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साल 2010 में पर्यावरणविद माधव गाडगिल ने केरल में भयानक बाढ़ की भविष्यवाणी कर दी थी, जो आखिरकार सच साबित हुई.
नई दिल्ली। केरल में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी पटरी से उतर गई है। वहीं, करीब 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्र केंद्र सरकार ने इसे गंभीर आपदा घोषित कर दिया। यह प्राकृतिक आपदा केरल में कहर बनकर टूटी है। मगर, कुछ ऐसे भी कारण हैं, जिन्होंने जान-माल के नुकसान को बढ़ा दिया। जानते हैं किन वजहों से यह आपदा इतनी भयानक हो गई।
केरल में ही फंस गए बादल
देश में सालाना औसतन 118 सेंटीमीटर बारिश होती है, जबकि केरल में यह औसत 292 सेंटीमीटर है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मानसूनी हवाएं जून के शुरू में केरल से देश में प्रवेश करती हैं। ये हवाएं केरल में हल्की-फुल्की या सामान्य बारिश करके आगे बढ़ जाती हैं। इतने भर से केरल का बारिश का कोटा पूरा हो जाता है। वहीं, इस बार बंगाल और आसपास कम दबाव का क्षेत्र बनने से मानसूनी हवा आगे बढ़ने की बजाय केरल में रुकी रही। इसलिए मॉनसून सीजन में 42 फीसद ज्यादा बारिश हुई। इस स्थिति को समुद्र में उठे ज्वार भाटे ने और बिगाड़ दिया। कर्नाटक और केरल के समुद्र तटों पर यह स्थिति लगातार बनी हुई है।
इंसानी दखल हुआ ऐसे
अब इंसानी वजहों की बात करें, तो इस आपदा को बढ़ाने में इंसानी हस्तक्षेप भी काफी हद तक जिम्मेदार है। राज्यों में पत्थरों की खुदाई को लेकर कई बार विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की थी। दरअसल, इसकी वजह से पहाड़ी और वन कमजोर हो रहे थे। मगर, राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसे देखते हुए साल 2010 में पर्यावरणविद माधव गाडगिल ने केरल में भयानक बाढ़ की भविष्यवाणी कर दी थी, जो आखिरकार सच साबित हुई।
खनन से हुआ भू-स्खलन
साल 2010 में पर्यावरण मंत्रालय ने गाडगिल कमेटी का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु को इकोलॉजिकल सेंसिटिव घोषित करने की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट में खनन से जुड़े प्रोजेक्ट्स को अनिश्चित काल के लिए मंजूरी नहीं दी जाने की बात कही गई थी। मगर, लगातार खनन जारी रहने की वजह से भूस्खलन जैसे हालात बने।
बांधों को पहले नहीं खोला
दूसरी वजह यह है कि केरल में छोटी-बड़ी 41 नदियों पर 80 बांध हैं, जिनमें 36 बड़े हैं। यहां ज्यादा बिजली बनाने के लिए बांधों में तब तक पानी भरने दिया गया, जब तक वे ओवरफ्लो नहीं हो गए। जब खतरा बढ़ने लगा, तो पानी निकालने के लिए बांधों को एक-एक कर खोलने की बजाय एक साथ खोल दिया गया। अचानक निकले पानी ने पूरे राज्य में तबाही मचा दी।
नदियों की दिशा बदली, फिर नहीं कर पाए नियंत्रण
तीसरा कारण, सरकार ने एयरपोर्ट और सोसाइटी बनाने के लिए नदियों को तीन धाराओं में बांट दिया। सरकार को लग रहा था कि वह बारिश में बांध से पानी को रोक लेगी। मगर, ज्यादा बारिश की वजह से नदियों का रास्ता बदल गया। जिन नदियों को अरब सागर में गिरना था, वे राज्य में ही कई दूसरी धाराओं में बंटकर बहती रहीं। इससे नदियों ने भी वहां भारी तबाही मचाई।
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केरल में बाढ़ की विभीषिका ने राज्य के लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. बाढ़ का पानी तो कम होना शुरू हो गया है लेकिन उसके बाद की स्थिति को लेकर लोगों के बीच भय का माहौल बनता जा रहा है. बाढ़ और भूस्खलन के कारण आठ अगस्त के बाद से अभी तक राज्य में 370 लोगों की मौत हो गई है. बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही राज्य में कई प्रकार की बीमारियों के फैलने का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बाढ़ के बाद के हालात से निपटने के लिए डॉक्टरों की टीम बनाए जाने की बात कही है और इस बात का भरोसा भी दिलाया है कि स्वास्थ्य संबंधी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से सक्षम है. राज्य में फिलहाल राहत शिविरों में 13 लाख लोग रह रहे हैं. उन लोगों के सामने अनिश्चय की स्थिति है और उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है. उधर मौसम विभाग ने 16 राज्यों में गुरुवार और शु्क्रवार को भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है.
बाढ़ के बाद की स्थिति निश्चय रूप से भयावह है. बाढ़ में अपना सबकुछ गंवाने के बाद अपनी आंखों में आंसू लिए एक बुजुर्ग महिला ने संवाददाताओं से कहा कि, “सबकुछ खत्म हो गया है. हम बर्बाद हो गए हैं.” राज्य में कई घर अब भी जलमग्न हैं और जो नहीं हैं उनमें कुछ न कुछ टूटा-फूटा और बिखरा हुआ पड़ा है. पंडालम के एक राहत शिविर में रह रही सबिता ने कहा कि घर के रूप में उसके पास एक छोटी सी झोपड़ी थी और बारिश के पानी में वह भी बर्बाद हो गयी. उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे के साथ सोई थी, उसी दौरान कीचड़ भरा पानी मेरे घर में घुस आया. मैं अपने बच्चे को लेकर जल्दी से वहां से निकली.” चेल्लमा (75) ओणम की तैयारी में लगी थी और उसी समय यह विभीषिका आ गयी. उन्होंने कहा, “मैंने ओणम के लिए चावल, नारियल और कुछ और चीजें खरीद ली थीं. कुछ भी नहीं बचा.”
इस बीच बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिए कई राज्यों से मदद पहुंच रही है. कई संगठन आर्थिक रूप से और लोगों के खाने-पीने, दवा और कपड़े से मदद कर रहे हैं. कई दूसरे देशों से मदद की पेशकश की गई है. भारत सरकार ने केरल में बाढ़ पीड़ितों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) समेत विदेशों से मिलने वाली मदद को लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में पहली बार भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से किसी भी तरह की विदेशी मदद लेने से इनकार किया है.
सरकार ने पहले से ही चली आ रही उस नीति पर चलने का फ़ैसला किया है जिसके तहत आपदा के वक्त विदेशी सरकार से मदद नहीं ली जाएगी. भारत सरकार ने इसके लिए मदद की पेशकश करने वाले सभी देशों का आभार व्यक्त किया. हालांकि भारत द्वारा विदेशी सहायता स्वीकार करने से मना कर देने पर राज्य के राजनीतिक दलों के नेता नाखुश हैं और उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे. प्रदेश में सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र के रुख पर नाराजगी जाहिर की है. पूर्व रक्षामंत्री ए.के. एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए. प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका में मरने वालों की संख्या करीब 370 हो चुकी है और 3,000 से अधिक राहत शिविरों में 13 लाख से ज्यादा लोग ठहरे हुए हैं.
उधर देश के दूसरे राज्यों में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है. मौसम विभाग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित 16 राज्यों के कुछ इलाकों में गुरुवार और शुक्रवार को तेज बारिश की चेतावनी जारी की है. विभाग द्वारा 26 अगस्त तक के लिये जारी बारिश संबंधी पूर्वानुमान के मुताबिक, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के कुछ इलाकों में गुरुवार को तेज बारिश की आशंका व्यक्त की गयी है. विभाग ने शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के कुछ इलाकों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की है. इस दिन उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, असम और मेघालय के कुछ इलाकों में तेज बारिश की चेतावनी जारी की गयी है.