Sunday, 22 December 2024

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हिमा दास : ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वालीं पहली भारतीय ऐथलीट हैं।......

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नई दिल्ली । एथलीट हिमा दास ने गुरुवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने IAAF वर्ल्ड अंडर-20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप के 400 मीटर फाइनल में गोल्ड मेडल जीता। वह ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वालीं पहली भारतीय ऐथलीट हैं। हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता है. यह पहली बार है कि भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी.bहिमा ने यह दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की. रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस को सिल्वर और अमरीका की टेलर मैंसन को ब्रॉन्ज़ मेडल मिला.

हिमा दास ने इस उपलब्धि के साथ उस सूखे को भी खत्म कर दिया जो भारत के लेजेंड मिल्खा सिंह और पीटी उषा भी नहीं कर पाए थेहिमा दास से पहले भारत की कोई महिला या पुरुष खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड या कोई मेडल नहीं जीत सका था. .हिमा दास से पहले सबसे अच्छा प्रदर्शन मिल्खा सिंह और पीटी उषा का रहा था. पीटी उषा ने जहां 1984 ओलिंपिक में 400 मीटर हर्डल रेस में चौथा स्थान हासिल किया था.मिल्खा सिंह 1960 रोम ओलिंपिक में 400 मीटर रेस में चौथे स्थान पर रहे थे. इन दोनों के अलावा कोई भी ख‍िलाड़ी ट्रैक इवेंट में मेडल के करीब नहीं पहुंच सका है.हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की.

इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं. असम की रहने वालीं दास ने भारतीयी अंडर-20 के रेकॉर्ड 51.32 सेकंड का समय निकालते हुए अप्रैल में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में छठे स्थान पर रही थीं। इसके बाद से वह लगातार अपना समय सुधारती रही हैं। हाल ही में उन्होंने अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था। इस इवेंट में उन्होंने 51.13 सेकंड का समय निकाला था

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 FIFA WC 2018 : ‘चमत्कारिक’ जीत के बाद जश्न में डूबा क्रोएशिया.....

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जगरेब। पहली बार विश्व कप में पहुंचने के बाद क्रोएशिया में मानों जज्बात का सैलाब उमड़ पड़ा। कहीं आंसू छलके तो कहीं ठहाके बिखरे। कहीं पटाखे छूटे तो कहीं नारों के शोर से आसमान गूंज उठा। सरकारी टीवी के कमेंटेटर ड्रागो कोसिच खुशी से चीखते हुए बोले, क्रोएशिया विश्व कप फाइनल में। शानदार। सबसे बड़ा चमत्कार रूस में। जगरेब के मुख्य चौक पर भारी बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में फुटबॉलप्रेमी उमड़ पड़े। क्रोएशिया के स्टार खिलाड़ी लूका मोडरिच ने कहा, हम गौरवान्वित और खुश हैं। हम यहां नहीं रूकेंगे। विजयी गोल करने वाले मनजुकिच ने कहा, ‘महान टीमें ही इंग्लैंड के खिलाफ एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी कर सकती हैं। हम शेरों की तरह खेलें।’
 
सड़कों पर क्रोएशिया के ध्वज के लाल, सफेद और नीले रंग लपेटे लोगों का समूह खुशी में नाचता और गाता नजर आया। अपने दोस्तों के साथ जश्न में सराबोर फ्रान कूलिच ने कहा कि यह जज्बात से भरी शाम है। हमारे लिए यह बहुत बड़ी जीत है। कैफे और होटलों में वेटरों, कर्मचारियों, टीवी कमेंटेटरों और अस्पतालों में नर्सों ने भी लाल और सफेद जर्सी पहन रखी थी। कुछ दुकानें जल्दी बंद हो गई ताकि स्टॉफ मैच देख सके।
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1998 का चैम्पियन 20 साल के बाद फीफा विश्व कप फुटबॉल के फाइनल में पहुंच गया...... 

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सेंट पीटर्सबर्ग। 1998 का चैम्पियन 20 साल के बाद फीफा विश्व कप फुटबॉल के फाइनल में पहुंच गया है। आज में उसने दुनिया की तीसरे नंबर की टीम को 1-0 से हराया। मैच का एकमात्र निर्णायक गोल खेल के 51वें मिनट में सैमुअल उमटिटी ने दागा। फ्रांस तीसरी मर्तबा विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। 15 जुलाई को फाइनल में फ्रांस का मुकाबला इंग्लैंड और क्रोएशिया के बीच खेले जाने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा।
 
बेल्जियम का दुर्भाग्य रहा कि वह विश्व कप के इतिहास में पहली बार फाइनल में पहुंचने से वंचित रह गई। फ्रांस और बेल्जियम के बीच अब तक 74 मुकाबले हुए हैं। इनमें से 30 बार बेल्जियम औ 25 बार फ्रांस जीता। 19 मुकाबले ड्रॉ पर समाप्त हुए। हाफ टाइम के बाद खेल शुरु होते ही फ्रांस ने तूफानी आक्रमण जारी रखे। 51वें मिनट पर फ्रांस को कॉर्नर मिला। कॉर्नर पर सैमुअल उमटिटी को कोई जज नहीं कर रहा था और पीछे से आकर उन्होंने सटीक हैडर से गोल करके अपनी टीम को 1-0 से बढ़त दिला दी। फ्रांस की यही बढ़त मैच की निर्णायक बढ़त साबित हुई।
 

इस मैच में फ्रांस के गोलकीपर ह्यूगो लॉरिस की तारीफ करना होगी, जिन्होंने बेल्जियम के कई आक्रमणो को निस्तेज किया। बेल्जियम ने शुरुआत में 10 मिनट में ताबड़तोब हमले किए थे जिन्हें लॉरिस ने विफल किया।

फ्रांस की टीम तीसरी बार विश्व कप के फाइनल में जगह बनाने में सफल रही। टीम ने 1998 में अपनी ही मेजबानी में हुए विश्व कप फाइनल में ब्राजील को हराकर खिताब जीता था लेकिन 2006 के फाइनल में इटली से हार गई थी। बेल्जियम के खिलाफ विश्व कप के तीन मैचों में यह फ्रांस की तीसरी जीत है। इससे पहले फ्रांस ने 1938 में पहले दौर का मुकाबला 3-1 से जीतने के बाद 1986 में तीसरे दौर के प्लेआफ मैच में 4-2 से जीत दर्ज की। इसके साथ ही बेल्जियम का 24 मैचों का अजेय अभियान भी थम गया। इस दौरान उसने 78 गोल किए और आज के मैच से पहले सिर्फ एक मैच में टीम गोल नहीं कर पाई। बेल्जियम की टीम हालांकि विश्व कप में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ विदा हुई और अपने प्रदर्शन से लोगों का दिल जीतने में सफल रही।
 
बेल्जियम के लिए बायें छोर से एडन हेजार्ड ने कई अच्छे मूव बनाए लेकिन टीम को दायें छोर पर रोमेलु लुकाकु की नाकामी का खामियाजा भुगतना पड़ा। फ्रांस के स्टार स्ट्राइकर ओलिवर गिरोड भी कई मौकों पर अच्छे मूव को फिनिश करने में नाकाम रहे लेकिन उमटिटी ने टीम को मुश्किल में फंसने से बचा लिया। बेल्जियम की टीम ने थामस म्युनियर के निलंबन के कारण उनकी जगह मूसा डेम्बले को उतारा जबकि फ्रांस ने निलंबन के बाद वापसी कर रहे ब्लेस मातुइदी को कोरेनटिन टोलिसो की जगह शुरुआती एकादश में शामिल किया। दोनों टीमों ने मैच की सतर्क शुरुआती की। बेल्जियम की टीम हालांकि शुरुआत में कुछ बेहतर दिखी। टीम ने पांचवें मिनट में अच्छा मूव बनाया और गेंद बायें छोर पर एडन हेजार्ड के पास पहुंची लेकिन उनके क्रास को फ्रांस के डिफेंडरों ने बाहर कर दिया जिससे बेल्जियम को कॉर्नर किक मिली। 
 
बेल्जियम की टीम हालांकि नासेर चाडली के दिशाहीन शॉटके कारण कार्नर किक का फायदा नहीं उठा सकी। फ्रांस ने भी 10वें मिनट में बायें छोर से अच्छा मूव बनाया लेकिन पेनल्टी बाक्स में सतर्क खड़े बेल्जियम के डिफेंडरों ने आसानी से उसके प्रयास को नाकाम कर दिया। फ्रांस ने दो मिनट बाद बेल्जियम के मूव को विफल करते हुए पलटवार किया लेकिन युवा काइलियान एमबापे लंबे पास तक पहुंचते उससे पहले ही गोलकीपर थिबाउट कोर्टोइस ने आगे बढ़कर गेंद को अपने कब्जे में ले लिया।
 
बेल्जियम की टीम ने दाएं छोर से लगातार हमले किए लेकिन उसके खिलाड़ी फ्रांस के डिफेंस को भेदने में नाकाम रहे। इसी तरह के एक मूव पर केविन डि ब्रूइन ने क्रास से गेंद हेजार्ड के पास पहुंची लेकिन उनका दमदार शॉट गोल के करीब से बाहर निकल गया।
 
फ्रांस को 18वें मिनट में बेल्जियम के पेनल्टी बॉक्स में मची अफरातफरी के बाद गोल करने का मौका मिला लेकिन मातुइदी सीधे गेंद को कोर्टोइस के हाथों में खेल गए। अगले ही मिनट में हेजार्ड फिर हावी दिखे और उनके तेज शॉटको फ्रांस के रफेल वराने ने अपने हैडर से लगभग गोल के अंदर पहुंचा ही दिया था।
 
बेल्जियम को कॉर्नर किक मिली। गेंद टोबी एल्डरवेल्ड के पास पहुंची जिनके दमदार शॉटको गोलकीपर ह्यूगो लारिस ने दायीं ओर गोता लगाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया। एमबापे की तरह ओलिवर गिरोड को भी पलटवार पर लंबा पास मिला और वह इस तक पहुंचने में सफल भी रहे लेकिन गेंद को गोल की राह नहीं दिखा सके।
 
फ्रांस को 30वें मिनट में फ्री किक मिली। एंटोनी ग्रिजमैन ने सीधा शॉट लेने की बजाए गेंद बेंजामिन पेवार्ड की ओर बढ़ाई, जिनके शॉट पर गिरोड हैडर से गोल नहीं कर पाए। एमबापे के पास पर तीन मिनट बाद गिरोड को गोल करने का एक और मौका मिला और उन्हें सिर्फ गोलकीपर को छकाना था लेकिन उनका बेदम और दिशाहीन शॉटबाहर निकल गया।
 
 
फ्रांस ने पलटवार पर कई शानदार मूव बनाए लेकिन टीम इन्हें फिनिशिंग टच नहीं दे सकी। टीम को 40वें मिनट में बढ़त बनाने का सुनहरा मौका मिला लेकिन पेवार्ड के शॉट को शुरुआत में चूकने के बाद कोर्टोइस ने अपने पैर से इसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। मध्यांतर तक दोनों टीमें 0-0 से बराबर थी।

दूसरे हाफ का पहला अच्छा मूव फ्रांस ने बनाया लेकिन गिरोड के शाट को बेल्जियम के डिफेंडर ने बाहर कर दिया जिससे टीम को कार्नर किक मिली। ग्रिजमैन की सटीक कॉर्नर किक पर उमटिटी ने मारोएन फेलाइनी को पछाड़ते हुए हैडर से गेंद को गोल में पहुंचाकर 51वें मिनट में फ्रांस को बढ़त दिला दी। फ्रांस को इसके तुरंत बाद फ्री किक भी मिली लेकिन टीम इसका फायदा नहीं उठा सकी।
 
फ्रांस ने लगातार हमले किए। मातुइदी को दाएं छोर से मिले क्रॉस पर गोल करने का मौका मिला लेकिन उनका शाट डिफेंडर से टकरा गया। कुछ ही क्षणों बाद एमबापे ने सभी को छकाते हुए गेंद गिरोड की ओर बढ़ाई लेकिन एक बार फिर वह कोर्टोइस से पार पाने में नाकाम रहे।
 
बेल्जियम ने 60वें मिनट में मैच का पहला बदलाव करते हुए डेम्बले की जगह ड्राइस मर्टेन्स को उतारा। अगले ही मिनट डि ब्रूइन ने टीम को बराबरी दिलाने का मौका गंवा दिया। तीन मिनट बाद मातुइदी के खिलाफ फाउल के लिए हेजार्ड को मैच का पहला पीला कार्ड दिखाया गया।
 
बेल्जियम ने बराबरी हासिल करने के लिए हमले जारी रखे। मर्टेन्स के क्रास पर फेलाइनी ने शानदार हैडर लगाया लेकिन गेंद गोल के करीब से बाहर निकल गया। भाग्य इस बीच गिरोड से रूठा रहा और ग्रिजमैन के अच्छे पास पर वह गेंद को बाहर मार बैठे। बेल्जियम की टीम का धैर्य इस बीच जवाब देने लगा और वेल्डरवेल्ड को मातुइदी के खिलाफ गैरजरूरी फाउल के लिए पीला कार्ड दिखाया गया।
 
बेल्जियम को 81वें मिनट में बराबरी हासिल करने का मौका मिला लेकिन एक्सेल विटसेल के दमदार शाट को लारिस ने रोक दिया। हेजार्ड के खिलाफ फाउल के लिए एनगोलो कांते को पीला कार्ड दिखाया गया। बेल्जियम को फ्री किक मिली लेकिन टीम गोल करने में नाकाम रही।
 
फ्रांस को इंजरी टाइम के तीसरे मिनट में बढ़त दोगुनी करने का मौका मिला लेकिन कोर्टोइस ने ग्रिजमैन के शाट को दायीं ओर कूद लगाकर रोक दिया। कोर्टोइस ने इसके बाद अंतिम मिनट में कोरेनटिन टोलिसो के शानदार शॉट को भी गोल में जाने से रोका। कोर्टोइस के शानदार प्रदर्शन से संभवत: बेल्जियम को बड़ी हार से बचाया।
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