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“इफ़ यू आर नॉट पेइंग फ़ॉर द प्रोडक्ट, यू आर द प्रोडक्ट.’’ यानी अगर आप किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने के लिए पैसे नहीं चुका रहे हैं, तो आप ही वो प्रोडक्ट हैं.
अगर आपने हाल ही में नेटफ़्लिक्स पर आई डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘सोशल डाइलेमा’ देखी है तो ये बात आप भूल नहीं पाए होंगे. ‘सोशल डाइलेमा’ में यह बात फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और ऐप्स के संदर्भ में कही गई थी. फ़ेसबुक और वॉट्सऐप जैसे प्लेटफ़ॉर्म जिन्हें हम लगभग मुफ़्त में इस्तेमाल करते हैं, क्या वो सचमुच मुफ़्त हैं? इसका जवाब है-नहीं. ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स यूज़र्स के यानी आपके निजी डेटा से अपनी कमाई करते हैं.
वॉट्सऐप बदल रहा है अपनी पॉलिसी
अगर आप ‘यूरोपीय क्षेत्र’ के बाहर या भारत में रहते हैं तो इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप आपके लिए अपनी प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों में बदलाव कर रहा है. इतना ही नहीं, अगर आप वॉट्सऐप इस्तेमाल करना जारी रखना चाहते हैं तो आपके लिए इन बदलावों को स्वीकार करना अनिवार्य होगा.
वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी और टर्म्स में बदलाव की सूचना एंड्रॉइड और आईओएस यूज़र्स को एक नोटिफ़िकेशन के ज़रिए दे रहा है. इस नोटिफ़िकेशन में साफ़ बताया गया है कि अगर आप नए अपडेट्स को आठ फ़रवरी, 2021 तक स्वीकार नहीं करते हैं तो आपका वॉट्सऐप अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा. यानी प्राइवेसी के नए नियमों और नए शर्तों को मंज़ूरी दिए बिना आप आठ फ़रवरी के बाद वॉट्सऐप इस्तेमाल नहीं कर सकते.
ज़ाहिर है वॉट्स आपसे ‘फ़ोर्स्ड कन्सेन्ट’ यानी ‘जबरन सहमति’ ले रहा है क्योंकि यहाँ सहमति न देने का विकल्प आपके पास है ही नहीं.
साइबर क़ानून के जानकारों का मानना है कि अमूमन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स या ऐप्स इस तरह के कड़े क़दम नहीं उठाते हैं. आम तौर पर यूज़र्स को किसी अपडेट को ‘स्वीकार’ (Allow) या अस्वीकार (Deny) करने का विकल्प दिया जाता है.
ऐसे में वॉट्सऐप के इस ताज़ा नोटिफ़िकेशन ने विशेषज्ञों की चिंताएँ बढ़ा दी हैं और उनका कहना है कि एक यूज़र के तौर पर आपको भी इससे चिंतित होना चाहिए.
वॉट्सऐप की पुरानी पॉलिसी में यूज़र्स की निजता पर ज़ोर दिया गया था
नई पॉलिसी में ‘प्राइवेसी’ पर ज़ोर ख़त्म
अगर 20 जुलाई 2020 को आख़िरी बार अपडेट की गई वॉट्सऐप की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में देखें तो इसकी शुरुआत कुछ इस तरह होती है:
''आपकी निजता का सम्मान करना हमारे डीएनए में है. हमने जबसे वॉट्सऐप बनाया है, हमारा लक्ष्य है कि हम निजता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए ही अपनी सेवाओं का विस्तार करें...''
चार जनवरी, 2021 को अपडेट की गई नई प्राइवेसी पॉलिसी में ‘निजता के सम्मान’ पर ज़ोर देते ये शब्द ग़ायब हो गए हैं. नई पॉलिसी कुछ इस तरह है:
"हमारी प्राइवेसी पॉलिसी से हमें अपने डेटा प्रैक्टिस को समझाने में मदद मिलती है. अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत हम बताते हैं कि हम आपसे कौन सी जानकारियाँ इकट्ठा करते हैं और इससे आप पर क्या असर पड़ता है..."
फ़ेसबुक ने साल 2014 में 19 अरब डॉलर में वॉट्सऐप को ख़रीदा था और सितंबर, 2016 से ही वॉट्सऐप अपने यूज़र्स का डेटा फ़ेसबुक के साथ शेयर करता आ रहा है.
अब वॉट्सऐप ने नई प्राइवेसी पॉलिसी में फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों के साथ अपने यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात का साफ़ तौर पर ज़िक्र किया है:
वॉट्सऐप यह दावा कर रहा है कि प्राइवेसी पॉलिसी बदलने से आम यूज़र्स की ज़िंदगी पर कोई असर नही पड़ेगा लेकिन क्या आप जो मैसेज, वीडियो, ऑडियो और डॉक्युमेंट वॉट्सऐप के ज़रिए एक-दूसरे को भेजते हैं, उसे लेकर आपको सचेत हो जाना चाहिए?
‘आग के भवँर सी है वॉट्सऐप की नई पॉलिसी’
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और ‘वॉट्सऐप लॉ’ किताब के लेखक पवन दुग्गल का मानना है कि वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूज़र्स को ‘आग के भँवर’ में घसीटने जैसी है.
बीबीसी से बातचीत में पवन दुग्गल ने कहा, “वॉट्सऐप की नई पॉलिसी न सिर्फ़ भारतीयों की निजता का संपूर्ण हनन है बल्कि भारत सरकार के क़ानूनों का उल्लंघन है.”
हालाँकि वो ये भी कहते हैं कि भारत के मौजूदा क़ानून वॉट्सऐप के नियमों पर रोक लगाने में पूरी तरह कारगर नहीं हैं.
उन्होंने कहा, “वॉट्सऐप जानता है कि भारत उसके लिए कितना बड़ा बाज़ार है. साथ ही वॉट्सऐप ये भी जानता है कि भारत में साइबर सुरक्षा और निजता से जुड़े ठोस क़ानूनों का अभाव है.”
पवन दुग्गल कहते हैं, “वॉट्सऐप ने अपना होमवर्क अच्छी तरह किया है और यही वजह है कि वो भारत में अपने पाँव तेज़ी से पसारना चाहता है क्योंकि भारतीयों का निजी डेटा इकट्ठा करने और उसे थर्ड पार्टी तक पहुँचाने के लिए उसे किसी तरह की रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़ेगा.”
कंज़्यूमर्स डेटा का अध्यनन करने वाली जर्मन कंपनी स्टैटिस्टा के मुताबिक़ जुलाई 2019 तक भारत में वॉट्सऐप के 40 करोड़ यूज़र्स थे.
'भारतीय क़ानूनों का उल्लंघन है वॉट्सऐप की नई पॉलिसी'
पवन दुग्गल कहते हैं कि भारत में न ही साइबर सुरक्षा से जुड़ा कोई मज़बूत क़ानून है, न ही पर्सनल डेटा प्रोक्टेशन से जुड़ा और न ही प्राइवेसी से जुड़ा.
वो कहते हैं, “भारत में एकमात्र एक क़ानून है जो पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा पर कुछ हद तक नज़र रखता है. वो है- प्रोद्यौगिकी सूचना क़ानून (आईटी ऐक्ट), 2000. दुर्भाग्य से भारत का आईटी ऐक्ट (सेक्शन 79) भी वॉट्सऐप जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए काफ़ी लचीला है.”
पवन दुग्गल के अनुसार, वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी आईटी ऐक्ट का उल्लंघन है. ख़ासकर इसके दो प्रावधानों का:
1) इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी इंटमिडिएरी गाइडलाइंस रूल्स, 2011
2) इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी रीज़नेबल सिक्योरिटी पैक्टिसेज़ ऐंड प्रोसीज़र्स ऐंड सेंसिटिव पर्सनल डेटा ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन रूल्स, 2011
वॉट्सऐप एक अमेरिकी कंपनी है और इसका मुख्यालय अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया राज्य में स्थित है. वॉट्सऐप कहता है कि यह कैलीफ़ोर्निया के क़ानूनों के अधीन है. वहीं, भारत के आईटी ऐक्ट की धारा-1 और धारा-75 के अनुसार अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर भारत के बाहर स्थित है लेकिन उसकी सेवाएँ भारत में कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन पर भी उपलब्ध हैं तो वो भारतीय आईटी ऐक्ट के अधीन भी हो जाएगा.
यानी वॉट्सऐप भारत के आईटी एक्ट के दायरे में आता है, इसमें कोई शक नहीं है. दूसरी बात, वॉट्सऐप भारतीय आईटी ऐक्ट के अनुसार ‘इंटरमीडिएरी’ की परिभाषा के दायरे में आता है. आईटी एक्ट की धारा-2 में इंटरमीडिएरीज़ को मोटे-मोटे तौर पर परिभाषित किया गया है, जिसमें दूसरों का निजी डेटा एक्सेस करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स शामिल हैं.
आईटी ऐक्ट के सेक्शन-79 के अनुसार इंटरमीडिएरीज़ को यूज़र्स के डेटा का इस्तेमाल करते हुए पूरी सावधानी बरतनी होगी और डेटा सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी उसी की होगी. पवन दुग्गल कहते हैं कि अगर वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों को देखें तो ये कहीं से भी आईटी एक्ट के प्रावधानों पर खरी नहीं उतरतीं.
‘वॉट्सऐप को रोकने के लिए फ़िलहाल कोई क़ानून नहीं’
साइबर और टेक्नॉलजी लॉ मामलों की विशेषज्ञ पुनीत भसीन कहती हैं कि वॉट्सऐप जो कर रहा है, वो कुछ नया नहीं है. उन्होंने कहा, “वॉट्सऐप के पॉलिसी अपडेट सहमति पर हमारी नज़र इसलिए जा रही है क्योंकि ये किसी न किसी रूप में हमें अपनी नीतियों की जानकारी दे रहा है और हमसे सहमति माँग रहा है. वरना लगभग हर ऐप बिना हमारी मंज़ूरी के हमारा निजी डेटा एक्सेस कर लेते हैं.”
पुनीत भसीन भी मानती हैं कि भारत में प्राइवेसी से सम्बन्धित क़ानूनों का अभाव है इसलिए वॉट्सऐप के लिए भारत जैसे देशों को टारगेट करना आसान हो जाता है.
ब्राज़ील के लोगों के लिए वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी
जिन देशों में प्राइवेसी और निजता से जुड़े कड़े क़ानून मौजूद हैं, वॉट्सऐप को उनका पालन करना ही पड़ता है. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि वॉट्सऐप यूरोपीय क्षेत्र, ब्राज़ील और अमेरिका, तीनों के लिए अलग-अलग नीतियाँ अपनाता है.
इसकी यूरोपीय संघ (ईयू) और यूरोपीय क्षेत्रों के तहत आने वाले देशों के लिए अलग, ब्राज़ील के लिए अलग और अमेरिका के यूज़र्स के लिए वहाँ के स्थानीय क़ानूनों के तहत अलग-अलग प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तें हैं.
वहीं, भारत में यह किसी विशेष क़ानून का पालन करने के लिए बाध्य नज़र नहीं आता.
पुनीत भसीन कहती हैं कि विकसित देश अपने नागरिकों की निजता को लेकर बहुत गंभीर रहते हैं और उनके क़ानूनों में दायरे में रहकर काम न करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स या ऐप्स को प्ले स्टोर में ही जगह नहीं मिलती.
वो कहती हैं, “वॉट्सऐप के ज़रिए अगर किसी के निजी डेटा का गंभीर दुरुपयोग हो जाए तो वो अदालत में मुक़दमा ज़रूर कर सकता है और इस मामले में आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है लेकिन वॉट्सऐप को लोगों के सामने डेटा को लेकर अपनी शर्तें रखने से रोके जाने के लिए फ़िलहाल देश में कोई क़ानून नहीं है.”
कैलीफ़ोर्निया के लोगों के लिए वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी
'अपना फ़ैसला लोगों पर थोप रहा है वॉट्सऐप'
सुप्रीम कोर्ट में वकील और साइबर क़ानून विशेषज्ञ डॉक्टर कर्णिका सेठ का भी मानना है कि वॉट्सऐप का यूज़र्स पर अपनी एकतरफ़ा नीतियों को थोपने का फ़ैसला चिंताजनक है.
उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, “अभी हमारे देश में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लंबित है और उससे पहले ही वॉट्सऐप का ये क़दम उठाना परेशानी में डालने वाला है.”
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में कई कड़े और प्रगतिशील प्रावधान हैं जो लोगों की निजी जानकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.
यूरोपियन संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) की तर्ज़ पर प्रस्तावित इस विधेयक में नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी सज़ा और मुआवज़े का प्रावधान रखा गया है.
डॉक्टर कर्णिका के मुताबिक़, “अब चूँकि वॉट्सऐप इस बिल के पास होने से पहले ही अपनी पॉलिसी बदल रहा है, ऐसे में बिल पास होने के बाद इस पर बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा. वॉट्सऐप पहले ही लोगों का निजी डेटा स्टोर, प्रोसेस और शेयर कर चुका होगा.”
वो कहती हैं, “क्या लोगों से उनकी निजी जानकारी माँगी जा सकती है और अगर हाँ तो उसका किस-किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है? भारत में इन सवालों का जवाब देने वाला कोई क़ानून अभी मौजूद नहीं है. ऐसे में वॉट्सऐप की नई नीतियों और शर्तों को देखकर लगता है कि देश में कड़े प्राइवेसी और डेटा प्रोटेक्शन की बहुत ज़रूरत है.”
निजता का अधिकार और निजता की सुरक्षा: सरकार को क्या करना चाहिए?
पवन दुग्गल, पुनीत भसीन और कर्णिका सेठ, ये तीनों विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि सरकार को वॉट्सऐप और निजता को प्रभावित करने वाले ऐसे दूसरे मामलों में तुरंत दख़ल देने की ज़रूरत है.
पुनीत भसीन के अनुसार, “भारत में अब भी ज़्यादातर क़ानून वही हैं जो सैकड़ों बरस पहले अंग्रेज़ों ने बनाए थे. कुछेक क़ानूनों में थोड़ा-बहुत संशोधन करके बाक़ियों को हम आज भी वैसे का वैसे इस्तेमाल कर रहे हैं.”
वो कहती हैं, “मारपीट, हत्या और डकैती...ये ऐसे कुछ अपराध हैं जिनकी प्रकृति आमतौर पर नहीं बदलती लेकिन चोरी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों की प्रकृति तकनीक के विकसित होने के साथ-साथ तेज़ी से बदल रही है. ऐसे में हमारे क़ानूनों को भी उतनी ही तेज़ी से बदलने की ज़रूरत है.”
पुनीत भसीन कहती हैं, “आज के ज़माने में हमें डायनमिक क़ानूनों की ज़रूरत है. ख़ासकर, साइबर और तकनीक से जुड़े क़ानूनों की तो नियमित समीक्षा होनी चाहिए. सरकार को इसके एक अलग समिति ही बना देनी चाहिए.”
न सिर्फ़ जनता बल्कि सरकार और लोकतंत्र को भी ख़तरा
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में पुट्टुस्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में अपने ऐतिहासिक कहा था निजता का अधिकार हर भारतीय का मौलिक अधिकार है. अदालत ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 यानी जीवन के अधिकार से जोड़ा था.
पवन दुग्गल कहते हैं, “भारतीय संविधान के अनुसार देश के हर नागरिक को न सिर्फ़ जीवन बल्कि गरिमापूर्ण जीवन का मौलिक अधिकार है. लेकिन क्या सरकार अपने नागरिकों के इस मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए कोई क़ानून बना रही है? हमें इस सवाल का जवाब सरकार से पूछना होगा और सरकार को भी इसका जवाब देना होगा.”
कर्णिका सेठ कहती हैं कि लोगों की निजी जानकारियों और डेटा के ख़तरे में पड़ने से न सिर्फ़ उनकी ज़िंदगी पर असर पड़ेगा बल्कि ये सरकार और लोकतंत्र के लिए भी ख़तरनाक है. 2019 में इसराइली कंपनी पेगासस ने कैसे वॉटसऐप के ज़रिए हज़ारों भारतीयों की जासूसी की, ये सबके सामने है. साल 2016 के अमेरिकी चुनावों में फ़ेसबुक का कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल भी किसी से छिपा नहीं है.
हाल के कुछ दिनों में भारत में भी फ़ेसबुक की भूमिका पर सवाल उठे हैं. ऐसे में जब वॉट्सऐप फ़ेसबुक के अधीन है और यह सार्वजनिक तौर पर फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों से यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात कह रहा है तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
वॉट्सऐप का इस पर क्या कहना है?
इन सारी चिंताओं के बावजूद वॉट्सऐप का कहना है कि उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी से इस पर कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा कि आप अपने परिवार या दोस्तों से कैसे बात करते हैं. अंग्रेज़ी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, "ज़्यादातर लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल अपने परिजनों और दोस्तों से बात करने के लिए करते हैं लेकिन अब बहुत से लोग बिज़नस के लिए भी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं."
प्रवक्ता के अनुसार, "हमारी नई प्राइवेट पॉलिसी के बाद कारोबारियों के लिए अपने ग्राहकों तक पहुँचना और उनसे बातचीत करना आसान हो जाएगा."
उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह यूज़र पर है कि वो बिज़नस वाले अकाउंट्स से वॉट्सऐप पर बात करे या नहीं. प्रवक्ता ने कहा, "हमारे पॉलिसी अपडेट से फ़ेसबुक के साथ यूज़र्स का डेटा शेयर करने के तरीकों में कोई बदलाव नहीं होगा. वॉट्सऐप और फ़ेसबुक दोनों ही अपने यूज़र्स की निजता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं."
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के समय के इतिहासकारों के लेखन और कुछ दस्तावेज़ों से पता चलता है कि दारा शिकोह को दिल्ली में हुमायूं के मक़बरे में कहीं दफ़न किया गया था. मोदी सरकार ने दारा की क़ब्र को पहचानने के लिए पुरातत्वविदों की एक कमेटी बनाई है जो साहित्य, कला और वास्तुकला के आधार पर उनकी क़ब्र की पहचान करने की कोशिश कर रही है.
दारा शिकोह शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र थे. मुग़ल परंपरा के अनुसार, अपने पिता के बाद वे सिंहासन के उत्तराधिकारी थे. लेकिन शाहजहाँ की बीमारी के बाद उनके दूसरे पुत्र औरंगज़ेब ने अपने पिता को सिंहासन से हटाकर, उन्हें आगरा में क़ैद कर दिया था. औरंगज़ेब ने ख़ुद को बादशाह घोषित कर दिया और सिंहासन की लड़ाई में दारा शिकोह को हराकर जेल भेज दिया.
शाहजहाँ के शाही इतिहासकार मोहम्मद सालेह कम्बोह लाहौरी ने अपनी पुस्तक 'शाहजहाँ नामा' में लिखा है, "जब शहज़ादे दारा शिकोह को गिरफ़्तार करके दिल्ली लाया गया, तब उनके शरीर पर मैले कुचैले कपड़े थे. यहाँ से, उन्हें बहुत ही बुरी हालत में, बाग़ी की तरह हाथी पर सवार करके खिज़राबाद पहुँचाया गया. कुछ समय के लिए उन्हें एक संकीर्ण और अंधेरी जगह में रखा गया था. इसके कुछ ही दिनों के भीतर उनकी मौत का आदेश दे दिया गया."
वो लिखते हैं कि "कुछ जल्लाद उनका क़त्ल करने के लिए जेल में दाख़िल हुए और क्षण भर में उनके गले पर ख़ंजर चलाकर उनकी हत्या कर दी. बाद में उन्हीं मैले और ख़ून से सने कपड़ों में उनके शरीर को हुमायूं के मक़बरे में दफ़्न कर दिया गया."
उसी दौर के एक अन्य इतिहासकार, मोहम्मद काज़िम इब्ने मोहम्मद अमीन मुंशी ने अपनी पुस्तक 'आलमगीर नामा' में भी दारा शिकोह की क़ब्र के बारे में लिखा है.
वो लिखते हैं, "दारा को हुमायूं के मक़बरे में उस गुंबद के नीचे दफ़नाया गया था जहाँ बादशाह अकबर के बेटे दानियाल और मुराद दफ़्न हैं और जहाँ बाद में अन्य तैमूरी वंश के शहज़ादों और शहज़ादियों को दफ़्न किया गया था."
पाकिस्तान के एक स्कॉलर, अहमद नबी ख़ान ने 1969 में लाहौर में 'दीवान-ए-दारा दारा शिकोह' के नाम से एक शोध-पत्र में दारा की क़ब्र की एक तस्वीर प्रकाशित की थी. उनके अनुसार, उत्तर-पश्चिम कक्ष में स्थित तीन क़ब्रें पुरुषों की हैं और उनमें से जो क़ब्र दरवाज़े की तरफ़ है वो दारा शिकोह की है.
दारा की क़ब्र पहचानने में मुश्किल क्या है?
हुमायूं के विशाल मक़बरे में हुमायूं के अलावा कई क़ब्रें हैं. उनमें से मक़बरे के बीच में स्थित केवल हुमायूं की ही एक ऐसी क़ब्र है जिसकी पहचान हुई है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहासकार प्रोफ़ेसर शिरीन मौसवी कहती हैं, "चूंकि हुमायूं के मक़बरे में किसी भी क़ब्र पर कोई शिलालेख लगा हुआ नहीं है, इसलिए कौन किस क़ब्र में दफ़्न है, पता नहीं."
शिरीन मौसवी
सरकार ने दारा की क़ब्र की पहचान करने के लिए पुरातत्वविदों की जो टीम बनाई है, उसमें पुरातत्व विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर सैयद जमाल हसन भी शामिल हैं. वो कहते हैं, "यहाँ लगभग एक सौ पचास क़ब्रें हैं जिनकी अभी तक पहचान नहीं हुई है. यह पहचान का पहला प्रयास है."
वो कहते हैं कि "हुमायूं के मक़बरे के मुख्य गुंबद के नीचे जो कक्ष बने हुए हैं, हम वहाँ बनी क़ब्रों का निरीक्षण करेंगे. उन क़ब्रों के डिज़ाइन को देखेंगे. अगर कहीं कुछ लिखा हो तो उसकी तलाश करेंगे. कला और वास्तुकला के दृष्टिकोण से हम लोग यह कोशिश करेंगे कि दारा की क़ब्र पहचानी जा सके."
उनका मानना है कि यह काम बहुत मुश्किल है.
मोदी सरकार को क़ब्र की तलाश क्यों है?
दारा शिकोह शाहजहाँ के उत्तराधिकारी थे. वो भारत का एक ऐसा बादशाह बनने का सपना देख रहे थे जो बादशाहत के साथ-साथ दर्शन, सूफ़िज़्म और आध्यात्मिकता पर भी महारत रखता हो. उनके बारे में उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, वो अपने समय के प्रमुख हिन्दुओं, बौद्धों, जैनियों, ईसाईयों और मुस्लिम सूफ़ियों के साथ उनके धार्मिक विचारों पर चर्चा करते थे. इस्लाम के साथ, उनकी हिन्दू धर्म में भी गहरी रुचि थी और वो सभी धर्मों को समानता की नज़र से देखते थे.
उन्होंने बनारस से पण्डितों को बुलाया और उनकी मदद से हिन्दू धर्म के 'उपनिषदों' का फ़ारसी भाषा में अनुवाद कराया था. उपनिषदों का यह फ़ारसी अनुवाद यूरोप तक पहुँचा और वहाँ उनका अनुवाद लैटिन भाषा में हुआ जिसने उपनिषदों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बनाया. भारत में दारा शिकोह को एक उदार चरित्र माना जाता है.
भारत में हिन्दू-झुकाव वाले इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर औरंगज़ेब की जगह दारा शिकोह मुग़लिया सल्तनत के तख़्त पर बैठते तो देश की स्थिति बिल्कुल अलग होती. ये इतिहासकार औरंगज़ेब को एक 'सख़्त, कट्टरपंथी और भेदभाव करने वाला' मुसलमान मानते हैं.
औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को क़ैद करके उनकी हत्या करा दी थी
उनके अनुसार, वो हिन्दुओं से नफ़रत करते थे और उन्होंने कई मंदिरों को ध्वस्त कराया था. यह धारणा वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में और भी ज़्यादा मज़बूत हो गई है. बीबीसी ने जिन इतिहासकारों से बात की है, उनका मानना है कि औरंगज़ेब के विपरीत, दारा शिकोह हिन्दू धर्म से प्रभावित थे और वो हिन्दुओं की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते थे.
हिन्दू वैचारिक संगठन आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा ने भारत में मुस्लिम शासकों के लगभग सात सौ साल के शासन को 'हिन्दुओं की ग़ुलामी' का दौर कहा है.
आधुनिक समय में मुस्लिम शासकों के दौर को, विशेष रूप से मुग़ल शासकों और घटनाओं को अक्सर भारत के मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. अब यह नैरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है कि वर्तमान मुसलमानों की तुलना में दारा शिकोह भारत की मिट्टी में ज़्यादा घुल मिल गए थे.
मोदी सरकार दारा की क़ब्र पर क्या करेगी?
मोदी सरकार दारा शिकोह को एक आदर्श, उदार मुस्लिम चरित्र मानती है और इसीलिए वो दारा को मुसलमानों के लिए आदर्श बनाना चाहती है. उनके विचारों को उजागर करने के लिए, यह संभव है कि मुग़ल शहज़ादे की क़ब्र की पहचान होने के बाद धार्मिक सद्भाव का कोई वार्षिक उत्सव या कोई कार्यक्रम शुरू किया जाये.
सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा के नेता सैयद ज़फर इस्लाम का कहना है कि "दारा शिकोह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सभी धर्मों का अध्ययन किया और एक शांति अभियान चलाया. वे सभी धर्मों को एक साथ लेकर चलने में विश्वास करते थे. इसका उन्हें परिणाम भी भुगतना पड़ा. आज के मुस्लिम समाज में भी दारा जैसी सोच और समझ की बहुत आवश्यकता है."
दारा शिकोह को मुसलमानों के लिए एक आदर्श के रूप में पेश करने का विचार इस धारणा पर आधारित है कि मुसलमान भारत के धर्मों और यहाँ के रीति-रिवाज़ों में पूरी तरह से नहीं घुल मिल सके हैं और ना ही इसे अपना सके हैं.
हालांकि, कुछ आलोचक यह सवाल भी पूछते हैं कि दारा शिकोह को उनकी उदारता और धार्मिक एकता के विचारों के लिए केवल मुसलमानों का ही क्यों, पूरे देश का रोल मॉडल क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए?
एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर आदमी बन गए हैं. उन्होंने गुरुवार को ने अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस को पीछे छोड़ते हुए यह जगह बनाई है ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार, SpaceX और टेस्ला के संस्थापक के पास अब कुल 195 अरब डॉलर की संपत्ति है. बता दें कि मस्क के जीवन में एक ऐसा भी दौर था, जब उनकी कंपनी टेस्ला उम्मीद के हिसाब से प्रदर्शन नहीं कर रही थी और परेशान होकर वे अपनी इस कंपनी को बेचना चाहते थे. लेकिन, गुरुवार को उसी कंपनी की बदौलत मस्क अब दुनिया के सबसे अमीर आदमी बन गए हैं. गुरुवार को कारोबार के दौरान टेस्ला के शेयरों में 4.8 फीसदी की तेजी देखने को मिली.
एलन मस्क के बारे में एक इस खबर को ट्विटर पर साझा करते हुए ‘टेस्ला ओनर्स ऑफ सिलिकॉन वैली' हैंडल से एक ट्वीट आया. इस ट्वीट में लिखा था, ‘एलन मस्क अब 190 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन चुके हैं.' इस ट्वीट का जवाब देते हुए मस्क ने लिखा, ‘‘हाउ स्ट्रेंज''
इस ट्वीट के बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, ‘‘ठीक है, काम पर वापसी...''
वहीं, अब सोशल मीडिया पर एलन मस्क के इस ट्वीट को पर लोग जबरदस्त तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं. लोग एलन मस्क के ट्वीट को लेकर मजेदार मीम्स (Funny Memes) शेयर कर रहे हैं.
आपको बता दें कि एलन मस्क नवंबर 2020 में ही बिल गेट्स (Bill Gates) को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने थे. उस वक्त उनके पास कुल 128 अरब डॉलर की संपत्ति थी. पिछले 12 महीने में एलन मस्क की संपत्ति में 150 अरब डॉलर (करीब 11 लाख करोड़ रुपये) से भी ज्यादा का इजाफा हुआ. दिलचस्प बात ये है कि मस्क की संपत्ति पर आर्थिक मंदी या कोरोना वायरस महामारी का भी कोई असर नहीं पड़ सका.