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नई दिल्ली : पाकिस्तान में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच एक नया टकराव दिख रहा है. पाकिस्तान के दो राज्यों पंजाब और खैबर पख़्तूनख्वा में जल्द चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने ठुकरा दिया है. चुनाव आयोग वहां अक्टूबर में चुनाव कराने की बात कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव 14 मई को होंगे. लेकिन वहां की नेशनल असेंबली ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया.
पाकिस्तान के राजनीतिक संकट का यह नया पन्ना है. वहां तमाम संस्थाएं जैसे आपस में टकरा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में जज बनाम जज चल रहा है. सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट, सेना बनाम सुप्रीम कोर्ट और इमरान बनाम सेना है. अब चुनाव को लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट और सरकार आमने-सामने हैं.
दरअसल यह टकराव सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और सरकार का नहीं है, सरकार चला रही पीएमएल नवाज पार्टी और इमरान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ का भी है. इसी हफ़्ते पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ के नेता इमरान खान पेशी के लिए बिल्कुल ब्लैक बॉक्स में नज़र आए. उन्हें अपने ऊपर इतना खतरा महसूस हो रहा है. यह वही इमरान ख़ान हैं जिनको गिरफ़्तार करने के लिए पाकिस्तान की पुलिस ने काफी ताकत लगाई, लेकिन गिरफ़्तार नहीं कर सकी. कल ही पीपीपी के बिलावल भुट्टो ने ये अंदेशा जताया कि कहीं इसकी वजह से मॉर्शल लॉ की नौबत न आ जाए.
आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि बीते महीने वहां महंगाई दर 35 फीसदी पार कर गई. खाने-पीने का सामान शहरों में 47.1 फ़ीसदी और गांवों में 50.2 फ़ीसदी महंगा हो गया है. पाकिस्तान का रुपया डॉलर के मुकाबले 287 तक आ गया है. पेट्रोल का दाम महीने भर पहले ही 272 रुपये हो चुका है. हालात इसलिए और बिगड़े हैं क्योंकि बाहर से आने वाला अनुदान आधा रह गया है.
संकट यही नहीं है, साल 2019 में पाकिस्तान ने विश्व मुद्राकोष से 6 अरब डॉलर का क़र्ज़ सुनिश्चित किया. बीते साल बाढ़ के बाद एक अरब डॉलर की राशि बढ़ा दी गई. लेकिन नवंबर में आईएमएफ ने ये पैसा दिए जाने पर रोक लगा दी. पाकिस्तान पूरी कोशिश में है कि उसे यह पैसा मिल जाए. हैरानी की बात यह है कि इन सबके बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने तुर्की से सात अरब डॉलर के युद्धक ड्रोन की पहल खेप हासिल की है.
पाकिस्तान राजनीतिक-आर्थिक संकट के दोहरे मोर्चे पर घिरा है. दाने-दाने को मोहताज पाकिस्तान कंगाली की ओर बढ़ रहा है. क्या मार्शल लॉ लगाकर पाकिस्तान अपने आर्थिक संकट से उबर पाएगा?
बीजिंग : चीन ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस सप्ताहांत में रूस की यात्रा करेंगे. क्रेमलिन ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग 20-22 मार्च तक रूस की राजकीय यात्रा पर रहेंगे. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब चीन ने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर रहा है. चिनफिंग की इस यात्रा से रूस के लिए बीजिंग के राजनयिक समर्थन को देखते हुए पश्चिमी देशों को एक संदेश जाएगा. क्रेमलिन ने कहा, "वार्ता के दौरान, वे रूस और चीन के बीच व्यापक साझेदारी संबंधों और रणनीतिक सहयोग के आगे के विकास के सामयिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे"
बयान में कहा गया कि चिनफिंग की रूस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. चीन और रूस ने फरवरी 2022 में "कोई सीमा नहीं" साझेदारी की, जब पुतिन शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन के लिए बीजिंग का दौरा कर रहे थे. ये रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से कुछ हफ्ते पहले की बात है.
इसके बाद से दोनों देशों ने अपने संबंधों की मजबूती के लिए लगातार प्रयास जारी रखे हैं. यूक्रेन और रूस के युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ गया है. चीन, रूस का तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, मास्को के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है.
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पांच साल के तीसरे कार्यकाल का समर्थन करने के बाद शी पहली विदेश यात्रा पर जा रहे हैं. ऐसी अटकलें हैं कि पिछले 10 वर्षों से पुतिन के करीबी सहयोगी रहे शी (69) यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता शुरू करने का प्रयास कर सकते हैं. शी के यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी फोन पर बातचीत करने की उम्मीद है.
कराची: नकदी संकट से जूझता पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund या IMF) वार्ता के अंतिम दिन भी अहम बेलआउट पैकेज को लेकर समझौते पर पहुंचने में विफल रहे. यह जानकार स्थानीय मीडिया ने दी है. हालांकि पाकिस्तान के वित्त सचिव को अब भी उम्मीद है कि लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति और कच्चे औद्योगिक सामान की किल्लत के बावजूद दिवालियापन से बचने के लिए समझौता जल्द ही हो जाएगा.
निजी चैनल जियो न्यूज़ (Geo News) के मुताबिक, वित्त सचिव हामिद शेख ने कहा, "पहले से उठाए जाने कदमों को लेकर IMF के साथ एक समझौता पहले ही किया जा चुका है..."
पाकिस्तान के सरकारी टेलीविज़न चैनल ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से बताया कि कुछ मुद्दों पर अभी चर्चा होना बाकी है. PTV के अनुसार, हालांकि IMF का शिष्टमंडल 10 दिन की वार्ता के बाद शुक्रवार को मुल्क छोड़ देगा.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे हाल से गुज़ररही है. भुगतान संकट बहुत बड़ा हो गया है, क्योंकि राजनैतिक उथल-पुथल और बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था के बीच बाहरी कर्ज़ों का बोझ बढ़ता जा रहा है.
IMF का शिष्टमंडल पिछले सप्ताह इस्लामाबाद आया था, ताकि बुरे हालात से निपटा जा सके, जिन्हें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने 'कल्पना से परे' करार दिया था.
IMF के साथ पहले से जारी बेलआउट समझौते के तहत मिलने वाली ताज़ातरीन किश्त कई महीनों से रुकी हुई है, और सरकार मित्र देशों से मदद मांग रही है, ताकि सिर पर चुनाव होने के हालात में IMF की देनदारियों से पैदा होने वाली दर्दनाक स्थिति से बचा जा सके.
सोमवार को तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप आया. जिसमें 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई. भूकंप के तेज झटकों ने हजारों इमारतों को तबाह कर दिया. तबाही का मंजर इतना भयावह था कि बचावकर्ताओं ने जीवित बचे लोगों के रेस्क्यू के लिए नंगे हाथों से ही खुदाई करनी पड़ी. दर्जनों देशों ने 7.8-तीव्रता के भूकंप के बाद तुर्की की सहायता का वादा किया. ये भूकंप तब आया जब लोग अभी भी सो रहे थे और ठंड के मौसम ने राहत कार्यों और इमरजेंसी सेवाओं को और मुश्किल बना दिया.
तुर्की में लोगों के से भरे कई बहुमंजिला अपार्टमेंट मलबे के ढेर में तब्दील हो गए. साथ ही सीरिया में भी कई इमारतें ढह गई. अलेप्पो में पुरातात्विक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा. दक्षिण-पूर्वी तुर्की शहर कहामनमारस में एक 23 वर्षीय रिपोर्टर मेलिसा सलमान ने कहा, "यह पहली बार था जब हमने ऐसा अनुभव किया," सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे "देश के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप" करार दिया.
शुरुआती भूकंप के बाद दर्जनों आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें 7.5 तीव्रता का भूकंप भी शामिल है, जिसने सोमवार को खोज और बचाव कार्य में और खलल डाल दिया. दक्षिणपूर्वी तुर्की के शहर सान्लिउफ़ा में, बचावकर्ता रात में काम कर रहे थे और सात मंजिला इमारत के मलबे से जीवित बचे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे थे. तापमान शून्य से नीचे गिरने के बावजूद, शहर में सहमे हुए लोग आग के चारों ओर घूमते हुए सड़कों पर रात बिताने की तैयारी कर रहे थे.
इस बीच तुर्की ने सात दिन के शोक की घोषणा की. सर्दियों के बर्फ़ीले तूफ़ान से बचाव में बाधा आ रही थी जिसने प्रमुख सड़कों को बर्फ से ढक दिया. अधिकारियों ने कहा कि भूकंप ने क्षेत्र में तीन प्रमुख हवाईअड्डों को निष्क्रिय कर दिया, जिससे महत्वपूर्ण सहायता की डिलीवरी और जटिल हो गई. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि सोमवार का पहला भूकंप तुर्की के शहर गजियांटेप के पास लगभग 18 किलोमीटर (11 मील) की गहराई पर सुबह 4:17 बजे (0117 GMT) आया, जो लगभग 20 लाख लोगों का घर है.
डेनमार्क के भूवैज्ञानिक संस्थान ने कहा कि तुर्की में आए मुख्य भूकंप के करीब आठ मिनट बाद भूकंप के झटके ग्रीनलैंड के पूर्वी तट पर महसूस किए गए. आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि तुर्की में 12,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जबकि सीरिया ने कहा कि कम से कम 3,411 लोग घायल हुए हैं. इस मुश्किल घड़ी में तुर्की की मदद के लिए भारत की तरफ से भी NDRF टीम भेजी गई. मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए राहत बचाव कार्य चल रहा है.
भूकंप के तेज झटकों के कारण सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं. तुर्की में तीन बर भूकंप के झटके महसूस किए गए. 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के लगातार तीन विनाशकारी भूंकप आए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की और सीरिया में आए भूकंप में लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया. साथ ही भारत ने इस त्रासदी से निपटने में मदद के लिए हाथ भी बढ़ाया है. पीएम मोदी ने कहा कि, भारत भूकंप पीड़ितों की हर संभव मदद के लिए तत्पर है.