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न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सोमवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 76वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण दुनियाभर के नेताओं के बीच सबसे बहुप्रतीक्षित स्पीच में से एक है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी के एजेंडे में कौन-कैसे मुद्दे होंगे इस पर तिरुमूर्ति ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, "पीएम मोदी का भाषण दुनिया के नेताओं में सबसे बहुप्रतीक्षित है. उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) हमेशा दुनिया के सामने कुछ प्रमुख मुद्दों को उठाया है, जो मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण और चिंता का विषय हैं. साथ ही घरेलू मोर्चे पर भारत कुछ उपलब्धियों को रेखांकित किया है."
तिरुमूर्ति ने कहा कि 76वें सत्र में कोविड-19 महामारी और अफगानिस्तान का मुद्दा हावी रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और इसके मानवीय प्रभाव के अलावा बैठक में वैश्विक आर्थिक नरमी, विकास के लिए वित्तपोषण, आतंकवाद और उससे जुड़े मुद्दे, जलवायु परिवर्तन, अफगानिस्तान समेत वैश्विक स्तर पर चल रहे संघर्षों का मुद्दा हावी रहने की संभावना है.
महत्वपूर्ण समय में भारत के UNGA को संबोधित करने महत्व के बारे में तिरुमूर्ति ने कहा, "भारत विकासशील दुनिया के लिए अग्रणी आवाज होने के साथ-साथ सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते वैश्विक मुद्दों को उठाने के लिए अपनी आवाज का इस्तेमाल करेगा. इनमें जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्य, टीकों के लिए न्यायसंगत और किफायती पहुंच, गरीबी उन्मूलन एवं आर्थिक सुधार, महिला सशक्तिकरण और सरकारी संरचनाओं में उनकी भागीदारी, आतंकवाद का मुकाबला, शांति स्थापना एवं शांति निर्माण, यूएनएससी सुधार आदि शामिल हैं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान क्वाड समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इसके बाद 25 सितंबर को वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र के एक उच्च स्तरीय खंड को भी संबोधित करेंगे.
दुनिया में बहुत कम इंसान हैं जो बुढ़ापा देखना चाहते हैं और मरना चाहते हैं. विज्ञान की दुनिया में इस पर लगातार खोज हो रहे हैं. दुनिया में Unity Biotechnology नाम की एक कंपनी है जो इसी पर रिसर्च कर रही है. ये कंपनी मानव शरीर पर कई साल से रिसर्च कर रही है. ऐसे में एमेजन के मालिक जेफ़ बेज़ोस (Jeff Bezos) ने इस कंपनी पर पैसे लगाए हैं. जेफ बेज़ोस इस उम्मीद में पैसे लगा रहे ताकि कंपनी रिसर्च कर ले और उन्हें अमरत्व मिल जाए. देखा जाए तो शायद अमेजन कंपनी के मालिक कभी बूढ़े ही नहीं होना चाहते हैं. अभी हाल ही में उन्होंने स्पेस का दौरा भी किया था.
businessinsider के मुताबिक जेब बेज़ोस वर्तमान में 200 बिलियन डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं. उन्होंने Unity Biotechnology नाम के स्टार्ट अप कंपनी में निवेश कर ये जता दिया कि वो आने वाले दिनों में और भी बेहतरीन काम करने वाले हैं. ये कंपनी बढ़ती उम्र में होने वाली बीमारियों को रोकने (Reverse Ageing) पर शोध कर रही है. इसके अलावा ये कंपनी मानव शरीर के सेल पर भी काम कर रही है.
अभी हाल ही में इस कंपनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए घोषणा कर लोगों को जानकारी दी कि ये Reverse Ageing की तकनीक पर काम कर रही है. इस कॉन्फ़्रेंस के बाद कंपनी ने Altos Lab की स्थापना की.
इस कंपनी में कई बड़े उद्योगपतियों ने अपने निवेश किए हैं, जिसमें रूस के करोड़पति Yuri Milner और उनकी पत्नी Julia का नाम भी शामिल है. उन्होंने भी इस कंपनी में शोध के लिए पैसे दिए हैं.
नई दिल्ली: तालिबान ने कहा है कि वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है. दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के उपनिदेशक शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई ने एक वीडियो बयान में ये बात कही है. करीब 45 मिनट लंबे इस वीडियो बयान में तालिबानी नेता ने दुनिया के साथ अपने संबंधों के बारे में बात की है. इसमें भारत को लेकर कई अहम बातें कही गई है. स्टैनिकज़ई ने कहा है कि भारत इस क्षेत्र के लिए बहुत अहम मुल्क़ है. हम उसके साथ सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंध वैसे ही आगे बढ़ाना चाहते हैं जैसा कि पहले रहा है.
स्टैनिकज़ई ने आगे कहा है कि पाकिस्तान होकर भारत के साथ व्यापार हमारे लिए बहुत अहम है. भारत के साथ हवाई मार्ग से व्यापार भी खुला रहेगा. स्टैनिकज़ई ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि हम भारत के साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते को पूरी अहमियत देते हैं और हम चाहते हैं कि ये समझौते जारी रहें. हम भारत के साथ काम करने की दिशा में देख रहे हैं. स्टैनिकज़ई दोहा स्थित तालिबान के वार्ताकार टीम में नंबर दो की जगह रखते हैं, उनकी तरफ़ से इस बयान के खास मायने है.
इससे पहले एनडीटीवी इंडिया ने सूत्रों के हवाले से ये एक्सक्लूसिव ख़बर भी दी थी कि काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद स्टैनिकज़ई ने काबुल और दिल्ली के अपने संपर्क सूत्रों के ज़रिए भारत को संदेश दिया था कि वे अपने राजनयिकों को काबुल से निकालें.
स्टैनिकज़ई ने लश्कर-ए-तैयबा और लश्करे झांगवी जैसे आतंकी संगठनों के काबुल में सक्रिय होने की भारत की शंका और इनपुट को भी निर्मूल बताया था. हालांकि तालिबान के इतिहास को देखते हुए भारत ने स्टैनिकज़ई की बातों पर भरोसा करना मुनासिब नहीं समझा और राजदूत समेत दूतावास के सभी 175 राजनियकों को कर्मचारियों को विशेष विमान से वापस बुला लिया. स्टैनिकज़ई के बयान पर भारत की तरफ़ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सरकार से जुड़े सूत्र पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि भारत तालिबान और उसकी सरकार को लेकर अभी इंतजार करो और देखो की नीति अपनाएगा. साथ ही दुनिया के लोकतांत्रिक देश तालिबान को लेकर जो रुख तय करेंगे भारत भी उसी के हिसाब से चलेगा.
काबुल एयरपोर्ट पर हमले के बाद यूएनएससी की तरफ से जारी बयान में आतंकवाद के संदर्भ में तालिबान शब्द निकाले जाने को यूएनएससी के सदस्य देशों का तालिबान के प्रति नरमी के रुख के तौर पर देखा जा रहा है. इसे यूएनएससी के 16 अगस्त के बयान से जोड़ कर देखा जा रहा, जिसमें तालिबान शब्द का ज़िक्र था. अगस्त महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता भारत कर रहा है और ऐसे में इसे तालिबान के प्रति भारत के भी रुख से जोड़ा जा रहा है. दरअसल, तालिबान अपनी सरकार के औपचारिक गठन के बाद अधिक से अधिक देशों से मान्यता चाहेगा. इसलिए वह दुनिया के देशों के साथ अपने संपर्क बढ़ाने की कोशिश में है. भारत के संदर्भ में दिया गया स्टैनिकज़ई का बयान भी इसी परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है. स्टैनिकज़ई पहले अफ़ग़ान सेना से जुड़े थे और 1982/83 में क़रीब 18 महीने भारत में रह कर IMA में ट्रेनिंग ली थी. बाद में तालिबान में शामिल हो गए और अब तालिबान के पांच सबसे बड़े नेताओं में शुमार माने जाते हैं.