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बस्तरिया रंग में रंगे दिखे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
टेकऑफ़ से पहले हल्बी, पहुंचने पर गोंडी में किया ट्वीट
बस्तर की समृद्ध लोकसंस्कृति और परंपरा के प्रति दिखा जुड़ाव
रायपुर- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल हुए| यहां उन्होंने बस्तर के विकास एवं विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की एवं जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी मांगे| इस दौरन प्राधिकरण की बैठक एवं बस्तर आने को लेकर मुख्यमंत्री श्री साय का बस्तर के प्रति जुड़ाव विशेष रूप से देखने को मिला, मुख्यमंत्री ने बस्तर के लिए टेकऑफ़ से पहले हल्बी और पहुंचने पर गोंडी में ट्वीट किया| इसके बाद एक के बाद एक ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री श्री साय का बस्तर की लोक संस्कृति, यहां के लोगों, उनकी परंपराओं और यहां के मनोरम पर्यटन के प्रति प्रेम दिखा|
मुख्यमंत्री ने टेकऑफ़ से पहले हल्बी बोली में ट्वीट कर बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने की जानकारी देते हुए इसे क्षेत्र के विकास को नई दिशा देने वाला बताया| बैठक में शामिल होते हुए उन्होंने गोंडी में ट्वीट किया, इस ट्वीट के साथ मुख्यमंत्री स्वयं भी गौर सिंग मुकुट पहनकर मांदर पर थाप देते नजर आए| उन्होंने अपनी फोटो पोस्ट कर लिखा कि – बस्तर आकर मांदर की थाप पर गौर नृत्य का आनंद लिया, बस्तर आकर यहां की संस्कृति का हिस्सा बनना कमाल का अनुभव है| गौरतलब है कि यह पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री बस्तर गये हों और वहां की क्षेत्रीय बोली के जरिए अपनी बात सार्वजानिक रूप से लोगों तक पहुंचाई हो|
प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने चित्रकोट पहुंचने पर मुख्यमंत्री का स्वागत बस्तरिया अंदाज में हुआ, श्री साय स्वयं भी बस्तरिया रंग में रंगे दिखे, उनके स्वागत में बस्तरिया लोक नर्तक दलों ने लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी| मुख्यमंत्री ने चित्रकोट जलप्रपात के पास खड़े होकर एक फोटो भी पोस्ट की, जिसके जरिए उन्होंने बस्तर के पर्यटन के प्रति अपनी विशेष रूचि जाहिर की|
विश्व पर्यटन मानचित्र में बस्तर के धुड़मारास गांव ने बनाई अपनी जगह
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित हुआ ग्राम धुड़मारास
साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध बस्तर के धुड़मारास गांव की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई स्थापित
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दी बधाई
रायपुर- छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के छोटे से गांव धुड़मारास ने देश और दुनिया में अपनी अनोखी पहचान बनाई है। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यटन ग्राम उन्नयन कार्यक्रम के लिए 60 देशों से चयनित 20 गांवों में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के धुड़मारास ने भी अपनी जगह बनाई है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि के लिए पर्यटन विभाग की टीम के साथ ही बस्तर जिला प्रशासन तथा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि धुड़मारास की सफलता का मुख्य श्रेय यहां के स्थानीय निवासियों को जाता है, जिन्होंने अपने पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों को संरक्षित रखते हुए इसे आकर्षक पर्यटक स्थल में बदल दिया है। धुड़मारास प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। बस्तर के अदभुत आदिवासी जीवनशैली, पारम्परिक व्यंजन, हरियाली और जैव विविधता से समृद्ध यह गांव पर्यटकों के लिए एक आकर्षक ही नहीं बल्कि रोमांचक स्थल है।
धुड़मारास गांव दुनिया भर के उन 20 गांवों में से एक है जिसे सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चुना गया है। धुड़मारास को इसकी अनूठी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संुदरता और सतत पर्यटन विकास की क्षमता के कारण चुना गया है। उन्नयन कार्यक्रम में शामिल होने से गांव को उन संसाधनों तक पहंुंच प्राप्त होगी जो इसके पर्यटन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, सांस्कृतिक संपत्तियों को बढ़ावा देने और ग्रामवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार में मदद करेंगे। विश्व स्तर पर पर्यटन गांव के रूप में इस गांव की पहचान स्थापित होने का तात्पर्य यह भी है कि लंबे समय के बाद बस्तर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। उल्लेखनीय है कि धुड़मारास तथा बस्तर के ही चित्रकोट गांव को इस वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार मिला था।
प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है। गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है। बस्तर के लोग मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, ठहरने की सुविधा उपलब्ध करवाने से उन्हें रोजगार मिल रहा है। गांव के युवा पर्यटकों को आसपास के क्षेत्रों की सैर कराते हैं। स्थानीय खानपान के अंतर्गत पर्यटकों को बस्तर के पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार बस्तर में पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए ट्रैकिंग ट्रेल और कैंपिंग साइट विकसित करने सहित होम-स्टे की सुलभता हेतु पहल कर रही है। साथ ही स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को प्रोत्साहन दे रही है, जिससे ईलाके के रहवासी ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार की उपलब्धता होने के साथ आय संवृद्धि हो सके। राज्य सरकार पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु क्षेत्र में सड़कों और परिवहन सुविधाओं का विकास पर भी ध्यान दे रही है। बस्तर के पर्यटन स्थलों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में देश के पर्यटकों सहित अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए व्यापक प्रचार- प्रसार किया जा रहा है। वहीं स्थानीय हस्तशिल्प और कला को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं पर्यटन विभाग ने धुड़मारास को ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब जिले के नागलसर और नेतानार में भी स्थानीय युवाओं की ईको पर्यटन विकास समिति द्वारा गांव में बहने वाली शबरी एवं कांगेर नदी में कयाकिंग एवं बम्बू राफ्टिंग की सुविधा पर्यटकों को मुहैया कराई जा रही है। साथ ही स्थानीय व्यंजन से पर्यटकों को बस्तर के पारम्परिक खान-पान का स्वाद मिल रहा है।
गांव के युवाओं की ईको पर्यटन विकास समिति कांगेर नदी में कयाकिंग और बम्बू राफ्टिंग की सुविधाएं पर्यटकों को उपलब्ध करवाती है, जिससे इस समिति को अच्छी आमदनी हो रही है। यह पर्यटन समिति अब अपनी आय से गांव में पर्यटकों के लिए प्रतीक्षालय और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रहे हैं।
बेस्ट टूरिज्म विलेज धुड़मारास की कहानी यह साबित करती है कि जब सामुदायिक भागीदारी और शासन का सहयोग मिलता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक और सांस्कृतिक विकास संभव है। यह गांव अब बस्तर के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन गया है। यही वजह है कि कांगेर घाटी नेशनल पार्क के नागलसर और नेतानार में भी ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिल रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर बैगा, गुनिया, सिरहा को दी सम्मान निधि की सौगात
जनजातीय गांवों में धार्मिक व मांगलिक कार्य के लिए अखरा निर्माण विकास की योजना होगी शुरू
जनजातीय समुदाय के शहीदों की चिन्हित स्थलों पर लगेंगी प्रतिमाएं
जनजातीय विद्रोह के शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजन हुए सम्मानित
रायपुर 15 नवम्बर 2024/मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने साइंस कॉलेज मैदान में राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय समाज का इतिहास बहुत समृद्ध और गौरवशाली है। पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समुदाय के मान, सम्मान और गौरव को बढ़ाने का काम किया है। श्री अटल जी ने जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए पृथक से मंत्रालय बनाया और इस समुदाय के विकास को एक नई दिशा दी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत 24,000 करोड़ रूपए और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए 80,000 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया है, जिसके चलते जनजातीय इलाकों में तेजी से बुनियादी सुविधाओं का विकास और जनजातियों की बेहतरी के काम हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती वर्ष समारोह के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बैगा, गुनिया, सिरहा लोगों के लिए मुख्यमंत्री सम्मान निधि दिए जाने की घोषणा की। इसके तहत उन्हें प्रति वर्ष 5 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने जनजातीय गांवों में धार्मिक एवं मांगलिक कार्य के लिए अखरा निर्माण विकास योजना शुरू करने और जनजातीय समुदाय के शहीदों की प्रतिमाएं चिन्हित स्थलों पर स्थापित किए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने समारोह में जनजातीय समुदाय के विभूतियों, राज्य में हुए जनजातीय विद्रोह के शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया। उन्होंने जनजातीय चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर वन अधिकार अधिनियम से संबंधित ‘‘एटलस‘‘, कैलेण्डर ‘‘शौर्यांजलि‘‘ तथा ‘‘हल्बा जनजातीय की वाचिक परंपराएं‘‘ विषय पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया। इनका प्रकाशन छत्तीसगढ़ आदिम जाति विकास विभाग द्वारा किया गया है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्यसभा सांसद श्री अरूण सिंह ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में सभी वर्गाें के उत्थान और कल्याण के लिए किए जा रहे कार्याें की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की लोकप्रियता और विनम्रता की सराहना पूरे देश में होती है। उन्होंने कहा कि रायपुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस एवं अंतर्राज्यीय नृत्य महोत्सव समारोह में आकर ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘‘ का दर्शन हुआ है। राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के इस विशेष आयोजन के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को बधाई दी। उन्होंने इस मौके पर जनजातीय समुदाय के महापुरूषों को नमन करते हुए कहा कि वही देश और समाज जागृत रहता है, जो अपनी संस्कृति और अपने महापुरूषों को याद रखता है।
आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए चिंता की है। उन्होंने इस समुदाय के विकास के लिए कई योजनाएं संचालित की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से छत्तीसगढ़ के साढे छह हजार गांवों और ग्रामीणों का समग्र विकास होगा। उन्होंने कहा कि पीएम जनमन योजना के माध्यम से जनजातीय समुदाय के लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित दो दिवसीय जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम, राज्यसभा सांसद श्री अरूण सिंह, विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में उपस्थित जनसमुदाय ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन को न सिर्फ सुना, बल्कि वर्चुअल रूप से उसका हिस्सा भी बना।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती के अवसर पर देश के दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी सुविधाओं के विकास एवं विस्तार वाली 6600 करोड़ की लागत वाली कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने देश के जनजातीय इलाकों और जनजाति समुदाय के कल्याण के लिए पांच गुना बजट खर्च कर रहे हैं। दस साल पहले इसका बजट मात्र 25,000 करोड़ रूपए हुआ करता था, जो अब बढ़कर 1,25,000 करोड़ रूपए हो गया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज बिहार के जमुई में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती वर्ष के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। जमुई में आयोजित इस कार्यक्रम का लाईव प्रसारण पूरे देश में हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमने इतिहास के एक बहुत बड़े अन्याय को दूर करने का एक ईमानदार प्रयास किया है। इतिहास में आदिवासी समाज के लोगों को वह स्थान नहीं मिला, जिसके वह अधिकारी थे। आदिवासी समाज वो है, जिसने राजकुमार को मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम बना दिया। इस समाज ने देश की संस्कृति और परंपरा का मान बढ़ाया है। आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेजों से लोहा लिया है। अपनी अस्मिता, संस्कृति, और स्वाधीनता के लिए जनजातीय समुदाय के हजारों नायकों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। देश की आजादी की लड़ाई में हजारों आदिवासी भाइयो-बहनों को मौत के घाट उतार दिया गया था, उनके योगदानों को हम नहीं भुला सकते। हमने जनजातीय समुदाय के गौरव को बढ़ाने का काम किया है। पीएम जनमन के तहत जितने कार्य शुरू हुए हैं, उसका श्रेय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी को जाता है। जब वह झारखण्ड में थी, तब मुझसे अति पिछड़ी जनजातियों की चर्चा करती थी। हमने 24 हजार करोड़ रूपए से पीएम जनमन योजना की शुरुआत की, जिससे अति पिछड़ी जनजातियों के बस्तियों और गांवों का विकास हो रहा है। जनजातीय बाहुल्य जिलों को आकांक्षी जिला घोषित कर वहां का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया, आज वहां बदलाव दिख रहा है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में देशवासियों को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली और गुरुनानक जी का प्रकाश पर्व भी है। आज भगवान बिरसा मुंडा की जयन्ती भी है, राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस भी है। आदिवासी समाज सूर्य, वायु और पेड़-पौधों, पहाड़-पर्वत को पूजने वाला समाज है। उन्होंने कहा कि जिलों में बिरसा मुंडा जनजातीय उपवन बनाए जायेंगे। हम मिलकर देश के आदिवासी समाज के विचारों को देश की प्रगति का आधार बनायेंगे। उनकी परंपरा और उनके आदर्शों को अपनाएंगे।
इस अवसर पर विधायक सर्वश्री मोती लाल साहू, श्री अनुज शर्मा, श्री पुरंदर मिश्रा, पूर्व मंत्री श्री महेश गागड़ा, पूर्व विधायक श्री उमेश कच्छप सहित अन्य जनप्रतिनिधि, जनजातीय समाज के पदाधिकारी, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा, आयुक्त श्री नरेन्द्र दुग्गा सहित अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में नागरिकण उपस्थित थे।
मध्यम वर्ग को संपत्ति रजिस्ट्री में बड़ी राहत
अब गाइड लाइन मूल्य पर ही लगेगा रजिस्ट्री शुल्क, वास्तविक मूल्य पर मिल सकेगा बैंक लोन
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने संपत्ति खरीदने वाले मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत दी है। अब किसी भी प्रापर्टी की खरीद-बिक्री में गाइड लाइन दर से सौदे की रकम अधिक होने पर भी रजिस्ट्री शुल्क गाइड लाइन दर के अनुसार ही लिया जाएगा। इससे बैंक लोन पर निर्भर मध्यम वर्गीय परिवार को वास्तविक मूल्य के आधार पर ऋण मिल सकेगा।
उल्लखेनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी की अध्यक्षता में पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले से विशेषकर उन नागरिकों को लाभ होगा, जो बैंक ऋण के माध्यम से संपत्ति खरीदते हैं। पूर्व में संपत्ति की खरीद-बिक्री में गाइड लाइन दर और सौदे की राशि में जो भी अधिक होता था, उस पर रजिस्ट्री शुल्क देना आवश्यक था। उदाहरण के लिए यदि किसी संपत्ति का गाइड लाइन मूल्य 6 लाख रुपये है और उसका सौदा 10 लाख में हुआ, तो रजिस्ट्री शुल्क 10 लाख पर 4 प्रतिशत के हिसाब से 40 हजार रुपये देना पड़ता था।
इस नियम में संशोधन के बाद संपत्ति खरीदने वाले अब सौदे की रकम गाइड लाइन दर से अधिक होने पर भी वास्तविक मूल्य को अंकित कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। 6 लाख रुपये की गाइड लाइन मूल्य वाली प्रॉपर्टी का सौदा 10 लाख में होता है, तो भी रजिस्ट्री शुल्क 6 लाख के 4 प्रतिशत के हिसाब से 24 हजार रुपये देय होगा। इस तरह 16 हजार रुपये की बचत होगी।
खास बात यह है कि इस संशोधन से मध्यम वर्गीय परिवारों को वास्तविक मूल्य के आधार पर अधिक बैंक ऋण प्राप्त करने में सहूलियत होगी। इसके अलावा इस निर्णय संपत्ति बाजार में पारदर्शिता व स्पष्टता को बढ़ाने में भी सहायक होगा और वास्तविक मूल्य दर्शाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।