Sunday, 13 July 2025

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साधुओं का कहना है कि वे इस महीने 11 लाख दीए जलाएंगे और राम मंदिर के तत्काल निर्माण के लिए प्रार्थना करेंगे. इन लोगों का विश्वास है कि चार मार्च को कुंभ मेले की समाप्ति के बाद राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.....

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Kumbh 2019: कुंभ मेले में संत दीए जलाकर भव्‍य राम मंदिर की मनोकामना कर रहे हैं.

खास बातें

  1. कुंभ मेले में संतों ने दीए जलाकर की भव्‍य राम मंदिर के लिए प्रार्थना
  2. मेले में लगाए गए हैं राम मंदिर के समर्थन में होर्डिंग्‍स
  3. सुप्रीम कोर्ट में 29 जनवरी को होगी अयोध्‍या विवाद पर सुनवाई

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ शुरू हो चुका है. साधु-संत, नेता और आम लोग दुनिया भर के कोने-कोने से संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ साधुओं का एक समूह अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद क्षेत्र में भव्य राम मंदिर के जल्द से जल्द निर्माण के लिए रोजाना 33 हजार दीए जला रहा है.

साधुओं का कहना है कि वे इस महीने 11 लाख दीए जलाएंगे और राम मंदिर के तत्काल निर्माण के लिए प्रार्थना करेंगे. इन लोगों का विश्वास है कि चार मार्च को कुंभ मेले की समाप्ति के बाद राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इसके अलावा, यहां कुंभ मेले में आ रहे श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए लगाए गए कई होर्डिग्स में भी विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का आह्वान किया गया है.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में  रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट की पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और  राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.

इस मामले में पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई से इनकार कर दिया था. उस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा था कि उसने पहले ही अपीलों को जनवरी में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध कर दिया है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से उपस्थित अधिवक्ता बरुण कुमार के मामले पर शीघ्र सुनवाई करने के अनुरोध को खारिज करते हुए पीठ ने कहा था कि हमने आदेश पहले ही दे दिया है. अपील पर जनवरी में सुनवाई होगी.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि अदालत की अपनी प्राथमिकताएं हैं. उचित पीठ ही जनवरी में तय करेगी कि इसकी सुनवाई जनवरी, फरवरी में हो या उसके बाद. ध्यान हो कि इससे पहले पिछले साल 27 सितंबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने 2-1 के बहुमत से फैसला दिया था कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
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का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना। प्रयाग इलाहाबाद मेले में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है....

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का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना। प्रयाग इलाहाबाद मेले में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है। कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं।
 
कल्पवास क्यों और कब से : प्राचीनकाल में तीर्थराज प्रयागराज में घना जंगल हुआ करता था। यहां सिर्फ भारद्वाज ऋषि का आश्रम ही हुआ करता था। भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ किया था। उस काल से लेकर अब तक ऋषियों की इस तपोभूमि पर कुंभ और माघ माह में साधुओं सहित गृहस्थों के लिए कल्पवास की परंपरा चली आ रही है। ऋषि और मुनियों का तो संपूर्ण वर्ष ही कल्पवास रहता है, लेकिन उन्होंने गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा। उनके अनुसार इस दौरान गृहस्थों को अल्पकाल के लिए शिक्षा और दीक्षा दी जाती थी।
 
कल्पवास के नियम : इस दौरान जो भी गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर आता है ऋषियों की या खुद की बनाई पर्ण कुटी में रहता है। इस दौरान दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है तथा मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा और भक्तिभावपूर्ण रहा जाता है। पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि संगम तट पर वास करने वाले को सदाचारी, शान्त मन वाला तथा जितेन्द्रिय होना चाहिए। कल्पवासी के मुख्य कार्य है:- 1.तप, 2.होम और 3.दान।
 
यहां झोपड़ियों (पर्ण कुटी) में रहने वालों की दिनचर्या सुबह गंगा-स्नान के बाद संध्यावंदन से प्रारंभ होती है और देर रात तक प्रवचन और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक कार्यों के साथ समाप्त होती है। लाभ- ऐसी मान्यता है कि जो कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है लेकिन जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर कल्पवास करता है उसे अवश्य मोक्ष मिलता है।-मत्स्यपु 106/40

माघ माहात्म्य :
माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे।
ब्रह्माविष्णु महादेवरूद्रादित्यमरूद्गणा:।।
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ माका अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना। प्रयाग इलाहाबाद मेले में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है।स में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं।

प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।
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