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रायपुर-
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए -
इसके तहत छत्तीसगढ़ में खेल क्लब को बढ़ावा देने, खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए संबंधित पंजीकृत समितियों को खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने पर आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा। छत्तीसगढ़ पारंपरिक खेलोें को पुनर्जीवित किया जाएगा। ओलम्पिक खेलों को ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में बढ़ावा देने के साथ ही राज्य के खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने पर उनको शत-प्रतिशत यात्रा व्यय तथा खेल उपकरण की सुविधा देकर प्रोत्साहित किया जाएगा।
औद्योगिक वातावरण का निर्माण होगा
औद्योगिक विकास नीति 2024-2030
रायपुर-
प्रदेश की नई औद्योगिक नीति 1 नवंबर 2024 से लागू हो गई है, जो 31 मार्च 2030 तक प्रभावशील रहेगी। राज्य के औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए राज्य में औद्योगिक नीतियों की परिकल्पना राज्य गठन के उपरान्त लगातार की जा रही है। छत्तीसगढ़ में अब तक पांच औद्योगिक नीतियां क्रमशः - 2001, 2004-09, 2009-14, 2019-24 प्रवाशील रही एवं अब नई औद्योगिक नीति 2024 लागू की गई है। उपरोक्त औद्योगिक नीति को लागू किये जाने के साथ ही इन नीतियों में तत्कालीन आवश्यकताओं को तथा औद्योगिक विकास के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नीतियों में यथा आवश्यकता विभिन्न प्रकार के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन यथा- ब्याज अनुदान, राज्य लागत पूंजी अनुदान, (अधोसंरचना लागत पूंजी अनुदान), स्टाम्प शुल्क छूट, विद्युत शुल्क छूट, प्रवेश कर छूट, मूल्य संवर्धित कर प्रतिपूर्ति, मंडी शुल्क छूट, परियोजना लागत पूंजी अनुदान इत्यादि प्रदान की जाती रही है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि हमने इस नई नीति को रोजगार परक और विजन-2047 के अनुरूप विकसित भारत के निर्माण की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए विकसित छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण का लक्ष्य तय किया है। हमारा राज्य देश के मध्य मेें स्थित है, आने वाले वर्षो में हम अपनी भौगोलिक स्थिति आवागमन के आधुनिक साधनों और आप सबकी भागीदारी से प्रदेश को ‘‘हेल्थ हब‘‘ बनाने मे सफल होंगे। जगदलपुर के नजदीक हम लगभग 118 एकड़ भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण प्रारभ करने जा रहे है।
प्रदेश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन का कहना है कि निश्चित तौर पर हमारी सरकार की मंशा है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उद्योग कैसे स्थापित हो इसे ध्यान में रखकर यह उद्योग नीति तैयार की गई है। हमने पहली बार इस नीति के माध्यम से राज्य में पर्यटन एवं स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं में निवेश को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। हाल ही में आयोजित केबिनेट बैठक में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है।
इसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने भारत सरकार के विजन 2047 की परिकल्पना को साकार करने तथा राज्य के औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से कई प्रावधान किए हैं। राज्य के प्रशिक्षित व्यक्तियों को औपचारिक रोजगार में परिवर्तित करने के लिए उद्योगों हेतु प्रति व्यक्ति 15 हजार रूपए की प्रशिक्षण वृत्ति प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। यह नीति 31 मार्च 2030 तक के लिए होगी। नई औद्योगिक नीति में निवेश प्रोत्साहन में ब्याज अनुदान, लागत पूंजी अनुदान, स्टाम्प शुल्क छूट, विद्युत शुल्क छूट. मूल्य संवर्धित कर प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। नई नीति में मंडी शुल्क छूट, दिव्यांग (निःशक्त) रोजगार अनुदान, पर्यावरणीय प्रोजेक्ट अनुदान, परिवहन अनुदान, नेट राज्य वस्तु एवं सेवा कर की प्रतिपूर्ति के भी प्रावधान किये गये हैं।
इस नीति में राज्य के युवाओं के लिये रोजगार सृजन को लक्ष्य में रखकर एक हजार से अधिक स्थानीय रोजगार सृजन के आधार पर बी-स्पोक पैकेज विशिष्ट क्षेत्र के उद्योगों के लिये प्रावधानित है। राज्य के निवासियों विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला उद्यमियों, सेवानिवृत्त अग्निवीर सैनिक, भूतपूर्व सैनिकों, जिनमें पैरामिलिट्री भी शामिल है, को नई औद्योगिक नीति के तहत अधिक प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान है। नक्सल प्रभावित लोगों, कमजोर वर्ग, तृतीय लिंग के उद्यमियों के लिए नई औद्योगिक पॉलिसी के तहत विशेष प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। नई औद्योगिक नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र अंतर्गत एमएसएमई सेवा उद्यम एवं वृहद सेवा उद्यमों के लिये पृथक-पृथक प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है।
छत्तीसगढ़ संभवतः देश में पहला राज्य है, जिसने युवा अग्निवीरों एवं नक्सल पीड़ित परिवारों को स्वयं के रोजगार धन्धे स्थापित करने पर विशेष अनुदान एवं छूट का प्रावधान किया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवाओं को स्वयं का रोजगार उपलब्ध कराने हेतु भी कटिबद्ध हैं। इसके लिए हम इन वर्गों के उद्यमियों को मात्र 1 रूपये प्रति एकड़ की दर पर औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि दे रहे है। सरकार का प्रयास होगा कि उद्योग स्थापना एवं संचालन में सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम हो एवं यथासंभव सेल्फ सर्टिफिकेशन अथवा ऑनलाइन माध्यम से हो ताकि आपके उद्योग हेतु आपको सरकार के पास आने की आवश्यकता ना हो।
औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के विशेष प्रावधान
यह नीति उद्योगों को निवेश करने, नये रोजगार सृजन करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिये एक मजबूत आधार प्रदान करेगी। इस नीति के माध्यम से राज्य के युवाओं के लिए कौशलयुक्त रोजगारों का सृजन करते हुये अगले 5 वर्षों में 5 लाख नए औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति मैं स्थानीय श्रमिकों को औपचारिक रोजगार में परिवर्तित करने के लिए प्रशिक्षण कर प्रोत्साहन का प्रावधान करते हुये 1000 से अधिक रोजगार प्रदाय करने वाली इकाईयों को प्रोत्साहन के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है।
नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में सहभागिता के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमियों, सेवानिवृत्त अग्निवीर, भूतपूर्व सैनिकों (जिनमें पैरा मिलेट्री फोर्स भी सम्मिलित है), नक्सल प्रभावित, आत्म-समर्पित नक्सलियों एवं तृतीय लिंग के उद्यमों का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिये जाने का प्रावधान किया गया है। औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की परिभाषा को भारत सरकार द्वारा परिभाषित एम.एस.एम.ई. के अनुरुप किया गया है। इसी के अनुसार ही इन उद्यमों को प्राप्त होने वाले प्रोत्साहनों को अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बनाया गया है।
राज्य सरकार द्वारा देश में सेवा गतिविधियों के बढ़ते हुये। रुझान को दृष्टिगत रखते हुये इस नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र अंतर्गत एमएसएमई सेवा उद्यम एवं वृहद सेवा उद्यमों के लिये पृथक-पृथक प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। सेवा क्षेत्र अंतर्गत इंजीनियरिंग सर्विसेस, रिसर्च एंड डेव्हलपमेंट, स्वास्थ्य सेक्टर, पर्यटन एवं मनोरंजन सेक्टर आदि से संबंधित गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है। औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में विशिष्ट श्रेणी के उद्योगों जैसे फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाईल, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा गैर काष्ठ वनोंपज प्रसंस्करण, कम्प्रेस्ड बॉयो गैस, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (ए.आई), रोबोटिक्स एण्ड कम्प्यूटिंग (जी.पी.यू), आई.टी., आई.टी.ई.एस./डेटा सेंटर जैसे नवीन सेक्टरों के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान है।
4 दिसम्बर 2024 को नवा रायपुर में स्टेक होल्डर कनेक्ट वर्कशॉप के दौरान राज्य के 27 बड़े औद्योगिक समूहों को नवीन पूंजी निवेश के प्रस्ताव के संबंध में 32 हजार 225 करोड़ रुपए के निवेश के लिए इंटेंट टू इन्वेस्ट लेटर प्रदान किए। इनमें राज्य के कोर सेक्टर के साथ ही नये निवेश क्षेत्रों जैसे आईटी, एआई, डाटा सेंटर, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, कम्प्रेस्ड बायो गैस जैसे क्षेत्रों में निवेश किया जाएगा। इनमें शिवालिक इंजीनियरिंग, मां दुर्गा आयरन एण्ड स्टील, एबीआरईएल ग्रीन एनर्जी, आरएजी फेरो एलायज, रिलायंस बायो एनर्जी, यश फैंस एण्ड एप्लायंसेस, शांति ग्रीन्स बायोफ्यूल, रेक बैंक डाटा सेंटर आदि सम्मिलित हैं।
इसके साथ ही थ्रस्ट सेक्टर के ऐसे उद्योग जहां राज्य का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है और जहां भविष्य के रोजगार आ रहे हैं, उन क्षेत्रों के लिये अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रावधान है। नीति में प्रोत्साहनों की दृष्टि से राज्य के विकासखण्डों को 03 समूहों में रखा गया है। समूह-1 में 10. समूह 2 में 61 एवं समूह 3 में 75 विकासखण्डों को वर्गीकृत किया गया है।
आधुनिक ब्रांडिंग और विशेषज्ञों द्वारा 13 उत्पादों को बाजार में मिली नई पहचान
केशोडार पीवीटीजी वन धन विकास केंद्र से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आ रहा सकारात्मक बदलाव
रायपुर, 10 दिसंबर 2024
छत्तीसगढ़ राज्य में वन विभाग द्वारा स्थापित वन धन विकास केन्द्र में आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही है। इस संस्था से जुड़कर वनांचल के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। आधुनिक ब्रांडिंग और विशेषज्ञों के प्रशिक्षण से इन उत्पादों को बाजार में नई पहचान मिली है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में वन धन विकास केंद्र केशोड़ार की महिलाओं ने लगभग 82 लाख 50 हजार रूपए की हर्बल उत्पादों का विक्रय किया, जिसमें केन्द्र को 15 लाख रूपए की शुद्ध आय हुई है। यह पीवीटीजी वनधन विकास केंद्र की महिलाओं को स्थायी आजीविका प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।
गरियाबंद जिले के केशोड़ार गांव में स्थित पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह की महिलाएं) वन-धन विकास केंद्र से परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक की सहायता से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आया है। सभी महिलाएं आर्थिक रूप से सम्पन्न हो रही हैं। प्रधानमंत्री जनमन योजनांतर्गत स्थापित यह केंद्र भुतेश्वर नाथ हर्बल एण्ड मेडिसिन स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित की जा रही है।
इस केंद्र से 87 पीवीटीजी लाभार्थी महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो 8 स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कार्य कर रही हैं। इन केन्द्रों में महिलाओं के समूह द्वारा हर्बल औषधियों का उत्पादन किया जा रहा है। आयुष निर्देशालय (आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी) से अनुमोदित 13 हर्बल उत्पाद बनाई जा रही है, जिनमें महाविपगर्भ तेल, भृंगराज तेल, तुलसी चूर्ण, अमलाक्यादि चूर्ण, नवायस चूर्ण, कौंच चूर्ण, शतावरी चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, क्रीमिघ्न चूर्ण, प्रदारांतक चूर्ण, पुनर्नवा चूर्ण, सर्वज्वरहर चूर्ण और वैश्वानर चूर्ण है। इन उत्पादों को छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बाजार में विपणन किया जाता है, जिससे इनकी पहुंच देशभर के उपभोक्ताओं तक हो रही है। स्व-सहायता समूह से जुड़ी सभी पीवीटीजी महिलाएं मुक्त कंठ से प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और वन मंत्री श्री केदार कश्यप को धन्यवाद देते हुए बताती हैं कि पीएम जनमन योजना से उनके जीवन में आर्थिक बदलाव आया है और वे बहुत खुश हैं।
वन विभाग द्वारा महिलाओं को उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा समय-समय पर यह कार्यक्रम आयोजित की जाती है। इन प्रशिक्षणों ने महिलाओं को न केवल कौशल विकास में मदद की, बल्कि उन्हें उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने और बाजार की आवश्यकताओं को समझने का अवसर भी प्रदान किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा द्वारा महिलाओं को आधुनिक मशीनें और उत्पादन उपकरण प्रदान किए गए हैं, जिससे उत्पादों का समय पर निर्माण और उच्च गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो रही है।
विशेष रूप से, भृंगराज तेल को पारंपरिक तेल पाक विधि से तैयार किया जाता है, जिसमें तिल के तेल में औषधीय जड़ी-बूटियों को सात दिनों तक पकाया जाता है। यह तेल बालों की देखभाल के लिए अत्यधिक प्रभावी है, जो बालों का झड़ना रोकता है और उनकी वृद्धि करता है साथ ही बालों की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। इसके अलावा महाविषगर्भ तेल, जो पीठ और जोड़ों के दर्द के लिए उपयोगी है, केंद्र का एक और लोकप्रिय उत्पाद है।
पीवीटीजी वन-धन विकास केंद्र, केशोड़ार केवल उत्पादों का निर्माण नहीं कर रहा है, बल्कि एक परंपरा और ज्ञान को संरक्षित कर बढ़ावा दे रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ की सक्रिय भागीदारी और इनकी मार्केटिंग रणनीति ने इस सफलता को संभव बनाया है। इस केंद्र की सफलता ने दिखाया है कि कैसे परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वित उपयोग कर ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
उत्तरप्रदेश के दो मंत्रियों ने पवित्र गंगा जल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर मुख्यमंत्री श्री साय को आमंत्रित किया
महाकुंभ में जाने वाले छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज में राज्य सरकार पंडाल लगाएगी, लोगों के ठहरने - भोजन की व्यवस्था रहेगी
रायपुर- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को प्रयागराज के पवित्र संगम में वर्ष 2025 में आयोजित हो रहे महाकुंभ में शामिल होने का आमंत्रण भेजा है। उन्होंने सभी छत्तीसगढ़ वासियों को भी महाकुंभ में आमंत्रित किया है।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की ओर से उनका आमंत्रण लेकर उत्तर प्रदेश के आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा और समाज कल्याण राज्य मंत्री श्री संजय गोंड ने मुख्यमंत्री श्री साय से सौजन्य मुलाकात की और उन्हें आमंत्रण पत्र, पवित्र गंगा जल और कुंभ का प्रतीक चिन्ह सौंप कर उन्हें महाकुंभ में आमंत्रित किया। मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया कि कुंभ स्थल पर छत्तीसगढ़ का भी एक पंडाल लगाया जाए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ के पंडाल के लिए स्थान उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र मंत्रीद्वय को सौंपा। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पंडाल में छत्तीसगढ़ से कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्था रहेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने मंत्री द्वय का छत्तीसगढ़ में आत्मीय स्वागत करते हुए आमंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में शामिल होना सौभाग्य का विषय है। वे पहले भी कुंभ में शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस बार का कुंभ विशेष है। आमंत्रण देने के लिए मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने दो-दो मंत्रियों को भेजा है। हम महाकुंभ में जरूर आएंगे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ प्रयागराज महाकुंभ 2025 के अवसर पर महाकुंभ में आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं को इस प्रदेश की संस्कृति, विकास और उपलब्धियों से परिचित कराने के लिए उत्सुक है। छत्तीसगढ़ से महाकुंभ के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के भोजन एवं रहने-ठहरने की व्यवस्था हेतु महाकुंभ क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के लिए भूमि आरक्षित करने का अनुरोध भी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से किया है।