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नई दिल्ली: वाईएसआर कांग्रेस पार्टी( Ysr congress leader) के नेता जगनमोहन रेड्डी( Jaganmohan Reddy) पर विशाखापत्तनम के वाइजैग एयरपोर्ट पर हमला हुआ है. अज्ञात शख्स ने उन पर चाकू से हमला कर दिया. जिससे बांह में जख्म के निशान आए हैं. उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए तत्काल अस्पताल लेकर जाया गया. बताया जाता है कि हमले की यह घटना एयरपोर्ट पर स्थित कैंटीन में हुई. जहां एक अज्ञात शख्स से सेल्फी को लेकर उनका विवाद हुआ. इस दौरान कहासुनी बढ़ने पर शख्स ने चाकू बांह में घोंप दी. जिससे जगनमोहन घायल हो गए. यह देख मौके पर हड़कंप मच गया.
खास बातें
लखनऊ: सपा से अलग होकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित करने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी का चुनाव आयोग में पंजीयन हो गया है और उसे ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया' नाम मिला है. शिवपाल ने यहां आयोजित मोर्चा के एक कार्यक्रम में कहा ‘‘हमारी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हो गया है. अब हमारी पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया होगा.''जसवंतनगर सीट से अब भी सपा के विधायक शिवपाल ने सपा से अलग होने के कारणों का जिक्र करते हुए किसी का नाम लिये बगैर कहा कि वह हमेशा सपा में एकजुटता चाहते थे, लेकिन कुछ ‘चुगलखोरों और चापलूसों' की वजह से उन्हें मजबूरन पार्टी से किनारा करना पड़ा.
उन्होंने कहा ‘‘हम तो हमेशा से परिवार और पार्टी में एकता चाहते थे. हमने लम्बे समय तक इंतजार किया लेकिन ना तो मुझे और ना ही नेताजी (सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव) को उचित सम्मान मिला. हमें तो धकेल कर निकाल दिया गया.‘‘ शिवपाल ने अपने समर्थकों से कहा ‘‘मैं आप सबसे कहता हूं कि चापलूसी ना करें. अगर कहीं कुछ गलत हो रहा है तो उसके बारे में बताने के लिये आप स्वतंत्र हैं. मैं अपनी पार्टी को यह आजादी दूंगा.‘‘ मालूम हो कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सपा अध्यक्ष बनने के बाद हाशिये पर पहुंचे शिवपाल ने ‘उपेक्षा' से नाराज होकर पिछली 29 अगस्त को समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन किया था. उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का एलान किया था.
लखनऊ छावनी विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर पिछला चुनाव लड़ चुकी मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव ने पिछले दिनों शिवपाल के साथ मंच साझा करते हुए कहा था कि वह ‘चाचा‘ के साथ हैं. व्यापक जनसमर्थन मिलने का दावा करने वाले शिवपाल ने कहा कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश, दोनों ही जगह जनविरोधी सरकार है. उनकी गलत नीतियों और फैसलों से जनता परेशान है. नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापारियों के साथ-साथ पूरी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनता से किये गये वादे पूरे नहीं किये हैं. अवाम उसे चुनाव में जवाब देगी. कार्यक्रम में पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने शिवपाल का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी ताकत बनेगी.
भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस और जयस के बीच गठबंधन का फैसला अब राहुल गांधी करेंगे। सूबे में 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाली जयस सूबे में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाह रही है। जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने कहा कि हम भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाह रहे हैं। इसके लिए जयस ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का नया फॉर्मूला भी पेश कर दिया है।
हीरालाल अलावा ने कहा कि गठबंधन के लिए जयस ने कांग्रेस के सामने 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग रखी है, वहीं जयस ने आदिवासी सीटों पर अपने उम्मीदवारों के समर्थन का फार्मूला भी पेश किया है। दोनों दलों के गठबंधन के बीच कुक्षी सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इस सीट को जयस गठबंधन में अपने लिए मांग रहा है।
यहां से जयस संरक्षक हीरालाल अलावा चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। इसके लिए अलावा लंबे समय से यहां जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। पिछले दिनों जयस ने यहां पर बड़ा कार्यक्रम भी किया था। कांग्रेस अपनी इस परंपरागत सीट को छोड़ना नहीं चाह रही है। इस सीट पर कांग्रेस का तीन दशक से अधिक लंबे समय तक कब्जा है। वर्तमान में यहां से कांग्रेस का विधायक है, वहीं दूसरी सीट इंदौर 5 को लेकर भी जयस ने अपना दावा कांग्रेस के सामने रखा है। पिछले लंबे समय से जयस के मंच पर दिख रहे आरटीआई एक्टिविस्ट आनंद राय ने इंदौर 5 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का संकेत देते हुए अपनी जमीनी ताकत मजबूत करने के लिए संपर्क अभियान और तेज कर दिया है।
जयस के बड़े नेता डॉक्टर आनंद राय सोशल मीडिया पर खुद के चुनाव लड़ने के बारे में लोगों से सुझाव मांग रहे हैं। आनंद राय की कांग्रेस के नेताओं से भी नजदीकी है। ऐसे में आनंद राय को कांग्रेस से भी टिकट की उम्मीद है।
कांग्रेस से भी दावेदारी कर रहे हैं आनंद राय : चर्चा इस बात की जोरशोर से चल रही है कि गठबंधन के तहत कुछ सीटों पर जयस के उम्मीदवार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। जयस के कुछ उम्मीदवारों ने अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है। हीरालाल कहते हैं कि पहले की कई दौर की बातचीत के बाद अब राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ही गठबंधन अंतिम रूप से फाइनल होगा। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस जयस को 15 से अधिक सीट नहीं देना चाहती।
चुनाव मैदान में निर्दलीय की भी उतरने की तैयारी : गठबंधन न होने की सूरत में आदिवासियों को लेकर खासी चर्चा में आया संगठन जयस अब निर्दलीय के तौर पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। जयस सूबे की 80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने कहा कि गठबंधन न होने पर पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरेंगे, वहीं जयस ने चुनाव आयोग से एक चुनाव चिन्ह देने की मांग की है।
हीरालाल अलावा ने कहा कि प्रत्याशियों के चयन की प्रकिया जारी है और पार्टी 25 अक्टूबर के बाद अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देगी। जयस संरक्षक ने भाजपा पर अपने संभावित उम्मीदवारों पर दबाव बनाने का आरोप भी लगाया। जयस आदिवासियों के बीच काम करने वाले युवा प्रोफेशनल को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है।
खास बातें
जयपुर: टिकट का बंटवारा राजस्थान में दोनों पार्टियों के लिए चुनाव बना सकता है तो बिगाड़ भी सकता है. ज़मीन पर फ़िलहाल कोई लहर दिखाई नहीं दे रही है और ऐसे चुनावी माहौल में काफी कुछ उन चेहरों पे निर्भर करेगा, जिनको दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में उतारेंगी. भाजपा में विचार चल रहा है कि आधे से ज़्यादा यानी 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं. वहीं, दूसरी रणनीति जो चर्चा में है वो यह है कि कई सांसदों को भी विधायकी का चुनाव लड़ाया जा सकता है. दूसरी ओर कांग्रेस की मुश्किल यह है कि ‘मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम' के दौरान बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से ज़्यादा उम्मीदवार और टिकटार्थी पैदा हो गए है और टिकट ना मिलने पर ये बागी हो सकते हैं, इसलिए कांग्रेस के लिए भी टिकट बंटवारा एक बड़ी चुनौती है.
टिकट बंटवारे के निर्णय पर भाजपा का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं से सलाह-मशवरे के बाद ही राजस्थान में टिकटों पर कोई निर्णय होगा. इस संबंध में बीजेपी के राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि हमने उनसे तीन सवाल पूछे हैं कि सरकारी योजनाओं पर आपका सकारात्मक पक्ष और नकारातमक पक्ष क्या है? आपके क्षेत्र में कांग्रेस का प्रत्याशी कौन है?
भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती है विरोधी लहर और ऐसे में राजस्थान में आधे से ज़्यादा यानी 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं. सीएम वसुंधरा राजे का इस पर कहना है कि चाहे जिसे भी टिकट मिले, चुनाव में हमने प्रेरणा के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन एक और रणनीति जो चर्चा में है वो यह है कि मौजूदा सांसदों को कांग्रेस के दिग्गजों के सामने उतारना. ऐसे में रामचरण बोहरा, जो जयपुर से सांसद है, वो जयपुर की विधानसभा सीट सांगानेर से चुनाव लड़ सकते हैं. कर्नल सोनाराम को बाड़मेर लोकसभा के बजाय वहां की विधानसभा सीट बायतू से चुनाव लड़वाया जा सकता है. मंत्री पप चौधरी और गजेंद्र सिंह के साथ साथ ओम बिरला का नाम भी चर्चा में है.
दूसरी ओर कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल है अशोक गेहलोत और सचिन के नेतृत्व को लेकर रस्साकशी. ज़ाहिर है दोनों अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की कोशिश करेंगे. टिकट बंटवारे को लेकर अशोक गहलोत का कहना है कि यह स्क्रीनिंग कमेटी निर्णय करेगी. अब सवाल यह है कि इस खींचतान में कहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान नहीं हो जाये. खासकर ऐसे माहौल में जब पार्टी राजस्थान में काफी मज़बूत नज़र आ रही है.