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लंदन। दक्षिण अफ्रीका के केविन एंडरसन ने अमेरिका के जॉन इस्नर को विम्बलडन के इतिहास के सबसे लम्बे सेमीफाइनल में शुक्रवार को 7-6, 6-7, 6-7, 6-4, 26-24 से हराकर पहली बार पुरुष वर्ग के फाइनल में प्रवेश कर लिया। एंडरसन ने छह घंटे 36 मिनट तक चला यह मुकाबला जीता जो विम्बलडन के इतिहास में में सबसे लम्बा सेमीफाइनल बन गया। दोनों खिलाड़ी योद्धाओं की तरह एक-दूसरे को हराने के लिए जूझते रहे और आखिरी सेट तो दो घंटे 55 मिनट तक चला। पॉवर गेम और जबरदस्त सर्विस के इस मुकाबले में एंडरसन ने 49वें गेम में जाकर इस्नर की सर्विस तोड़ी और 50वें गेम में अपनी सर्विस बरकरार रख ऐतिहासिक मुकाबला जीत लिया।
एंडरसन इसके साथ ही 97 वर्षों में विम्बलडन के फाइनल में पहुंचने वाले दक्षिण अफ्रीका के पहले खिलाड़ी बन गए। एंडरसन का खिताब के लिए विश्व के नंबर एक खिलाड़ी स्पेन के राफेल नडाल और पूर्व नंबर एक सर्बिया के नोवाक जोकोविच के बीच मैच के विजेता से मुकाबला होगा। नडाल और जोकोविच का दूसरा सेमीफाइनल कल अधूरा रह गया था, जिसे आज पूरा किया जाएगा। मैच रुकने के समय तीन बार के चैंपियन जोकोविच 6-4, 3-6, 7-6 से आगे थे। इस्नर ने 2010 में निकोलस माहुत के खिलाफ पहले दौर में 11 घंटे पांच मिनट और तीन तक चला मुकाबला खेला था। उस मुकाबले के आखिरी सेट का स्कोर 70-68 था जिसे इस्नर ने जीता था। अब उनका एंडरसन के साथ मुकाबला साढ़े छह घंटे तक खिंच गया लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
एंडरसन ने इससे पहले क्वार्टर फाइनल में गत चैंपियन रोजर फेडरर को चार घंटे 14 मिनट में हराया था। इस तरह एंडरसन दो दिन में दो मैच में 10 घंटे और 50 मिनट कोर्ट पर गुजार चुके हैं और अब फाइनल के लिए उन्हें खुद को जल्द से जल्द ताजा दम कर लेना होगा। मैराथन सेमीफाइनल का पहला सेट 63 मिनट, दूसरा सेट 54 मिनट, तीसरा सेट 61 मिनट, चौथा सेट 43 मिनट और पांचवां सेट 175 मिनट तक चला। छह फुट आठ इंच लम्बे एंडरसन और छह फुट 10 इंच लम्बे इस्नर के बीच मुकाबले में तीन सेट टाई ब्रेक तक खींचे और मैच में कुल 102 एस लगाए गए। एंडरसन ने 49 और इस्नर ने 53 एस मारे। एंडरसन ने 129 और इस्नर ने 118 विनर्स लगाए। एंडरसन ने 50वें गेम में अपनी सर्विस पर इस्नर की चुनौती का जैसे ही अंत किया दर्शकों ने भी राहत की सांस ली और तालियां बजाकर इन दो योद्धाओं का अभिवादन किया। एंडरसन से पहले दक्षिण अफ्रीका के ब्रायन नॉर्टन 1921 में विम्बलडन फाइनल में पहुंचे थे।
नई दिल्ली। भारतीय मुक्केबाजों का सर्बिया के सुबोटिका में चल रहे गोल्डन ग्लव वोजवोदिना युवा मुक्केबाजी टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन जारी रहा और देश के नौ मुक्केबाजों ने तीसरे दिन सेमीफाइनल में पहुंचकर पदक पक्के किए। इन नौ में से छह महिलाएं जबकि तीन पुरुष मुक्केबाज हैं जबकि एक मुक्केबाज आस्था पाहवा (75 किग्रा) बीती रात क्वार्टर फाइनल चरण में बाहर हो गईं।
नीतू (48 किग्रा), दिव्या पवार (54 किग्रा), ज्योति (51 किग्रा), अनामिका (51 किग्रा), साक्षी (57 किग्रा) और मनीषा (64 किग्रा) ने महिलाओं के ड्रॉ में पदक दौर में प्रवेश किया। पुरुषों की स्पर्धा में बी बरुण सिंह (49 किग्रा), भावेश कट्टीमणि (52 किग्रा) और विजयदीप (69 किग्रा) ने कम से कम कांस्य पदक पक्के किए।
महिला वर्ग की शुरुआत नीतू की बाउट से हुई जिन्होंने थाईलैंड की निलाडा मीकोन को पराजित किया। दिव्या ने भी हंगरी की बेटिना किस पर 5-0 और साक्षी ने क्रोएशिया की निकोलिना कासिच पर इसी अंतर से जीत दर्ज की। ज्योति को इटली की जार्जिया रास ने चुनौती दी, लेकिन अंत में उन्होंने 4-1 के स्कोर से जीत दर्ज की। अनामिका ने कजाखस्तान की झानसाया एबड्रेमोवा को शिकस्त दी।
मनीषा ने दबदबा बनाते हुए हंगरी की वेरोनिका विलास को 5-0 से हराया। फिर पुरुषों की स्पर्धा में बरुण को मैसेडोनिया के बोबान मिजालेव को हराने में पसीना बहाना पड़ा। एशियाई पदकधारी भावेश ने हंगरी के टामस बोरसोस को, जबकि विजयदीप ने बोस्निया हर्जेगोविना के ड्रेगोलजुब कुलिच को पराजित किया। छह अन्य भारतीय मुक्केबाजों ने कल सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जिससे कुल 15 मुक्केबाज अंतिम चार में पहुंच गए हैं।