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छठ पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा. छठी मइया को अर्घ्य देने के लिए भक्त 20 नवंबर की शाम पानी में उतरेंगे. इसके बाद 21 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाएगा. छठ पर्व की शुरुआत नहाए-खाए से 18 नवंबर से होगी, इसके बाद 19 नवंबर को खरना या लोहंडा मनाया जाएगा. इस दिन बेहद ही स्वादिष्ट गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है. इसके बाद प्रसाद के भरी बांस की टोकरी जिसे दउरा या दौरा भी कहा जाता है.
छठ पर्व की तारीख
18 नवंबर 2020 बुधवार- नहाय-खाय
19 नवंबर 2020 बुधवार- खरना
20 नवंबर 2020 बुधवार- डूबते सूर्य का अर्घ्य
21 नवंबर 2020 बुधवार- उगते सूर्य का अर्घ्य
पहला अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा के दिन सूर्योदय - 20 नवंबर, 06:48 AM
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त - 20 नवंबर, 05:26 PM
कौन हैं छठी मइया ?
कार्तिक मास की षष्टी को छठ मनाई जाती है. छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया को बिहार में आसान भाषा में छठी मइया कहकर पुकारते हैं. मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं. इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं. वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है. खासकर वो जोड़े जिन्हें संतान का प्राप्ति नही हुई. वो छठ का व्रत रखते हैं, बाकि सभी अपने बच्चों की सुख-शांति के लिए छठ मनाते हैं.
छठ पूजा में अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व
यह बात सभी को मालूम है कि सूरज की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलती है और उगते सूर्य की किरणों के फायदेमंद और कुछ भी नहीं. इसीलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया. वहीं, प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूरत की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं.