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ई-स्पोर्ट्स कंपनी कोबक्स के पास अपनी एक गेमिंग टीम है जिसके रहने खाने का खर्चा कंपनी उठाती है और हर व्यक्ति को 75,000 रुपये प्रति महीने भी देती है.
पेरेंट्स को ज़्यादातर अपने स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चों से यह शिकायत रहती है कि वे पढ़ाई न कर सारा समय कंप्यूटर पर गेम खेलने में बिताते हैं. अब अगर आपको यह बताया जाए कि गेमिंग भी बच्चों के लिए एक बेहतरीन करियर ऑप्शन हो सकता है तो आप क्या कहेंगे? भारत में ऐसे बहुत से युवा हैं जिन्होने गेमिंग को करियर के रूप में चुना है और वे हर महीने लाखों रुपया कमा रहे हैं.
प्रोफेशनल गेमिंग भारत में एक करियर में बदल गई है. इसमें ऑनलाइन वीडियो गेम के खिलाड़ियों की टीमों का निर्माण किया जाता है और कंपनियों द्वारा नियमित वेतन पर रखा जाता हैं. वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं जहां पुरस्कार राशि में कमाई 5 लाख रुपये से 20 लाख रुपये प्रति टूर्नामेंट तक हो सकती है. इस साल के पहले चार महीनों में विभिन्न टूर्नामेंटों के लिए घोषित कुल पुरस्कार राशि पहले ही 3.5 करोड़ रुपये पार कर चुकी है.
ई-स्पोर्ट्स कंपनी कोबक्स के पास अपनी एक गेमिंग टीम है जिसके रहने खाने का खर्चा कंपनी उठाती है और हर व्यक्ति को 75,000 रुपये प्रति महीने भी देती है.
मुंबई के अंधेरी के एक घर में टीम एक साथ रहती है और या तो गेमिंग का अभ्यास करती है या गेम खेलती है. चार ने आठ साल पहले प्रतिस्पर्धात्मक रूप से गेमिंग शुरू की थी. तीन साल पहले, कोबक्स ने उन्हें काम पर रखा, उन्हें गेमिंग ड्रेस से लेकर कस्टम-मेड कुर्सियों तक सबकुछ दिया और उन्हें टीम में बदलने के लिए कोई खर्च नहीं छोड़ी. तब से उन्होंने कई स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं जीती हैं. पिछले तीन महीनों मे दो बड़े टूर्नामेंट जीते - एक चीन में और दूसरा इंडोनेशिया में.
स्पांसरशिरप के साथ पेशेवर गेमर्स की संख्या पिछले दो वर्षों में भारत में तेजी से बढ़ी है. कोबक्स का अनुमान है कि 2016 में जहां 12 थी अब 30 पेशेवर टीमें हैं जो केवल गेमिंग से पैसा बनाती है.
गेमिंग के लिए ग्राफिक्स डिजाइन करने और गेमर कनेक्ट इवेंट आयोजित करने वाले एनवीडिया गेमर्स की संख्या 500 से 1,000 के बीच बताता है. दिसंबर में चेन्नई में एनवीडिया द्वारा आयोजित एक गेमर कनेक्ट इवेंट ने 5,000 गेमरों को आकर्षित किया था.
27 साल के साहिल ने वीडियोगेम डोटा2 के टूर्नामेंट्स में भाग लेकर अब तक 18 करोड़ रुपयों के बराबर रकम कमाई है. दो साल पहले उनकी टीम ने एक टूर्नामेंट में 66 लाख डॉलर (42 करोड़ रुपए) जीते थे. अमेरिका के मैडिसन में रहने वाले साहिल कॉलेज ड्रॉपआउट हैं. उन्होंने वस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़कर गेमिंग को ही फुलटाइम पैशन बना लिया है.
स्टैटिस्टा नामक पोर्टल द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार साहिल ने अब तक 67 गेमिंग टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेकर 28.3 लाख डॉलर की धनराशि जीती है, जो भारतीय मुद्रा में 18 करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा होती है. यानी उन्हें हर टूर्नामेंट से औसतन 27 लाख रुपए मिले हैं. ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में साहिल अरोरा का नाम यूनिवर्स है. इसकी स्पेलिंग वे UNiVeRsE लिखते हैं. वे एविल जीनियसेस नामक टीम के सदस्य हैं.
युवाओं के लिए करियर विकल्प के रूप में ऑनलाइन खेल की स्वीकृति 2022 एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स के स्लॉट के साथ बढ़ी है.
अब यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कंपनियां गेमिंग की दूनिया में कूद पड़ी हैं. ऑनलाइन गेम की लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर में लोकप्रिय है - और दर्शक बड़े पैमाने पर देखते हैं. एक ई-स्पोर्ट्स रिसर्च फर्म न्यूजज़ू का अनुमान है कि यूट्यूब पर अकेले मार्च में एक लोकप्रिय ऑनलाइन खेल लीग ऑफ लीजेंड देखने के लिए 11 मिलियन घंटे बिताए गए थे ट्विटर पर यह संख्या 28 मिलियन घंटे थी.
कोबक्स अगले तीन वर्षों में भारत से सर्वश्रेष्ठ गेमर्स प्राप्त करने के लिए $ 10 मिलियन का निवेश करने की योजना बना रहा है. एक मोबाइल प्रकाशन कंपनी नाज़ारा ने भारतीय ई-स्पोर्ट्स में $ 20 मिलियन का निवेश करने की योजना की घोषणा की है, और एक ई-स्पोर्ट्स लीग लॉन्च की है. रॉनी स्क्रूवाला के यू साइफर ने इस वर्ष 51 लाख रुपये के पुरस्कार राशि के साथ एक ई-स्पोर्ट्स चैंपियनशिप की घोषणा की है.
पेशेवर गेमर्स भर्ती करने से कोबक्स और एनवीडिया जैसी कंपनियां अधिक स्पॉसरशिप कमाती हैं - जितना बेहतर खिलाड़ी प्रदर्शन करता है, उतनी अधिक स्पॉसरशिप कंपनी को मिलती है. दक्षिण कोरिया और अमेरिका में सैमसंग और कोका-कोला जैसे ब्रांड ई-स्पोर्ट्स में खिलाड़ियों और टीमों को जीतने पर स्पॉसरशिप देते हैं.
ऐसे बनें प्रोफेशनल गेमर -
खूब गेम खेलें और इतना खेलें कि आपको लगे कि आपको कोई हरा नहीं सकता. कीबोर्ड, जॉयस्टिक पर अच्छे से हाथ जमा लें.
अब यह तय करें आप किस प्लेटफार्म पर गेम खेलना चाहेंगे. एक्स बॉक्स, प्लेस्टेशन या वी यू.
किस तरह के गेम में आपको महारथ हासिल है, यह तय करें. किसी को खोजी किस्म के गेम पसंद होते हैं किसी को लड़ाई वाले.
अब तय करें कि आप गेम केवल मज़े के लिए खेलना चाहते हैं या उससे पैसा भी कामना चाहते हैं यानि उसे अपना करियर बनाना चाहते हैं.
खेलने के नए तरीके सीखें. ज़्यादा से ज़्यादा गेम के वीडियोज देखें. ज़्यादा से ज़्यादा प्लेयर्स से बात करें और गेमिंग के बारे में उनका नजरिया जानें.
आप एक टीम ज्वाइन करें जहाँ आप ज़्यादा सीखेंगे. टीम के साथ कार करके आप एक गेमिंग लीग से जुड़ सकते हैं जहाँ से आप प्रोफेशनल गेमिंग की दुबनया में कदम रखते हैं.
अब ऑनलाइन टूर्नामेंट खेलना शुरू करें. इसके बाद LAN टूर्नामेंट खेलें और उसके बारें में ज़्यादा जानें.
लॉन टूर्नामेंट जीतने के बाद किसी कंपनी से स्पॉन्सरशिप लेने की कोशिश करें.
इसके अलावा अगर आप अच्छे गेमर हैं तो यूट्यूब पर टिप्स देकर भी अच्छा पैसा कमा सकते है.
::/fulltext::IPL 2018 KXIP vs RR: में किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स के बीच मुकाबला खेला गया, जिसको किंग्स इलेवन पंजाब ने 6 विकेट से मुकाबला जीत लिया. मैच पंजाब के होम ग्राउंड इंदौर में खेला गया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए राजस्थान रॉयल्स ने 152 रन बनाए. जवाब में किंग्स इलेवन पंजाब ने 4 विकेट खोकर ही जीत हासिल कर ली. मैच में कुछ ऐसा हुआ जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. मयंक अग्रवाल और मनोज तिवारी ने एक ऐसा कैच पकड़ा जिसको देख सभी हैरान रह गए.
शुरुआती विकेट जल्द गिरने के बाद मिडिल ऑर्डर के हाथ में बड़े स्कोर की जिम्मेदारी आ गई थी. बेन स्टोक्स बल्लेबाजी कर रहे थे. मुजीब की गेंद पर उन्होंने छक्का लगाने की कोशिश की. मयंक अग्रवाल अगर कोशिश नहीं करते तो बॉल आराम से छक्के की ओर चली जाती. लेकिन मयंक अग्रवाल ने बाउंड्री की तरफ डाइव लगाकर बॉल को पकड़ा और बॉल मनोज तिवारी की तरफ फेंक दी, जिसको उन्होंने पकड़ लिया. इसके लिए मनोज तिवारी को परफेक्ट कैच ऑफ द मैच भी दिया गया जो मयंक और मनोज दोनों ने लिया.
बता दें, केएल राहुल की नाबाद 84 रन की पारी के कारण पंजाब ने मुकाबला जीत लिया. इस जीत के बाद किंग्स इलेवन पंजाब की टीम 9 में से 6 मैचों की जीत के साथ तीसरे नंबर पर आ गई है. टीम के 12 अंक हैं. दूसरी ओर राजस्थान रॉयल्स की 9 मैचों में यह छठी हार है. टीम के केवल छह अंक हैं और प्लेऑफ की उसकी संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं. राजस्थान अंक तालिका में सबसे नीचे है.
::/fulltext::करोड़ों की लागत से रायपुर के कोटा में बने ट्रेक एण्ड फिल्ड अंतराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण कराया गया है. लोकार्पण के ढाई माह बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने स्टेडियम को अब तक खेल विभाग को नहीं सौंपा है, जिससे प्रदेश के खिलाड़ियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.
15 फरवरी 2018 को अंतरराष्ट्रीय स्तर के ट्रेक एण्ड फिल्ड स्टेडियम का लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था. लगभग ढाई माह बीत जाने के बाद भी कोटा स्टेडियम को खेल विभाग को नहीं सौपा गया है. फुटबॉल कोच मुस्ताक अली प्रधान का कहना हैं कि ऐसे में प्रदेश के खिलाड़ी अंतररास्ट्रीय स्टेडियम में खेल अभ्यास नहीं कर पा रहें है.
कोटा में बने अंतराष्ट्रीय स्टेडियम में कई तरह की सुविधाएं हैं. धावकों के लिए ट्रेक और फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए ग्राउंड के साथ साथ बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए पृथक से कोर्ट है. यहां खिलाड़ियों के ठहरनें और आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था भी है, मगर पीडब्ल्यूडी की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के खिलाड़ी भुगत रहें हैं.
नई दिल्ली: न जाने दिल्ली डेयर डेविल्स को किसने श्राप दिया है, कभी इस पर बहार ही नहीं आई! यह सोलह आने सच है कि इस टीम के प्रबंधन ने सारे जतन कर लिए. कभी वीरेंद्र सहवाग को कप्तानी सौंपी, तो कभी कुछ हुआ, लेकिन दिल्ली डेयर डेविल्स का कभी भला नहीं ही हुआ. और अगर कुछ कसर बाकी बची थी, तो गौतम गंभीर के हाल ने पूरी कर दी. टीम का भला होना तो दूर, उल्टा गौतम गंभीर का ही हाल बेहाल हो गया! और अब एक और जतन के साथ और 'नई तस्वीर' के साथ दिल्ली डेयर डेविल्स आईपीएल-11 में अब से कुछ घंटे बाद रात आठ बजे कोलकाता नाइट राइडर्स से भिड़ेगी. भाग्य बदलेगा? यह सवाल बहुत और बहुत ही ज्यादा भारी है. औ इसका जवाब डेयर डेविल्स को देना है.बहरहाल, हम नई तस्वीर हम इसलिए कह रहे हैं कि टीम का मिजाज बदला हुआ होगा, शैली बदली होगी. और तेवरों के साथ बाकी चीजें भी बदली होंगी. यह सब दिल्ली के डेयर पर कितना असर डालेंगे, यह देखना बहुत ही रोमांचक होने जा रहा है. वजह यह है कि गौतम गंभीर के कप्तान छोड़ने के बाद अब कप्तानी युवा तुर्क श्रेय अय्यर संभालेंगे. इस युवा के साए में सीनियर खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन करते हैं, यह भी देखने वाली बात होगी. दिल्ली की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में गहराई है. लेकिन यह गहराई कागजों पर ही दिख रही है, जमीन से पूरी तरह गायब है. बल्लेबाजी में गौतम की गंभीरता अभी तक तो पूरी तरह नदारद रही है. युवा ऋषभ पंत और श्रेयस अय्यर का बल्ला जरूर बोला है, लेकिन नियमितता की थोड़ी कमी खली है. वहीं, बाकी बल्लेबाजों के बल्ले पर अभी तक जंग लगा ही दिखाई पड़ा है. ग्लैन मैक्सवेल बल्ले से ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल रहे हैं. जेसन रॉय पिछले मैच में नहीं खेले थे. अय्यर इस मैच में उनको मौका दे सकते हैं.