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रायपुर. चैत्र नवरात्र पर्व की शुरूआत आज से हो चुकी है. राजधानी रायपुर में भी मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटने लगी है. मां के दरवार में लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. मंदिरों और घरों में तैयारियां तेज हो गई हैं. पहले दिन घटस्थापना के साथ व्रत व पूजा अर्चना शुरू होगी.शहर के महामाया मंदिर काली मंदिर में सबुह से ही भक्तों का तांता लग चुका है.मां के दर्शनों के लिए लोग कतार बनाकर खड़े हुए हैं.
चैत्रमास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पहले दिन घटस्थापना के साथ माता की आराधना शुरू होती है. मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से 12:34 बजे तक है. इस बार नवरात्र रेवत्री नक्षत्र से शुरू होगा. उदय काल में रेवती नक्षत्र का योग होने से साधना और सिद्धि का फल कई गुना प्राप्त होगा.
गौरतलब हो कि रायपुर में मंदिरों में शुक्रवार की देर रात से ही कलश स्थापना के लिए पंजीयन होते रहे. 2 से 3 काउंटर बनाकर समितियों ने भक्तों का पंजीयन किया. सबसे ज्यादा साढ़े 10 हजार पंजीयन पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर में कराए गए हैं. इसी तरह रावाभांठा स्थित बंजारी धाम में 9 हजार, काली माता मंदिर में साढ़े 4 हजार और दंतेश्वरी मंदिर में 15 सौ के करीब भक्त जोत प्रज्वलित करा रहे हैं.
::/fulltext::चैत्र नवरात्रि 2019 में कब से हैं, तो बता दें कि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का पहला दिन शुरू होता है. चैत्र नवरात्रि 2019 में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.
Happy Gudi Padwa, हैप्पी न्यू ईयर... हो सकता है कि आपको अजीब लगे की 2 अप्रैल के दिन हम आपको नए साल की शुभकामनाएं क्यों दे रहे हैं. असल में नया साल आने वाला है. जी हां, आपको बता दें कि भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा को नया साल शुरू होता है, जोकि इस साल 6 अप्रैल के दिन होगा. इसे हिंदू नववर्षोत्सव कहा जाता है. आपने संवत के बारे में तो सुना ही होगा. बस इसी से हिंदू नववर्ष का संबंध है. असल में हिंदू कैलेंडर में यह गणना विक्रम संवत के अनुसार है, जो ईसा पूर्व 57 में शुरू हुई.
महाराष्ट्र और कोंकण में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है. इसे संवतसारा या संवत भी कहा जाता है. वहीं दक्षिण भारत में उगाडी के नाम से इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. अगर आप सोच रहे हैं कि चैत्र नवरात्रि 2019 में कब से हैं, तो बता दें कि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का पहला दिन शुरू होता है. चैत्र नवरात्रि 2019 में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और अपनी अपनी परंपरा के तहत लोग आष्ठमी या नवमी के दिन पूजा कर राम नवमी मनाते हैं.
क्यों मनाई जाती है गुड़ी पड़वा, क्या है इसका महत्व और गुड़ी पड़वा की कथा
चैत्र माह की पहली तिथि को गुड़ी पड़वा मनाई जाती है. इस साल गुड़ी पड़वा 6 अप्रैल को है. गुड़ी का मतलब होता है ‘विजय पताका‘. गुड़ी पड़वा की कथा क्या है, अगर आप यह जानना चाहते हैं तो हम आपको बताते हैं. प्रचलित कथा के अनुसार शालिवाहन नाम के एक कुम्हार के बेटे ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए थे. कुम्हार के बेटे ने अपनी इस सेना की मदद से दुश्मनों को हरा दिया था. इस जीत के प्रतीक के रूप में ही शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ. इसके अलावा एक और कहानी है. जिसके अनुसार इसी दिन भगवान राम ने वानरराज बाली से दक्षिण की प्रजा को बाली के त्रास से मुक्ति दिलाई थी. इसके बाद प्रजा ने घरों में ध्वज (गुड़िया) फहराए थे. यही वजह है कि महाराष्ट्र में आज के दिन घर के आंगन में गुड़ी खड़ी की जाती है.
गुड़ी पड़वा के दिन कैसे बनाएं पूरन पोली | पूरन पोली रेसिपी
महाराष्ट्रियों के बीच यह नया साल के तौर पर मनाई जाती है. गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन हर घर में पूरन पोली बनाई जाती है. यह गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम के मिश्रण से तैयार होती है.
पूरन पोली रेसिपी
वैसे तो पूरन पोली कई तरह से बनाई जाती है लेकिन चने की दाल से बनी पूरन पोली ज्यादा लोकप्रिय है. इसे बनाने के लिए चने की दाल के अलावा चीनी, गुड़, इलाइची पाउडर आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इन सब सामग्रियों को मिलाकर फीलिंग तैयार करने के बाद मैदे की रोटी बनाकर उसमें इसे फीलिंग को भरा जाता है.
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