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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत देशभर में 25 लाख नए एलपीजी कनेक्शन स्वीकृत
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से उज्ज्वल होगा प्रदेश की बहनों का भविष्य - मुख्यमंत्री श्री साय
छत्तीसगढ़ में “सुशासन तिहार” और “नियद नेल्ला नार योजना” के अंतर्गत 1.59 लाख माताओं-बहनों को मिलेगा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ
रायपुर-भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत देशभर में 25 लाख नए एलपीजी कनेक्शन स्वीकृत किए गए हैं। इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ में “सुशासन तिहार” और “नियद नेल्ला नार योजना” के अंतर्गत 1.59 लाख पात्र माताओं-बहनों को उज्ज्वला योजना का लाभ प्राप्त होगा।यह निर्णय छत्तीसगढ़ की लाखों माताओं-बहनों के जीवन में स्वच्छ ऊर्जा और स्वास्थ्य का उजाला लेकर आएगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में जो उजाला फैलाया है, वह आने वाले वर्षों में पूरे समाज के विकास का आधार बनेगा।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की मातृशक्ति हमेशा से परिवार और समाज की धुरी रही है। उज्ज्वला योजना के माध्यम से उन्हें वह सम्मान मिला है जिसकी वे हकदार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्रत्येक पात्र बहन तक इस योजना का लाभ पहुँचाने के लिए कटिबद्ध है। भारत सरकार के इस निर्णय से छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जीवन की गुणवत्ता में बड़ा सुधार होगा। ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों की महिलाएं अब प्रदूषण रहित वातावरण में जीवन जी सकेंगी।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में लगभग 28 लाख महिलाएं प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ प्राप्त कर रही हैं।
जनभागीदारी से जल संचयन कर सुरक्षित होगा हमारा भविष्य : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
‘सुजलाम भारत’ के तहत जल संरक्षण एवं जल संवर्धन विषय पर आयोजित कार्यशाला में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री साय
रायपुर-“जल है तो कल है, और जल से ही कल संवरेगा। जल संरक्षण के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा, तभी हम अपने भविष्य को सुरक्षित रख पाएंगे।”
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने ‘सुजलाम भारत’ के अंतर्गत राजधानी रायपुर स्थित ओमाया गार्डन में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने जल कलश पर जल अर्पित कर जल संचयन का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनेक अवसरों पर जल संकट को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। जल संरक्षण के प्रति जनमानस में जागरूकता की कमी इस संकट को और गहरा कर सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में लोग अपने-अपने ढंग से जल संचयन के लिए प्रयास कर रहे हैं, और ऐसे मंचों के माध्यम से सभी अपने अनुभव साझा कर पाएंगे, जो अंततः नीति निर्माण में भी निर्णायक सिद्ध होंगे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने राजनांदगांव प्रवास का उल्लेख करते हुए बताया कि एक महिला सरपंच ने स्वप्रेरणा से सूख चुके हैंडपंपों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना केंद्र सरकार द्वारा भी की गई और इस पुनीत पहल को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे उदाहरण हमें प्रेरित करते हैं। हम सभी को मिलकर जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का स्वरूप देना होगा, ताकि हमारा भविष्य सुरक्षित रह सके। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी से प्राप्त होने वाले सुझाव और इनपुट आगामी कार्ययोजनाओं के निर्माण में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने केलो नदी का जल अर्पित कर धरती को सिंचित करने का दिया संदेश
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पृथ्वी के प्रतीक स्वरूप स्थापित कलश में केलो नदी का पवित्र जल अर्पित किया और जल संरक्षण एवं संचयन का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “जल ही जीवन है” और हमारी पावन नदियाँ धरती को सींचकर जीवनदायिनी बनाती हैं। इन्हीं नदियों से हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व की पहचान जुड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की नदियाँ — महानदी, इंद्रावती, शिवनाथ, केलो और अन्य — प्रदेश की जीवनरेखाएँ हैं। ये नदियाँ न केवल धरती को उर्वर बनाती हैं, बल्कि कृषि, उद्योग और जीवन के हर क्षेत्र को संजीवनी प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी रूपी कलश में केलो नदी का जल अर्पण इस बात का प्रतीक है कि हमें जल की हर बूंद का सम्मान करना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सहेजकर रखना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और नागरिकों से आह्वान किया कि वे जल संरक्षण के इस संकल्प को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, ताकि छत्तीसगढ़ की धरती सदैव हरियाली और समृद्धि से लहलहाती रहे।
जल संसाधन विभाग के सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम की संकल्पना की गई है। विभिन्न विभागों को एक-एक थीम पर संगोष्ठी आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जल संचयन विषय पर इस संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज लगभग 300 से अधिक लोगों ने, जो जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं, अपना पंजीयन कराया है। जल संरक्षण को सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। पिछले एक वर्ष में जिलों के कलेक्टरों और संबंधित विभागों ने जल संचयन में उल्लेखनीय योगदान दिया है। अब तक साढ़े तीन लाख संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप भू-जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
कार्यक्रम में पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित थे।
नारायणपुर-अबूझमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ेगा नेशनल हाईवे 130-डी
कुतुल से नीलांगुर महाराष्ट्र बॉर्डर तक एनएच-130-डी का होगा निर्माण
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए सरकार सतत प्रयासरत – मुख्यमंत्री श्री साय
रायपुर-बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी के निर्माण को नई गति मिली है। छत्तीसगढ़ शासन ने कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सड़क के निर्माण के लिए न्यूनतम टेंडर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूरी करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग मंत्रालय द्वारा प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को दिए गए हैं। कुल तीन खंडों में निर्मित होने वाले 21.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण हेतु लगभग 152 करोड़ रुपए न्यूनतम टेंडर दर प्राप्त हुई है, जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह उल्लेखनीय है कि कुतुल, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित है और कुतुल से महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नीलांगुर की दूरी 21.5 किलोमीटर है। यह नेशनल हाईवे 130-डी का हिस्सा है। इस सड़क का निर्माण टू-लेन पेव्ड शोल्डर सहित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनएच-130डी राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है। यह एनएच-30 का शाखा मार्ग (स्पर रूट) है। यह कोण्डागांव से शुरू होकर नारायणपुर, कुतुल होते हुए नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक जाता है। आगे महाराष्ट्र में यह बिंगुंडा, लहरे, धोदराज, भमरगढ़, हेमा, लकासा होते हुए आलापल्ली तक पहुँचता है, जहाँ यह एनएच-353डी से जुड़ जाता है। इस मार्ग के विकसित होने से बस्तर क्षेत्र सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ जाएगा और व्यापार, पर्यटन एवं सुरक्षा को बड़ी मजबूती प्राप्त होगी।
नेशनल हाईवे 130-डी का कोण्डागांव से नारायणपुर तक का लगभग 50 किमी हिस्सा निर्माणाधीन है। नारायणपुर से कुतुल की दूरी 50 किमी है और वहाँ से महाराष्ट्र सीमा स्थित नीलांगुर तक 21.5 किमी की दूरी है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 195 किमी है, जिसमें से लगभग 122 किमी का हिस्सा कोण्डागांव-नारायणपुर से कुतुल होते हुए नीलांगुर तक छत्तीसगढ़ राज्य में आता है। इस सड़क के बन जाने से बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से सीधा और मजबूत सड़क संपर्क मिलेगा तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित एवं सुगम यातायात सुविधा सुलभ हो सकेगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सहयोग से इस नेशनल हाईवे के अबूझमाड़ इलाके में स्थित हिस्से के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस और निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण का रास्ता खुल गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी केवल सड़क नहीं बल्कि बस्तर अंचल की प्रगति का मार्ग है। हमारी सरकार ने इस परियोजना को तेजी देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस सड़क से बस्तर के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। यह सड़क न केवल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को जोड़ेगी, बल्कि बस्तर अंचल के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
आत्मसमर्पित माओवादियों ने थामी तरक्की की डोर
बीजापुर के 32 पूर्व माओवादियों ने सीखा कुक्कुटपालन और बकरीपालन का गुर
समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शासन की अभिनव पुनर्वास नीति से मिल रहा लाभ
रायपुर-माओवाद का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटे बीजापुर जिले के 32 आत्मसमर्पित माओवादियों ने अब विकास और स्वरोजगार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। इन सभी ने जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में एक महीने का कुक्कुटपालन और बकरीपालन का विशेष प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से पूर्व नक्सलियों ने न केवल पशुपालन के वैज्ञानिक तरीके सीखे, बल्कि एक सफल उद्यमी बनने की बारीकियों को भी जाना। एक माह की गहन ट्रेनिंग में आत्मसमर्पित माओवादियों को कुक्कुटपालन और बकरीपालन से संबंधित हर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। यहां उन्होंने उन्नत नस्लों का चयन, चारा प्रबंधन और संतुलित आहार की जानकारी, टीकाकरण, रोगों की पहचान और उपचार के तरीके के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, ऋण प्राप्त करने और अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की रणनीति के संबंध में प्रशिक्षण लिया।
प्रशिक्षण लेने वाले एक आत्मसमर्पित माओवादी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जंगल में जीवन बहुत मुश्किल और खाली था। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर आत्मसमर्पित माओवादियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जो पुनर्वास नीति बनाई गई है, वह एक अभिनव प्रयास है। जिससे अब हम अपने हाथों से काम करके परिवार के लिए एक स्थिर और सम्मानजनक जीवन-यापन कर सकते हैं। सरकार के इस कदम से हमें बहुत हिम्मत मिली है।