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रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि आने वाले समय में बस्तर में स्थापित हो रहा नगरनार स्टील प्लांट बस्तर के विकास की नई इबातर लिखेगा। उन्होंने कहा कि नगरनार भविष्य का भिलाई है। भिलाई आठ सौ की आबादी वाला एक गांव था, जिसकी गिनती आज देश के बड़े शहरों में होती है। यही नगरनार आने वाले दस साल बाद भिलाई की तरह पूरा शहर बन जाएगा। कई उद्योग यहां स्थापित होंगे, जिससे विकास की रफ्तार बढ़ेगी। डॉ. सिंह आज जिला मुख्यालय जगदलपुर के धरमपुरा में निर्मित मुरिया समाज के सामाजिक भवन ‘मुरिया सदन‘ के लोकार्पण के पश्चात आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ने मुरिया सदन की प्रशंसा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसा शानदार सामाजिक भवन नहीं देखा। उन्होंने इसके लिए मुरिया समाज की संगठन क्षमता और जागृति की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 45 लाख रुपए की लागत से निर्मित इस भवन के लिए बस्तर विकास प्राधिकरण से 15 लाख रुपए, सांसद निधि से 10 लाख रुपए एवं विधायक निधि से पांच लाख रुपए प्रदान किया गया था। समाज द्वारा इस भवन के निर्माण के लिए 15 लाख रुपए इकट्ठा करना समाज की एकजुटता और जागरुकता को बताता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कनेक्टिविटी आदि सेक्टरों में योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं बस्तर के विकास को प्राथमिकता देते हैं। बस्तर को रेल कनेक्टिविटी से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। भानुप्रतापपुर तक रेल सेवा प्रारंभ हो चुकी है और अब कोण्डागांव होते हुए जगदलपुर को रेलमार्ग से जोड़ने का कार्य भी तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर को रेलमार्ग के साथ-साथ टेलीकॉम कनेक्टिविटी से भी जोड़ा जा रहा है, इसके साथ ही शासन द्वारा महिलाओं को स्मार्ट फोन भी दिया जाएगा। बस्तर के 14 वर्षोें के विकास का सफर यहां की जनता के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुरिया समाज की तारीफ करते हुए कहा कि यह समाज शिक्षा के साथ ही सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रयास के माध्यम से हमारे बेटे-बेटियां न केवल मेडिकल कॉलेज में जा रही हैं, इंजीनियरिंग कॉलेज में जा रही हैं। आईआईएम, आईआईटी जैसी संस्थानों में जा रहे हैं। डिप्टी कलेक्टर बन रहे हैं और आने वाले समय में यही प्रयास सफल होगा, जब बस्तर के बच्चे ही यहां कलेक्टर और एसपी बनकर यहां सेवा देंगे। शिक्षा का स्तर, गुणवत्ता कैसे बढ़े, इसके लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 1000 महिलाओं को साइकिल वितरित कर उन्हें शुभकामनाएं दी। और कहा कि इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। समारोह में मुख्यमंत्री ने 1529 हितग्राहियों को 58 लाख 12 हजार रूपए से अधिक के हितग्राहीमूलक सामग्री का वितरण किया। उन्होंने श्रम विभाग की योजना में 50 महिलाओं को सिलाई मशीन, एक सौ श्रमिकों को औजार के साथ ही दो श्रमिकों परिवारों को विवाह सहायता योजना के तहत 15-15 हजार रुपए तथा विश्वकर्मा मृत्यु दुर्घटना सहायता योजना के तहत एक हितग्राही को एक लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की। वन विभाग की लघु वनोपज उत्कृष्टता सम्मान योजना के तहत बजावंड के प्रबंधक श्री फरसुराम बघेल, बकावंड के पोषक अधिकारी श्री बी.डी. मानिकपुरी को 12-12 हजार रुपए, बजावंड की फड़मुंशी भागेश्वरी देवांगन, घोटिया के श्री सोमारु सेठी तथा बजावंड के श्री दुर्योधन कश्यप को 5-5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि, कृषि विभाग द्वारा कृषि यांत्रिकीकरण सबमिशन तथा विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत 3 हितग्राहियों को पेडी ट्रांसप्लांटर, 2 हितग्राहियों को रीपर, 23 हितग्राहियों को पावर स्प्रेयर एवं 10 हितग्राहियों को 3-3 एच.पी. के विद्युत पम्प का वितरण किया गया। जिला पंचायत द्वारा इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 52 माईक्रो एटीएम, लोहण्डीगुड़ा विकासखण्ड के 49 हितग्राहियों को वन अधिकार पट्टा एवं मत्स्यपालन विभाग के माध्यम से 224 हितग्राहियों को फिंगरलिंग कलेक्शन गिलनेट का वितरण किया गया। उन्होंने इस अवसर पर विशेष कोचिंग संस्थान में अध्ययन कर मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री केदार कश्यप, वन मंत्री श्री महेश गागड़ा, सांसद श्री दिनेश कश्यप, जगदलपुर विधायक श्री संतोष बाफना, युवा आयोग के अध्यक्ष श्री कमलचंद भंजदेव, वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्रीनिवास राव मद्दी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती जबिता मंडावी, जगदलपुर नगर निगम के सभापति श्री शेषनारायण तिवारी, मुरिया समाज के अध्यक्ष श्री मुरलीधर बघेल, श्री बैदूराम कश्यप, श्री लच्छूराम कश्यप, डॉ. सुभाऊ कश्यप, श्री किरणदेव, बड़ी संख्या में मुरिया समाज के लोग तथा ग्रामीणजन उपस्थित थे।
::/fulltext::रायपुर । राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल में पंजीकृत 53 प्रवर्ग की महिला कर्मकारों को स्वयं के विवाह अथवा धर्मज या विधिमान्य गोद ली गई या सौतेली पुत्री की शादी के लिए ’असंगठित कर्मकार विवाह योजना’ के तहत एकमुश्त 15 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इन 53 वर्गों में धोबी, दर्जी,माली, मोची,नाई, बुनकर, रिक्शा चालक, हाथ ठेला चलाने वाले, फुटकर सब्जी फल-फूल विक्रेता, चाय, चाट ठेला लगाने वाले, फुटपाथ ब्यापारी, फेरी लगाने वाले, मुर्रा-चना फोड़ने वाले, ऑटो चालक, टेंट हाउस में काम करने वाले, मछुआरा, शिकारी, देवार, नट-नटनी, पशु पालक, मछली, मुर्गी, बतख पालन में लगे मजदूर, रसोइया, हड्डी बीनने वाले, समाचार-पत्र बांटने वाले हॉकर, सिनेमा घरों में कार्यरत, सोने-चांदी के दुकानों काम करने वाले कारीगर, नाव चलाने वाले, तांगा वाले, बैलगाड़ी चलाने वाले, वनोपज में लगे मजदूर इत्यादि शामिल है। योजना का संचालन छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल द्वारा किया जाएगा।
विवाह सहायता योजना के संबंध में श्रम विभाग द्वारा यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से गत 10 अप्रैल को अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार असंगठित कर्मकार विवाह सहायता योजना के तहत प्रति विवाह 15 हजार रूपए दिया जाएगा। योजना के तहत पुजीकृत महिला कर्मकार को स्वयं के विवाह, एक बार पुनर्विवाह एवं पंजीकृत श्रमिक केे प्रथम दो पुत्रियों की विवाह के लिए सहायता राशि दी जाएगी। पुत्रियों की विवाह के समय आयु 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए। योजना के तहतहितग्राहियों को शादी के बाद छह महीने के भीतर सहायता के लिए आवेदन देना होगा। आवेदन किसी भी च्वाइस सेंटर, कम्प्यूटर सेंटर अथवा संबंधित जिले के सहायक श्रमायुक्त के कार्यालय में जाकर वेबसाइट में दिए निर्देशों के अनुरूप आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ विवाह प्रमाण पत्र और बैंक एकाउन्ट नंबर देना होगा। इस योजना में ठेका श्रमिक, घरेलू महिला कामगार हमाल एवं सफाई कामगारों को शामिल नहीं किया गया है।
::/fulltext::रायपुर . प्रदेश के सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं आसानी से मिल सके इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा चरणबद्ध ढंग से नये अस्पतालों के निर्माण की योजना बनाई गई है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने आम जनता को और भी ज्यादा बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दिलाने के लिए छह स्थानों पर सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल पर सभी जरूरी सुविधाओं से परिपूर्ण सौ-सौ बिस्तरों का अस्पताल बनवाने का निर्णय लिया है, जहां गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने अधिकारियों को इन अस्पताल भवनों के निर्माण के लिए सभी तैयारियां युद्धस्तर पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यह भी निर्णय लिया गया है कि इन स्थानों पर पहले से चल रहे सरकारी अस्पताल और सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र यथावत चलते रहेंगे और उनमें प्राथमिक स्तर की चिकित्सा सेवाएं मरीजों को मिलती रहेंगी। पीपीपी मॉडल पर नये अस्पताल भवनों का निर्माण रायपुर, मठपुरैना (रायपुर), खुर्सीपार (भिलाई नगर), कुरूद (जिला-धमतरी), भाटापारा (जिला-बलौदाबाजार) और मनेन्द्रगढ़ (जिला-कोरिया) में किया जाएगा।
स्वास्थ्य सेवाओं की संचालक रानू साहू ने आज यहां बताया कि इन स्थानों पर जमीन का चयन कर लिया गया है। नये बनने वाले 100-100 बिस्तरों के अस्पतालों में मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिलेंगी। इनका निर्माण बिल्ट, आॅपरेट, ओन एण्ड ट्रांसफर (BOOT) आधार पर किया जाएगा। एक निश्चित अवधि के बाद ये अस्पताल राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि आम जनता के व्यापक हित में कई कारणों से सरकार ने पीपीपी मॉडल पर नये अस्पताल बनवाने का निर्णय लिया है। वर्तमान में प्रदेश के बड़े शहरों जैसे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, अम्बिकापुर और जगदलपुर आदि के अलावा अन्य स्थानों पर सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में जरूरतमंद मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। पीपीपी मॉडल के नये अस्पतालों के लिए चयनित स्थानों पर वर्तमान में चल रहे सरकारी अस्पतालों में प्राथमिक स्तर की सुविधाएं तो मरीजों को दी जा रही हैं, लेकिन उनमें सरकार के निरंतर प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा इन इलाकों में विगत कुछ वर्षों में जनसंख्या में भी काफी बढ़ गई है। आबादी बढ़ने के अनुपात में वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अपेक्षित विस्तार जरूरी हो गया है।
रानू साहू ने बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने के कारण इन क्षेत्रों के मरीजों को इलाज करवाने के लिए जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों अथवा दूर-दराज के प्राईवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। उन्हें आने-जाने में खर्च और समय भी अधिक लगता है। मरीजों और उनके परिवारों की इन समस्याओं को देखते हुए राज्य सरकार ने उनके घरों के निकटवर्ती स्थानों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाओं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित सौ-सौ बिस्तरों के नये अस्पताल शुरू करने का फैसला किया है।
::/fulltext::रायपुर . शिक्षाकर्मियों की तर्ज पर विद्या मितान ने भी अपने आंदोलन की रफ्तार तेज कर दी है। आज अपनी मांगो को लेकर राजधानी के बूढ़ा तालाब में 200 से 250 विद्या मितान संघ ने जल सत्याग्रह कर अपना विरोध जताया। हालांकि पिछले दिनों ही विद्या मितान ने जल सत्याग्रह का ऐलान किया था, लेकिन उस दिन विद्या मितान को जल सत्याग्रह की अनुमति नहीं मिली।
विद्या मितान संघ का कहना है कि अगर इनकी मांगे नहीं मानी गई, तो इनका आन्दोलन इसी तरह से जरी रहेगा. और आने वाले समय में ये आन्दोलन और भी उग्र होगा. जिसकी जिम्मेदार सरकार की होगी. आपको बता दें कि आदिवासी अंचलों में विषय विशेषज्ञों के तर्ज पर पदस्थ विद्या मितान व्याख्याता शिक्षक के पद पर संविलियन की मांग कर रहे हैं। विद्या मितान के प्रदर्शन को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी पिछले दिनों समर्थन दिया था।
विद्या मितान का आरोप है कि वो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं और शिक्षक की भांति से पठन-पाठन का काम करते हैं, ऐसे में समान काम के एवज में उन्हें समान अधिकार मिलना चाहिये। विद्या मितान ने सरकार से सभी विद्यामितानों का व्याख्याता शिक्षक के पद पर संविलियन की मांग रखी है। प्रदर्शन के बारे में विद्या मितान के नेता जीवन रठोरे का कहना है कि जल सत्याग्रह की पिछले दिनों अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन अब वो जरूर प्रदर्शन करेंगे। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयी, तो उनका प्रदर्शन और भी उग्र होगा।
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