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सऊदी अरब दुनिया की सबसे ऊंची इमारतें बनाने की योजना बना रहा है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, करीब $500 बिलियन की लागत से बनने वाली यह इमारतें जिस इलाके में बनाई जाएंगी वहां फिलहाल ना के बराबर रिहाइश है. NEOM प्रोजेक्ट के जानकारों के मुताबिक, यह सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमाान की योजना है. उनकी योजना है कि ऐसी 500 मीटर ऊंची इमारतें बनाएं जो कई मील दूर से दिखे. यह इमारत ऐसी होंगी जिसमें रहने की जगह होगी, रीटेल और ऑफिस के लिए जगह होगी साथ ही यह लाल सागर के तट पर रेगिस्तान में बनाई जाएगी. नाम ना बताने की शर्त पर यह जानकारी देने वाले लोगों ने बताया कि यह योजना पिछले साल घोषित की गई अंडरग्राउंड हाइपर स्पीड रेल प्रोजेक्ट से अलग है कॉन्सेप्ट है.
डिजाइनर्स को इस आधे मील की लंबी प्रोटोटाइप बनाने के बारे में निर्देश दे दिए गए हैं. फिलहाल पूर्व NEOM कर्मचारी ने कहा कि अगर यह पूरी स्पीड में काम होता है तो हर स्ट्रक्चर दुनिया की मौजूदा बड़ी इमारतों से अलग होगा. इनमें से अधिकतर फैक्ट्री और माल होंगे. ना कि रिहायशी इमारतें.
NEOM की घोषणा 2017 में की गई थी. मोहम्मद की योजना देश के एक दूर-दराज के इलाके को हाई-टेक सेमी-ऑटोनॉमस स्टेट में तब्दील करने की है जहां शहरी जीवन पर दोबारा विचार किया जा सके. यह सऊदी अरब में विदेश निवेश आकर्षित करने की उनकी योजना में से एक है जिससे सऊदी अरब को अपनी अर्थव्यवस्था को तेल की ब्रिक्री से हटाने में मदद मिलेगी. प्रिंस ने कहा था कि द लाइन (The Line), एक लाइन का कार-रहित शहर NEOM की रीढ़ की हड्डी की तरह दिखेगा. इसे बनाने में करीब $200 बिलियन की लागत आ सकती है. हालांकि यह बड़ी इमारतों को बनाने के पहले का प्लान था.
मास्को: एक रूसी खुफिया अधिकारी ने दावा किया है कि 'तेजी से बढ़ रहे कैंसर' की वजह से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास जीने के लिए तीन साल का समय बचा है. रसियन फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) के एक अधिकारी ने बताया है कि 69 वर्षीय पुतिन की आंखों की रोशनी भी खत्म हो रही है. यह जानकारी उन अटकलों के बीच आया है जब पुतिन का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है.
हालांकि, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने राष्ट्रपति पुतिन के बीमार होने की अटकलों का खंडन करते हुए कहा है कि किसी बीमारी की ओर इशारा करने वाले कोई संकेत नहीं है. इंडिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एफएसबी अधिकारी ने ब्रिटेन में रहने वाले पूर्व रूसी जासूस बोरिस कार्पिचकोव को एक संदेश में पुतिन के स्वास्थ्य के बारे में नई जानकारी दी है.
उन्होंने कहा, "हमें बताया गया है कि वह सिरदर्द से पीड़ित हैं और जब वह टीवी पर दिखाई देते हैं तो उन्हें कागज पर लिखे गए बड़े अक्षरों की जरूरत होती है, ताकि वह पढ़ सकें कि वह क्या कहने जा रहे हैं. वे शब्द इतने बड़े हैं कि सभी पेज पर केवल कुछ वाक्य ही होते हैं. द्वारा जारी संदेश के एक हिस्से के अनुसार, "उनकी आंखें गंभीर रूप से बिगड़ रही है."
मेट्रो और एक्सप्रेस ने आगे बताया कि पुतिन के अंग "अब भी अनियंत्रित रूप से कांप रहे हैं." मई महीने की शुरुआत में, एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था कि पुतिन ने अपने पेट के लिए एक सर्जरी करवाई थी. रूस की विदेशी खुफिया सेवा से जुड़े टेलीग्राम चैनल जनरल एसवीआर को ये जानकारी दी है.
हालांकि, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूसी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य के बारे में अटकलों का खंडन किया है. रूस के शीर्ष राजनयिक ने फ्रांस के प्रसारक TF1 के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि समझदार लोग पुतिन में किसी तरह की बीमारी या बीमारी के लक्षण देख सकते हैं." उन्होंने कहा कि अक्टूबर में वो 70 वर्ष के हो जाएंगे और अभी हर दिन सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं. विदेश मंत्री ने कहा, "आप उन्हें स्क्रीन पर देख सकते हैं, उनके भाषण पढ़ और सुन सकते हैं."
रूस में दो दशक से भी अधिक समय से सत्ता में बने व्लादिमीर पुतिन ने इसी साल 24 फरवरी को यूक्रेन में सेना भेजी, जिसने दुनिया भर को हैरान कर दिया. रूस के हमले में हजारों लोगों की मौत हो गई. वहीं लाखों लोगों ने दूसरे देशों में शरण ली, इससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हुआ. जिसके बाद पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए.
कोलंबो: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद उनके आधिकारिक आवास पर भीड़ ने हमला किया. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर हमला किया और मुख्य द्वार को तोड़ दिया. इतना ही नहीं प्रवेश द्वार पर आग लगा दी. वहीं प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. श्रीलंका में हालात बेहद ही खराब होते जा रहे हैं.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
प्रधानमंत्री महिंदा ने अपने त्याग पत्र में कहा कि वे सर्वदलीय अंतरिम सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पद छोड़ रहे हैं. उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, ‘‘मैं (आपको) सूचित करना चाहता हूं कि मैंने तत्काल प्रभाव से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. ये छह मई को हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में आपके अनुरोध के अनुरूप है, जिसमें आपने कहा था कि आप एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाना चाहते हैं.''
प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफे के साथ ही श्रीलंका में हिंसा भड़क गई है. दंगाइयों ने श्रीलंका के पूर्व पीएम महिंद्रा राजपक्षे के पैतृक घर में आग लगा. भीड़ ने पैतृक गांव मेदा मुलाना में विवादास्पद राजपक्षे संग्रहालय पर हमला किया और उसे धराशायी कर दिया. राजपक्षे के माता-पिता की दो मोम की मूर्तियों को भी नष्ट कर दिया गया.
पुलिस ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के हंबनटोटा निर्वाचन क्षेत्र में सोमवार शाम उनके घर पर भी हमला किया गया.
गुस्साई भीड़ ने पुत्तलम जिले में सत्ताधारी दल के विधायक सनथ निशांत के घर पर भी धावा बोल दिया और उनकी संपत्ति, वाहनों में आग लगा दी.
राजपक्षे विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ संघर्ष में घायल हुए सरकारी समर्थकों को बचाने के लिए मुख्य कोलंबो राष्ट्रीय अस्पताल के डॉक्टरों ने हस्तक्षेप किया. एक डॉक्टर ने आपातकालीन इकाई के प्रवेश द्वार को अवरुद्ध करने वाली भीड़ से कहा कि वे हत्यारे हो सकते हैं, लेकिन हमारे लिए वे मरीज हैं जिनका पहले इलाज किया जाना चाहिए.
घायल सरकारी समर्थकों को लाने के लिए सैनिकों को जबरन फाटक खोलने और अस्पताल में प्रवेश करने के लिए ताले तोड़ने पड़े.
राजपक्षे समर्थकों द्वारा दिन में कोलंबो जाने के लिए इस्तेमाल की गई दर्जनों बसों को आग के हवाले कर दिया गया या क्षतिग्रस्त कर दिया गया. महारागामा के उपनगर में, एक भीड़ ने सरकार समर्थक समूह के एक नेता को बस से बाहर कर दिया और कचरे की गाड़ी में फेंक दिया. जबकि वाहन को बुलडोजर से टक्कर मार दी.
पुलिस ने कहा कि भीड़ ने राजधानी छोड़ने वाले सरकारी समर्थकों को निशाना बनाने के लिए मुख्य एक्सप्रेसवे से बाहर निकलने पर भी कब्जा कर लिया था.
वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ये संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है.
नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.
रूस में संसद समर्थक किताबों के प्रकाशन घर के कारखाने में भीषण आग (Fire) लग गई. बताया जा रहा है कि राजधानी मॉस्को (Moscow) के करीब स्थित इस स्कूली किताबों के बड़े प्रकाशन को रूस-यूक्रेन युद्ध शुरु होने के बाद किताबों से यूक्रेन का नाम मिटाने का आदेश मिला था . न्यूज़वीक (NewsWeek) ने बेलारूस की मीडिया नेक्टा (Nexta) के हवाले से बताया कि वीडियो में दिखता है कि मंगलवार तड़के मॉस्को के बोगोरोदस्क इलाके में रूसी संसद के समर्थक "प्रोस्वेशचेनी" (Prosveshchenie) पब्लिशिंग हाउस में आग लग जाती है जहां छपाई का सामान इकठ्ठा था."
यह आग हाल ही हफ्तों में रूस की संवेदनशील जगहों पर लगने वाली एक और बड़ी आग है. रूस के बड़े केमिकल प्लांट, स्टोरेज डिपो और डिफेंस रिसर्च की जगहों पर भी आग लगने और धमाके होने की घटनाएं हुई हैं. रूस ने इसे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है कि इन रहस्यमी आग की घटनाओं के पीछे कारण क्या है. रूस के आपात मंत्रालय ने रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास को बताया कि करीब सुबह 3 बजे 34,000 स्क्वायर मीटर इलाके में आग लग गई. पूरी इमारत आग की लपटों में घिर गई."
तास के अनुसार इस प्रकाशन गृह के भंडारघर में किताबें और छपाई का सामान था. नेक्सटा की वीडियो में दिखता है कि पूरी इमारत लपटों में जल रही है और धुंआ उठ रहा है. आपात सेवाएं आग बुझाने की कोशिश कर रही हैं. फायरफाइटर आखिर में 100 लोगों और 37 उपरकरणों की मदद से आग पर काबू पाने में सफल रहे. इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं स्पष्ट हो पाई है.
'विवादित प्रकाशन समूह'
यूक्रेन के गृह मंत्रालय के सलाहकार एंटोन गेराशेंको ने आग पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने टेलीग्राम चैनल पर कहा कि जब 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला शुरु किया था, उसके बाद इस प्रकाशन समूह के मैनेजमेंट को आदेश दिया गया था कि स्कूल की किताबों से कीव और यूक्रेन का ज़िक्र कम से कम कर दिया जाए.
गेराशेंको ने लिखा, " रूस में एक बार फिर बड़ी आग लगी, विवादित टेक्सटबुक प्रकाशन के कारखाने में आग लग गई." द मास्को टाइम्स (The Moscow Times) ने भी इस खबर की पुष्टि की है,
रूस के सबसे बड़े और सबसे पुराने स्कूल की किताबों के प्रकाशन समूह Prosveshchenie के तीन संपादकों ने रूस के स्वतंत्र मीडिया आउटलेट मीडियाज़ोना को नाम ना बताने की शर्त पर बताया, "कर्मचारियों को किताबों से रूस और उसकी राजधानी कीव के "अनुपयुक्त" ज़िक्र को हटाने का काम मिला था. हर कर्मचारी से नौकरी की शर्त पर बड़े स्तर पर गुप्त सामग्री समझौतों पर हस्ताक्षर करवाए गए थे." एक कर्मचारी ने बताया, " हमें ऐसा दिखाने का काम मिला था जैसे यूक्रेन मौजूद ही ना हो."