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अखिलेश यादव को रोकने पर सपा समर्थकों का बवाल.
खास बातें
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को लखनऊ में रोके जाने को लेकर राजनीति गरमा गई है. इस घटना के विरोध में प्रयागराज में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं (Samajwadi Party) ने प्रदर्शन किया. पार्टी यूपी सरकार के इस कदम का विरोध कर रही थी. प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे सपा (Samajwadi Party) कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं. इस घटना में सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं के घायल होने की खबर है. जबकि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं. इस घटना में कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं. लाठीचार्ज को लेकर पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि छात्र नेताओं और उनके समर्थक बालसन चौराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए आए थे. बाद में उन्होंने नारेबाजी और पथराव शुरू कर दिया जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया. उन्होंने बताया कि इस घटना में दो सीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. पुलिस ने 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार किया है और उन्हें पुलिस लाइन लाया गया है. पथराव के कारण कई वाहनों के शीशे टूट गए. सपा नेता (Samajwadi Party) विजमा यादव ने बताया कि पुलिस लाठी चार्ज में बदायूं से लोकसभा सांसद धर्मेंद्र यादव और करीब 15-20 छात्र घायल हुए हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने खुदको इलाहाबाद जाने से रोके जाने पर योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने इसे योगी सरकारी की दादागीरी बताया. बता दें कि अधिकारियों ने उन्हें एयरपोर्ट पर रोक लिया था. एयरपोर्ट रोके जाने की वजह से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अधिकारियों पर जमकर बरसे और उन्होंने अधिकारियों से रोके जाने को लेकर कागज दिखाने को कहा. उन्होंने अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि मुझे हाथ मत लगाना. आप मुझे रोकने आए हैं तो आपके पास मुझे रोके जाने को लेकर कागज भी होगा. सरकार कागज से चलती है. गौरतलब है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के वार्षिक कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को लखनऊ हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया था. इस घटना की बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने भी कड़ी निंदा की. मायावती ने इस घटना को लोकतंत्र की हत्या करार दिया और सरकार की तानाशाही बताया. वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र नेताओं के शपथ समारोह में शामिल नहीं होने देने के लक्ष्य से उन्हें लखनऊ के चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर रोक दिया गया.
बताया जा रहा है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विरोध के बाद कार्यक्रम में शिरकत करने की अखिलेश यादव को अनुमति नहीं दी है. यही वजह है कि लखनऊ पुलिस ने एयरपोर्ट पर उनके चार्टेड प्लेन को रोक दिया. इस मुद्दे पर विधानसभा और विधानपरिषद में भी जमकर हंगामा हुआ और क्रमश: 20 और 25 मिनट के लिये दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.
मायावती ने अखिलेश यादव के समर्थन में ट्वीट किया और कहा कि 'समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आज इलाहाबाद नहीं जाने देने कि लिये उन्हें लखनऊ एयरपोर्ट पर ही रोक लेने की घटना अति-निन्दनीय व बीजेपी सरकार की तानाशाही व लोकतंत्र की हत्या की प्रतीक.'
उन्होंने एक और ट्वीट कर कहा- क्या बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकार बीएसपी-सपा गठबंधन से इतनी ज्यादा भयभीत व बौखला गई है कि उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधि व पार्टी प्रोग्राम आदि करने पर भी रोक लगाने पर वह तुल गई है. अति दुर्भाग्यपूण. ऐसी आलोकतंत्रिक कार्रवाईयों का डट कर मुकाबला किया जायेगा'.
अखिलेश यादव ट्वीट किया है, ''सरकार छात्र नेताओं के शपथ समारोह में मेरे जाने से डर गयी. इसलिये मुझे इलाहबाद जाने से रोकने के लिये हवाई अड्डे पर रोक दिया गया.' उन्होंने टि्वटर पर हवाईअड्डे से एक तस्वीर भी पोस्ट की है जिसमें वह पुलिस अधिकारियों से बात करते दिख रहे हैं. इस संबंध में हवाईअड्डे के निदेशक ए. के. शर्मा से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
सपा अध्यक्ष को हवाईअड्डे पर रोके जाने संबंधी उनके ट्वीट की सूचना सदन में पहुंचते ही पार्टी के सदस्यों ने इस मुद्दे को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाया. विधानसभा में सपा के सदस्य नरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र की हत्या का प्रयास कर रही है.‘हमारे नेता को इलाहाबाद जाने से रोका जा रहा है.'' इस बात पर हंगामा बढ़ गया और सपा सदस्य अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गये जिसके बाद विधानसभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिये स्थगित कर दी.
नई दिल्ली: Delhi Govt vs LG Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) नेसुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय है. केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. यह दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय है. हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसला अन्यायपूर्ण है. अगर चुनी हुई सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा, तो सरकार चलेगी कैसे...? अगर हर फाइल के लिए LG के घर पर धरना देना पड़ा, तो कैसे चल पाएगी दिल्ली सरकार. सुप्रीम कोर्ट का फैसला न सिर्फ दिल्ली की जनता के खिलाफ, बल्कि संविधान के भी खिलाफ है.'
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा, '70 में से 67 सीट जीतने वाली पार्टी को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार नहीं है, लेकिन जिस पार्टी को सिर्फ तीन सीट मिलीं, वह ट्रांसफर-पोस्टिंग करेगी. पिछले 40 साल से दिल्ली सरकार के पास ACB थी, अब नहीं है. मेरे पास कोई शिकायत लेकर आएगा, तो मैं किसे कहूंगा? हम कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं, लेकिन इसका एक ही समाधान है, जो दिल्ली की जनता के पास है. मुख्यमंत्री एक चपरासी को भी ट्रांसफर नहीं कर सकता, यह बहुत गलत फैसला है.'
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने दिल्ली सरकार को झटका देते हुए कहा है कि एसीबी, जांच आयोगों आदि पर केंद्र को अधिकार है. वहीं बिजली और जमीन के सर्किल रेट पर राज्य सरकार का अधिकार बताया है. ऑल इंडिया सर्विसेस पर अधिकार को लेकर जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का फैसला अलग रहा, जिस पर अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेजा जाएगा. हालांकि, जस्टिस सीकरी ने सर्विसेज पर केंद्र सरकार का अधिकार बताया था.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि आसानी से कामकाज के लिए एक मैकेनिज्म होना चाहिए. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ज्वाइंट सेक्रेटरी से ऊपर के लेवल का ट्रांसफर करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. जस्टिस सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर भी केंद्र का ही अधिकार है. वहीं बिजली पर राज्य सरकार का अधिकार बताया. जस्टिस सीकरी ने कहा कि जांच आयोग बनाने का अधिकार केंद्र के पास है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में मतभेद होने की स्थिति में उपराज्यपाल की राय ही मानी जाएगी.
::/fulltext::नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और उपराज्यपाल किरण बेदी के बीच फिर रार ठन गई है. किरण बेदी के सरकारी आवास के बाहर मुख्यमंत्री और उनके समर्थन में विधायकों ने धरना देना शुरू कर दिया. खास बात है कि मुख्यमंत्री वी नारायणसामी आवास के बाहर सड़क पर ही सो गए.मुख्यमंत्री ने किरण बेदी के राजनिवास के बाहर सड़क पर सोने की अपनी तस्वीर भी ट्वीट की. तस्वीर में दिख रहा है कि वह काली रंग की शर्ट और सफेद धोती पहने हुए हैं.उनके साथ कांग्रेस और डीएमके के विधायक भी सो रहे हैं. दरअसल विवाद उस समय गहरा गया,जब किरण बेदी ने राज्य में बाइक सवारों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया. जबकि मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने इसका विरोध यह कहते हुए किया कि इसे चरणवार तरीके से लागू किया जाना चाहिए. वहीं पहले जागरूकता फैलानी चाहिए.
आरोप- फाइलों को खारिज कर रहीं किरण बेदी
पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी पर हमला तेज करते हुए मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा है कि मुफ्त चावल बांटने की योजना सहित 39 सरकारी प्रस्तावों को उपराज्यपाल लटकाए हुए हैं. राजनिवास के बाहर मुख्यमंत्री के धरना-प्रदर्शन में कांग्रेस और द्रमुक के कई विधायक भी शामिल हैं. राज निवास उपराज्यपाल का आधिकारिक कार्यालय सह निवास स्थान है. आरोप है कि विभिन्न मामलों पर उनकी स्वीकृति के लिये भेजी गयीं फाइलों को उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया. उनके इसी नकारात्मक रुख के विरोध में मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी मंत्री काली कमीज में राज निवास के बाहर सड़क पर धरने पर बैठ गये हैं.मुख्यमंत्री ने बाद में पत्रकारों से कहा कि ‘‘गरीबों एवं जरूरतमंदों के उत्थान के लिये सरकारी प्रस्तावों को लगातार खारिज किये जाने'' पर वह कड़ा विरोध जताते हैं.