Monday, 23 December 2024

4531::/cck::

सांस से जुड़ी सबसे आम समस्या जिससे गर्भावस्था में महिलाओं को जूझना पड़ता है वह है अस्थमा (एक दीर्घकालीन बीमारी)....


::/introtext::
::fulltext::

कई गर्भवती महिलाएं (ख़ास तौर पर जो अपने पहले या तीसरी तिमाही में होती है) अकसर इस बात की शिकायत करती हैं कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। सांस से जुड़ी सबसे आम समस्या जिससे गर्भावस्था में महिलाओं को जूझना पड़ता है वह है अस्थमा (एक दीर्घकालीन बीमारी)। यह फेफड़े का रोग ऐसी कई औरतों को प्रभावित करता है जिन्हें पहले कभी अस्थमा की शिकायत ही नहीं हुई। आज इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और इस बीमारी से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारी भी आपको देंगे।

 
संकेत और लक्षण

संकेत और लक्षण

गर्भावस्था में होने वाला अस्थमा सामान्य अस्थमा की ही तरह होता है जिसमें महिलाओं को सीने में जकड़न के साथ साथ सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इसके कारण गर्भवती स्त्री को आम दिनों की तुलना में जल्दी थकावट महसूस होने लगती है।

कुछ मामलों में यह गंभीर रूप ले लेता है और गर्भवती महिला सांस की तकलीफ के साथ साथ बुरी तरह से खांसने भी लगती है। यदि आपका अस्थमा का इतिहास है और आप सामान्य से ज़्यादा इनहेलर और दवाइयों का सेवन कर रही हैं तो बेहतर होगा इस बारे में आप अपने डॉक्टर को सही और पूरी जानकारी दें।

गर्भावस्था में अस्थमा का कारण
 

गर्भावस्था में अस्थमा का कारण

प्रेगनेंसी के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। चिकित्सकों ने इस बात की पुष्टि की है कि साइनस और बंद नाक में एस्ट्रोजन एक अहम भूमिका निभाता है। ठीक इसी प्रकार सांस लेने में तकलीफ और सांस फूलना प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण होता है।

गर्भावस्था में अस्थमा से होने वाले शिशु पर प्रभाव

गर्भावस्था में अस्थमा से होने वाले शिशु पर प्रभाव

जी हां, गर्भावस्था के दौरान अस्थमा का प्रभाव होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। अस्थमा का सीधा प्रभाव माँ के ब्लड प्रेशर पर पड़ता है जिसके कारण न सिर्फ हाइपरटेंशन होता है बल्कि प्रीक्लेम्पसिया का भी खतरा होता है। प्रीक्लेम्पसिया वह स्थिति होती है जो होने वाले बच्चे के लिए बेहद हानिकारक होती है। इसके अलावा अस्थमा गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस को और भी कठिन बना देती है जिसके कारण अपरिपक्व प्रसूति का डर बना रहता है।

साथ ही बच्चे को कई अन्य तरह की बीमारियों का भय रहता है जैसे निओनेटल हाइपोक्सिया, बच्चे का वज़न कम होना आदि।

उपचार
 

उपचार

आमतौर पर अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए गर्भावस्था में डॉक्टर्स दो तरह के उपचार बताते हैं पहला आपके डॉक्टर आपको कुछ निवारक दवाइयां देंगे ताकि अस्थमा के अटैक को रोका जा सके। दूसरी ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर बचाव के लिए कुछ दवा दे सकते हैं।

इसके साथ ही डॉक्टर आपको यह भी बताएंगे कि किस तरह आप अस्थमा के अटैक के बाद अपने होने वाले बच्चे की गतिविधि पर नज़र रख सकते हैं। अगर आपको कुछ भी अलग महसूस हो तो ऐसे में फ़ौरन अपने डॉक्टर से सलाह लेना ही आपके लिए बेहतर होगा।

 
क्या प्रेगनेंसी में अस्थमा की दवाइयां सुरक्षित होती है?

क्या प्रेगनेंसी में अस्थमा की दवाइयां सुरक्षित होती है?

जैसा कि हम सब जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान सभी दवाइयां सुरक्षित नहीं होती है इसलिए प्रेगनेंट महिला को सिर्फ उन्हीं दवाइयों का सेवन करना चाहिए जो उनके और बच्चे के लिए एकदम सुरक्षित हो और जिन्हें डॉक्टर खुद जांच के बाद आपको दी हो।

ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स कई बार बचाव के लिए इनहेलर का इस्तेमाल करने की भी सलाह देते हैं। कई महिलाएं एल्ब्युटेरोल नेब्युलाइज़र का भी प्रयोग करती हैं। हालांकि इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन फिर भी यह होने वाले बच्चे के लिए कई बार हानिकारक हो सकता है क्योंकि इससे होने वाले शिशु के हार्ट रेट बढ़ने का खतरा हो सकता है इसलिए किसी भी परिस्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लेकर और सही जानकारी प्राप्त करके ही दवाइयों का चयन करना चाहिए।

::/fulltext::
RO No 13047/3
RO no 13028/3

 Divya Chhattisgarh

 

City Office :-  Infront of Raj Talkies, Block - B1, 2nd Floor,

                              Bombey Market, GE Road, Raipur 492001

Address     :-  Block - 03/40 Shankar Nagar, Sarhad colony, Raipur { C.G.} 492007

Contact      :- +91 90099-91052, +91 79873-54738

Email          :- Divyachhattisgarh@gmail.com

Visit Counter

Total826285

Visitor Info

  • IP: 52.14.26.141
  • Browser: Unknown
  • Browser Version:
  • Operating System: Unknown

Who Is Online

2
Online

2024-12-23