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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के तहत देश डॉक्टरों व स्टाफ को मोदी सरकार खास इंसेंटिंव देगी....
::/introtext::नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 18 हजार 840 हेल्थ सब सेंटर को चालू वित्त वर्ष में वेलनेस सेंटर में बदला जाना है। इस काम के लिए केंद्र सरकार ने अलग से 1200 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। इन सेंटरों के साथ ही इस योजना से जुड़े डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ के लिए मोदी सरकार ने खास योजना बनाई है।
सूत्रों की मानें तो इस योजना में काम करने वाले डॉक्टरों व स्टाफ को मोदी सरकार खास इंसेंटिंव देगी। ये इंसेंटिव कितना होगा अभी ये तय नहीं हुआ है लेकिन मिलने का खाका लगभग तैयार हो चुका है। सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर क्षमता से कई गुना ज्यादा मरीजों का इलाज करने वाले इन डॉक्टरों को अलग से सम्मान देने की योजना बनाई है। दरअसल सरकार का मानना है कि योजना से जुड़े करीब 10 लाख डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को प्रोत्साहित किया जाना बहुत जरूरी है।
::/fulltext::नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपने एक करोड़ मौजूदा और रिटायर्ड कर्मचारियों की तनख़्वाह और पेंशन बढ़ाने का ऐलान किया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने नया वेतन और पेंशन तय किया है। जानिए इससे जुड़ी 10 बातें जो आपके लिए जानना है बेहद जरूरी...
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की पहली वर्षगांठ पर सरकार 1 जुलाई 2018 को 'जीएसटी' दिवस के रूप में मनाएगी। नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई को इसकी शुरुआत की थी। भारतीय कर सुधार की दिशा में यह सबसे बड़ा कदम था। जीएसटी लागू करने का मकसद 'एक देश-एक कर' प्रणाली है जिसके तहत पूरे भारत में वस्तुओं का आवागमन एक से दूसरे कौने पर किसी भी बाधा के सहजता से हो। जीएसटी लागू करने पर सरकार के दावे थे कि एक समान टैक्स व्यवस्था लागू होने का सीधा फायदा आम आदमी को मिलेगा और आमजन से जुड़ी वस्तुएं सस्ती होंगी, लेकिन ऐसा कहीं नजर नहीं आया। टैक्स की जटिलताओं से बचने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई, लेकिन इसके शुरुआत में ही कई परेशानियां आईं। सरकार को कई वस्तुओं के टैक्स स्लैब में बार-बार बदलाव करने पड़े।
70 साल पुरानी टैक्स व्यवस्था हुई खत्म : एक जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने 70 साल पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म कर दिया था। इसकी जगह जीएसटी लागू किया था। इसके तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब का प्रारूप बनाया गया।
जीएसटी से कोई बड़ा नुकसान नहीं : जीएसटी लागू होने के बाद एक बार अप्रैल 2018 में जीएसटी का कलेक्शन अप्रैल-18 में 1,03,000 हुआ। जीएसटी लागू होने के बाद यह सवाल भी उठने लगे थे कि इससे टैक्स कलेक्शन में कमी आएगी। इससे सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ, लेकिन पिछले 11 महीने के आंकड़े के मुताबिक, 17 अप्रत्यक्ष करों के बदले जीएसटी लागू करने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
कितनी घटी महंगाई : कुछ देशों में जीएसटी लागू होने के शुरुआती महीने में महंगाई में बढ़ोतरी हुई। एक महीने बाद अगस्त 2017 में ये दर 3.36% पहुंच गई जो 5 महीने में सबसे ज्यादा थी। जीएसटी के 11 महीने बाद मई 2018 में महंगाई दर 4.87 प्रतिशत रही। जीएसटी पर सरकार का तर्क था कि यह लागू होने से आम आदमी को वस्तुएं सस्ती मिलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जीएसटी में जिन वस्तुओं के दाम बढ़ना थे, उनके तो बढ़ गए, लेकिन जिन पर टैक्स की दर कम थी, उन वस्तुओं के दामों में कोई कटौती नहीं हुआ।
जीएसटी में परेशानी : जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को व्यावहारिक और तकनीकी दिक्कतों को लेकर परेशानियों झेलनी पड़ीं। व्यापारियों को इसके रजिस्ट्रेशन को लेकर काफी दिक्कतें आईं। बार-बार सर्वर बैठने से ये परेशानियां सामने आईं। प्रोविजन आईडी जारी होने में 10 से 15 दिन का समय लगा। इन परेशानियों को देखते हुए सरकार को जीएसटीआर-1 की तारीख बार-बार आगे बढ़ानी पड़ी।
वित्तमंत्री का दावा, टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी प्रणाली के लागू होने के एक वर्ष पूरा होने की पूर्व संध्या पर फेसबुक पर एक पोस्ट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में 44 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी होने का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि समाप्त वित्त वर्ष में जीएसटी का प्रत्यक्ष कर संग्रह पर असर नजर नहीं आया था।
उनका कहना था कि जीएसटी वित्त वर्ष की शुरुआत से लागू नहीं हुआ था, इसलिए इसका पूरा असर नहीं दिखाई दिया, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में जीएसटी का कर संग्रह में असर साफ नजर आएगा। जेटली के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में व्यक्तिगत आयकर में 44 प्रतिशत और कंपनी कर श्रेणी में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने लिखा है 2017-18 में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 6.86 करोड़ पहुंच जाने की उम्मीद है। वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वालों में 1.06 करोड़ नए थे। कुल आयकर 10.02 लाख करोड़ एकत्रित किया गया। चार वर्षों में आयकर प्राप्ति में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
कार्ड का डेटा सेफ है या नहीं, इसको लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. सरकार ने आपके के डेटा को सुरक्षित बनाने के लिए एक और पुख्ता उपाय किया है. यह उपाय वर्चुअल आईडी है. 1 जुलाई से आप आधार का वर्चुअल आईडी जेनरेट कर सकेंगे. यानी अब आपको किसी को अपना आधार नंबर सीधा देने की जरूरत नहीं और न ही वो आपका आधार जान पाएगा. वर्चुअल आईडी 16 अंक का एक नंबर होगा, जिसे आप अलग-अलग जगहों पर आधार नंबर के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे. यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया () ने 1 जुलाई से वर्चुअल आइडेंटिफिकेशन (ID) को मैंडट कर दिया है.
यूआईडी के सीईओ अजय भूषण पांडे का कहना है कि वर्चुअल आईडी से आधार का इस्तेमाल आसान भी हो जाएगा और सुरक्षित भी. इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने वर्चुअल ID स्वीकार करने के लिए सभी बैंकों को 30 जून अपने सिस्टम में जरूरी बदलाव करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं. दूसरी तरह की सर्विसेज उपलब्ध कराने वाली कंपनियां भी इसी तय अवधि के तहत अपने सिस्टम में बदलाव करेंगी और 1 जुलाई से वर्चुअल ID को स्वीकार करेंगी.
वर्चुअल आईडी से आपके बायोमीट्रिक डिटेल्स की सुरक्षा और पुख्ता हो जाएगी. वर्चुअल ID असल में कंप्यूटर द्वारा जेनरेट किया गया नंबर है. इस नंबर को आप कितनी भी बार जेनरेट कर सकते हैं. वर्चुअल ID सिर्फ कुछ समय के लिए ही वैध रहेगी, इससे इस ID का गलत इस्तेमाल होने की आशंका न के बराबर होगी.
वर्चुअल आईडी को आप UIDAI की वेबसाइट, किसी आधार इनरॉलमेंट सेंटर या m-Aadhar App से जेनरेट कर सकते हैं. वर्चुअल आईडी जेनरेट करने के लिए आपके पास आधार नंबर से जुड़ा मोबाइल नंबर होना चाहिए.
आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर ही वन टाइम पासवर्ड आएगा, जो कि आपकी आधार वर्चुअल ID को ऑथेंटिकेट करेगा.