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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिकादहन किया जाता है। इसके अगले दिन रंगों का त्योहार होली पूरे देश भर में मनाया जाता है। होली का पर्व भारत के खास उत्सवों में से एक है। जितना महत्व होली का है, उतनी ही अहमियत होलिका दहन की भी है। इस दिन के साथ पौराणिक भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकश्यप की कथा भी जुड़ी हुई है। जानते हैं साल 2021 में होलिका दहन किस दिन किया जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा।
होलिका दहन तिथि- 28 मार्च, रविवार
होलाष्टक में रुक जाते हैं शुभ कार्य
होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। इस साल होलाष्टक 21 मार्च से आरंभ होगा और 28 मार्च को होलिका दहन पर इसका समापन होगा।
होलिका दहन कैसे किया जाता है?
होलिका दहन के काफी समय पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। इसके लिए एक जगह पर सूखा पेड़ रख दिया जाता है। इस पर लकड़ियां, घास-फुस, पुआल और गोबर के उपले रखे जाते हैं। फिर होलिका दहन वाले दिन इसका दहन किया जाता है। इस दिन घर का कोई भी बड़ा सदस्य इसे अग्नि देता है। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है।
नई दिल्ली: महाशिवरात्रि आज 11 मार्च, गुरुवार के दिन मनाई जा रही है. फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है. महाशिवरात्रि का मतलब है 'शिव की महान रात', हिंदुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन भगवान शिव के भक्त शिवरात्रि का व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ अपने ईष्ट से प्रार्थना करते हैं. इस मंदिरों में खूब सजावट की जाती है और सारा दिन भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है. मंदिरों में शिवलिंग का महाअभिषेक होता है, दूध, फल और बेल के पत्तों सहित कई प्रकार का प्रसाद भोलेनाथ को अर्पित करते हैं. सारा दिन उपवास करने के बाद ही भगवान शिव के भक्त शाम को सात्विक भोजन ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ते हैं. इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद का प्राप्त होता है. साथ ही सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
11 मार्च 2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि
- निशित काल पूजा का समय - दोपहर 12:06 बजे से 12:54 बजे, 12 मार्च तक
- 12 मार्च को, शिवरात्रि पराना समय - प्रातः 06:33 से प्रातः 03:02 तक
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय - प्रातः 06:26 से प्रातः 09:28 तक
- रत्रि दूसरी प्रहर पूजा का समय - प्रातः 09:28 से 12:30 बजे, 12 मार्च
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समय - दोपहर 12:30 से रात 03:32 बजे, 12 मार्च
- रात्रि चौथा प्रहर पूजा का समय - प्रातः 03:32 से 06:33 AM, 12 मार्च
- चतुर्दशी तिथि शुरू होती है - 02:39 PM 11 मार्च, 2021 को
- चतुर्दशी तिथि समाप्त - 03:02 PM 12 मार्च, 2021 को
(स्रोत: द्रिकपंचाग डॉटकॉम)
पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि के लिए पूजन सामग्री एकत्रित कर लें, जो इस प्रकार है: शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, पूजा के बर्तन आदि.
महाशिवरात्रि की पूजन विधि
- महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.
- अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और "ऊं नम: शिवाय" बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक कर चढ़ाएं.
- अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें:
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
- शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं.
- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
- अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारें.
- महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखें और फलाहार करें.
- सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें.
- शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है.
- शिवरात्रि का पूजन 'निशीथ काल' में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है. रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि शिव की रात्री है यानी कि भक्तों के लिए सुख की वो रात्रि जिसमें पूरा माहौला शिवमय हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है. पौराणिका मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से देवादि देव महादेव की आराधना करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है. यही वजह है कि भक्त नान प्रकार के जतन कर अपने आराध्य को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है. कहते हैं कि शिव शंकर तो जल मात्र चढ़ाने से ही संतुष्ट हो जाते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप किसी विशेष मनोकामना के लिए शिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाकर आप महादेव की विशेष कृपा पा सकते हैं.
जल: अगर आपके पास कुछ नहीं है तब भी आप केवल निर्मल जल से शिव शंकर का जलाभिषेक कर सकते हैं. कहते हैं कि अगर परिवार के किसी सदस्य को तेज बुखार हो तो शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए.
गंगा जल: मान्यता है कि शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से भक्त को भौतिक सुख तो मिलते ही साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
बेलपत्र: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी का मस्तक शीतल रहता है. बेल पत्र से भगवान शिव की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति सौभाग्यशाली बनता है.
गन्ने का रस: मान्यता है कि शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.
देसी घी: मान्यताओं के अनुसार शारीरिक दुख और दुर्बलता से छुटकारा पाने के लिए शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी चढ़ाना चाहिए.
फूल: मान्यता है कि दुखों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर शमी के पत्ते, सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए बेला के फूल, धन-धान्य के लिए जूही के फूल और समृद्धि के लिए हर-सिंगार के फूल चढ़ाने चाहिए.
धतूरा और गेहूं: मान्यता है कि शिवलिंग पर धतूरा और गेहूं चढ़ाने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है.
दूध: कहते हैं कि अगर दूध में चीनी मिलाकर शिवलिंग को अर्पित की जाए तो मस्तिष्क तेज होता है और मनोवांछित फल मिलता है.