Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान के बीच भारतीय मौसम विज्ञान (आईएमडी) ने शुक्रवार को पूर्वानुमान जताया कि दिसंबर से फरवरी तक इस साल सर्दियों में मौसम अपेक्षाकृत गर्म रहेगा। विभाग ने शुक्रवार को जारी सर्दियों संबंधी अपने पूर्वानुमान में कहा, डीजेएफ (दिसंबर, जनवरी, फरवरी) में मौसम का औसत न्यूनतम तापमान भारत के उत्तरी छोर के हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकतर हिस्सों में औसत न्यूनतम तापमान की तुलना में गर्म रहने की संभावना है।
विभाग 2016 से सर्दियों संबंधी पूर्वानुमान हर साल जारी कर रहा है और उसने हर बार मौसम अपेक्षाकृत गर्म रहने की भविष्यवाणी की है। वर्ष 2018 वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म मौसम था। मौसम वैज्ञानिकों ने साथ ही कहा कि दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक कोर शीतलहर क्षेत्रों में सामान्य से अधिक न्यूनतम तापमान की अपेक्षाकृत अधिक संभावना है।
कोर शीत लहर क्षेत्रों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना के अलावा जम्मू, कश्मीर एवं लद्दाख, मराठवाड़ा, विदर्भ, सौराष्ट्र और मध्य महाराष्ट्र आते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा कि सर्दियों में मौसम के अपेक्षाकृत गर्म रहने का कारण ग्लोबल वार्मिंग है।
आईएमडी ने पूर्वानुमान लगाया है कि मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के अधिकतर हिस्सों में न्यूनतम तापमान एक प्रतिशत से कम की बढोतरी के साथ सामान्य से अपेक्षाकृत गर्म रहेगा। हालांकि मध्य भारत के कुछ हिस्सों में मौसम का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने का पूर्वानुमान है और प्रायद्वीपीय क्षेत्र के कुछ उपखंडों में यह सामान्य से गर्म रहने की संभावना है।
रायपुर। राजधानी रायपुर सहित राज्य के कई हिस्सों में ठंड का असर दिखने लगा है. मौसम में आए बदलाव से गुलाबी ठंड का अहसास होने लगा है. सुबह मॉर्निंग वॉक पर अगर आप जाते हैं तो हल्की ठंड का अहसास किया जा सकता है. सुबह की सर्द हवाएं सिहरन पैदा करने लगी है. नवंबर महीने के अंत तक ठंड का असर तेजी से बढ़ सकता है. सर्दी के इस मौसम की शुरूआत होने लगी है कुछ दिनों में ही कड़ाके की ठंड का असर दिखने लगेगा. अभी मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.
वहीं मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा के ने बताया कि फिलहाल इस साल काफी लेट तक छत्तीसगढ़ में बारिश हुई है. 15 अक्टूबर के आसपास मानसून की विदाई हुई है. नवंबर के सेकंड वीक से टेंपरेचर में काफी कमी आ गई है. और नॉर्मल की तरफ चली गई है. यदि नॉर्मल को देखे तो ऐसी स्थिति में एक प्रकार से ठंड का सीजन है. ऐसे देखा जाए तो जनवरी और दिसंबर में ठंड अच्छी रहती है.
फिलहाल टैम्प्रेचर जितना चल रहा है सब नॉर्मल की ओर चल रहा है. पूरे प्रदेश में यही स्थिति है. आगामी 2 दिन मैं टेंपरेचर में थोड़ी कमी आएगी. उसके बाद 2 दिन बाद फिर बढ़ेगा. उसके बाद फिर घटने की चांस भी हैं. अभी वर्तमान में तापमान नार्मल पोजिशन पर चल रहा है. आने वाले 8 से 10 दिन बारिश की कोई संभावना नहीं है. मौसम में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा. अगर राजधानी की बात की जाए तो यहां तापमान दो डिग्री बढ़ा है. यहां का न्यूनतम तापमान अभी 18 डिग्री के आसपास है.
::/fulltext::
पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र पर आखिर चक्रवाती तूफान 'बुलबुल' ने अपनी दस्तक दे दी है। इसके पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले से होते हुए उत्तर-पूर्व में बांग्लादेश की ओर बढ़ने की संभावना है। तूफान 'बुलबुल' की वजह से पूरे इलाके में भारी बारिश हो रही है। उत्तर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों पर समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, कोलकाता में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं और इसके 70 किलोमीटर प्रति घंटे होने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी के उत्तर पश्चिम में समुद्र में स्थिति काफी गंभीर रहेगी। इसके बाद इसमें धीरे-धीरे सुधार होगा। विभाग ने मछुआरों को अगले 12 घंटों के दौरान उत्तर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों पर समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
चक्रवाती तूफान 'बुलबुल' तटीय बांग्लादेश और इससे सटे दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिले तक पहुंचते-पहुंचते कमजोर पड़ सकता है। तूफान से अभी तक 2 लोगों की मौत होने की संभावना जताई जा रही है। दूसरी ओर प्रशासन की तरफ से राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। लाखों को प्रभावित इलाकों से निकालकर राहत शिविर में पहुंचाया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे खुद स्थिति की निगरानी कर रही हैं और 'बुलबुल' तूफान से लड़ने के लिए प्रशासन हरसंभव इंतजाम कर रहा है। उन्होंने नागरिकों से शांति कायम रखने और परेशान न होने का आग्रह किया है।
बांग्लादेश के कनिष्ठ आपदा प्रबंधन मंत्री एनामुर रहमान के मुताबिक, 18 लाख से अधिक लोगों को शनिवार शाम तक सुरक्षित निकाला गया। शनिवार सुबह तक 5000 से अधिक आश्रयगृह तैयार किए गए थे। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बांग्लादेश की नौसेना और तटरक्षक बल को तैयार रखा गया है।
चक्रवाती तूफान 'महा' के कमजोर पड़ने के बाद अब बंगाल की खाड़ी में ऐसा ही एक और तूफान बन रहा है, जिसे 'बुलबुल' नाम दिया गया है। ओडिशा में इस समय 'बुलबुल' का खौफ लोगों के बीच दिख रहा है, क्योंकि अभी कुछ महीने पहले ही ओडिशा ने तूफान 'फानी' को झेला था।
खबरों के मुताबिक, भारत के 3 तरफ समुद्री किनारे हैं। इन्हीं किनारें पर इस समय भयानक चक्रवाती तूफान 'बुलबुल' तेजी से भयावह रूप लेता नजर आ रहा है।खबरों के मुताबिक, भारत के 3 तरफ समुद्री किनारे हैं। इन्हीं किनारें पर इस समय भयानक चक्रवाती तूफान 'बुलबुल' तेजी से भयावह रूप लेता नजर आ रहा है। इससे 5 दिन पहले ही चक्रवाती तूफान 'क्यार' खत्म हुआ है। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि ऐसा पहली बार ही हो रहा है, जब एक के बाद एक लगातार 3 तूफान बने। यह तूफान ओडिशा या पश्चिम बंगाल में किस स्थल से टकराएगा, फिलहाल यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
बंगाल की खाड़ी में बन रहे नए तूफान 'बुलबुल' के 10 नवंबर तक अत्यधिक गंभीर बनने की आशंका जताई गई है। अभी यह पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप से 930 किलोमीटर, ओडिशा के पारादीप से 820 किलोमीटर और अंडमान के माया बंदर से 370 किलोमीटर दूर है। अगले 36 घंटों में यह चक्रवाती तूफान का रूप ले लेगा।
अगर ये ज्यादा भयावह रूप लेता है तो इसकी वजह से महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर सीधा असर पड़ेगा। आज और कल यानी 8 नवंबर को अरब सागर में तेज लहरें उठने की संभावना है। गुजरात और महाराष्ट्र के मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है। गुजरात के सौराष्ट्र, जूनागढ़, गिर, सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, सूरत, भरूच, आणंद, अहमदाबाद, बोताड़, पोरबंदर व राजकोट में हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 129 साल में तीसरी बार ऐसा होगा, जब दशक में सबसे ज्यादा 99 तूफान बने। इससे पहले 1970 से 1979 के दशक में 110 और 1960 से 1969 के दशक में 99 तूफान बने थे। ओडिशा के बालासोर, भद्रक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, गंजम, पुरी, गजपति, कोरापुट, रागगढ़ा, नबरंगपुर, कालाहांडी, कंधमाल, बौध, नौपाड़ा और मलकानगिरि जिलों को अलर्ट पर रखा गया है। करीब 6 महीने पहले 3 मई को आए इसी तरह के चक्रवाती तूफान 'फोनी' से तटीय ओडिशा में भारी तबाही मची थी जिसमें करीब 64 लोगों की मौत हो गई थी।