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आईजी रेंज लखनऊ रहे जय नारायण सिंह को आईजी गोरखपुर बनाया गया...
::/introtext::लखनऊ. यूपी में 13 आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिए गए। आईजी रेंज लखनऊ रहे जय नारायण सिंह को आईजी गोरखपुर बनाया गया है। इसके अलावा डीजीपी के पीआरओ रहे राहुल श्रीवास्तव को अपर पुलिस अधीक्षक, तकनीकी सेवा का प्रभार दिया गया है।
यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश पुलिस बल में बड़ा फेरबदल करते हुए कई आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इससे पहले आज ही पीपीएस अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट भी जारी की गई। इसमें डीजीपी के पीआरओ रहे चर्चित अधिकारी राहुल श्रीवास्तव भी हटाए गए हैं। उन्हें तकनीकी सेवाओं के विभाग में एएसपी बनाया गया है। जय नारायण सिंह को गोरखपुर का नया आईजी बनाया गया हैं। इसके अलावा नोएडा में एसपी एसटीएफ के पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी राजीव नारायण मिश्र को कुशीनगर का एसपी बनाया गया है।
एएसपी कुंभ मेला अजीत कुमार सिन्हा को बनाया गया है। अजीत फिलहाल अपर पुलिस अधीक्षक (क्षेत्रीय) अभिसूचना, इलाहाबाद के पद पर तैनात थे।
वहीं नोएडा के एसपी सिटी अरुण कुमार सिंह का ट्रांसफर रामपुर कर दिया गया है। उनकी जगह रामपुर की एसपी सिटी सुधा सिंह को नोएडा का एसपी सिटी बनाया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर के पद पर तैनात लाल साहब यादव को मीरजापुर पीएसी में तैनाती मिली है। जबकि मीरजापुर पीएसी में तैनात रहे संतोष कुमार सिंह को एएसपी हमीरपुर बनाया गया है।
ट्रंप ने ये बातें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें अधिवेशन में कहीं. उन्होंने ईरान से परमाणु समझौता रद्द करने के अपने फ़ैसले का भी बचाव किया. उन्होंने कहा, "ईरान का नेतृत्व अपने पड़ोसी देशों, उनकी सीमाओं और संप्रभुता का सम्मान नहीं करता. ईरान के नेता देश के संसाधनों का इस्तेमाल ख़ुद को अमीर बनाने और मध्य-पूर्व में अफ़रा-तफ़री मचाने के लिए कर रहे हैं." ट्रंप ने ये भी कहा कि उनके प्रशासन ने अमरीका के इतिहास में 'किसी और से ज़्यादा' काम पूरे किए हैं. उनकी ये बातें सुनकर लोग हंसने लगे. लोगों की हंसी सुनकर ट्रंप भी हंसे और कहा, "मैंने ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की थी." इसके बाद ट्रंप ने ज़ोर देकर दुहराया कि अमरीका पहले इतना मज़बूत, अमीर या सुरक्षित कभी नहीं था.
उत्तर कोरिया पर नर्म, चीन पर गर्म
डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ अमरीका के नर्म और चीन के साथ तल्ख़ रवैये का भी बचाव किया. इन सारी बातों के बावजूद ट्रंप के भाषण का निचोड़ यही था कि वो दुनिया में अमरीका को अपने हिसाब से चलने के अधिकार की वकालत कर रहे थे. उन्होंने कहा, "मैं हर देश के उसकी परंपराओं, विश्वासों और रीति-रिवाजों को मानने के अधिकारों का सम्मान करता हूं. अमरीका आपको नहीं बताएगा कि आपको कैसे रहना है, कैसे काम करना है या किसकी पूजा करनी है. हम आपसे सिर्फ़ इतना चाहते हैं कि बदले में आप भी हमारी संप्रमुभता का सम्मान करिए."
बीबीसी कूटनीतिक संवाददाता जेम्स रॉबिन्स का विश्लेषण
राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण से अगर तुरंत कोई हेडलाइन निकालनी ये होगी कि उत्तर कोरिया के बजाय अब उनका ईरान उनका दुश्मन नबंर वन बन गया है. लेकिन उनके भाषण इसके अलावा और इससे ज़्यादा भी बहुत कुछ था. पिछले साल ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र और इसके बहुपक्षवाद पर जो चोट की थी, इस साल उसका बड़ा रूप देखने को मिला. संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्यों को साथ मिलकर एक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम करने की वकालत करता है और ट्रंप इसकी आलोचना करते हैं. ट्रंप ने अपने भाषण में वैश्विकता की निंदा तो की है, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को भी नहीं छोड़ा. ट्रंप के इस बार के भाषण में राष्ट्रवाद और देश की संप्रभुता के लिए उनका प्रेम और उभरकर सामने आया.
ट्रंप के लिए राष्ट्रवाद ही वो एकमात्र रास्ता है जो अमरीका के लोगों के अधिकारों और आज़ादी की रक्षा कर सकता है.
ट्रंप ने और क्या कहा?
इमैनुएल मैक्रों ने दिया जवाब
ट्रंप के भाषण के बाद बोलने वाले फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि उन्होंने संप्रभुता के सिद्धांत को मानने से कभी इनकार नहीं किया लेकिन इसे हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. मैक्रों ने कहा कि इस बारे में बातचीत और संवाद होना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं संप्रभुता के सिद्धांत को उन राष्ट्रवादियों के हाथों में नहीं छोड़ूंगा जो हमारे उसूलों पर हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं." मैंक्रो ने कहा कि वो सबसे ताकतवर के बनाए क़ानून में यक़ीन नहीं करते. उन्होंने कहा, "मैं वैश्विक संतुलन में यक़ीन करता हूं. 21वीं सदी में मज़बूत बहुपक्षीय रवैये के बिना हम नहीं जीत सकते.
::/fulltext::नई दिल्ली। फ्रांस की सरकार ने कहा है कि राफेल लड़ाकू विमानों के करार के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदार चुनने के मामले में वह किसी भी तरीके से शामिल नहीं रही है। फ्रांसीसी सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि फ्रांस की कंपनियों को इस करार के लिए भारतीय कंपनियों को चुनने की पूरी आजादी है।
फ्रांस सरकार का यह बयान शुक्रवार को तब आया जब फ्रांसीसी मीडिया में आई एक खबर में देश के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा गया कि 58000 करोड़ रुपए के राफेल करार में दसाल्ट एविएशन के लिए साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस का नाम भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित किया गया था और फ्रांस के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, फ्रांसीसी कंपनियों की ओर से चुने गए/ चुने जाने वाले भारतीय औद्योगिक साझेदारों के चयन में फ्रांसीसी सरकार किसी भी तरीके से शामिल नहीं रही है। फ्रांसीसी भाषा की खबरिया वेबसाइट 'मीडियापार्ट' ने अपनी एक खबर में ओलांद के हवाले से कहा था, भारत सरकार ने इस सेवा समूह का प्रस्ताव किया था और दसाल्ट ने अंबानी से बातचीत की थी। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने उस वार्ताकार को अपनाया जो हमें दिया गया था।
यह पूछे जाने पर कि रिलायंस को साझेदार के तौर पर किसने और क्यों चुना, इस पर ओलांद ने जवाब दिया, इस पर हमारा कोई जोर नहीं था। राफेल विमान बनाने वाले दसाल्ट एविएशन ने रिलायंस डिफेंस को अपने साझेदार के तौर पर चुना था, ताकि करार की ऑफसेट जरूरतें पूरी की जा सकें। भारत सरकार कहती रही है कि दसाल्ट द्वारा ऑफसेट साझेदार के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं रही है।
एक बयान में दसाल्ट एविएशन ने कहा कि उसने 'मेक इन इंडिया' नीति के तहत रिलायंस डिफेंस के साथ साझेदारी का फैसला किया था। कंपनी ने कहा, इस साझेदारी के कारण फरवरी 2017 में दसाल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) नाम का संयुक्त उपक्रम बना। दसाल्ट एविएशन और रिलायंस ने फाल्कन और राफेल विमान के कल-पुर्जे बनाने के लिए नागपुर में एक संयंत्र बनाया है।
फ्रांसीसी सरकार ने कहा, भारत की अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांसीसी कंपनियों को ऐसी भारतीय साझेदार कंपनियां चुनने की पूरी आजादी है, जिन्हें वे सबसे प्रासंगिक समझती हों, फिर ऐसी ऑफसेट परियोजनाओं को भारत सरकार की मंजूरी के लिए पेश करें, जिन्हें वे भारत में इन स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर लागू करना चाहती हों। कांग्रेस राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगाती रही हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि उसकी अगुवाई वाली पिछली यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए सौदा कर रही थी तो प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए तय हुई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के समय हुए करार में प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 1670 करोड़ रुपए तय की गई।
पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार इस करार के जरिए रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचा रही है। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि रिलायंस डिफेंस 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राफेल करार की घोषणा किए जाने से महज 12 दिन पहले बनाई गई। वहीं दूसरी ओर रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों को नकारा है।
हनोई। वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग का गंभीर बीमारी के बाद 61 वर्ष की आयु में शुक्रवार को निधन हो गया। सरकारी मीडिया ने यह खबर दी है। आधिकारिक वियतनाम न्यूज एजेंसी ने शुक्रवार को बताया कि राष्ट्रपति त्रान का सैन्य अस्पताल में 21 सितंबर सुबह 10 बज कर पांच मिनट पर निधन हो गया।
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