Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
माघ पूर्णिमा 2019 (Maghi Purnima 2019).
खास बातें
प्रयागराज: Magh Purnima 2019: आज पूरे भारत में माघ पूर्णिमा (Maghi Purnima) धूमधाम से मनाई जा रही है, खासकर प्रयागराज में इस पूर्णिमा के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं. मान्यता है कि माघ महीने में सभी देवता पृथ्वी पर आते हैं. इस बार कुंभ (Kumbh Mela) के चलते यह माघ पूर्णिमा और भी खास हो गई है. कुंभ मेले (Kumbh Mela) में गंगा, यमुना और सतलुज नदी में डुबकी लगाने आए भक्त माघी पूर्णिमा के दिन शाही स्नान (Shahi Snan) का आनंद ले रहे हैं. माघ पूर्णिमा के दिन कुंभ का 5 वां शाही स्नान हो रहा है. कुंभ का आखिरी स्नान 4 मार्च को महा शिवरात्रि के दिन होगा और उसी दिन कुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा. यहां जानिए माघी पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें.
माघी पूर्णिमा का शुभ मुहू्र्त
माघ पूर्णिमा तिथि का आरंभ - 01:11, 19 फरवरी, 2019
माघ पूर्णिमा तिथि का समापन - 21:23, 19 फरवरी, 2019
1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें.
2. स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें.
3. जल चढ़ाने के बाद व्रत रखें और भगवान मधुसूदन की पूजा करें.
4. व्रत संकल्प के बाद गरीबों को दान दें, उन्हें भोजन खिलाएं.
5. दान के साथ-साथ गरीबों को दक्षिणा देना भी शुभ माना जाता है.
माघ पूर्णिमा के लिए सूर्य मंत्र
* ॐ सूर्याय नम: ।
* ॐ भास्कराय नम:।
* ऊं रवये नम: ।
* ऊं मित्राय नम: ।
* ॐ भानवे नम:
* ॐ खगय नम: ।
* ॐ पुष्णे नम: ।
* ॐ मारिचाये नम: ।
* ॐ आदित्याय नम: ।
* ॐ सावित्रे नम: ।
* ॐ आर्काय नम: ।
* ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।
माघी पूर्णिमा का महत्व
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) का बेहद महत्व है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना और दान करना शुभ माना जाता है. इस बार की माघ पूर्णिमा कुंभ मेले की वजह से और भी खास है. लाखों भक्त संगम में स्नान, जप और यज्ञ करने पहुंचते हैं. यह भी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti), श्री ललित और श्री भैरव जयंती भी मनाई जाती है.
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2019) हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े उल्लास से मनाया जाता है. इसे माघ पंचमी (Magh Panchami) भी कहते हैं. बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं. नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है. खेतों में सरसों के पीले फूल की चादर की बिछी होती है और कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है. बसंत पंचमी (Vasant Panchami 2019) का त्योहार 10 जनवरी 2019 को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है.
श्रीकृष्ण ने दिया था वरदान
सम्पूर्ण भारत में इस तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी. पारंपरिक रूप से यह त्योहार बच्चे की शिक्षा के लिए काफी शुभ माना गया है. इसलिए देश के अनेक भागों में इस दिन बच्चों की पढाई-लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है. बच्चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है. आन्ध्र प्रदेश में इसे विद्यारम्भ पर्व कहते हैं. यहां के बासर सरस्वती मंदिर में विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं.
इसलिए पहनते हैं पीले कपड़े
बसंत पंचमी के दिन नवयौवनाएं और स्त्रियां पीले रंग के परिधान पहनती हैं. गांवों-कस्बों में पुरुष पीला पाग (पगड़ी) पहनते है. हिन्दू परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता है. यह समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक भी है. इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है. भारत में विवाह, मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और पूजा के कपड़े को पीले रंग से रंगा जाता है.
होली, जो भारत का एक सबसे बड़ा पर्व है, इसकी औपचारिक शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती है. इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाते हैं. होली के होलिका दहन के लिए इस दिन से ही लोग लकड़ी को सार्वजनिक स्थान पर रखना शुरू कर देते हैं, जो होली के एक दिन पहले एक मुहूर्त देख कर जलाई जाती है.भारत में अनेक स्थानों पर इस दिन पतंगबाज़ी भी की जाती है, हालांकि का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है. चूंकि मौसम साफ़ होता है, मंद-मंद हवा चल रही होती है और लोग खुश होते हैं, तो इसका इजहार शायद पतंगबाजी से करते हैं.
खान-पान बिना कोई भी भारतीय त्यौहार अधूरा है. बसंत पंचमी के दिन कुछ खास मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं. इस दिन बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है. बिहार में मालपुआ, खीर और बूंदिया (बूंदी) और पंजाब में मक्के की रोटी के साथ सरसों साग और मीठा चावल चढाया जाता है.
::/fulltext::