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नई दिल्ली: 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र बने भारत के राष्ट्रपति पद पर दूसरी बार एक महिला सुशोभित हो गई हैं, बस ,औपचारिक घोषणा होना शेष रह गया है... 18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की प्रत्याशी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा से हुए मुकाबले में कुल वोटों में से 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल कर लिए हैं, हालांकि मतगणना अब भी जारी है... भारतीय संविधान में की गई व्यवस्था के अनुसार पांच साल के कार्यकाल वाले इस सर्वोच्च पद पर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई, 2022 को शपथ लेकर विराजमान होंगी, जिन्हें देश के मौजूदा प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन.वी. रमना पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे... सो, इस समय यह याद करना दिलचस्प रहेगा कि भारत के गणतंत्र बन जाने, यानी संविधान को अंगीकार कर लेने के बाद से अब तक कितने राष्ट्रपति देश में रह चुके हैं, और उनसे जुड़ी कुछ रोचक और अनजानी बातें जान लेना भी काफी रोचक होगा...
भारत के राष्ट्रपतियों से जुड़े 20 रोचक तथ्य
1- द्रौपदी मुर्मू भारतीय गणराज्य की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गई हैं... भारत का राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सुप्रीम कमांडर तथा देश का पहला नागरिक भी होता है...
2- द्रौपदी मुर्मू देश की पहली जनजातीय महिला राष्ट्रपति तथा दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं... भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल थीं, जो 25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई, 2012 तक राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहीं...
3- अब तक देश के 12 राष्ट्रपतियों ने अपना पांच-वर्षीय कार्यकाल पूरा किया है... भारत के दो राष्ट्रपति - तीसरे राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन (निधन : 3 मई, 1969) तथा पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद (निधन : 11 फरवरी, 1977) - का देहावसान पद पर रहते हुए हुआ, और वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे...
5- भारत में अब तक कुल तीन कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे हैं... देश के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकटगिरि (वी.वी. गिरि) थे, जो भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन के पद पर रहते हुए निधन के बाद 3 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 तक 78 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर रहे... जब वी.वी. गिरि ने राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए पद से त्यागपत्र दिया, तो 20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 तक 35 दिन के लिए मोहम्मद हिदायतुल्ला (वह भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) भी रह चुके हैं) को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया... इसके बाद, देश के तीसरे कार्यवाहक राष्ट्रपति बासप्पा दानप्पा जत्ती (बी.डी. जत्ती) बने, जब पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का पद पर रहते हुए निधन हो गया... बी.डी. जत्ती 11 फरवरी, 1977 से 25 जुलाई, 1977 तक कुल 164 दिन के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे...
6- मोहम्मद हिदायतुल्ला देश के सर्वोच्च पद पर (कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में) पहुंचने वाले एकमात्र शख्स हैं, जो भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) भी रहे...
7- मोहम्मद हिदायतुल्ला ही एकमात्र शख्सियत हैं, जो कार्यवाहक राष्ट्रपति रहने के बाद देश के उपराष्ट्रपति बने... मोहम्मद हिदायतुल्ला 31 अगस्त, 1979 से 30 अगस्त, 1984 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे... उनके उपराष्ट्रपति काल में देश के राष्ट्रपति पद नीलम संजीवा रेड्डी तथा ज्ञानी ज़ैल सिंह विराजमान रहे...
8- छठे राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी भारत के एकमात्र राष्ट्रपति रहे, जिनका चुनाव निर्विरोध हुआ था... वर्ष 1977 में हुए चुनाव के लिए दाखिल किए गए सभी 36 अन्य नामांकन पत्र रद्द हो गए थे, और वही अकेले मैदान में बचे थे...
9- एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वर्ष 1969 में भी नीलम संजीवा रेड्डी ने आधिकारिक कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था, परन्तु उस वक्त वह बेहद कम अंतर से निर्दलीय वराहगिरी वेंकटगिरि (वी.वी. गिरि) से हार गए थे...
10- देश में सबसे रोचक राष्ट्रपति चुनाव 1969 का ही रहा था, जब नीलम संजीवा रेड्डी के कांग्रेस का आधिकारिक प्रत्याशी होने के बावजूद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सांकेतिक तौर पर वी.वी. गिरी का समर्थन किया था, जिसकी बदौलत वामदलों के अलावा कांग्रेस के भी कुछ जनप्रतिनिधियों ने वीवी. गिरी का साथ दिया. हालांकि वी.वी. गिरी को पहली वरीयता वाले सिर्फ 48 फीसदी मत हालि हुए थे, और उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, परन्तु उस वक्त चुनाव में तीसरे आधिकारिक प्रत्याशी वित्तमंत्री सी.डी. देशमुख को भी एक लाख से कुछ ज़्यादा वोट मिल गए थे, जिसके फलस्वरूप नीलम संजीवा रेड्डी चुनाव हार गए थे...
11- भारत में छह राष्ट्रपति ऐसे रहे, जो उपराष्ट्रपति, यानी संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति भी रहे हैं... भारत के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने थे... देश के दूसरे उपराष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने थे... तीसरे उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरी भी देश के चौथे राष्ट्रपति चुने गए... रामास्वामी वेंकटरमण भारत के सातवें उपराष्ट्रपति थे, जो आठवें राष्ट्रपति चुने गए... आठवें उपराष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा भी नौवें राष्ट्रपति बने... इसी प्रकार, नौवें उपराष्ट्रपति कोचेरिल रमन नारायणन (के.आर. नारायणन) भी भारत के 10वें राष्ट्रपति बने... के.आर. नारायणन के बाद राष्ट्रपति पद पर अब तक कोई भी उपराष्ट्रपति विराजमान नहीं हुआ है...
12- राष्ट्रपति के रूप में सबसे छोटा कार्यकाल तीसरे राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन का रहा था... वह 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969 तक ही राष्ट्रपति रहे, और उनका कार्यकाल कुल एक साल 355 दिन का रहा... यह देश के राष्ट्रपति के रूप सबसे छोटा कार्यकाल रहा...
13- देश के पांचवें राष्ट्रपति और भारत के दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का 11 फरवरी, 1977 को देहावसान हो जाने पर बासप्पा दानप्पा जत्ती (बी.डी. जत्ती) कार्यवाहक राष्ट्रपति बने, और उन्होंने अपने पांच माह 14 दिन के कार्यकाल के दौरान देश के प्रधानमंत्री पद पर मोरारजी देसाई तथा उनके मंत्रिमंडल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई...
14- वर्ष 1957 में हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद पर 1950 से विराजमान डॉ राजेंद्र प्रसाद ने दोबारा चुनाव लड़ा था, और उस वक्त उन्हें 98.99 फीसदी मत प्राप्त हुए थे... यह किसी भी राष्ट्रपति द्वारा हासिल किए गए वोटों में सर्वाधिक प्रतिशत है...
15- वर्ष 1962 के राष्ट्रपति चुनाव में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 98.25 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे, और यह दूसरा सर्वाधिक वोट प्रतिशत है... हालिया वर्षों में कोचेरिल रमन नारायणन (के.आर. नारायणन) ने 1997 के राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 95 फीसदी वोट पाए थे, जब शिवसेना के अतिरिक्त सभी बड़ी पार्टियों ने उनका समर्थन किया था...
16- भारत के चौथे राष्ट्रपति वी.वी. गिरि एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे हैं, और उपराष्ट्रपति भी रहे हैं...
17- देश के पहले और एकमात्र सिख राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह थे, जो 25 जुलाई, 1982 से 25 जुलाई, 1987 तक भारतीय गणराज्य के सातवें राष्ट्रपति रहे...
18- देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन थे, जो भारत के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969 तक सर्वोच्च पद पर रहे... भारत के दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद थे, जो पांचवें राष्ट्राध्यक्ष के रूप में 24 अगस्त, 1974 से 11 फरवरी, 1977 तक राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहे... देश के तीसरे मुस्लिम राष्ट्रपति डॉ अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम, यानी डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम थे, जो देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 तक विराजमान रहे...
19- देश के पहले दलित राष्ट्रपति के.आर. नारायणन थे, जो 25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002 तक भारतीय गणराज्य के 10वें राष्ट्रपति रहे... देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति भारत के 14वें और निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं, जिन्होंने 25 जुलाई, 2017 को पदभार संभाला था, और अब 25 जुलाई, 2022 को द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण तक पद पर रहेंगे...
20- भारत के सभी राष्ट्रपति इस प्रकार हैं...
* पहले राष्ट्रपति थे डॉ राजेंद्र प्रसाद (जन्म 1884 - निधन 1963) - दो कार्यकाल तक पद पर रहे एकमात्र राष्ट्रपति, सबसे लम्बा कार्यकाल - (26 जनवरी, 1950 - 13 मई, 1962)
* दूसरे राष्ट्रपति थे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जन्म 1888 - निधन 1975) - राष्ट्रपति पद पर पहुंचे पहले उपराष्ट्रपति - (13 मई, 1962 - 13 मई, 1967)
* तीसरे राष्ट्रपति थे डॉ ज़ाकिर हुसैन (जन्म 1897 - निधन 1969) - पहले मुस्लिम राष्ट्रपति, पद पर रहते हुए देहावसान, सबसे छोटा कार्यकाल - (13 मई, 1967 - 3 मई, 1969)
* चौथे राष्ट्रपति थे वी.वी. गिरि (जन्म 1894 - निधन 1980) - पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति (उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति तथा राष्ट्रपति - तीनों पदों पर रहे एकमात्र व्यक्ति) - (24 अगस्त, 1969 - 24 अगस्त, 1974)
* पांचवें राष्ट्रपति थे फखरुद्दीन अली अहमद (जन्म 1905 - निधन 1977) - दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति, पद पर रहते हुए देहावसान - (24 अगस्त, 1974 - 11 फरवरी, 1977)
* छठे राष्ट्रपति थे नीलम संजीवा रेड्डी (जन्म 1913 - निधन 1996) - निर्विरोध चुने गए एकमात्र राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 1977 - 25 जुलाई, 1982)
* सातवें राष्ट्रपति थे ज्ञानी ज़ैल सिंह (जन्म 1916 - निधन 1994) - पहले और एकमात्र सिख राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 1982 - 25 जुलाई, 1987)
* आठवें राष्ट्रपति थे आर. वेंकटरमण (जन्म 1910 - निधन 2009) - (25 जुलाई, 1987 - 25 जुलाई, 1992)
* नौवें राष्ट्रपति थे डॉ शंकर दयाल शर्मा (जन्म 1918 - निधन 1999) - (25 जुलाई, 1992 - 25 जुलाई, 1997)
* 10वें राष्ट्रपति थे के.आर. नारायणन (जन्म 1920 - निधन 2005) - पहले दलित राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 1997 - 25 जुलाई, 2002)
* 11वें राष्ट्रपति थे डॉ अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम, यानी डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (जन्म 1931 - निधन 2015) - तीसरे मुस्लिम राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 2002 - 25 जुलाई, 2007)
* 12वीं राष्ट्रपति थीं श्रीमती प्रतिभा पाटिल (जन्म 1934) - पहली महिला राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 2007 - 25 जुलाई, 2012)
* 13वें राष्ट्रपति थे डॉ प्रणब मुखर्जी (जन्म 1935 - निधन 2020) - (25 जुलाई, 2012 - 25 जुलाई, 2017)
* 14वें और निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (जन्म 1945) - दूसरे दलित राष्ट्रपति - (25 जुलाई, 2007 - 25 जुलाई, 2012)
भारत के राष्ट्रपति | ||||
---|---|---|---|---|
संख्या | राष्ट्रपति का नाम | जन्म | निधन | कार्यकाल |
1 | डॉ राजेंद्र प्रसाद | 3 दिसंबर, 1884 | 28 फरवरी, 1963 | 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 |
2 | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 5 सितंबर, 1888 | 17 अप्रैल, 1975 | 13 मई, 1962 से 13 मई, 1967 |
3 | डॉ ज़ाकिर हुसैन | 8 फरवरी, 1897 | 3 मई, 1969 | 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969 |
** | वराहगिरी वेंकटगिरी | 10 अगस्त, 1894 | 24 जून, 1980 | 3 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 |
** | मोहम्मद हिदायतुल्ला | 17 दिसंबर, 1905 | 18 सितंबर, 1992 | 20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 |
4 | वराहगिरी वेंकटगिरी | 10 अगस्त, 1894 | 24 जून, 1980 | 24 अगस्त, 1969 से 24 अगस्त, 1974 |
5 | डॉ फखरुद्दीन अली अहमद | 13 मई, 1905 | 11 फरवरी, 1977 | 24 अगस्त, 1974 से 11 फरवरी, 1977 |
** | बासप्पा दानप्पा जत्ती | 10 सितंबर, 1912 | 7 जून, 2002 | 11 फरवरी, 1977 से 25 जुलाई, 1977 |
6 | नीलम संजीवा रेड्डी | 19 मई, 1913 | 1 जून, 1996 | 25 जुलाई, 1977 से 25 जुलाई, 1982 |
7 | ज्ञानी ज़ैल सिंह | 5 मई, 1916 | 25 दिसंबर, 1994 | 25 जुलाई, 1982 से 25 जुलाई, 1987 |
8 | रामास्वामी वेंकटरमण | 4 दिसंबर, 1910 | 27 जनवरी, 2009 | 25 जुलाई, 1987 से 25 जुलाई, 1992 |
9 | डॉ शंकर दयाल शर्मा | 19 अगस्त, 1918 | 26 दिसंबर, 1999 | 25 जुलाई, 1992 से 25 जुलाई, 1997 |
10 | कोचेरिल रमन नारायणन | 4 फरवरी, 1920 | 9 नवंबर, 2005 | 25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002 |
11 | डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम | 15 अक्टूबर, 1931 | 27 जुलाई, 2015 | 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 |
12 | प्रतिभा पाटिल | 19 दिसंबर, 1934 | - | 25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई, 2012 |
13 | डॉ प्रणब मुखर्जी | 11 दिसंबर, 1935 | 31 अगस्त, 2020 | 25 जुलाई, 2012 से 25 जुलाई, 2017 |
14 | रामनाथ कोविंद | 1 अक्टूबर, 1945 | - | 25 जुलाई, 2017 से 25 जुलाई, 2022 |
15 | द्रौपदी मुर्मू | 20 जून, 1958 | - | 25 जुलाई, 2022 को होगा शपथग्रहण |
** : कार्यवाहक राष्ट्रपति |
नई दिल्ली : देश का 15वां राष्ट्रपति कौन होगा, ये गुरुवार को तय हो जाएगा. राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान हो चुका है और आज को पूर्वाह्न 11 बजे यहां संसद भवन में मतगणना शुरू होगी. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से द्रौपदी मुर्मू जबकि विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं. मुर्मू की जीत की काफी संभावना जताई जा रही है. यदि वह जीत हासिल करती हैं, तो देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो जाएगा और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे. सभी राज्यों से मतपत्र संसद भवन लाए जा चुके हैं.
चुनाव अधिकारी संसद के कमरा संख्या 63 में मतगणना के लिए तैयार हैं. इस कक्ष में मतपत्रों की चौबीस घंटे कड़ी सुरक्षा की जा रही है.
चुनाव के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी राज्य सभा के सचिव जनरल पीसी मोदी बृहस्पतिवार को मतगणना की निगरानी करेंगे. शाम तक चुनाव परिणाम घोषित किए जाने की संभावना है.
मोदी पहले सांसदों के सभी मतों की गिनती के बाद चुनावी रुझानों के बारे में जानकारी देंगे और फिर 10 राज्यों के वोटों की वर्णानुक्रम में गिनती के बाद फिर से जानकारी साझा करेंगे.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद भवन समेत 31 स्थानों और विधानसभाओं के भीतर 30 केंद्रों पर सोमवार को पूर्वाह्न 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच मतदान हुआ था. कई राज्यों में मुर्मू के पक्ष में 'क्रॉस वोटिंग' होने की खबरें भी आई थीं. राष्ट्रपति चुनाव में सदस्यों को व्हिप जारी नहीं किया जाता.
मनोनीत सांसदों को छोड़कर संसद के दोनों सदनों लोकसभा व राज्य सभा के सदस्य और सभी राज्यों की विधानसभा के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में 776 सांसदों और 4,033 निर्वाचित विधायकों समेत कुल 4,809 मतदाता मतदान के पात्र थे. इसमें मनोनीत सांसद व विधायक और विधान परिषद के सदस्य मतदान नहीं कर सकते. निर्वाचन आयोग के अनुसार सोमवार को हुए मतदान के दौरान 99 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपना वोट डाला.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सनी देओल और संजय धोत्रे समेत आठ सांसद मतदान नहीं कर पाए. देओल मतदान के दौरान इलाज के लिए विदेश गए हुए हैं जबकि धोत्रे आईसीयू में भर्ती हैं.
सोमवार को भाजपा और शिवसेना के दो-दो, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम के एक-एक विधायक ने मतदान नहीं किया.
कोविंद ने वर्ष 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में कुल 10,69,358 में से 7,02,044 वोट पाकर जीत हासिल की थी. उनकी प्रतिद्वंद्वी मीरा कुमार को केवल 3,67,314 वोट मिले थे.
नई दिल्ली: संसद के 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान सरकार लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिये दो दर्जन नये विधेयक पेश करेगी. इसमें वन संरक्षण संशोधन विधेयक, ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक, परिवार अदालत संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने संबंधी विधेयक शामिल हैं.
लोकसभा सचिवालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बुलेटिन के अनुसार, सत्र के दौरान सरकार 24 नये विधेयकों के अलावा चार ऐसे विधेयक भी पेश करेगी जिस पर संसद की स्थायी समितियों ने विचार किया है. इसमें बताया गया है कि सत्र के दौरान भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 फिर से पेश किया जायेगा. पहले, इस विधेयक को एक अप्रैल 2022 को पेश किया गया था.
बुलेटिन के अनुसार, सत्र के दौरान माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण संशोधन विधेयक, सहकारी समिति संशोधन विधेयक, नेशनल डेंटल कमीशन विधेयक, भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक 2022 पेश किया जायेगा .इस सत्र के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022 भी पेश किया जायेगा जिसके माध्यम से राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है.
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा. इसमें 18 बैठकें होंगी. संसद का यह सत्र खास रहने वाला है क्योंकि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होना है वहीं 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा.
नई दिल्ली: देश के 15वें राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए 18 जुलाई, सोमवार को वोटिंग हो रही है. मतदान सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक होगा. वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी और अगले राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को होगा. राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से द्रौपदी मुर्मू तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं. द्रौपदी मुर्मू इसके पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. आदिवासी नेता मुर्मू निर्वाचित होने पर मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी. वहीं, विपक्षी दलों ने कभी बीजेपी के बड़े नेता रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर दांव लगाया है. सिन्हा ने 2018 में बीजेपी का साथ छोड़ दिया था और आरोप लगाया था कि बीजेपी में वो अंदरूनी लोकतंत्र नहीं रहा, जो पहले हुआ करता था.
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी बड़ी बातें
आज वोटिंग के जरिए देश के नए राष्ट्रपति के चेहरे पर मुहर लगेगी. द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के नाम पर आज वोट पड़ेंगे. इस चुनाव में मुर्मू की जीत लगभग तय है. कई गैर-राजग दल भी आदिवासी नेता की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, मुर्मू ने गठबंधन के घटक दलों के सांसदों के साथ बातचीत में रविवार को कहा कि देश के शीर्ष संवैधानिक पद के वास्ते उनके नामांकन पर आदिवासी और महिलाएं उत्साहित और प्रसन्न हैं.
द्रौपदी मुर्मू अगर जीत जाती हैं, तो वह देश की पहली जनजातीय महिला राष्ट्रपति होंगी, और वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. पहली महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल थीं, जो 25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई, 2012 तक देश की 12वीं राष्ट्रपति रहीं.
राष्ट्रपति चुनाव में 9 विधायक संसद भवन में वोटिंग करेंगे, जबकि लगभग 42 सांसद विभिन्न राज्यों के विधानसभा में वोटिंग करेंगे. संसद में वोट करने वाले विधायकों में 4 MLA UP से, 1 MLA असम से, 1 MLA हरियाणा से, 1 MLA उड़ीसा से, 2 MLA त्रिपुरा से हैं.
संसद भवन के कमरा संख्या 63 में 6 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जिनमें से एक बूथ डिसेबल लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. वोटिंग की गोपनीयता के लिंए बैलेट पेपर सीरियल नंबर की बजाए रैंडम तरीके से दिए जाएंगे.
इसके पहले रविवार को भाजपा संसदीय दल के नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान की रविवार को मॉक ड्रिल की. इसमें मंत्रियों और राजग के सहयोगी दलों के नेताओं के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सांसद शामिल हुए. सूत्रों ने बताया कि इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि सभी सांसद अपने मत सही तरीके से दें, ताकि सत्तारूढ़ गठबंधन का एक भी मत व्यर्थ न जाए. उधर, यशवंत सिन्हा ने रविवार को मुर्मू पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर वह चुनी जाती हैं, तो वह ‘‘मूक, अदृढ और रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति'' बनेंगी.'
आज होने वाले चुनाव में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका रहेगी. प्रदेश के हर निर्वाचित विधायक का मत मूल्य सर्वाधिक 208 रहने के कारण राज्य अहम रहेगा. उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कुल 403 सदस्य हैं जो इस चुनाव में मतदान करेंगे. राज्य के पांच विधायक व्यक्तिगत कारणों से 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राज्य के बाहर अपना वोट डालेंगे. इनमें से चार दिल्ली में मतदान करेंगे, जबकि एक विधायक ने तिरुवनंतपुरम में मतदान करने का फैसला किया है. विधायकों को अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देने के लिए चुनाव आयोग की विशेष कलम का इस्तेमाल करना होगा.
चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार एक सांसद के वोट का मूल्य 700 है. अलग-अलग राज्यों में हर विधायक के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है. उत्तर प्रदेश में प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 है, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु में 176 है. महाराष्ट्र में यह 175 है. सिक्किम में प्रति विधायक वोट का मूल्य सात है, जबकि नगालैंड में यह नौ और मिजोरम में आठ है.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं. मनोनीत सांसद, विधायक और विधानपरिषद के सदस्य इस चुनाव में मतदान करने के हकदार नहीं हैं. संसद के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को 18 जुलाई को मतदान के लिए अलग-अलग रंगों के मतपत्र मिलेंगे. सांसदों को जहां हरे रंग के मतपत्र मिलेंगे, वहीं विधायकों को गुलाबी रंग में मतपत्र दिये जाएंगे.
प्रमुख राजनीतिक दलों ने पहले ही संबंधित उम्मीदवारों के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर दी है. विपक्षी खेमे में समाजवादी पार्टी के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष और जसवंत नगर सीट से सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव भी राजग उम्मीदवार को वोट देने की घोषणा कर चुके हैं.
बता दें कि 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति का चुनाव भी होगा. इसके लिए एनडीए ने अब तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर के तौर पर सेवारत जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है. धनखड़ ने उम्मीदवारी घोषित होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं, विपक्ष ने अपना उम्मीदवार राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा को बनाया है.
हैदराबाद: आंध्र प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध का बड़ा मामला सामने आया है. आंध्र प्रदेश के एक एयरपोर्ट से उड़ान भरने के दौरान पीएम के हेलीकॉप्टर से नजदीक काले रंग के गुब्बारे देखे गए जिससे सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे. विजयवाड़ा के गन्नावरम एयरपोर्ट से टेकऑफ के तुरंत बाद सामने आए विजुअल्स में गुब्बारों को पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर के नजदीक देखा जा सकता है. वैसे पुलिस का कहना है कि सुरक्षा का कोई उल्लंघन नहीं हुआ और यह गुब्बारे पीएम के रवाना होने के करीब पांच मिनट बाद एयरपोर्ट से करीब साढ़े चार किलोमीटर दूर छोड़े गए.
जिस एयरपोर्ट से पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी, वहां कुछ कांग्रेस नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ये हाथ में काले रंग के गुब्बारे और तख्तियां लिए थे और पीएम के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. मामले में चार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है जबकि एक कार्यकर्ता लापता है. प्रधानमंत्री ने विशेष विमान से हैदराबाद से विजयवाड़ा के लिए उड़ान भरी थी और एक हेलीकॉप्टर से भीमावरम पहुंचे थे. पुलिस के अनुसार, पीएम के आने से पहले करीब साढ़े आठ बजे तीन लोग सुकंद्रा पद्मश्री, पार्वती और किशोर एयरपोर्ट की ओर गुब्बारे लेकर जाते दिखे थे जिन्हें रोक दिया गया था. पीएम के पहुंचने के पांच मिनट बाद दो कांग्रेस सदस्य राजीव रतन और रवि प्रकाश एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में चढ़ गए थे और गुब्बारे छोड़े थे. रवि प्रकाश को हिरासत में ले लिया गया है जबकि राजीव रतन लापता है. पुलिस उसकी तलाश कर रही है.
बहरहाल, बिना किसी घटना के प्रधानमंत्री की यात्रा पूरी हो गई, जिसके बाद एसपीजी ने राहत की सांस ली, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. एसपीजी ने काले गुब्बारे छोड़े जाने को काफी गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है.
एसपीजी ने राज्य की पुलिस से पूछा है कि अगर गुब्बारों के साथ ड्रोन भी होते तो क्या होता. कृष्णा जिले के पुलिस अधीक्षक पी. जोशुआ ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि हवाई अड्डे पर कोई सुरक्षा चूक नहीं हुई.
हालांकि एसपी ने कहा कि महिला विंग की नेता एस. पद्माश्री समेत कांग्रेस के तीन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया क्योंकि वे काले गुब्बारों के साथ हवाई अड्डे में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे, पुलिस ने गुब्बारे फोड़ दिए.
जोशुआ ने कहा, ''उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. सुरमपल्ली में काले गुब्बारे छोड़ने वाले दो में से एक व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया है जबकि दूसरे की तलाश जारी है.''
गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी सेंध का मामला सामने आया था. तब पीएम मोदी पठानकोट में रैली करने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में उनका काफिला किसान आंदोलन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया था. प्रदर्शनकारियों के बीच घिरा पीएम मोदी का सुरक्षा काफिला वहां से वापस लौटा था. इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार से जवाब भी मांगा था. बाद में पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसको लेकर खेद भी जताया था.