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एक वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसने सोनू सूद का ध्यान खींच लिया है. ये वीडियो 10 साल की सीमा का है. वह बिहार के जमुई जिले से हैं और हाल ही में उसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वो एक पैर पर स्कूल जाते हुए दिखाई दे रही है. इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत लिया है. 2 साल पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद उसका पैर काटना पड़ा था. लेकिन छोटी बच्ची इस चुनौती और सीखने के प्रति उसके समर्पण और स्कूली शिक्षा जारी रखने की इच्छा से विचलित नहीं हुई और उसने लाखों दिलों को जीत लिया. उनका वीडियो देखने पहुंचे सोनू ने भी उनकी मदद का ऐलान किया है.
सीमा रोज स्कूल जाती है जो उसके घर से करीब एक किलोमीटर दूर है. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स द्वारा एक पैर पर स्कूल जाते हुए सीमा का एक वीडियो शेयर किया गया है.
सोनू सूद ने ट्वीट में लिखा, 'अब वो एक नहीं बल्कि दो पैरों पर स्कूल जाने वाली है. मैं टिकट भेज रहा हूं, यह आपके दोनों पैरों पर चलने का समय है."
सीमा के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. वह बड़ी होकर एक टीचर बनना चाहती है.
मंकीपॉक्स के 15 देशों में 100 से ज्यादा मामले सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बड़ा दावा किया है। यूरोप में हाल ही में हुए बड़े सोशल इवेंट्स में सेक्शुअल कॉन्टैक्ट के जरिए यह बीमारी समलैंगिक पुरुषों में फैलने की आशंका जताई है।
फिलहाल ब्रिटेन और यूरोप में आ रहे ज्यादातर मामलों में गे और बायसेक्शुअल की संख्यां ज्यादा है। और इनका अफ्रीकी देशों से कोई लेना-देना नहीं है। स्पेन और पुर्तगाल के अधिकारियों के अनुसार, यहां सेक्शुअल हेल्थ चेकअप कराने आ रहे समलैंगिक पुरुषों में संक्रमण के पुष्टि हो रही है। वहीं, ब्रिटेन के डॉक्टर्स ने चिंता जताई है कि आने वाले समय में इसके मामलों में बढ़ोत्तरी होगी।
रेव पार्टीज की वजह से फैला संक्रमण
WHO के एडवाइजर डॉ डेविड हेमैन ने न्यूज एजेंसी AP से बातचीत में बताया कि समलैंगिक पुरुषों में मंकीपॉक्स के संक्रमण फैलने की वजह स्पेन और बेल्जियम में हुई दो रेव पार्टीज हो सकती हैं। रेव पार्टी एक ऐसा इवेंट होता है जहां डांस और म्यूजिक के अलावा ड्रग्स और सेक्स का भी इंतजाम होता है। इस इवेंट में करीब 80,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसलिए अधिकारी मंकीपॉक्स और इस इवेंट के कनेक्शन की जांच कर रहे हैं।
गे सेक्स से फैला मंकीपॉक्स, लेकिन यह STD नहीं
मंकीपॉक्स का वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स के संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है। एक मरीज संक्रमण के 4 हफ्तों तक किसी व्यक्ति को इन्फेक्ट करने में सक्षम होता है।
मंकीपॉक्स, एक दुर्लभ बीमारी है। जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। यह दाने और फ्लू जैसे लक्षणों की तरह होता है। मंकीपॉक्स वायरस, ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है। यह स्माॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। एक्सपर्टस की मानें तो मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं। मंकीपॉक्स आम तौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती हैं। चेहरे और शरीर पर दाने निकल आते हैं। आइए इस बीमारी के कारण और लक्षण जानते हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि करीब एक दर्जन अफ्रीकी देश हर साल मंकीपॉक्स से प्रभावित होते हैं। इसमें से सबसे अधिक केस कांगो से रिपोर्ट होते हैं। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के 47 केस सामने आए थे।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक वायरस है जो कि आम तौर पर जंगली जानवरों में होता है। लेकिन इसके कुछ केस मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के लोगों में भी देखे गए हैं। पहली बार इस बीमारी की पहचान 1958 में हुई थी। उस वक्त रिसर्च करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी इसीलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है। पहली बार इंसानों में इसका संक्रमण 1970 में कांगों में एक 9 साल के लड़के को हुआ था। मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून या फिर उसके फर को छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहों और गिलहरियों द्वारा फैलता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षण का अनुभव करते हैं। अधिक गंभीर बीमारियों वाले लोगों के चेहरे और हाथों पर दाने और घाव हो सकते हैं जो कि शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकते हैं।
यह आमतौर पर 5 से 20 दिनों के बीच ठीक हो जाता है। अधिकतर लोगों को इसके लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। मंकीपॉक्स 10 में से एक व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है और बच्चों के केस में इसे गंभीर माना जता है। चेचक के टीकों का मंकीपॉक्स पर भी प्रभाव रहता है। मंकीपॉक्स को लेकर अब एंटीवायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं।
खास बातें
Kitchen Hacks: फलों का राजा आम स्वाद में मीठा और कभी-कभी खट्टा भी होता है. यूं तो कच्चे आमों में खट्टापन सभी को अच्छा लगता है लेकिन पके हुए (Ripe Mangoes) खट्टे आम आमतौर पर खाने में अच्छे नहीं लगते और बस मन खराब होकर रह जाता है. ऐसे में आम (Mango) खरीदते वक्त यह ध्यान रखने की जरूरत होती है कि जो आम आप खरीद रहे हैं वो काटने के बाद भी उतने ही रसभरे और मीठे (Sweet Mangoes) निकलें. लेकिन, क्या आम देखने और छूने भर से ही उनके खट्टे या मीठे होने का पता लगाया जा सकता है? जवाब है हां. ऐसे कुछ ट्रिक्स हैं जो अच्छे आम चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं.
अच्छे आम चुनने के ट्रिक्स
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.