Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
अमृतसर। पिछले महीने हुए अमृतसर रेल हादसे की जांच कर रहे अधिकारी ने पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को क्लीन चिट देते हुए उन्हें दुर्घटना की जांच कर रहे आयोग के समक्ष पेश होने से छूट दे दी है। इस दुर्घटना में 60 लोग मारे गए थे। जालंधर के संभागीय आयुक्त बी. पुरुषार्थ 19 अक्टूबर को हुए अमृतसर रेल हादसे की जांच कर रहे हैं। सिद्धू को क्लीन चिट देते हुए पुरुषार्थ ने बताया कि आयोग सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के जरिए एक पत्र में मंत्री की ओर से दिए गए जवाब से संतुष्ट है और उन्हें आयोग के समक्ष पेश होने से छूट दे दी गई है।
गत 31 अक्टूबर को जांच आयोग ने सिद्धू दंपति से कहा था कि वह पेश होकर अपना बयान दर्ज कराएं। पुरुषार्थ ने कहा कि नवजोत कौर सिद्धू से ट्रेन हादसे और उस दशहरा कार्यक्रम के बारे में कई सवाल किए गए गए, जिसमें वे मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई थीं। उनके जवाब संतोषजनक थे।
नई दिल्ली: दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल शुरू हो गया है. शुक्रवार को पहली ट्रायल इलेक्ट्रिक बस को दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हरी झंडी दिखाई. इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल 3 महीने तक होगा और इस दौरान देखा जाएगा कि दिल्ली की सड़कों पर यह किस तरह चलाई जा सकती है और क्या व्यवस्था की जानी चाहिए. कहां-कहां चार्जिंग पॉइंट्स लगाए जाने की ज़रूरत है. दिल्ली सरकार की योजना है कि 1000 इलेक्ट्रिक बस खरीदी जाए. जिसके लिए ढाई साल पहले भी वो एक बार ट्रायल करवा चुकी है और एक साल पहले उसने इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की बात कही थी. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि 'DIMTS इसको स्टडी कर रहा है और वह अपनी रिपोर्ट अगले महीने तक देगा. हमें पूरी उम्मीद है हमारी पूरी कोशिश है कि दिसंबर तक हम इलेक्ट्रिक बसों के टेंडर जारी कर दें.
कैलाश गहलोत से पूछा गया कि ढाई साल पहले साल 2016 में जो ट्रायल हुआ था वह और मौजूदा ट्रायल में क्या अंतर है? कैलाश गहलोत ने कहा ' यह नई टेक्नोलॉजी है हर महीने और कुछ कुछ समय के बाद टेक्नोलॉजी में नए-नए इंप्रूवमेंट आ रहे हैं जैसे की बैटरी की कीमत कि अगर हम बात करें तो पिछले एक साल में बैटरी की कीमत काफी नीचे आई है तो हम तो दोबारा ट्रायल कर रहे हैं. यह एक डिटेल रिपोर्ट का पाठ है इसकी जो भी फाइंडिंग्स निकलेंगे वह उस रिपोर्ट का हिस्सा बनेंगी. हम आश्वस्त होना चाहते हैं की टेंडर जारी होने के बाद और बसें सड़कों पर आने के बाद दिक्कत ना आए. क्योंकि यह पहली बार हो रहा है'
दिल्ली. देश की निचली अदालतों के जज अक्सर विवादित फैसलों के चलते लोगों के निशाने पर आते रहते हैं. ऐसा ही एक विवादित फैसला असम की एक कोर्ट ने सुनाया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ पलट दिया बल्कि निचली अदालत पर बेहद कठोर टिप्पणी की.
अपने पति की हत्या के मामले में असम की एक महिला को स्थानीय अदालत ने न केवल दोषी करार दिया बल्कि उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी. अदालत ने ये आदेश इस बात को आधार मानकर दिया था क्योंकि महिला अपने पति की अप्राकृतिक मौत पर रोई नहीं थी. स्थानीय कोर्ट के फैसले को बाद में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने भी महिला की सजा को बरकरार रखा था.
पिछले करीब पांच साल से जेल की सजा काट रही महिला को अब सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान ने कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला अपने पति की आकस्मिक मौत पर नहीं रोई तो वही उसकी हत्या की दोषी है. कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए महिला को बरी करने का आदेश सुनाया.
31 अक्टूबर को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य सबूतों से ये कतई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि इस महिला ने ही अपने पति की हत्या की थी. यही वजह है कि जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने तुरंत उम्रकैद की सजा काट रही महिला को बरी करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद महिला को बड़ी राहत मिली.
इससे पहले इस केस में असम की निचली अदालत ने महिला को दोषी करार देने के लिए इसी तर्क को मुख्य आधार माना था कि महिला अपने पति की आकस्मिक मौत पर रोई नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि पति की मौत पर पत्नी का नहीं रोना बेहद चौंकाने वाला रवैया है, ये बिना किसी संदेह के महिला को दोषी साबित करता है.
::/fulltext::