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खास बातें
यूरिक एसिड के शरीर में बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द, सूजन और गठिया जैसी दिक्कतें होने लगती हैं. यूरिक एसिड की बढ़ी मात्रा जोड़ों में क्रिस्टल्स जमा करने लगती है जिससे लगातार दर्द (Pain) बना रहता है. यूरिक एसिड (Uric Acid) बढ़ जाने पर खानपान पर विशेष जोर दिया जाता है और कोशिश की जाती है कि व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा उन चीजों को सेवन करे जो यूरिक एसिड को कम करने के साथ-साथ सूजन और दर्द से भी राहत दे. ऐसी ही एक चीज है पीपल के पेड़ की छाल जिसे यदि सीमित मात्रा में ठीक तरह से प्रयोग में लाया जाए तो शरीर से यूरिक एसिड कम करने में सहायता मिल सकती है.
यूरिक एसिड कम करने के लिए पीपल की छाल
पीपल की छाल से यूरिक एसिड को कम करने के लिए इसका काढ़ा तैयार किया जाता है. इस काढ़े को तैयार करने के लिए लगभग 250 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर धीमी आंच पर पकाएं. आपको इस पानी को तबतक उबालना है जबतक कि यह आधा ना हो जाए. आधा होने तक पकाने पर आपका काढ़ा तैयार हो जाएगा. इस काढ़े को आधा-आधा करके दिन में दो बार पीने पर बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने में लाभ मिलता है.
पीपल की छाल के अलावा यूरिक एसिड कम करने में धनिया के पत्ते भी फायदेमंद हो सकते हैं. इनमें प्रोटीन, फॉस्फोरस और विटामिन-के जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. आप इन्हें अपनी डाइट (Diet) में शामिल कर सकते हैं या फिर धनिया के पत्तों को उबालकर इसके पानी को खाली पेट पी भी सकते हैं.
पान के साफ पत्ते को भी यूरिक एसिड की मात्रा शरीर से कम करने के लिए खाया जाता है. सुबह के समय इसका सेवन फायदेमंद होता है.
करी पत्ते का सेवन भी यूरिक एसिड को कम करने में मददगार होता है. इसे सुबह के समय खाली पेट चबाने से फायदा मिलता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई तरह के विटामिन की जरूरत होती है। इन्हीं में से एक है विटामिन डी। यह एक ऐसा विटामिन है, जो शरीर के लिए बेहद ही आवश्यक है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। ऐसा कहा जाता है कि यह विटामिन कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है। साथ ही, यह विटामिन हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी उतना ही आवश्यक है। जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, तो व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है। इतना ही नहीं, इससे कोविड-19 होने की संभावना भी बढ़ जाती है, क्योंकि इससे इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है।
विटामिन डी की महत्ता व सोर्स
विटामिन डी और दूध व पानी के बीच कनेक्शन जानने से पहले आपको यह भी समझना होगा कि यह शरीर के लिए क्यों आवश्यक है और इसके सोर्स क्या हैं।
• विटामिन डी शरीर में कैल्शियम से अब्जॉर्बशन को बेहतर बनाता है, जिससे आपको मजबूत हडिड्यां व स्वस्थ दांत मिलते हैं।
• यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्टअप करने में मदद करता है। जिससे कोविड-19 से लेकर अन्य कई वायरस व बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है।
• विटामिन डी को शरीर के नर्वस सिस्टम के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है।
• विटामिन डी की शरीर में पर्याप्त मात्रा होने से बालों के झड़ने की समस्या कम हो जाती है।
• यह व्यक्ति करे डिप्रेशन व अन्य मेटल हेल्थ प्रॉब्लम्स को भी मैनेज करने में मदद करता है।
अगर विटामिन डी के स्त्रोतों की बात की जाए तो सूरज की किरणों को इसका मुख्य स्त्रोत माना गया है। इसके अलावा अंडे, मशरूम, गाय का दूध, मछली, विटामिन डी के सप्लीमेंट आदि को डाइट में शामिल करके भी शरीर में विटामिन डी की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
विटामिन डी के अवशोषण का दूध और पानी से क्या संबंध है, यह जानने के लिएडेनमार्क में आरहूस विश्वविद्यालय के डॉ रासमस एस्पर्सन और उनके सहयोगियों ने 60-80 आयु वर्ग की 30 पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं पर एक परीक्षण किया। यह महिलाएं विटामिन डी की कमी के साथ जूझ रही थी। निष्कर्ष इटली के मिलान में एंडोक्रिनोलॉजी के 24 वें यूरोपीय कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए थे।
कुछ इस तरह की गई स्टडी
अध्ययन का उद्देश्य 200 ग्राम डी3 युक्त विभिन्न खाद्य पदार्थों की खपत के जवाब में ब्लड कंसन्ट्रेशन में तत्काल परिवर्तन को मापना था। मसलन, 500 एमएल पानी, दूध, जूस, विटामिन डी व विटामिन डी के बिना पानी से शरीर में होने वाले परिवर्तन को इस अध्ययन में जांचा व परखा गया। प्रत्येक अध्ययन के दिन 0h, 2h, 4h, 6h, 8h, 10h, 12h, और 24h पर रक्त के नमूने एकत्र किए गए।
अध्ययन के अनुसार, दूध और पानी विटामिन डी को अवशोषित करने के लिए सबसे कुशल वाहन के रूप में काम करते हैं। निष्कर्ष में पाया गया कि पानी और दूध के ग्रुप में देखे गए परिणाम समान थे। इस तथ्य को देखते हुए यह काफी अप्रत्याशित था कि दूध में पानी की तुलना में अधिक वसा होता है। अध्ययन से यह भी पता चला कि सेब के रस में व्हे प्रोटीन आइसोलेट डी3 की अधिकतम कंसन्ट्रेशन को नहीं बढ़ाता है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर में कैल्शियम के अब्जॉर्बशन के लिए विटामिन डी आवश्यक होता है। शायद यही कारण है कि मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी रिच फूड का सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन यहां आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि विटामिन डी युक्त भोजन लेने के बाद वह आपकी बॉडी में बेहतर तरीके से अब्जॉर्ब हो। इसके लिए आपको दूध और पानी का भी पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए। स्टडी बताती है कि विटामिन डी फोर्टिफिकेशन जूस की तुलना में पानी या दूध में बेहतर काम करता है।
पिछले कुछ समय में दुनिया भर में मंकी पॉक्स के कई मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, इटली सहित 19 देशों में मंकीपॉक्स के 131 मामलों की पुष्टि हुई है, जबकि 106 मामले संदिग्ध है।
इन दोनों के लक्षणों के बारे में बात करने से पहले इनके बीच के अंतर को समझना आवश्यक है और जानना चाहिए कि यह दोनों वायरस जनित बीमारियां एक -दूसरे से किस तरह भिन्न है-
• नोवल कोरोनावायरस या कोविड-19 एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 के कारण होने वाली एक सांस की बीमारी है। जिसके कारण व्यक्ति को अक्सर सांस लेने में समस्या होती है और उसे ऑक्सीजन की जरूरत भी पड़ सकती है। इसके विपरीत, मंकीपॉक्स पॉक्सविरिडे फैमिली में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है। यह रेस्पिरेटरी सिस्टम पर अपना नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखाती है।
• कोरोनावायरस संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है, यानी संक्रमित व्यक्ति की एरोसोल बूंदों के माध्यम से। जबकि, मंकीपॉक्स शारीरिक तरल पदार्थ, त्वचा पर घावों, या म्यूकोसल के निकट संपर्क के माध्यम से फैल सकता है। मसलन, जब मंकीपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर से संक्रमित फ्लूइड निकलता है और व्यक्ति उसके संपर्क में आता है, तो उसे भी यह बीमारी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
• जहां तक मंकीपॉक्स बीमारी से गंभीरता का संबंध है, तो यह गंभीर हो सकता है लेकिन इस प्रकोप बहुत ही कम लोगों पर दिखाई देता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह वायरस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं होता है। बता दें कि मंकीपॉक्स की मृत्यु दर लगभग 1 प्रतिशत है। वहीं, दूसरी ओर कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैलता है कि कुछ ही समय में बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जद में ले लेता है। इसमें मृत्यु दर उसके स्ट्रेन के आधार पर निर्भर है। मसलन, ओमिक्रोन संक्रमित कोविड-19 मरीजों की मृत्युदर अपेक्षाकृत कम थी।
अगर मंकीपॉक्स के प्रमुख लक्षणों की बात की जाए, तो उनमें से एक दाने होना भी है। यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के अनुसार, चूंकि मंकीपॉक्स एक चेचक परिवार से संबंधित है, इसलिए इससे जुड़े दाने चिकनपॉक्स के साथ भी भ्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इसे कोविड-19 समझने की भी भूल कर लेते हैं। लेकिन मंकीपॉक्स होने पर बेहद अलग तरह से दाने नजर आते हैं।
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) के अनुसार, "शुरूआत में पहले एक दाने का विकास हो सकता है, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होता है, फिर जननांगों सहित शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। मंकीपॉक्स रैश आमतौर पर एक उभरे हुए स्थान के रूप में शुरू होता है, जो तरल पदार्थ से भरे छोटे फफोले में बदल जाता है, जिसे वेसिकल्स के रूप में जाना जाता है, या इनमें पीला तरल पदार्थ भर जाता है, जिसे पस्ट्यूल के रूप में जाना जाता है। ये छोटे फफोले फिर धीरे-धीरे पपड़ी बना सकते हैं जो सूख जाते हैं और अंत में गिर जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, घावों की संख्या कुछ से लेकर कई हज़ार तक हो सकती है।
कोविड-19 रैश के लक्षण
कोविड 19 रैश को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् कांटेदार हीट रैश और हाइव-टाइप रैश। यूके के एक ऐप के अनुसार, कांटेदार हीट रैश अमूमन लाल बम्पस के रूप में दिखाई देते हैं, जिनमें खुजली होती है। यह शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं। आमतौर पर कोहनी या घुटनों के साथ-साथ हाथों और पैरों के पिछले हिस्से से शुरू होता है। यह कभी-कभी क्रस्टी हो सकते हैं या इनमें फफोले भी बन सकते हैं लेकिन यह चेहरे को प्रभावित नहीं करते हैं।
जहां तक हाइव-टाइप रैशेज का सवाल है, ये चेहरे सहित शरीर में कहीं भी पैदा हो सकते हैं। यह दाने बेहद खुजलीदार होते हैं और अक्सर हथेलियों या तलवों में तेज खुजली के साथ शुरू होते हैं, और होंठ और पलकों में सूजन पैदा कर सकते हैं।
कोविड-19 और मंकीपॉक्स होने पर यूं तो अलग-अलग रैश व दाने नजर आते हैं। लेकिन इसके अलावा भी इनके अन्य लक्षणों के आधार पर इनके बीच अंतर किया जा सकता है। जैसे-
• सामान्य कोविड-19 लक्षणों में बुखार, गले में खराश, खांसी, थकान, नाक बहना, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गंध और स्वाद की कमी और गैस्ट्रोइन्टेस्टनल संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
• जबकि मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के समान हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इसमें सिरदर्द, बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, अस्वस्थता, थकान आदि लक्षण नजर आते हैं।
खास बातें
स क्रिस्टल बन जाते हैं. अब ऐसे में हाई यूरिक एसिड को घटाने के तरीके आपकी डाइट और लाइफस्टाइल से ही होकर गुजरते हैं. बैलेंस डाइट खाना बहुत जरूरी है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अच्छे और हेल्दी फैटी एसिड, विटामिन और खनिज शामिल हों. ब्लड में हाई यूरिक एसिड लेवल से पीड़ित लोगों के लिए सही और हेल्दी फूड्स को चुनना मुश्किल होता है. इसलिए हाई यूरिक एसिड लेवल को घटाकर कंट्रोल में रखने के लिए यहां कुछ चीजों के बारे में बताया गया है जिनका सेवन आपको जरूर करना चाहिए.
हाई यूरिक एसिड रोगियों के लिए फूड्स
1) चेरी
चेरी में एंथोसायनिन नामक एक एंटी इंफ्लेमेटरी घटक होता है. जो यूरिक एसिड लेवल को कम कर सकता है. आर्थराइटिस एंड रमोटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने चेरी का सेवन किया उनमें गाउट का जोखिम उन लोगों की तुलना में कम था, जिन्होंने सेवन नहीं किया. सूजन को कम करके चेरी यूरिक एसिड को आपके जोड़ों में क्रिस्टलीकरण और जमा होने से भी रोकता है.
2) सेब
सेब में हाई डायटरी फाइबर कंटेंट होता है, जो यूरिक एसिड लेवल को कम करने में मदद करता है. फाइबर ब्लड फ्लो से यूरिक एसिड को अवशोषित करता है और आपके शरीर से अतिरिक्त यूरिक एसिड को खत्म करता है. इसके अलावा सेब मैलिक एसिड से भी भरपूर होते हैं जो शरीर में यूरिक एसिड के प्रभाव को बेअसर कर देते हैं.
अगर आपको हाई यूरिक एसिड के कारण गाउट हो गया है, तो डेली एक केला खाने से आपके ब्लड में यूरिक एसिड कम हो सकता है, जिससे गाउट का खतरा कम हो सकता है. केले में प्यूरीन की मात्रा स्वाभाविक रूप से बहुत कम होती है. एक प्राकृतिक यौगिक जो यूरिक एसिड में टूट जाता है इस प्रकार यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प है.
4) कॉफी
द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जब प्रतिभागियों ने कॉफी का सेवन किया तो गाउट का खतरा कम हो गया. हालांकि, अगर आपकी अन्य स्थितियां भी हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज तो कॉफी को अपने आहार में शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें.
5) खट्टे फल
संतरे और नींबू जैसे फल विटामिन सी और साइट्रिक एसिड के समृद्ध स्रोत हैं. इन फूड्स को शामिल करने से आपको शरीर में हेल्दी यूरिक एसिड लेवल को बनाए रखने में मदद मिल सकती है, क्योंकि वे कुशलता से यूरिक एसिड को बाहर निकाल सकते हैं.
6) ग्रीन टी
कई अध्ययनों से साबित होता है कि ग्रीन टी का अर्क शरीर में यूरिक एसिड के उत्पादन को कम कर सकता है. इस तरह उन लोगों के लिए एक अच्छी ड्रिंक है जो गाउट और हाई यूरिक एसिड से पीड़ित हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.