक का पैसा मिल सके।
शिवराज कहते हैं कि कमलनाथ सरकार स्वार्थ की राजनीति के चलते किसानों को उनका हक नहीं मिलने दे रही है। अगर मुख्यमंत्री सरकार वास्तव में किसान हितैषी है तो वो अपनी तरफ से भी किसानों के खाते में पैसा डाल दें। वहीं भाजपा के आरोपों के जवाब में मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार सिरोही कहते हैं कि अगले तीन दिनों में प्रदेश सरकार पूरे किसानों के आंकड़े इकट्ठा कर केंद्र को भेज देगी।
भाजपा के आरोपों को नकारते हुए केदार सिरोही कहते हैं कि मध्यप्रदेश में किसानों के डेटा कलेक्शन में कोई चूक नहीं रह जाए और सभी पात्र किसानों को योजना का लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके चलते आंकड़े एकत्र करने में कुछ देरी हुई। वहीं आज प्रधानमंत्री धार में होने वाली विजय संकल्प रैली में इस मुद्दे को लेकर कमलनाथ सरकार को घेर सकते हैं।
दिल्ली के करोल बाग में आग लगने की घटना के बाद इलाके की 150 होटलें बंद कर दी गई हैं.
खास बातें
नई दिल्ली: करोल बाग के 150 होटल बंद हो गए हैं. करोल बाग के होटलों में कुल साढ़े पांच हजार कमरे हैं और होटल कारोबार से पांच हजार लोग जुड़े हैं. इन होटलों में करीब 12000 टूरिस्ट हर माह रुकते हैं. होटलें बंद होने से इनमें काम करने वाले कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है. करोल बाग के एक होटल में आग लगने के बाद इस इलाके के करीब डेढ़ सौ होटलों को बंद कर दिया गया है. इन होटलों के बंद होने से जहां हजारों लोगों के रोजगार पर असर पड़ रहा है वहीं दिल्ली आने वाले यात्रियों को भी परेशान होना पड़ रहा है.
होटलों में पहले से बुकिंग कराने वाले लोगों को अब कमरा नहीं मिल रहा है. इसको लेकर विवाद हो रहे हैं. एक होटल में मैनेजर और ग्राहक बहस करते हुए दिखाई दिए. राकेश के परिवार के लोगों ने होटल में बुकिंग करा रखी थी लेकिन अचानक होटल के बाहर मेंटेंनेस का बोर्ड लगाकर होटल के दरवाजे टूरिस्टों के लिए बंद कर दिए गए. होटल मालिक और ग्राहक दोनों परेशान हैं.
एक व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने बुकिंग करा रखी थी. मुंबई से लोग आए हैं. अब कहां लेकर जाऊं? सारे होटल बंद हैं और फाइव स्टार के चार्जेज ज्यादा हैं. एक होटल के मैनेजर मुरली ने बताया कि अभी फायर डिपार्टमेंट ने सारे होटल बंद करा दिए हैं. पानी तक नहीं आ रहा है. इसीलिए होटल फिलहाल बंद कर दिया है.
करोल बाग में जितेंद्र जोशी ने भी अपना होटल बंद कर रखा है. उनका स्टाफ खाली बैठा है और काउंटर पर सन्नाटा पसरा है. फायर डिपार्टमेंट का निर्देश है कि जब तक पांच हजार लीटर की अलग से टंकी नहीं लगती है तब तक होटल बंद रखो. जितेंद्र जोशी ने कहा कि हमारे पास दस हजार लीटर का टैंक है लेकिन अब कहा जा रहा है कि पांच हजार का अलग से टैंक रखो.
करोल बाग में करीब ढाई सौ से तीन सौ होटल हैं जहां 12000 टूरिस्ट हर महीने रुकते हैं. अब फायर डिपार्टमेंट और नगर निगम ने पंद्रह दिनों के लिए करीब डेढ़ सौ होटलों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए हैं. जिनके लाइसेंस सस्पेंड नहीं किए गए हैं वे भी अब अपने होटल बंद कर चुके हैं.
होटल एसोसिएशन और नगर निगम के अपने-अपने तर्क हैं. करोल बाग होटल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बालन का कहना है कि कहीं आग लगती है तो क्या सारी दुकानें बंद करा दी जाती हैं? हम सारे नियम मानने को तैयार हैं लेकिन छोटी-छोटी चीजों तो लेकर हमें परेशान किया जा रहा है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर आदेश गुप्ता ने कहा कि फायर डिपार्टमेंट ने लाइसेंस सस्पेंड किया तो हमने भी कर दिया है. लेकिन हम प्रताड़ित नहीं करना चाहते हैं.
करोल बाग के होटल अर्पित में आग लगने से 17 लोगों की जान चली गई लेकिन तीन जांच के बाद भी लापरवाह सरकारी अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. करोलबाग में अगर ढाई सौ होटलों में से डेढ़ सौ होटलों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए तो आप सोच सकते हैं कि फायर डिपार्टमेंट और नगर निगम के अधिकारी कैसी जानलेवा लापरवाही बरत रहे हैं. जांच तो कई हुईं लेकिन हर बार की तरह जिम्मेदारी किसी भी अधिकारी की नहीं है.
भोपाल। लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले मध्यप्रदेश में बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अगले पांच दिनों में दो बड़ी रैलियों के जरिए करने जा रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को युवा वोटर्स को साधने के लिए उमरिया में बीजेपी युवा मोर्चा की एक बड़ी रैली को संबोधित करने आ रहे हैं।
युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले युवा मोर्चा प्रदेश की सभी 230 विधानसभाओं में युवा संकल्प-2019 बाइक महारैली का आयोजन कर रहा है। युवा मोर्चा के इस कार्यक्रम की शुरुआत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उमारिया से करेंगे। अभिलाष पांडे कहते हैं कि उमरिया में रैली के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का मार्गदर्शन प्रदेश के युवाओं को मिलेगा। उन्होंने कहा कि युवा संकल्प बाइक महारैली के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष युवाओं से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का आह्वान करेंगे। युवा मोर्चा का यह कार्यक्रम युवा शंखनाद साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धार से करेंगे चुनाव प्रचार का शंखनाद : अमित शाह के बाद पांच मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धार में एक बड़ी जनसभा में शामिल होने का कार्यक्रम है। मोदी इस रैली के जरिए सूबे में बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद करेंगे। ऐसे में मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होने की संभावना है।
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के मध्यप्रदेश दौरे पर आने के कार्यक्रम से ये माना जा सकता है कि बीजेपी अपने इन दो सबसे बड़े नेताओं की रैलियों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भरना चाह रही है।विधानसभा चुनाव के बाद कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं में निराशा है इसलिए उनमें नई ऊर्जा फूंकने के लिए पार्टी करीब एक दर्जन से अधिक कार्यक्रम चला रही है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी मध्यप्रदेश में अपने 2014 के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी या पंद्रह साल बाद विधानसभा चुनाव में वापसी करने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी वापसी का एक नया अध्याय लिख पाएगी।