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सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि संदिग्ध ने डायरी में जिन लोगों को अपना निशाना बताया है, उनमें से अधिकांश महाराष्ट्र से हैं, जबकि 10 लोग कर्नाटक के रहने वाले हैं.
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के संदिग्ध अमोल काले की डायरी से एक चौकाने वाली बात का खुलासा हुआ है. डायरी से पता चला है कि लंकेश के अलावा संदिग्ध के निशाने पर 36 और लोग थे.सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि संदिग्ध ने डायरी में जिन लोगों को अपना निशाना बताया है, उनमें से अधिकांश महाराष्ट्र से हैं, जबकि 10 लोग कर्नाटक के रहने वाले हैं. कर्नाटक में जिन लोगों को हत्या के लिए चुना गया, संदिग्ध ने उन्हें ‘हिन्दू विरोधी’ के तौर पर पेश किया है. डायरी का अधिकांश हिस्सा कोड वर्ड में लिखा गया है. 36 लोगों की हत्या के जिक्र के साथ इसमें हत्या के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक के 50 शूटर्स का भी जिक्र है. उनमें से कुछ की बेलगांव, हुबली और पुणे में हथियार जैसे बंदूक, पिस्तौल, एयर गन और पेट्रोल बम बनाने की ट्रेनिंग चल रही थी. सूत्रों के अनुसार कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में हिन्दू संगठनों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में कौन सबसे ज्यादा साहसी है, इसे देखकर शूटर्स का चयन किया जाता.
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जानिए क्या है इस वर्चुअल आईडी को जनरेट करने का तरीका और कहां आएगी काम।
नई दिल्ली। आधार कार्ड को और सुरक्षित बनाने के लिए यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) द्वारा 2 अप्रैल को पेश की गई वर्चुअल आईडी अब लागू होने जा रही है। सरकार 1 जुलाई से इसे देशभर में लागू कर देगी जिसके बाद अब जहां भी आपको आधार कार्ड की जररूत होगी वहां यह वर्चुअल आईडी का उपयोग कर सकेंगे। इसके कारण आधार जहां और सुरक्षित हो जाएगा वहीं आपकी जानकारी भी सार्वजनिक होने का डर नहीं रहेगा।
जानें क्या है वर्चुअल आईडी?
वर्चुअल आईडी एक 16 अंकों का विशिष्ट नंबर है जिसे आधार धारक द्वारा बनाया व बदला जा सकता है। वर्चुअल आईडी को आधार धारक कई बार बदल सकते हैं। फिलहाल वर्चुअल आईडी न्यूनतम एक दिन के लिए वैध है। इसका मतलब आधार धारक वर्चुअल आईडी को एक दिन के बाद रीजनरेट कर सकते हैं। वर्चुअल आईडी की एक्सपाइरी डेट के बार में फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है। ऐसे में एक वर्चुअल आईडी तब तक के लिए वैध होगी जब तक आधार धारक नई आईडी नहीं बना लेते हैं। एक समय पर किसी भी आधार कार्ड के लिए केवल एक ही एक्टिव वर्चुअल आईडी हो सकती है।
कैसे इस्तेमाल करें वर्चुअल आईडी?
किसी भी ऑथेंटिकेशन के लिए धारकों को पहले अपना आधार नंबर देना होता था। लेकिन 1 जुलाई से उन्हें 16 अंकों का वर्चुअल आईडी देना होगा। इससे आधार धारक को किसी भी ट्रांजैक्शन या अन्य काम के लिए अपना आधार नंबर देने की आवश्यकता नहीं है। केवल वर्चुअल आईडी देकर भी ऑथेंटिकेशन संभव है। ऑथेंटिकेशन के लिए वर्चुअल आईडी देने के बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा जिसका इस्तेमाल आप किसी भी सर्विस या ट्रांजैक्शन को सत्यापित करने के लिए कर सकते हैं।
ऐसे ले सकेंगे वीआईडी
यह एक डिजिटल आईडी होगी। इसे सिर्फ यूआईडीएआई के पोर्टल से ही जनरेट किया जा सकता है। यह एक दिन के लिए मान्य होगा। यानी इसे जरूरत पड़ने पर रोजाना हासिल करना होगा।
ऐसे जनरेट करें
- इसके लिए यूआईडीएआई के होमपेज पर जाएं।
- अपना आधार नंबर डालें। इसके बाद सिक्योरिटी कोड डालें और सेंड ओटीपी पर क्लिक कर दें।
- रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी मिल जाएगा।
- ओटीपी डालने के बाद आपको नई वीआईडी जनरेट करने का विकल्प मिल जाएगा।
- जब यह जनरेट हो जाएगी तो आपके मोबाइल पर आपकी वर्चुअल आईडी भेज दी जाएगी। यानी 16 अंकों का नंबर आ जाएगा।
- यह वर्चुअल आईडी अनगिनत बार जनरेट किया जा सकेगा और नया आईडी जनरेट होते ही पुराना बेकार हो जाएगा।
- इसकी खास बात यह रहेगी कि वर्चुअल आइडी की नकल नहीं की जा सकेगी।
वर्चुअल आईडी की यहां पड़ेगी जरूरत
आपको बता दें कि वर्चुअल आईडी की सभी भुगतान बैंक, बीमा कंपनी, एनपीसीआई, पीपीआई, एनबीएफसी, टेलिकॉम ऑपरेटर या अन्य एजेंसियों पर सत्यापन के लिए जरुरत होगी। यह आधार नंबर का विकल्प है जिससे आधारकार्ड धारक की गोपनियता बनी रहेगी।
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यूजीसी नाम की संस्था अब खत्म हो जाएगी। इसकी जगह एचईसीआई (हायर एजुकेशन कमीशन आफ इंडिया) लेगा।
नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने और फर्जी विश्वविद्यालयों पर लगाम कसने के लिए सरकार ने यूजीसी एक्ट में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। इसके तहत यूजीसी नाम की संस्था अब खत्म हो जाएगी। इसकी जगह एचईसीआई (हायर एजुकेशन कमीशन आफ इंडिया) लेगा। लेकिन इसके पास विश्वविद्यालयों और कालेजों को वित्तीय मदद देने का अधिकार अब नहीं होगा। अब यह अधिकार सीधे मंत्रालय के पास होगा। नए एक्ट के तहत एचईसीआई के पास फर्जी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फर्जी डिग्री बांट रहे संस्थानों के खिलाफ सीधी कार्रवाई और मान्यता रद करने तक का अधिकार होगा। साथ ही अनियमितता बरतने वालों के खिलाफ जुर्माना और तीन साल की सजा का भी अधिकार होगा। वहीं नए एक्ट के तहत सभी विवि के लिए एक ही आयोग होगा। इनमें केंद्रीय विवि, राज्य विवि, निजी विवि, डीम्ड विवि आएंगे। जिनके लिए वह नियम और दिशा-निर्देश तय कर सकेंगे। अभी निजी और डीम्ड जैसे विश्वविद्यालयों के लिए नियम मंत्रालय से तय होते है। इसके साथ ही एचईसीआई के दायरे में ऑनलाइन रेगुलेशन, नैक को मजबूती देने, विवि और कालेजों को स्वायत्ता, स्वयं पोर्टल सहित ओपन लर्निग रेगुलेशन आदि तय करने का भी काम होगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर इस बदलाव पर खुशी जताई और कहा कि इससे उच्च शिक्षा में चल रहे इंस्पेक्टर राज का भी खात्मा होगा।
मौजूदा समय में मंत्रालय के पास विवि और कालेजों को ज्यादा ग्रांट देने और निरीक्षण के नाम पर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले भी सामने आते रहे है। यही वजह है कि नए बदलाव के बाद गठित होने वाले एचईसीआई के पास वित्तीय अधिकार नहीं होगा। उसका फोकस सिर्फ विश्वविद्यालयों के पठन-पाठन और शोध क्षेत्र में किए जा रहे उसके काम-काज को लेकर रहेगा। इसके अलावा मान्यता जैसे विषयों का निराकरण ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए एचईसीआई के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
ऐसा होगा एचईसीआई का सेटअप
नए एक्ट के तहत गठित होने वाले एचईसीआई में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े 12 सदस्य भी होंगे। इसके साथ ही आयोग का एक सचिव भी होगा, जो सदस्य सचिव के रुप में काम करेगा। इन सभी की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। चेयरमैन का चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित एक चार सदस्यीय सर्च कमेटी करेगी। इनमें उच्च शिक्षा सचिव भी बतौर सदस्य शामिल होंगे।
::/fulltext::केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की गणना सहीं से न करने पर देशभर के 130 अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. इसके तहत सीबीएसई ने देशभर में 130 अध्यापकों और को-ऑरिडेटर्स पर कार्रवाई करने के लिए स्कूलों को नोटिस भेज दिया. जिसमें अध्यापकों को निलंबित करना भी शामिल है. बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक़ जहाँ-जहाँ भी कापियों के मूल्यांकन में गलतियाँ पाई गई हैं वहां के क्षेत्रीय कार्यालयों को उन स्कूलों, टीचर्स और को-आर्डिनेटर्स के खिलाफ कार्यवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
सबसे अधिक गड़बड़ी पटना में
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सबसे अधिक गलतियाँ पटना के अध्यापकों के द्वारा की गई हैं. यहाँ के 45 शिक्षक बोर्ड की साख को खराब करने और छात्रों की करियर से जुड़े गंभीर नतीजों के साथ खिलवाड़ करते पाए गए.
अन्य क्षेत्र जहाँ पाई गई गलतियाँ
पटना के अलावा सीबीएसई के देहरादून ऑफिस के 27, चेन्नई के 14, इलाहाबाद के 11, भुवनेश्वर के 7, , गुवाहाटी के 2, अजमेर के 8, तिरुवंतपुरम के 1 और दिल्ली के 6 अध्यापकों को मूल्यांकन में गलतियों के लिए चिह्नित किया गया है.
दिल्ली रीजन के तो 7 अध्यापकों को निलंबित किया जाएगा. इन्हें अंकों की सही गणना न करने का दोषी पाया गया है. कार्रवाई करते हुए दिल्ली क्षेत्र में तीन सरकारी और 2 निजी स्कूलों के शिक्षकों को अब तक सस्पेंड कर दिया गया है. इसी तरह बोर्ड ने इलाहाबाद के कुछ स्कूलों को नोटिस भेजकर 15 अध्यापकों को निलंबित करने को कहा है. अधिकारी ने बताया कि देहरादून ऑफिस से 27 चिन्हित अध्यापकों के खिलाफ बर्खास्त करने समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस स्कूलों को भेजे जा चुके है.
50 से 55 अंक तक पाई गई गड़बड़ी
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शिक्षकों के खिलाफ यह सख्त कदम तब उठाया है जब कापियों की दोबारा जांच की गई तो उनमें 50- 55 अंकों की गड़बड़ी पाई गई. उर्दू की एक कापी में छत्र को फेल कर दिया गया था. जब उस कापी का पुनर्मूल्यांकन करवाया गया तो वह छात्र पास हो गया.
पहली बार सीबीएसई ने की ऐसी कार्रवाई
ऐसा पहली बार हो रहा है जब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने इस तरह की गलती करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कठोर कदम उठाया है.
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़
कापियों के मूल्यांकन में अध्यापकों द्वारा की जाने वाली यह गड़बड़ी निश्चित तौर पर यह उनके द्वारा की जाने वाली घोर लापरवाही है. कक्षा 12 की परीक्षा के नतीजे छात्रों के करियर के लिए बहुच अहम होते हैं. इंटरमीडिएट के मार्क्स के आधार पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन होते हैं.
कैसे पता चला मूल्यांकन में गड़बड़ी
सीबीएसई ने 10 वीं और 12 वीं नतीजे मई में घोषित किए थे. उसके बाद पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हुई. इस प्रक्रिया के तहत वे छात्र जो अपने अंकों से संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था. जिसमें बोर्ड ने 50 से लेकर 55 अंकों तक की गड़बड़ी पाई.