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भोपाल। मध्यप्रदेश में टीम कमलनाथ को लेकर कवायद तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अब अपनी टीम को लेकर मंथन तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री गुरुवार शाम को संभावित मंत्रियों के नाम लेकर दिल्ली रवाना हो रहे हैं, जहां वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर मंत्रियों के नामों को लेकर चर्चा करेंगे।
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने साथ करीब दो दर्जन संभावित मंत्रियों के नाम लेकर दिल्ली जा रहे हैं, जहां वे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने इन नामों को रखेंगे। मंत्रियों के नामों पर अंतिम मुहर राहुल की मंजूरी के बाद ही लगेगी। कमलनाथ मंत्रिमंडल गठन में जातिगत संतुलन और लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय संतुलन का तालमेल देखने को मिलेगा।
कमलनाथ के मंत्रिमंडल में जहां वरिष्ठ विधायकों को मौका मिलेगा तो दूसरी ओर युवा विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेते दिखाई दे सकते हैं। संभावना है कि 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने नए मंत्रिमंडल का गठन करेंगे और इसी दिन नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह होगा। पेश है 'वेबदुनिया' पर मुख्यमंत्री कमलनाथ का संभावित मंत्रिमंडल!
डॉक्टर गोविंद सिंह : कांग्रेस के सीनियर नेता और लहार से सातवीं बार विधायक चुन कर आए गोविंद सिंह को पार्टी विधानसभा अध्यक्ष बना सकती है। इस बार विधानसभा का फ्लोर मैनेजमेंट करना विधानसभा अध्यक्ष के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा, जहां विपक्षी दल भाजपा 109 विधायकों के साथ मजबूती से सरकार को घेरने की तैयारी में अभी से जुट गई है।
इसके लिए यह जरूरी हो गया है कि विधानसभा संचालन का काम किसी ऐसे वरिष्ठ कांग्रेस विधायक को सौंपा जाए, जो अनुभवी हो और विधानसभा का संचालन सही तरीके से कर सके। सात बार से लगातार विधायक चुने जा रहे गोविंद सिंह कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं में शामिल हैं जो दिग्विजय सरकार में भी मंत्री रहे हैं। गोविंद सिंह अगर विधानसभा अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो उनका कैबिनेट मंत्री बनना तय है।
बाला बच्चन : राजपुर से कांग्रेस के सीनियर विधायक बाला बच्चन भी मंत्री पद की शपथ लेते हुए दिखाई दे सकते हैं। बाला बच्चन की वरिष्ठता को देखते हुए उनको अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है।
सज्जन सिंह वर्मा : कमलनाथ के काफी करीबी माने जाने वाले पूर्व सांसद और इस बार विधानसभा में सोनकच्छ से विधायक चुनकर पहुंचे सज्जन सिंह वर्मा का मंत्री बनना तय है। सज्जन सिंह वर्मा दिग्विजय सरकार में नगरीय प्रशासन जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग का कामकाज संभाल चुके हैं। इस बार भी वर्मा को नगरीय प्रशासन जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
विजयलक्ष्मी साधौ : महेश्वर से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विजयलक्ष्मी साधौ का भी कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा है। विजयलक्ष्मी साधौ कैबिनेट मंत्री की शपथ ले सकती हैं।
आरिफ अकील : वर्तमान में कांग्रेस के एकमात्र मुस्लिम विधायक और इस बार भी भोपाल उत्तर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे आरिफ अकील का कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनना तय है। दिग्विजय सिंह सरकार में अल्पसंख्यक मंत्रालय का कामकाज संभाल चुके आरिफ अकील को इस बार भी अल्पसंख्यक मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कमलेश्वर पटेल : सूबे में नई कांग्रेस की सरकार में कमलेश्वर पटेल भी मंत्री पद की दौड़ में हैं। कमलेश्वर पटेल को शिक्षा से जुड़े किसी विभाग की जिम्मेदारी मिल सकती है।
जीतू पटवारी : कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और राऊ से फिर लगातार दूसरी बार कांग्रेस विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे जीतू पटवारी का मंत्री बनना भी तय माना जा रहा है। जीतू पटवारी को भी अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल सकती है।
जयवर्धन सिंह : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बेटे और राघौगढ़ से कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह भी कांग्रेस की नई सरकार में मंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं।
बृजेन्द्र सिंह : पृथ्वीपुर से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पार्टी के बड़े नेता ब्रजेन्द्र सिंह का कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा है। बृजेन्द्र सिंह को अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल सकती है।
दीपक सक्सेना : छिंदवाड़ा से कांग्रेस विधायक और कमलनाथ के काफी करीबी दीपक सक्सेना का भी कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा है। दीपक सक्सेना को अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल सकती है।
तुलसी सिलावट : इंदौर की सांवेर सीट से विधायक चुने गए तुलसी सिलावट भी मंत्री बन सकते हैं। तुलसी सिलावट को कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया का काफी करीबी माना जाता है।
लक्ष्मण सिंह : चांचौड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक चुने गए और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। लक्ष्मण सिंह को विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।
बिसाहूलाल सिंह : अनूपपुर से कांग्रेस विधायक और पार्टी के सीनियर नेता बिसाहूलाल सिंह का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।
गोविंद राजपूत : सुरखी से कांग्रेस विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे पार्टी के बड़े नेता गोविंद राजपूत भी मंत्री बन सकते हैं।
लखन घनघोरिया : जबलपुर पूर्व से कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ले सकते हैं।
इमरती देवी : कांग्रेस की महिला विधायक इमरती देवी भी कांग्रेस की नई सरकार में मंत्री पद की शपथ ले सकती हैं।
पीसी शर्मा : भोपाल दक्षिण पश्चिम से मंत्री उमाशंकर गुप्ता को हराकर विधायक चुने गए पीसी शर्मा का भी मंत्री बनना तय है। पीसी शर्मा को अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
नीलांशु चतुर्वेदी : चित्रकूट से कांग्रेस विधायक को भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के कैबिनेट में जगह मिल सकती है। नीलांशु को लोकसभा चुनाव को देखते हुए विंध्य के जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने के लिए मंत्री बनाया जा सकता है।
तरुण भनोट : जबलपुर से कांग्रेस विधायक तरुण भनोट का नाम भी मंत्री बनने वाले संभावित नामों की सूची में है।
हुकुम सिंह कराड़ा : कांग्रेस के सीनियर नेता हुकुम सिंह कराड़ा का नाम भी संभावित मंत्रियों की सूची में है। हुकुम सिंह कराड़ा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए काम कर रही है दिल्ली सरकार.
आम आदमी पार्टी सरकार दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े स्तर पर सड़कों पर उतारना चाहती है. इसी सिलसिले में मंगलवार को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में परिवहन मंत्री, परिवहन विभाग के अधिकारी ने RWA, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, NGO और एक्सपर्ट के साथ चर्चा की.
दिल्ली सरकार का दावा है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए परिवहन विभाग 3000 बसें खरीदेगा, इसमें 1000 बसें इलेक्ट्रिक होंगी. फिलहाल केजरीवाल सरकार ने डायलॉग एंड डिवलपमेंट कमीशन के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर एक पॉलिसी बनाई है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस कार्यक्रम में पहुंचे, इस दौरान उन्होंने बताया कि डायलॉग एंड डिवलपमेंट कमीशन को इस पॉलिसी को बनाने में 1 साल का समय लगा. केजरीवाल ने कहा कि कई देशों की रिपोर्ट स्टडी करके यह पॉलिसी बनाई गई है. दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार काम कर रही है. हम नहीं चाहते हमारे लोगों को ज्यादा अस्पताल जाना पड़े इसलिए प्रदूषण कम करने के लिए हर कदम उठाएंगे.
आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा ऑड ईवन फॉर्मूला लागू करने के बारे में बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि ऑड ईवन बेहद कठिन फॉर्मूला था. प्रदूषण जब अधिक था तब यह दिल्ली में लागू हुआ था और दिल्लीवालों ने इस फॉर्मूले को सफल बनाने में मदद की थी. अब दिल्ली के लोग भी प्रदूषण से लड़ने के लिए तैयार हैं और इस भरोसे के साथ सरकार कड़े फैसले ले सकती है.
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पूरे देश में पहली बार इलेक्ट्रिक बसों की बड़ी संख्या ला रहा है. अगर 1000 इलेक्ट्रिक बसें सफल होती हैं तो आने वाले समय में सभी बसें इलेक्ट्रिक होंगी. अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान इंडस्ट्री के लोगों से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत कम करने की अपील भी की.
गहलोत ने आगे कहा कि 1000 इलेक्ट्रिक बसों को सड़कों पर उतारने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एक बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में सभी कंपनियों को अपने चार्जर कॉमन बनाने की जरूरत है, जैसे मोबाइल कंपनी अपने चार्जर कॉमन नहीं हो पाए हैं.
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