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कोरबा जिले के आंगबाड़ी केंद्रों में यूनिफार्म देने की योजना ठंडे बस्ते चले गई है. पिछले साल से शुरू हुई योजना का जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को अब तक यूनिफार्म नसीब नहीं हुआ. आंगनबाड़ी केन्द्र के 55 हजार बच्चों को गणवेश वितरण किया जाना है.
हाथकरघा निगम से कपड़ा खरीदी करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को 84 लाख रुपए का आवंटन मिला है. पिछले साल भर से बच्चों को गणवेश प्रदान नहीं किया गया है. आंगनबाड़ी केन्द्रों में दाखिल बच्चों को साल भर बाद गणवेश वितरण नहीं किया गया है.
महिला एवं बाल विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में गणवेश की मांग की थी, लेकिन आवंटन नहीं मिलने से एक भी केन्द्र में वितरण नहीं किया गया था. वर्ष 2017-18 84 लाख रुपए आवंटित किया गया है, बालकों को कमीज पैंट और बालिकाओं को ट्यूनिक और कमीज प्रदान किया जाना है.
प्राथमिकता के आधार पर आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण क्षेत्र में गणवेश वितरण करने का निर्देश जारी किया गया है. बीते वर्ष गणवेश वितरण नहीं दिए जाने से बच्चे फटे पुराने गणवेश में केन्द्र आ रहे हैं. इधर महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ आनंद प्रकाश क्रिसपोट्टा की मानें तो सभी केन्द्रों में ड्रेस पहुंच गया है. सवाल ये उठता है की यदि यूनिफॉर्म आ गए हैं तो सत्र समाप्ति से पहले क्यों बच्चो को वितरण नहीं किये गए.
नगर निगम दुर्ग में अमृत मिशन योजना के तहत हो रहे कार्यों की गति धीमी होने की वजह से इस वर्ष भी लोगों को शुद्ध पेयजल का लाभ नहीं मिल पाएगा. योजना के तहत 1 अरब 44 करोड़ की राशि से पेयजल आपूर्ति पाइप लाइन और टंकी निमार्ण जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य चल रहे है. लेकिन तीन वर्षों से कार्यों की गति धीमी होने की वजह से निगम के सारे दावे खोखले साबित हो रहे है.
1 अरब 47 करोड़ की राशि से दुर्ग नगर निगम लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विकास कार्य करवा रहा है. इन विकास कार्यों में सबसे महत्वूपर्ण शहर के वार्ड तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का है. लेकिन अफसोस कि इस राशि को मिले तीन वर्ष बीत चुके है. अब तक लोगों तक शुद्ध पेयजल नहीं पहुंच सका है. दुर्ग निगम महापौर चंद्रिका चंद्राकर ने कहा है कि निगम ने पेयजल के लिए सारी व्यवस्था कर ली है, लोगों को गर्मी में पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.
वहीं विपक्ष ने निगम के इस दावे को आड़े हाथों लिया है. निगम के नेता प्रतिपक्ष लिखन साहू ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में अमृत मिशन के तहत 5 पानी टंकियों का निमार्ण कराया गया है लेकिन उनकी गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिन्ह उठ रहे है. कुछ टंकियों में लीकेज की समस्या है तो कुछ में अभी से दरार आ गई है. महापौर और अधिकारियों के कारण ही जनहित के कार्य पूरे नहीं हो पा रहे है.
छत्तीसगढ़ के जशपुर में चलाए जा रहे पत्थगड़ी अभियान को लेकर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है. सोमवार को पत्थलगड़ी अभियान का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता जोसेफ तिग्गा व रिटायर्ड आईएएस हेरमोन किंडो को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद दोनों को ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल दाखिल कर दिया गया.
पुलिस ने दोनों आरोपियों को कुनकुरी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश किया. मजिस्ट्रेट ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर दोनों को जेल भेज दिया. दोनों पर धार्मिक सद्भावना बिगाड़ने के अलावा कई संगीन जुर्म के आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस ने भारी सुरक्षा के बीच मीडिया से बचकर दोनों आरोपियों को न्यायालय से जेल भेजा. बता दें कि जशुपर के आसपास के गांवों में पत्थलगड़ी को लेकर विवाद चल रहा है. बीजेपी की सद्भावना यात्रा भी चल रही है. इस दौरान यहां पत्थलगड़ी तोड़ने के कारण विवाद और बढ़ गया था.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बढ़ते हादसों के कारण जहां एक ओर ब्रेकर बनाए जाते हैं, वहीं हादसों को देखते हुए फिर से ब्रेकर तोड़ दिए जाते हैं. इस वक्त पूरे शहर में सड़कों के ऊंचे और बेडौल स्पीड ब्रेकर से राहत देने के लिए पूरे शहर के तकरीबन सभी करीब 900 ब्रेकर तोड़े जा रहे हैं
रायपुर में ब्रेकर तोड़ने का काम तेजी से किया जा रहा है. दरअसल मानकों के अनुसार ब्रेकर नहीं बनाए जाते हैं, जिसके कारण ही हादसे रुकने की बजाय बढ़ जाते हैं. यही वजह है कि अब मानकों के अनसार व्यस्त सड़कों से ब्रेकर हटाने के बाद सरकारी एजेंसियां सर्वे करेंगी कि ब्रेकर की कहां-कहां जरूरत है.
सर्वे के बाद अफसरों की मॉनीटरिंग में उन सभी जगहों पर वैसे ब्रेकर बनाए जाएंगे, जैसे मापदंड इंडियन रोड कांग्रेस ने तय कर रखे हैं. साथ ही यह भी तय किया गया है कि सीमेंट के ब्रेकर अब शहर में कहीं भी नहीं बनाए जाएंगे इनके स्थान पर डामर के ज्यादा ढाल और कम उंचाई के ब्रेकर बनाए जाएंगे.
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