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श्रीनगर। इस बार की अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरा किस हद तक मंडरा रहा है। इसी से साबित होता है कि रक्षामंत्री खुद सुरक्षा प्रबंधों को जांचने के लिए कश्मीर के दौरे पर हैं। और यह खतरा कितना है अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहली बार अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की सुरक्षा की खातिर एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं तथा बड़ी संख्या में ड्रोन की सहायता ली जाएगी। 28 जून (जिस दिन हिमलिंग के प्रथम दर्शन होंगे) से शुरू हो रहे अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को जम्मू कश्मीर पहुंचीं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमरनाथ यात्रा के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेने के दौरान सीतारमण के साथ आर्मी के सीनियर कमांडर भी हैं।
नयी दिल्ली 25 जून 2018। : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत का जायजा लेने रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचे। खबरों के मुताबिक, पीएम मोदी ने बिना सिक्योरिटी और बिना रूट के अपने घर सात लोक कल्याण मार्ग से एम्स तक का सफर तय किया। इस दौरान पीएम मोदी ने सात लोक कल्याण मार्ग से एम्स तक ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए पहुंचे।पीएम मोदी बिना सुरक्षा और प्रोटोकॉल के ही अस्पताल पहुंचे थे, इसलिए एम्स प्रशासन को भी उनके आने की जानकारी नहीं थी। एम्स के एक सूत्र के मुताबिक, पीएम मोदी रात करीब नौ बजे अस्पताल आए और 15-20 मिनट तक यहां रुके रहे।पिछले हफ्ते सूत्रों ने कहा था कि उनकी हालत में कुछ सुधार हो रहा है जबकि वह अब भी कार्डियो थोरेसिक सेंटर के गहन चिकित्सा कक्ष में हैं. आपको बता दें कि किडनी में संक्रमण , छाती में संकुलन और पेशाब कम होने के चलते 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री तथा भाजपा नेता को 11 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बिना सुरक्षा और प्रोटोकॉल के ही एम्स पहुंचे पीएम मोदी बिना सुरक्षा और प्रोटोकॉल के ही बीती रात एम्स पहुंचे. सूत्रों के अनुसार, एम्स प्रशासन को भी इसकी जानकारी तभी हुई जब प्रधानमंत्री वहां पहुंचे. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने बिना सिक्योरिटी और बिना रूट के अपने घर सात लोक कल्याण मार्ग से एम्स तक का सफर तय किया. वे सात लोक कल्याण मार्ग से एम्स तक ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए यानी लाल बत्ती पर रुकते हुए पहुंचे थे.
::/fulltext::इंडियन रेलवे यात्री किराए में जिन लोगों को विशेष छूट देती है उनमें सीनियर सिटीजन, विकलांग यात्री, छात्र, शहीद की विधवाएं एवं अन्य शामिल हैं.
नई दिल्ली : हर रोज 2 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्यों तक का सफर करवाने वाली इंडियन रेलवे समाज के एक विशेष वर्ग को ट्रेन टिकट की कीमत में खास छूट प्रदान करती है। यह छूट 25 फीसद से लेकर 100 फीसद तक हो सकती है। हालांकि इस तरह की छूट पाने वाले यात्रियों को कुछ प्रमाण पत्र दिखाने की आवश्यकता होती है, जिसके बाद ही उन्हें सस्ती दरों पर रेलवे की ओर से टिकट उपलब्ध करवाई जाती है और ये सुविधा अधिकांशतया: काउंटर पर ही उपलब्ध होती है।
ट्रेन टिकट में किन्हें छूट देती है इंडियन रेलवे?
इंडियन रेलवे यात्री किराए में जिन लोगों को विशेष छूट देती है उनमें सीनियर सिटीजन, विकलांग यात्री, छात्र, शहीद की विधवाएं एवं अन्य शामिल हैं। हालांकि आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन) जो कि इंडियन रेलवे का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, वह ऑनलाइन माध्यम से सिर्फ सीनियर सिटीजन को ही सुविधा प्रदान करता है। यानी अन्य छूट वाले टिकट इंडियन रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) काउंटर पर ही उपलब्ध होते हैं। यह जानकारी इंडियन रेलवे के पोर्टल इंडियन रेल डॉट गॉव डॉट इन (indianrail.gov.in) पर उपलब्ध है।
इंडियन रेलवे के छूट वाले टिकट से जुड़े नियम:
कश्मीर में सुरक्षाबलों ने 21 मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची जारी की है। सेना ने उत्तरी कश्मीर तक सक्रिय 256 आतंकियों को चिह्नित किया है।
श्रीनगर (राज्य ब्यूरो)। रमजान के महीने में एकतरफा संघर्षविराम का फायदा उठाकर नेटवर्क मजबूत बनाने में कामयाब रहे आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने का सुरक्षाबलों ने इंतजाम कर लिया है। सफल ऑपरेशन ऑल आउट के बाद अब एक बार फिर सेना घाटी में सक्रिया आतंकियों को चुन-चुनकर मारने की तैयारी में है।सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर से उत्तरी कश्मीर तक सक्रिय 256 आतंकियों को चिह्नित किया है, इनमें से 21 को मोस्ट वांटेड की सूची में रखा गया है।
सूची में आतंकी बांगरु का नाम नहीं
सूची में श्रीनगर, पुलवामा, गांदरबल और बड़गाम में सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना महराजुदीन बांगरु का नाम नहीं है। बांगरु ने बीते तीन वर्षों के दौरान श्रीनगर व साथ सटे इलाकों मे आतंकियों की नई पौध तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई भी सैन्य या पुलिस अधिकारी मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची की पुष्टि नहीं कर रहा है। वे सीधे शब्दों में कहते हैं कि उनके लिए प्रत्येक आतंकी मोस्ट वांटेड ही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मोस्ट वांटेड आतंकियों की तैयार की गई सूची में सबसे ज्यादा 11 आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के हैं। इसमें अंसार-उल-गजवा-ए हिंद का कमांडर जाकिर मूसा भी शामिल है। सूची में जैश के दो और लश्कर के सात आतंकी हैं। अल-बदर का एक भी आतंकी मोस्ट वांटेड नहीं है।
किस श्रेणी में कितने आतंकी
सूची में शामिल 21 आतंकियों में से डबल प्लस ए श्रेणी के सात, सिंगल ए श्रेणी के छह, ए श्रेणी के चार और बी-श्रेणी के दो आतंकी हैं। दो अन्य आतंकियों को अभी सुरक्षाबलों ने किसी वर्ग में शामिल नहीं किया है। दोनों जैश- ए- मुहम्मद के स्थानीय आतंकी जाहिद अहमद वानी और मुदस्सर अहदम खान हैं। करीमाबाद पुलवामा का रहने वाला जाहिद जून, 2017 में और मुदस्सर (निवासी मिडूरा, अवंतीपोर) इसी साल जनवरी में आतंकी बना है।
ऑपरेशन ऑल आउट क्यों शुरू हुआ
बता दें कि पिछले साल 2017 में घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन ऑल आउट शुरू किया था। इस ऑपरेशन के पहले चरण में सेना ने 200 से ज्यादा आतंकी मार गिराये थे। अब रमजान खत्म होने और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद सेना ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट पार्ट- 2 शुरू कर दिया है। सैन्य सूत्रों के अनुसार इस समय कश्मीर में करीब 300 आतंकी सक्रिय हैं, लेकिन इस समय सेना की हिट लिस्ट में 20 मोस्ट मांटेड टेरोरिस्ट हैं। ये सभी मोस्ट वांटेड टेरोरिस्ट दक्षिणी कश्मीर के हैं।
::/fulltext::लातेहार. चतरा और लातेहार जिला पुलिस की संयुक्त अभियान में पुलिस को चतरा जिला अंतर्गत लावालौंग थाना क्षेत्र के जंगलों से विदेशी कारतूस का जखीरा मिला है। सभी कारतूसों में मेड इन सर्बिया लिखा हुआ है। कारतूसों की संख्या करीब 1520 बतायी जाती है। इतने बड़े पैमाने में विदेशी गोली पहली बार पुलिस ने बरामद की है। लातेहार एसपी प्रशांत आनंद को गुप्त सूचना मिली थी। जिसके बाद चतरा पुलिस के साथ मिलकर एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया जा रहा था। ऑपरेशन लावालौंग के जंगलों में चलाया जा रहा था, तभी यह ज़खीरा जमीन में गड़ा हुआ मिला। विदेशी कारतूस देखकर एकाएक पुलिस के अधिकारी भी अचंभित हो गए। फिलहाल पुलिस या जानकारी जुटाने में जुटी है कि यह गोली आई कहां से थी किस के मार्फत यह गोली यहां तक पहुंची थी।
विदेशी कनेक्शन पुलिस विभाग के लिए बड़ा खतरा
सभी कारतूस विदेश से मंगाए गए थे। संभावना जतायी जा रही है कि यह कारतूस माओवादियों ने अपने लिए मंगाया था। माओवादियों का विदेशियों के साथ संपर्क में आना पुलिस विभाग और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जायेगी। यह एक बड़ा सवाल खुफिया एजेंसी और सुरक्षा एजेंसी दोनों के लिए है कि इतना बड़ा जखीरा देश में आ गया और दोनों को मालूम भी नहीं चल पाया।
कारतूस का बंदूक नहीं है भारत में
पुलिस ने जो कारतूस बरामद किया है उसका अर्थ उसको चलाने के लिए जो बंदूक उपयोग में आती है वह बंदूक पूरे भारत में कहीं नहीं है। भारतीय सेना जो लगभग सभी प्रकार के बंदूकों का उपयोग करती है उनके पास भी इस गोली को चलाने वाली बंधूक नही है।
मारक क्षमता इतनी तेज, बुलेट प्रूफ जैकेट को भी कर दे छेद
जो गोली बरामद किया गया है। इसके बारे में एक्सपर्ट बताते है कि यह गोली सर्बिया में बनता है। इसकी मारक क्षमता इतनी है कि यह गोली बुलेट प्रूफ जैकेट को भी छेद कर सकता है। इस गोली का इस्तेमाल भारत मे कभी नही किया गया है। यहाँ तक कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इस प्रकार का गोली यूज़ नही किया गया था।
माओवादियों का आतंकियों से भी हो सकता है कनेक्शन
जिस प्रकार से सर्बियन कारतूस लावालौंग जैसे जंगलों से बरामद हो रहे हैं इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उग्रवादी संगठनों की पहुंच आतंकी संगठनों तक हो गई है। संभावना जतायी जा रही है कि उनके सहयोग से ही इस प्रकार की गोली को भारत में लाया गया। यदि संभावना हकीकत है तो फिर यह देश सुरक्षा और सुरक्षा प्रहरियों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
नेपाल के रास्ते लायी गयी होगी कारतूस
संभावना यह है कि गोली नेपाल के रास्ते भारत मे गोली लायी गयी होगी। भारत से 6 हजार किमी दूर स्थित सर्बिया से गोली भारत तक लायी गयी वो भी इतना भयानक मारक क्षमता वाली इस कारतूसों ने सुरक्षा एजेंसियों के भी होश उड़ा दिए है।
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