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किसी भी रिश्ते में मनमुटाव होना आम बात हैं। लेकिन ये मनमुटाव कब वाद-विवाद और वाद-विवाद से रोजमर्रा की जिंदगी में बहस की वजह बन जाती है पता ही नहीं चलता। कई बार घर में हो रहे छोटे झगड़ें घरेलू हिंसा में बदल जाते हैं। इन घरेलू हिंसा का सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे बच्चों पर देखने को मिलता हैं। पति-पत्नी में तनाव, आपसी झगड़ों के बीच वो ये भूल जाते हैं कि वो एक माता-पिता भी हैं। उनका इस तरह से लड़ना उनके बच्चों पर क्या प्रभाव डालेगा, इसे वो नजरअंदाज ही कर देते हैं। माता-पिता के बीच हो रही घरेलू हिंसा न केवल उनके बच्चे के बचपन को खराब कर सकता हैं, बल्कि सारी जिंदगी उनके मन में वो बातें बैठ जाती हैं। जिन्हें उनके मन से निकालना काफी मुश्किल हो जाता है। सभी बच्चों पर इसका अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बच्चों पर घरेलू हिंसा से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताएंगें। साथ ही कैसे आप अपने बच्चों को इससे बचा सकते हैं, इसे लेकर भी कुछ टिप्स देंगें।
छोटे बच्चों पर प्रभाव
माता-पिता के बीच हो रहे झगड़ों से अक्सर छोटे बच्चे परेशान हो जाते हैं। रात को सोते वक्त भी उनके दिमाग में पेरेंट्स के बीच चल रहे झगड़े की बातें ही चलती हैं। जिसके कारण वो सोते वक्त बिस्तर गीला करना शुरू कर देते हैं। ऐसे बच्चों को सोने में भी काफी परेशानी होती है। उनमें काफी चिड़चिड़ापन आ जाता है। ये बच्चे अपने आस-पास के लोगों के साथ भी बुरा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
बड़े बच्चे अपने माता-पिता के बीच हो रहे झगड़ों को लेकर अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। बड़े बच्चे ऐसे वतावरण के कारण अक्सर गुस्सैल और जिद्दी हो जाते हैं। ये अपना दर्द अलग तरीके से दिखाने लगते हैं। कभी-कभी तो ये बच्चे अपनी समस्याओं को सुलझाने और हल करने के लिए हिंसा का सहारा लेना शुरू कर देते हैं। कई बार तो छोटी उम्र में ही नशीले पदार्थ का सेवन करना शुरू कर देते हैं।
लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा सेंसिटिव होती हैं। लेकिन वो अपनी परेशानी अपने अंदर रखना अच्छे से जानती हैं। अपने पेरेंट्स के झगड़ों से परेशान लड़कियां अक्सर अकेले रहना पसंद करती हैं। वो खुद को कमरें में घंटों बंद करके रखती हैं। घरेलू हिंसा का असर कई बार इनके दिमाग पर इस तरह पड़ता है कि ये आपने साथ कई बार गलत करने का भी सोच सकती हैं। यहां तक की बड़े होने पर अपने लिए जीवन साथी चुनने में भी इन्हें काफी परेशानी होती है।
घरेलू हिंसा के शिकार बच्चों में 'पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर' के लक्षण विकसित हो सकते हैं। शारीरिक के साथ-साथ मानसिक समस्याओं का भी इन्हें सामना करना पड़ सकता हैं। घरेलू हिंसा जैसे माहौल में रहने वाले बच्चे अक्सर अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दें पाते हैं।
महसूस कराएं सुरक्षित
घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाले बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने की जरुरत होती है। उनके मन में चल रहीं बातों को जानने की कोशिश करें। उन्हें अकेला ना छोड़ें। उनके स्वास्थ्य से संबंधित चीजों के बारें में बात करने की कोशिश करें।
घरेलू हिंसा के बारे में खुलकर करें बात
अपने बच्चों के बताएं की इसमें उनकी या आपकी कोई गलती नहीं है। समय के साथ चीजें ठीर हो जाएंगी। उनके मन में चल रहे डर को दूर करने की कोशिश करें। जीतना हो सकें अपने बच्चों को सुनने और समझने की कोशिश करें।
हेल्दी रिलेशनशिप के बारे में दें जानकारी
हेल्दी रिलेशनशिप के बारे में बच्चों से बात करें। हेल्दी रिलेशनशिप क्या होता हैं। इस बारे में बात करते हुए एक गलत रिश्ते से सीख लेकर आगे बढ़ने के बारे में सीखाएं। ताकि भविष्य में कोई नया रिश्ता शुरू करने से पहले पुरानी बातों का डर उनके मन में न रह जाएं।
बच्चों को दें टॉक थेरेपी
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी ( सीबीटी ) एक तरह की टॉक थेरेपी है, जो उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा काम कर सकती है जिन्होंने हिंसा या दुर्व्यवहार का अनुभव किया हो। सीबीटी उन बच्चों के लिए विशेष रूप से सहायक है जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इस थेरेपी के दौरान डॉक्टर आपके बच्चे के नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलने का काम करेंगें।
नई दिल्ली: भारतीय समाज में बेटों की तुलना में बेटियों की ज़्यादा चिंता करने का रिवाज़ सदियों से मौजूद है... हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस सोच में कुछ हद तक बदलाव आया है, और अब बेटियां भी हर क्षेत्र में माता-पिता और परिवार का नाम रोशन करने में पीछे नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद, अधिकतर परिवारों में बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, लालन-पालन से लेकर उनके विवाह तक की चिंता में माता-पिता घुलते दिखते हैं... ऐसे ही माता-पिता के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसकी मदद से कुछ साल तक लगातार बचत करने पर 21 साल की होते ही आप अपनी बेटी को लगभग 66 लाख रुपये की टैक्स फ्री व्हाइट मनी दे सकते हैं, जो उसके बेहद काम आ सकती है... केंद्र सरकार की इस योजना का नाम सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Account - SSA) है, जिसके तहत प्रत्येक भारतीय अपनी बिटिया के जन्म लेते ही पोस्ट ऑफिस या बैंक में एक खाता खुलवा सकता है, जिसमें लगातार 15 साल तक निवेश करने के बाद 21 साल पूरे होने पर 65 लाख 93 हज़ार रुपये बिटिया के खाते में जमा दिखाई दे सकते हैं...
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Account) के तहत वही शख्स खाता खुलवा सकता है, जो 10 साल से कम उम्र की बेटी का पिता या अभिभावक हो... इस खाते में भी हर साल लोक भविष्य निधि, यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या PPF खाते की ही तरह अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा करवाए जा सकते हैं, लेकिन इस खाते में हर साल जमा कराई जा सकने वाली न्यूनतम राशि 250 रुपये ही है... सुकन्या समृद्धि योजना की सबसे खास बात यह है कि यह आज की तारीख में सबसे ज़्यादा ब्याज़ कमाने वाली सरकारी योजना है, जिसके हर खाताधारक को हर वर्ष 7.6 फीसदी की दर से ब्याज़ अदा किया जाता है, जबकि PPF में मिलने वाला ब्याज़ 7.1 फीसदी की दर पर अदा किया जाता है...
सो, इस योजना में यदि बिटिया के पैदा होते ही खाता खुलवा लिया जाए, तो उसमें बिटिया के 15 वर्ष की होने तक आपको हर साल निवेश करना होगा, जो अधिकतम 1,50,000 रुपये हो सकता है... इस खाते में भी अधिकतम ब्याज़ कमाने का सबसे अच्छा अवसर तभी है, जब आप यह निवेश हर वित्तवर्ष में अप्रैल की 5 तारीख से पहले ही कर दें... इस तरह से आप 15 साल में कुल मिलाकर 22,50,000 रुपये का निवेश करेंगे, और 21 वर्ष की होने पर जब आपकी बिटिया को मैच्योरिटी की रकम हासिल होगी, वह 65,93,071 रुपये होगी, बशर्ते मौजूदा ब्याज़ दर में कोई बदलाव नहीं हो... इस कुल राशि में ब्याज़ का हिस्सा 43,43,071 रुपये होगा, और सबसे अहम पहलू यह है कि बेटी को इस समूची रकम (65,93,071 रुपये) पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा... वैसे, ध्यान रहे, ब्याज़ दर को सरकार हर तिमाही में संशोधित करती है, सो, ब्याज़ की दर में बदलाव होने पर खाता परिपक्व होने, यानी मैच्योरिटी पर बेटी को मिलने वाली रकम में कुछ घट-बढ़ हो सकती है...
आइए, आपको एक चार्ट के ज़रिये समझाते हैं कि आपकी बेटी के नाम से खोले गए खाते में आप कब क्या जमा करवाएं, ताकि आपकी बेटी को अधिकतम राशि मिल सके... बेटी के पैदा होते ही अगर आप किसी भी पोस्ट ऑफिस या बैंक की शाखा में सुकन्या समृद्धि खाता खुलवा लेते हैं, और उसमें शुरुआती राशि 1,50,000 रुपये जमा करवा देते हैं, तो एक साल पूरा होने पर उसे 7.6 फीसदी की दर से 11,400 रुपये का ब्याज़ हासिल होगा, जो अगले साल अप्रैल की शुरुआत में कुल मूल निवेश को 1,61,400 रुपये बना देगा, जिसमें अगले साल के निवेश के 1,50,000 रुपये जमा करवा देने पर दूसरे साल में आपको जिस रकम पर ब्याज़ मिलेगा, वह 3,11,400 रुपये होगी, और उस पर मिलने वाला सालाना ब्याज़ 23,666 रुपये बनेगा... इसी तरह 15 साल तक लगातार हर साल अप्रैल में ही बिटिया के सुकन्या समृद्धि खाते में 1,50,000 रुपये जमा करवाते रहने पर आप कुल मिलाकर 22,50,000 रुपये जमा करवाएंगे, और उसके बाद बेटी के 21 साल का होने का इंतज़ार करेंगे, जब यह खाता मैच्योर होगा... अगले छह साल तक आप इस खाते में कुछ भी निवेश नहीं करेंगे, और ब्याज़ लगातार हर साल बिटिया के खाते में जुड़ता रहेगा, और मैच्योरिटी पर कुल मिलाकर 65,93,071 रुपये बेटी को हासिल हो जाएंगे, जो पूरी तरह व्हाइट मनी होगी, और पूर्णतः टैक्स फ्री भी...
वैसे, एक बात और भी जानने लायक है... जिस वक्त आपकी बिटिया 18 साल की हो जाएगी, खाता उसी समय पूरी तरह उसके नाम हो जाएगा, और वही इसे संचालित कर पाएगी... यह भी याद रखें, खाता बिटिया के पैदा होने के बाद, लेकिन उसके 10 साल का होने से पहले भी खुलवाया जा सकता है, सो, उस स्थिति में मैच्योरिटी खाते के 21 साल पूरे होने पर होगी, बेटी के 21 साल का होने पर नहीं... लेकिन खाता पूरी तरह उसके नाम तभी हो जाएगा, जब वह बालिग, यानी 18 साल की हो जाएगी...
मुस्लिम देश सऊदी अरब में 8000 हज़ार साल पुराने मंदिर के अवशेष मिले हैं. इस साइट को ख़ुद सऊदी अरब के पुरातत्त्व विभाग ने खोजी है. इस ख़बर की जानकारी मिलते हैं लोग सोशल मीडिया पर रिएक्ट कर रहे हैं. सऊदी प्रेस एजेंसी की ख़बर के मुताबिक, सऊदी अरब की राजधानी रियाद के दक्षिण-पश्चिम स्थित अलफ़ा में 8000 साल पुराने अवशेष मिले हैं. जो मंदिर के समान हैं. ख़बर के मुताबिक, कभी अलफ़ा के लोग मंदिर में आकर पूजा और आराधना करते थे. सोशल मीडिया पर लोग इस तस्वीर को शेयर कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक सऊदी अरब की पुरातत्वविदों की टीम ने नई तकनीक की मदद से धार्मिक केंद्र का पता लगाया है. साथ ही साथ अलफा साइट पर शोध के लिए कई और अवशेष मिले हैं. इन सभी साक्ष्यों को जमा कर रिसर्च के लिए भेज दिया गया है. 'सऊदी गैजेट' के मुताबिक अलफा का ये महत्वपूर्ण इलाका पुरातात्विक विभाग के लोगों के लिए बीते 40 सालों से हॉट स्पॉट बना हुआ है.
इस मंदिर के मिलने से पता चलता है कि यहां के लोग पूजा-पाठ में विश्वास करते थे. इस मंदिर के अलावा पुरातत्व टीम को कई और महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं, जिससे पता चलता है कि उस समय के लोग सींचाई के लिए कैसे तकनीक का प्रयोग करते थे, रोजमर्रा की ज़िंदगी के लिए क्या कार्य करते थे. फिलहाल इन सभी मामलों की रिसर्च हो रही है. अब आने वाला समय बताया कि यहां की सच्चाई क्या है?
Monkeypox Virus: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO ने हाल ही में मंकीपॉक्स को वैश्विक बीमारी बताते हुए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है और साथ ही इसे वैश्विक चिंता का विषय बताया है. मंकीपॉक्स के विषय में रीजनल डायरेक्टर, WHO साउथ-ईस्ट एशिया रीजन, पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि मंकीपॉक्स उन देशों में भी फैलता हुआ देखा जा रहा है जहां पहले कभी नहीं देखा गया. वहीं, भारत में भी इसके बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं. आइए जानें, किन लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा है या कौन मंकीपॉक्स के शिकार अधिक हो रहे हैं व इस संबंध में कौनसी जरूरी सावधानियां बरती जानी जरूरी हैं.
मंकीपॉक्स वायरस लक्षण और सावधानी